मैं (धीरे से): बाल तो आपकी काखों के भी कम नहीं हैं |
दीदी: अच्छा जी, तो यही सब देख रहे थे भाई साहिब | बताया ना तेरे को मुझे काखों के बाल पसंद हैं | उनको रखना भी और ….. चाटना भी |
दीदी (मेरी पैंट के उभार को देखते हुए): क्या ….. तुझे भी काखों के बाल सूंघना और चाटना पसंद है ?
मैं (तपाक से): हाँ दीदी, बहुत ……
दीदी (हँसते हुए): पता था मुझे … आखिर खून तो एक ही है | भाई, क्या सूंघेगा अपनी दीदी की कांख को?
मैं (जल्दी से): खुशी-२ दीदी, ख़ुशी-२ …. मैं तो आपसे पूछने ही वाला था।
यह कहते हुए मैं संगीता दीदी की तरफ खिसक गया | संगीता दीदी ने एक कातिल स्माइल देते हुए अपना हाथ ऊपर उठा लिया और अपनी काख मेरे मुंह के पास ले आयी | मैंने जल्दी से अपना मुंह उसकी कांख में गुस्सा दिया और एक गहरी साँस ली ।
जैसे ही मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसके उसकी कांख को पतली सी ड्रेस के ऊपर से चाटना शुरू किया, दीदी ने अपना हाथ हटा लिया और बोली, “रुक भाई रुक, ये तो गलत बात है | मैंने तो डायरेक्ट चाटा था और तुम ड्रेस के ऊपर से | मैं इस कमीज को उतार देती हूँ ताकि तुम भी डायरेक्ट मेरे पसीने का मज़ा ले सको |”
तो उसने तुरंत ही कमीज़ के बटन खोले और पलक झपकते ही अपनी कमीज निकल दी | मुझे विस्वाश ही नहीं हो रहा था, मेरी जवान बहन मेरे सामने अपने बड़े-२ पपीते जैसे बोबों को शान से दिखते हुए आधी नंगी बैठी हुई थी | कमीज में तो मैं उसके बोबे पहले ही देख चूका था लेकिन कमीज के बाहर उसके बोबे और भी गोर और बड़े लग रहे थे, उसके निप्पल पहले से ज़्यादा कड़े और बड़े लग रहे थे | दीदी का ये रूप देख कर मैं पागल हो रहा था, मेरे हाथ पैर उतेज़ना से कम्कम्पाने से लगे थे | ना जाने मैं कितनी देर दीदी के बोबों को निहारता रहा |
दीदी: भाई, तेरा तो ठीक है लेकिन पूरी दुनिया को अपनी बहन नंगी दिखायेगा क्या? खिड़की तो बंद कर दे कम से कम |
दीदी की बात सुन के जैसे मैं नींद से जगा और खड़ा हो के तुरंत खिडकी बंद करने लगा |
यहाँ मेरा बुरा हाल हो रहा था और दीदी को जैसे कोई फरक ही नहीं पड़ रहा था | वो बिलकुल नार्मल तरीके से पेश आ रही थी | जैसे ही मैं खिड़की बंद करके वापिस मुडा दीदी ने अपने हाथ उठा दिए, जैसे मुझे अपने शरीर का रस पीने के लिए आमंत्रित कर रही हो |
यहाँ मेरा बुरा हाल हो रहा था और दीदी को जैसे कोई फरक ही नहीं पड़ रहा था | संगीता दीदी को अपने भाई के सामने ऐसे खुल के नंगी खड़ी होने में कोई शर्म महसूस नहीं हो रही थी | जैसे ही मैं खिड़की बंद करके वापिस मुडा दीदी ने अपने हाथ उठा दिए, जैसे मुझे अपने शरीर का रस पीने के लिए आमंत्रित कर रही हो |
दीदी सीट पर बैठी थी और उसने अपने हाथ अपने सिर के पीछे से हुए थे | मैं निचे अपने घुटने टेक कर बैठ गया और वापिस अपनी बहन के कांख में घुस गया | मैं जीभ निकाल कर संगीता दीदी की पसीने से भरी कांख चाटने लगा | उसके पसीने का स्वाद बिलकुल सस्ती देसी शराब की तरह था और नशा उससे कई गुना | उस पोज़िशन में बैठ कर अपनी बहन की बालों से भरी कांख चाटने से मेरा लंड और भी सख्त हो रहा था । इस पोजीशन में मेरे लंड को फैलने की लिए जगह भी थोड़ा ज़्यादा मिल रही थी | वासना से दीदी की ऑंखें बंद हो गयी थी | मैं दीदी को बहुत देर तक चाटता रहा |
फिर कुछ देर बाद दीदी ने कहा: ओह भाई …. इतना पसंद आया तुझे अपनी बहन का पसीना | मैं कब से इस दिन का इंतज़ार कर रही थी की कोई इतने प्यार से मेरी कांखों को चाटे | तेरे जीजा को तो जैसे इन सब से कोई मतलब ही नहीं है | मैं बहुत खुश हूँ भाई |
मैं: दीदी आपकी ख़ुशी के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ और आपका पसीना तो जैसे अमृत है | अगर आप कहो तो मैं इससे ज़िन्दगी भर चाट सकता हूँ |
दीदी (ख़ुशी से): सच में भाई …. मुझे चाटने की तू कोई चिंता न कर | जब तेरा दिल करे मुझे बता देना … तेरी बहन तेरे लिए सदा हाज़िर है | अब बहुत देर हो गयी तुझे चाटते हुए, अब मेरी बारी ।यह कहते हुए संगीता दीदी ने मुझे उठाया और सीट पर बैठा दिया । फिर वो भी मेरे पास बैठ गई और फिर से मेरे हाथ को उठाते हुए मेरी कांख को चाटने लगी | चाटने के साथ-२ वो अपनी हथेली को मेरे सीने पर घुमा भी रही थी | कभी वो अपना हाथ मेरे पेट पर ले आती और फिर से ऊपर उठाते हुए मेरे सीने के बालों से खेलने लगती | अपनी जवान बहन के हाथ के स्पर्श से मैं बहुत ही कामुक हो गया था। मेरा सख्त लंड मेरी पैंट के ऊपर से साफ़ दिख रहा था । अगर संगीता दीदी देख लेती तो उससे तुरंत पता चल जाता की उसका भाई कितना उत्तेजित हो रखा है | लेकिन मुझे अब कोई परवाह नहीं थी । बल्कि इसके विपरीत मैं तो चाहता था की वो अपने भाई के विशाल लंड को देखे इसलिए मैंने अपने उभार को छिपाने की कोई कोशिश नहीं की । bhai behen xnxx
एक बार फिर से संगीता दीदी अपना हाथ घुमाते हुए नीचे ले गयी | इस बार उसका हाथ थोड़ा ज़्यादा की नीचे चला गया और मेरे लंड से छू गया । मुझे एक दम से 440 वोल्ट का झटका लगा और मस्ती से मेरी आँखें बंद हो गयी | उसने अपना हाथ वापिस ऊपर कर लिया और छाती पे फिराने लगी | कुछ ही पलों में उसका हाथ वापिस से नीचे खिसक गया और अब दीदी मेरे लंड पे अपना हाथ फिराने लगी | मैंने धीरे से अपनी आँखें खोलीं और उसकी तरफ देखा । संगीता दीदी मुस्कुराते हुए मुझे ही देख रही थी | उसका हाथ धीरे धीरे मेरे लंड को पैंट के ऊपर से सहला रहा था जैसे की मेरे लंड के साइज को कड़कपन का अंदाजा लगा रही हो |
दीदी: ओह भाई, तुम तो बहुत उत्तेजित हो रखे हो |
मैं (शरमाते हुए): वो तो ….. दीदी बस ऐसे ही |
दीदी: अरे .. शर्माने की क्या बात है …अच्छा खासा तो है तुम्हारा लंड | ऐसे लंड की तो लोग नुमाइश करते हैं, और तुम हो की शर्मा रहे हो |
संगीताई के उन शब्दों ने मुझे भोचक्का कर दिया था | दीदी मेरे खड़े लंड को देख के गुस्सा नहीं हुई उल्टा उसे सहला रही थी | मैं आश्चर्यचकित था कि वह कितनी आसानी से ‘लंड’ जैसे शब्द को बोल रही थी । उसके मुंह से ऐसे शब्द मैंने पहले कभी नहीं सुने थे | मैं उसके इस खुलेपन से हैरान था । माना की मैं उसके खुलेपन से हैरान हो गया था लेकिन लंड की तो शायद अपनी ही अलग दुनिया था | उसके मुंह से लंड सुन के, मेरे लोडे ने भी एक झटका मारा | दीदी का हाथ अब भी मेरे लंड पर घूम रहा था ।
“यह … अब मैं क्या कहूं दीदी” मैं आगे कुछ नहीं कह सका।
दीदी: भाई, इसमें शर्म की बात है | मैं समझ सकती हूँ | इतना कुछ हो रहा है तो तेरा लंड टाइट नहीं होगा क्या।
ओह, तो ये बात | उसके ये बात सुन के मैंने मन बना लिया था की अगर दीदी इतना खुलकर के पेश आएगी तो मैं भी पीछे नहीं हटूंगा, मैं भी खुल के पेश आऊंगा |
दीदी: अच्छा भाई … एक बात बता … तू मेरे चाटने से ज़्यादा उत्तेजित हुआ है या मेरे बोबों को देख कर ?
मैं (बिना हिचकिचाहट के, पूरी बेशर्मी से): दोनों से, दीदी
दीदी (सेक्सी लहजे में): ओहो …. तब तो तुम्हारे लंड का कुछ करना पड़ेगा … नहीं तो खड़ा-२ कहीं दर्द न करने लग जाये बेचारा ।
यह कहते हुए संगीता दीदी उठ कर मेरे सामने घुटने के बल बैठ गई । पूरे समय हम दोनों एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे | मैं उसे आश्चर्य से देख रहा था । वो बैठ कर मेरी बेल्ट खोलने लगी ।
मैं (आश्चर्य से): क्या … क्या कर रही हो दीदी ?
दीदी: ओह भाई रिलैक्स, तू बस मज़े ले और देख की मैं क्या-२ करती हूँ | ये बेल्ट तुम खोलोगे या ये ही मुझे ही करना पड़ेगा ?
मैंने बिना और कुछ भी बोले फटाफट अपनी पैंट की बेल्ट खोल के ज़िप नीचे कर दी | दीदी ने जल्दी से मेरी पैंट और मेरे अंडरवियर की इलास्टिक को पकड़ लिया नीचे सरकाना शुरू कर दिया | मैंने अपनी गांड उठा के अपने लंड को आज़ाद करने में उसकी मदद की | एक झटके से दीदी ने मेरी पैंट और अंडरवियर को मेरे टखने तक पहुंचा दिया | मेरा लंड एक स्प्रिंग की तरह उछल कर खड़ा हो गया । अब मैं अपनी बहन के सामने बिल्कुल नंगा था | अब उसके सामने नंगे होने में शर्माना कैसा जब नंगा ही उसने खुद किया था । bhai behen xnxx
दीदी (लंड को मुठी में जकड़ते हुए): भाई तेरा लंड बहुत लंबा और मोटा है | लड़कियाँ तो ज़रूर तेरे ऊपर मरती होंगी । कितनी लड़कियों को अभी तक अपने लंड से संतुष्ट हो चुके हो ?
मैं (मासूमियत से): लंड पकड़ाया तो है दो-तीन को, लेकिन किसी को संतुष्ट करने का मौका अभी तक नहीं मिला |
दीदी: चूतिया थी वो लड़कियाँ जो इतने मस्त लंड का स्वाद नहीं लिया | कोई बात नहीं भाई, जो उन्होंने गँवा दिया वो स्वाद अब मैं लुंगी |
यह कहते हुए दीदी मेरा लंड अपनी मुट्ठी में पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी । वो लगातार मेरी आँखों में देख रही थी और शायद मेरी उत्तेजना को देख कर खुद भी उत्तेजित हो रही थी । मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुँच गया था । मस्ती से मेरी आँखें बंद हो रही थी | कुछ समय बाद मैंने अपनी ऑंखें बंद कर ली और पीछे की तरफ सिर झुका कर इस स्वर्गिक समय का आनंद लेने लगा । अचानक से मुझे अपने लंड पे कुछ टाइट-२ और गरम सा महसूस हुआ | मैंने नज़र घुमा कर नीचे देखा तो ….
ओह माय-२ …. माय गॉड | दीदी ने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया था और उसे बड़े ही प्यार से चूस रही थी । ये दृश्य मैं अपने सपनो में सैकड़ों बार देख चूका था | मेरी सेक्सी, लाड़ली, प्यारी जवान बहन, सच-मुच में मेरा लंड चूस रही थी। क्या बात थी, क्या मज़ा था, क्या अनुभूति थी | क्या स्पर्श था उसके नरम-२ होंटो का, गीले-२ मुंह का, खुरदरी-२ जीभ का, गरम-२ साँसों का मेरे टाइट-२ लोडे पे | ये सोच कर की मेरी बहन मेरा लंड वास्तविकता में चूस रही है, मैं झड़ने के बिलकुल करीब आ गया | मेरा लंड इतना कड़ा हो गया था कि जैसे फट ही जाएगा ।
Indian Sex Stories – Adultery The Innocent Wife – Part 1 – Wife Sharing