यादगार यात्रा बहन के साथ – bhai behen xnxx

मेरी हालत बहुत टाइट हो गयी थी। मेरा लंड पहले से ही खड़ा था और अब तो संगीता दीदी का सर बिलकुल मेरे लंड के ऊपर आ गया था | उसके बदन का मेरे पैरों पे गरम-२ स्पर्श, मेरे हाथों में उसके रेशमी बाल, १० इंच से भी कम दुरी पे पारदर्शी शर्ट से झांकती उसकी लगभग नंगी छातीयां, उसके शरीर से आती परफ्यूम और पसीने की मिलीझुली मदहोश कर देने वाली गंध से मेरा लंड खुली हवा में सांस लेने की लिए तड़पने लगा | लंड की हालत ऐसी थी की अगर बाहर निकल की सिर्फ दो-तीन बार हिला भी लेता तो इतने में ही मेरा माल निकल जाता |

मेरा लंड बहुत दमदार है, तकरीबन १० इंच लम्बा और बहुत मोटा | मेरा लंड संगीता दीदी के सर को मेरी गोदी से उठाने में लगा हुआ था | अचानक से मेरे लंड में एक लहर सी आयी और लंड ने संगीता दी के सर को झटके से हल्का सा उछाल दिया | संगीता दी को कुछ पता नहीं चला, शायद नींद थोड़ी गहरी हो गयी थी | उसको पता ही नहीं चला की उसके जवान भाई का हब्शी लंड उसके सर से साथ खेल रहा है |

अब संगीता दीदी की साँसे गहरी और लयबद्ध चल रही थी, उसी लय के साथ उसके बोबे भी ऊपर-नीचे हो रहे थे | उसकी पारदर्शी शर्ट पसीने से लथपथ हो कर उसके अंगों से चिपक गयी थी | उसका शरीर पूरी तरह से दिखाई दे रहा था । ऐसा लग रहा था जैसे उसने सिर्फ ब्रा पहन रखी हो । उसके बोबे इतने गोर थे के उनमें से उसकी नीली-हरी नसें भी दिखाई दे रही थी | मेरा दिल कर रहा था की अभी उसकी कमीज फाड़ कर उसके बोबों की गहरी घाटी में अपना मुंह घुसा दूँ | लेकिन मुझे हर हाल में अपने अंदर के जानवर को बाहर आने से रोकना था |

उसके पसीने की गंध अब शायद बढ़ गयी थी, अब उससे और ज्यादा पसीना आ रहा था | शायद नींद में सभी को ज़्यादा गर्मी लगती है और पसीना आता है | महिलाओं का पसीना भी किसी परफ्यूम की तरह ही होता है | जो भी हो मेरी सेक्सी दीदी के पसीने की नमकीन गंध बहुत ही मदहोश करने वाली थी | पसीने की बूंदे उसकी गर्दन, कन्धों और बोबों पे चिपकी हुई दिखाई दे रही थी | दिल कर रहा था की कुत्ते की तरह जीभ निकल के उसका सारा पसीना चाट जाऊं |

तभी अचानक से संगीता दीदी ने अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रख दिया और मेरी तरफ करवट ले ली | उसने मुझे वैसे ही पकड़ा हुआ था जैसे कोई छोटा बच्चा अपनी माँ से लिपटा होता है | उसके हाथ का स्पर्श बहुत गरम था | अब इस नयी पोजीशन में उसका बायां मुम्मा मेरे पेट से चिपक गया था | उसके मुम्मे का स्पर्श बहुत ही मस्त था | और तो और अब उसकी पारदर्शी कमीज से उसकी पसीने से लथपथ कांख बिलकुल साफ़ दिखाई दे रही थी | bhai behen xnxx

बड़े आश्चर्य की बात थी की दीदी के कांख में गहरे काले-२ बाल थे | कांख में अगर बाल हों तो बहुत पसीना आता है, संगीता से आती हुई पसीने की गंध सबसे ज़्यादा उसकी कांख से ही आ रही थी | आज की मॉडर्न लड़कियां अपनी कांख बिलकुल सफाचट रखती हैं, लेकिन शायद वो ये नहीं जानती की कांख के बाल कितने सेक्सी दीखते हैं | बाकि सब का तो पता नहीं लेकिन मैं कांख के बालों का दीवाना हूँ | लड़कियों की काखों में बाल होना बहुत ही कामुक होता है और कामोन्माद को बढ़ाता है। लेकिन आजकल, लड़कियों को अपनी त्वचा पर बाल नहीं रखना चाहती | अपनी बहन की काखों में बाल देख के मुझे बहुत खुशी हुई, मेरा लंड और भी टाइट हो गया |

अब और बर्दाश्त कर पाना मेरे लिए नामुनकिन हो गया था, मैं थोड़ा सा झुका और अपनी नाक को, जितना हो सकता था उतना, संगीता दीदी की काखों के पास ले गया | मैं बता भी नहीं सकता, ये सब मेरे लिए कितना नशीला और कामुक था | ऐसा लग रहा था की उसका मुम्मा और मोटा होके मुझे बुला रहा था | मेरा लंड अंडरवियर फाड़ के बाहर आने को मचल उठा था, ऐसा लग रहा था कि लंड अभी फटेगा । आखिरकार में अपना हाथ धीरे से उसके मुम्मों पे रखने के लिए उठाया | जैसे ही मैंने अपना अपना हाथ उठा के उसके सीने की तरफ बढ़ाया, संगीता दीदी ने अपनी आँखें खोल दीं । मैंने तुरंत अपना हाथ अपने बालों पर ऐसे घुमाया जैसे मैंने अभी-अभी अपने बालों को हिलाने के लिए ही उठाया हो।

“कितनी देर से सो रहा हूँ? अरे यार कितनी गर्मी है ……… मैं तो पसीने से पूरी तरह नहा ली हूँ …. ये शर्ट पूरी गीली हो गयी है, मैं इसे बदल लेती हूँ | ,” संगीता दीदी उठते हुए बोली |

संगीता दीदी ने मुझे ऊपर की बर्थ से बैग उतारने को कहा | मैंने बैग उतार दिया | दीदी अपने पर्स में बैग की चाबी तलाश करने लगी | उसने बहुत ढूंढी लेकिन नहीं मिली।

मैंने संगीताई से कहा, “कहीं आप चाबी घर पे तो नहीं भूल आये?”

“नहीं भाई, मैंने अभी तो कपडे चेंज किये हैं| साडी भी बैग में रखी थी। उसके बाद बैग लॉक करके शायद से चाबी पर्स में ही तो रखी थी|,” उसने जवाब दिया ।

मैंने कहा, “फिर कहाँ जा सकती है? मैं ढूंढ़ता हूँ, शायद सीट के नीचे ना गिर गयी हो |”

मैं नीचे झुक गया और सीट के नीचे झाँकने लगा । जमीन पर बहुत गंदगी पड़ी थी लेकिन चाबी कहीं नहीं दिख रही थी । मैं थोड़ा और झुक के ध्यान से देखने लगा । अचानक से मुझे सीट के निचे, एक कोने में चाबी दिखाई दी | मैंने सोचा की अगर मैं दीदी को चाबी दे देता हूँ तो संगीता दीदी कपडे चेंज कर लेंगी और इतना सेक्सी शो ख़तम | ना ना ।

मैंने उठ के दीदी से कहा,” दीदी, चाबी तो नहीं मिल रही | अभी कुछ काम चला लो, जब घर आने वाला होगा तब दोनों मिल के चाबी अच्छे से ढून्ढ लेंगे, अभी छोड़ो, गर्मी से वैसे भी कुछ काम करने का मन नहीं हो रहा |”

“ओके”, फिर से हम दोनों वापस सीट पर बैठ गए।

“भाई, सीरियसली, बहुत गर्मी लग रही है | मैं इस गर्मी और पसीने से मरी जा रही हूँ? ” संगीता दीदी बोली ।

“अब मैं क्या कहूं दीदी, मुझे थोड़ा ना पता था की AC ख़राब हो जायेगा | तुम्हारे ससुराल वालों ने प्लेन की टिकट की तो ऐसी-तैसी कर दी ।” मैंने कहा | मन ही मन सोच रहा था की अगर AC ख़राब ना होता तो अपनी जवान बहन के सेक्सी बदन का जलवा कैसे देखने को मिलता | bhai behen xnxx

“ओह्ह्ह्हह ….. | मुझे पूरा सफर इस पसीने से भीगी ड्रेस में ही करना होगा | अब क्या कर सकते हैं ….. एक ये फैन, चल रहा है की हिल रहा है ….. जब ठीक से चलता ही नहीं तो लगाने की भी क्या ज़रुरत थी |”, दीदी ने परेशान होते हुए कहा |

फैन की बात सुनते ही मुझे एक जोक याद आया | दीदी की थोड़ा मूड ठीक करने के लिए मैंने पुछा,”दीदी, क्या तुमने वो फैन वाला जोक सुना है ?,

“कोनसा जोक भाई, मुझे नहीं पता यार ।” दीदी ने झुंझलाते हुए कहा |

“एक बार एक बहुत ही फेमस हीरोइन थी | वह अपनी कुर्सी पर बैठी हुई अगले शूट का इंतज़ार कर रही थी | बहुत गर्मी थी | वो बहुत परेशान हो रही थी | वो बोली, कितनी गर्मी है यहाँ …. ऐसे मौसम में तो सारे कपड़े उतार के फैन के नीचे फ़ैल के सो जाना चाहिए | साथ खड़े स्पॉटबॉय ने तुरंत कहा, मैडम, मैं तो शुरू से ही आपका फैन हूँ |”

“हा हा …. very फनी, हुंह” दीदी ने बड़े बेमन से कहा |

“दीदी, उस स्पॉटबॉय की तरह मैं भी आपका फैन हूँ ….. मेरा मतलब है ….. अगर आप कहो तो मैं सीलिंग से बेताल की तरह लटक के आपको ठंडी-२ हवा दे सकता हूँ |”, मैंने हँसते हुए कहा |

अब जाके दीदी थोड़ा सा मुस्करायी | मेरे दिल की समझी या नहीं, ये तो पता नहीं | मैं दीदी को अपने नीचे सुलाने के लिए ना जाने कब से तड़प रहा था |

“जोक छोड़ो दीदी, सच में अगर आप कहो तो मैं इस मेगज़ीन से आपको हवा कर देता हूँ,” में पास पड़ी एक मैगज़ीन उठाते हुए कहा ।

“ओहो, क्या बात है, बहन की इतनी सेवा ……… अभी रहने दे भाई …. बता दूंगी जब सेवा करवाने का मन होगा,” उसने हँसते हुए कहा |

“कम से कम इस मुई नायलॉन की ब्रा को तो उतार देती हूँ, ये मेरे बदन को काट रही है।”, वो बोली |

“ब्रा ही क्यों, पूरी नंगी हो जा ना दीदी”, मैंने मन में सोचा |

“ब्रा उतारने के लिए अब कोन जायेगा टॉयलेट में, ऐसा कर भाई, थोड़ी देर के लिए तू प्लीज अपनी आँखें बंद कर ले | ज़्यादा समय नहीं लगेगा । जब मैं बोलूं तभी खोलना … पक्का |”

मैंने ईमानदारी से अपनी आँखें बंद कर लीं ! मन में सोच रहा था की संगीता दीदी नंगी होकर कैसी दिखाई देंगी |

“ठीक है भाई | खोल ले आँखें |” उसने संक्षेप में कहा और मैंने अपनी आँखें खोलीं और उसकी तरफ देखा।

ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह, क्या नज़ारा था | संगीता दीदी के सीने से ब्रा गायब हो गई थी | उसके गोरे-२, बड़े-२ विशाल मुम्मे उसकी पारदर्शी, थोड़ी गीली शिफॉन शर्ट से साफ़-२ दिखाई दे रहे थे | ब्रा के बिना उसके मुम्मे और भी बड़े लग रहे थे | गोरे गोरे मुम्मे के बीच में डार्क चॉकलेट रंग का निप्पल साफ दिखाई दे रहा था । उसके निप्पल बिलकुल कड़क लग रहे थे और उनकी शेप ऊपर से साफ़-२ दिखाई दे रही थी ।

मैं अपनी जवान बहन को लगभग ऊपर से नंगा देख कर बुरी तरह से मदहोश हो गया | ऐसा लग रहा था जैसे मेरा कड़क लंड किसी भी पल में झड़ जाएगा । ये नज़ारा देख के मेरा पूरा शरीर गरम हो गया और मुझे पहले से भी ज़्यादा पसीना आने लगा | मेरा दिल कर रहा था की अभी लंड बाहर निकाल के उसके मुम्मे पे मुठ गिरा दूँ | लेकिन, क्या कर सकता था, आखिर बहन-भाई का रिश्ता था | मैं मन को समझा के बैठ गया |

संगीता दीदी मेरी हालत से बेखबर दिख रही थी, उसके चेहरे पे कोई भाव नहीं थे, बस हल्का सा मुस्कुरा रही थी|

कुछ समय बाद दीदी ने मेरी तरफ देखा और कहा, “तुझे कितना पसीना आ रहा है भाई | देख कैसे पसीने से भीग गया है |”

मैं: तो कर भी क्या सकता हूँ दीदी?

दीदी: उतार दे तू भी

मैं: क्या उतार दूँ? मैंने तो ब्रा पहन भी नहीं रखी |

दीदी: हा हा … very funny … क्यों इतनी मोटी कमीज पहन रखी है? उतार दे कमीज को |

सच पूछो तो मैं भी यही सोच रहा था और अब तो दीदी ने भी कह दिया | बढ़िया था, दीदी सही लाइन पे जा रही थी | मैंने जल्दी से शर्ट निकाल दी। मुझे खेल-कूद का बहुत शोक है | मैं अपने कॉलेज में कबाड़ी की टीम का कप्तान भी था | थोड़ा बहुत जिम भी कर लेता था |

मेरे हष्ट-पुष्ट शरीर देखकर संगीता दीदी की आँखें चमक उठीं। उसने कहा, “क्या बात है भाई, बॉडी तो मस्त बना रखी है | एकदम मरदाना, वाह”

मैं: चलो अच्छा है, आपको मेरी बॉडी पसंद आयी | कुछ तो फायदा हुआ जिम जाने का |दीदी: मुझे फिट लोग ही पसंद हैं | एक तेरे जीजा जी हैं, तोंद फुलाए पूरे दिन गद्दी पे बैठे रहते हैं |

मैं: तो आप बोला करो ने उन्हें जिम जाने के लिए

दीदी (धीमी आवाज़ में): हाँ, वो और जिम, कुछ होता-हवाता तो है नहीं उनसे ….

दीदी: चल अब बातें छोड़, सोने दे मुझे

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हम फिर से पहले वाली पोजीशन में आ गए | मैं पहले की तरह खिड़की के पास बैठ गया और संगीता दीदी ने अपना सिर मेरी गोद में रख लिया और फिर से सोने लगी | थोड़ी देर के बाद उसकी सांसें गहरी हो गयी, उसकी नींद पक्की हो गयी थी | अब मैंने उससे फिर से वासना भरी नज़रों से घूरना शुरू कर दिया | जब तक वो जाग रही थी, मैं उसे अच्छे से नहीं देख सकता था | अब मैं उससे सर से पाँव तक आराम से देख रहा था |

ब्रा निकालने के बाद उसके बोबे बिलकुल साफ़ दिखाई दे रहे थे | तकरीबन 25 % बोबे तो वैसे ही कमीज से बाहर थे और जो 75 % अंदर भी थे वो भी उस पसीने से भीगी पारदर्शी कमीज से नंगे ही प्रतीत हो रहे थे | उसके उभरे हुए निप्पल उसकी ड्रेस में अलग से खड़े हुए स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रहे थे | उसके पसीने ही उग्र गंध मेरे नथुनों में समा रही थी |

मेरे काखों में भी बहुत बाल हैं, मुझे काखों से बाल साफ़ करना अच्छा भी नहीं लगता | एक तो मौसम इतना गरम था और उस पर मेरी जवान बहन की गरमा-गरम जवानी, मुझे भी बहुत पसीना आ रहा था | पहले तो शायद मेरे पसीने की गंध शर्ट की वजह से रुक रही थी, लेकिन अब तो मैंने शर्ट भी उतार दी थी | मेरे पसीने की गंध पूरे कम्पार्टमेंट में फ़ैल रही थी |

मुझे यकीन था कि संगीता दीदी सो रही थी और उसे मेरे पसीने की गंध का पता नहीं चला होगा | माना की मेरे पसीने की गंध तेज थी लेकिन संगीता दीदी भी इस बात में पीछे नहीं थी | उसके पसीने की महक मुझे पागल कर रही थी । मैं संगीता दीदी को टंग बाथ देना चाहता था, उसके पूरे शरीर को चाटना चाहता था | मुझे विश्वास था की उसके पसीने में शराब से भी ज़्यादा नशा होगा | मेरा लंड बुरी तरह से सख्त हो चूका था और उसमें से थोड़ा सा पानी भी निकलना शुरू हो गया था | मुझे लग रहा था कि कहीं मेरी पैंट गीली ना हो जाये, लेकिन मैं कर भी क्या सकता था, ये मेरे नियंत्रण में नहीं था ।

यह सब मेरे लिए किसी कामुक सपने की तरह था | जिस बहन के जिस्म को सपनो में सोच-२ कर ना जाने कितने सालों से मुठ मारा करता था वही बहन आज वास्तव में मेरी गोदी में अपना सिर रख कर सोई हुई थी |

उसके नंगे बोबे, खड़े निप्पल, पसीने से लथपथ शरीर मेरी आँखों और लपलपाती जीभ से केवल कुछ इंच की दूरी पर थे । मैं अत्यधिक उत्तेजित हो चूका था | मैं मन ही मन प्रार्थना कर रहा था कि कहीं मेरा वीर्य छूट न जाये | अगर ऐसा हुआ तो मैं मर ही जाऊंगा | संगीता दीदी को पता चल जायेगा | वो शायद मुझसे नफरत करने लग जाये, शायद मुझसे फिर कभी बात ना करे | ये विचार आते ही मैं घबरा गया था।

तभी नींद में संगीता दीदी ने करवट ली और अपना मुंह मेरे तरफ कर लिया | उसने अपना सर उठाकर थोड़ा सा आगे कर लिया । इस पोजीशन में उसके होंठ मेरे पेट के साइड को छूने लगे । मैं उसके रसीले होठों के मुलायम-२ स्पर्श से गनगना गया | तभी मैंने नीचे की तरफ देखा तो हिल गया। मेरी छाती पे कुछ पसीने की बूंदे इकठी हो हर एक बड़ी बूँद बन गयी थी और वहां बहुत सा पसीना इकठा हो गया था | अब वो पसीना धीरे-२ एक धार का रूप लेके नीचे मेरे पेट की तरफ जा रहा था | अगर मेरा पसीना इसी तरह से गिरता रहता तो निश्चित रूप से वो वहां पहुँच जाता जहाँ संगीता दीदी के कामुक होंठ मेरे पेट हो छू रहे थे |

वो धार चलनी शुरू हो गयी, पक्के से वो संगीता दीदी के होंठो तक पहुँचाने वाली थी | मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या किया जाये | डर के मारे मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और संगीता दीदी की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा करने लगा |

मैं कुछ देर तक इंतज़ार करता रहा लेकिन संगीता दीदी की और से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई | थोड़ा और इंतज़ार करके मैंने अपनी आँखें खोली और नीचे देखा | नीचे का नज़ारा देख कर मैं आश्चर्यचकित रह गया । संगीता दीदी मुस्कुराते हुए मेरे पसीने से भीगे हुए होंठों पर अपनी जीभ फिरा रही थी | ओह …. वो मेरे पसीने को चाट रही थी ।

जब हम दोनों की ऑंखें मिली तो वो मुस्कुराते हुए बोली: वाह भाई ….. क्या बात है | मुझे नहीं पता था की तुम्हारा पसीना इतना टेस्टी होगा | तुम तो सही में बड़े हो गए हो | तुम्हारे पसीने का स्वाद एक जवान आदमी के जैसा है | और ….. मुझे ये स्वाद बहुत पसंद है | भाई, प्लीज-२ …. क्या मैं तुम्हारा पसीना चाट सकती हूँ ?

उसने मेरे उत्तर की प्रतीक्षा नहीं की | शायद वो मेरा उत्तर पहले से ही जानती थी | उसने अपनी जीभ को पूरा बाहर निकाल के मेरे पेट के एक बड़े हिस्से को चाट लिया | मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुँच गया | वो मेरे शरीर पर लगे पसीने को चाटती हुई ऊपर की तरफ बढ़ रही थी | जैसे-२ संगीता दीदी मुझे चाट रही थी वैसे-२ मेरी उनको
चोदने की इच्छा बलवती होती जा रही थी | मेरे बदन को चाटते हुए दीदी ऊपर की तरफ आ रही थी और साथ में मेरी छाती पर हाथ भी फेरा रही थी | धीरे-२ वो मेरे निप्पल तक पहुँच गयी | अब वो मेरे एक निप्पल को चाट रही थी जबकि दूसरे निप्पल को अपने लंबे नाखूनों से हल्का-२ खरोंच रही थी |

चाटते-२ उसके मुंह से मदहोशी में निकला: ओह, भाई …… तू कितना टेस्टी है यार | पहले पता होता तो में तुझे अभी तक तो कच्चा चबा गयी होती | तेरी काखों से कितना पसीना निकल रहा है | ज़रा अपनी कांख तो दिखा भाई |

मुझे बहुत आश्चर्य हुआ कि मेरे पसीने की गंध से संगीता दीदी परेशान नहीं हुई बल्कि वह इसे पसंद कर रही थी | मैंने हिचकिचाते हुए अपना दाहिना हाथ उठा दिया | वह बहुत खुश लग रही थी, पहले वो थोड़ा सा मुस्कुराई और फिर मुझे थोड़ा सा अपनी तरफ झुका से अपनी नाक को मेरी कांख में घुसा दिया | पहले उसने एक गहरी साँस ले के मेरे पसीने को सूँघा और फिर वो मेरी कांख को अपनी जीभ से चाटने लगी । उसकी जीभ से मुझे बहुत गुदगुदी होने लगी | थोड़ी देर बाद उसने मुझ से बिना पूछे ही मेरा दूसरा हाथ उठाया और फिर से वही … सूंघना और चाटना शुरू कर दिया | उसके चाटने से मैं मस्ती में भर गया और मेरे शरीर के सारे रोंगटे खड़े हो गए ।

कुछ देर मुझे दिल भर चाटने के बाद दीदी अपने होंठो पे जीभ फिराती हुई उठी और बोली: भाई, तुझे नहीं पता की मुझे ये टेस्ट कितना पसंद है | मैं बहुत फ्रेश और एनर्जेटिक फील कर रही हूँ | इतना मज़ा तो निम्बू पानी में नहीं होता जितना तेरे पसीने में है | तूने क्या कभी अपने काखों के बाल शेव नहीं किये ?

मैं: एक बार किये थे, वैसे ही try करने के लिए | लेकिन मुझे बाल रखना पसंद है | मुझे तो वो लोग, खासकर लड़के, ही पसंद नहीं आते जो अपने काखों के बाल साफ़ करते हैं |

दीदी (उत्तेजित स्वर में): भाई, मुझे भी काखों के बाल बहुत पसंद है | अच्छा है की तेरे काखों में लम्बे-२ बाल हैं |
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