साली को सींचा सरसो के खेत में – Saali Sex Story


अब काजल जी का गौरा चिट्टा जिस्म पानी पानी हो गया। मैं काजल जी को बजाए जा रहा था। काजल जी भी पानी निकलने के बाद भी जम कर लंड ले रही थी।

“ओह्ह्ह आहह आहह ओह्ह सिस।”

मैं काजल जी की जम कर खबर ले रहा था। अब तो काजल जी थक कर बुरी तरह से नस्ते-नाबूत हो चुकी थी। मेरा लंड भी काजल जी के पानी में भीग कर सफेद सा दिखने लगा था।

“आह्हा आहह सिसस आह्हा आह्हा।”

फिर मैंने बहुत देर तक मैंने काजल जी को ऐसे ही बजाया। अब मैंने काजल जी को उठाया और फिर उन्हें मेरी गोद में बिठा लिया। तभी काजल जी तुरंत समझ गई कि उन्हें क्या करना था? अब काजल जी ने चूत में लंड सेट कर लिया, और काजल जी ने झटके मारना शुरू कर दिया।

“आह्हा आह्हा ओह्ह्ह् सिसस् आह्हा।”

काजल जी मुझे कस कर पकड़े हुई थी। काजल जी ने कभी नहीं सोचा होगा कि वो कभी मुझसे इस तरह से भी चुदेंगी। काजल जी झटके मार रही थी। सरसों के खेत में काजल जी पूरी खुल चुकी थी। सरसों के पौधे भी काजल जी का अनुभव देख रहे थे।

“आह्ह आहा आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह आह।

“ओह काजल जी आह्ह मज़ा आ रहा है। थोड़ा और ज़ोर-ज़ोर से झटके मारो।”

“हां रोहित जी। आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह।”

अब काजल जी ज़ोर-ज़ोर से झटके मार मारकर चुद रही थी। काजल जी के बड़े-बड़े चूचे बार-बार मुझसे टकरा रहे थे।मैं काजल जी की कमर को पकड़ कर उनके चूचों को मुँह में लेने की कोशिश कर रहा था।

“आहा आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह आह्ह उन्ह सिससस्स आह्ह आह्ह ओह मम्मी।”

“ओह्ह्ह मेरी रानी आह्हा। बहुत मस्त चुदती है तू तो, आह्हा।”

अब काजल जी धीरे-धीरे पसीने में भीगने लगी थी। काजल जी के बिखरे हुये बाल भाभी जी को सेक्सी बना रहे थे। काजल जी पूरी दम लगा कर झटके मार रही थी।

“ओह काजल जी बहुत सेक्सी लग रही हो आप, आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है।”

“ओह रोहित जी बहुत मज़ा आ रहा है आज तुझसे चुदने में, आहा, बहुत मस्त लंड है आपका।”

“जमकर चुदो मेरी रानी।”

“चुद रही हूँ मेरे सैया।”

आज काजल जी को चुदाई का फीवर चढ़ चुका था। वो चूत में लंड लेने में पागल सी हो रही थी। तभी काजल जी अकड़ने सी लगी, और फिर कुछ देर में ही काजल जी मुझसे लिपट गई।

“ओह रोहित जी गईईई मैं तो।”

तभी झरर्र झरर्र काजल जी का पानी निकल गया। फिर काजल जी बहुत देर तक मुझसे लिपटी रही। अब मैं काजल जी के चूचों को फिर से चूसने लगा।

“ओह काजल जी उन्ह आहा।”

अब काजल जी मुझसे चिपक कर बोबे चुसवा रही थी। मैं आराम से काजल जी के बोबे चूस रहा था। काजल जी उनके बोबों को पकड़-पकड़ कर मेरे मुँह में दे रही थी।

“ओह रोहित जी खूब जम कर चूसो। आपके साडू जी को तो इनको चूसने की फ़ुर्सत ही नहीं मिलती।”

“हाँ काजल जी।”

मैं काजल जी को मेरी गोद में बिठा कर आराम से उनके के बोबों का मज़ा ले रहा था। सरसों के खेत में साली जी का यूँ ही मज़ा लेना बडे सौभाग्य की बात होती है। फिर मैंने थोड़ी देर में ही काजल जी के बोबे चूस डाले।

अब काजल जी ने मुझे धक्का देकर पटक दिया, और वो मेरे लंड को मसलने लगी।

“बहुत ही तगड़ा लंड है रोहित जी।”

“ले लो तो फिर चूत में किसने रोका है?”

“हाँ, ले ही रही हूं।”

तभी काजल जी मेरे लंड पर बैठ गई, और फिर चूत में लंड फिट कर चुदने लगी ।

“आह्हा आह ओह्ह्ह सिकस आह्हा।”

“ओह्ह्ह् काजल जी बहुत ही अच्छा लग रहा है, आह्हा।”

अब काजल जी उछल-उछल कर चुदने लगी। उन्हें मेरे लंड की सवारी करने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। काजल जी के मस्त बोबे जबरदस्त तरीके से उछल रहे थे। सरसो के पौधे और पक्षी काजल जी का घमासान देख रहे थे।

“आह्ह सिसस्स आहा ऊँह ओह कुत्ते आहा बहुत मज़ा आ रहा है, आह्ह।”

“हाँ मेरी रानी, मिटा ले आज तेरी चूत की खुजली।”

“हाँ मेरे राजा। बहुत खुजली हो रही है मेरी चूत में।”

तभी काजल जी और ज़ोर-ज़ोर से झटके मारने लगी। अब ज़ोरदार झटकों से काजल जी का जिस्म पसीने में भीगने लगा था। काजल जी बहुत ज्यादा चुदासी लग रही थी। काजल जी की आँखों में लंड की भूख बहुत ज्यादा नज़र आ रही थी।

“आह्ह आह्ह सिससस्स आहा ओह साले हारामी, आह्ह।”

“ओह मेरी रानी आह्ह।”

सरसों के खेत में काजल जी के लंबे-लंबे बाल उन्हें और ज्यादा सेक्सी बना रहे थे। काजल जी जम कर मेरे लंड की सवारी कर रही थी। तभी थोड़ी देर में ज़ोरदार झटकों से काजल जी का पानी निकल गया।

“आह्हा आह्हा ओह्ह्ह् सिसस आह्हा।”

लेकिन काजल जी फिर भी नहीं रुक रही थी। वो झटके मारे जा रही थी लेकिन काजल जी ज्यादा देर तक घमासान नहीं मचा पाई और ढेर हो गई।अब काजल जी मुझसे लिपट गई।

“ओह्ह्ह रोहित जी, मेरी तो बस की बात नहीं है। अब तो आप ही समभालो गाड़ी।”

“हाँ काजल जी। अब तो गाड़ी मुझे ही चलानी पड़ेगी।”

“आपकी जैसी इच्छा हो वैसे चलाओ। जिस गड्ढे में डालना चाहो डाल लो।”

मैं काजल जी कहने का मतलब साफ साफ समझ रहा था। तभी मैंने काजल जी को वापस सरसों के बिस्तर पर पटक दिया और काजल जी की टांगे खोल उनकी चूत में लंड सेट कर दिया। अब मैं काजल जी की फिर से धमा-धम ठुकाई करने लगा।

“ओह्ह्ह सिसस आहह आईई आह्हा आह।”

“ओह्ह्ह मेरी रानी आह्हा ओह्ह्ह्।”

मैं खचाखच काजल जी की चूत में लंड पेले जा रहा था। मेरे लंड के झटको से काजल जी बुरी तरह से बौखला रही थी। उनके बोबे उछल-उछल कर पड़ रहे थे।

“उँह आह सिसस आहह ओह्ह्ह उन्ह।”

“ओह्ह मेरी रानी बहुत मज़ा आ रहा है।”

तभी धुंआधार ठुकाई से काजल जी का पानी निकल गया। अब पच्छ पछ पच्च की आवाजों के साथ-साथ काजल जी का पानी सरसों के पत्तो पर टपक रहा था। मैं काजल जी को बजाए जा रहा था। अब काजल जी के पानी की खुशबू सरसों की खुशबू में घुलने लगी थी।

फिर थोड़ी देर में ही मैंने काजल जी को बुरी तरह से चोद दिया था। अब मैंने काजल जी से एक बार फिर से घोड़ी बनने को कहा। तभी काजल जी फिर से घोड़ी बन गई। मैंने काजल जी की गांड में लंड टिका दिया। अबकी बार काजल जी ने कोई नखरे नहीं किये। काजल जी खुद गांड चुदाने के मूड में लग रही थी। अब मैं काजल जी कमर पकड़ कर फिर से काजल जी की गांड मारने लगा।

“आह्हा आह्हा ओह्ह्ह् आह्हा आह्हा।”

“ओह्ह्ह मेरी रानी आह्हा बहुत मज़ा आ रहा है।”

“पेले जाओ रोहित जी। आह्हा आह्हा बहुत मज़ा आ रहा है गांड मराने मे। मुझे तो पहले पता ही नहीं था कि गांड मराने में इतना मज़ा भी आता है।”

“अब तो ये मज़ा मैं आपको देता रहूँगा।”

“हाँ देते रहना रोहित जी।”

मैं काजल जी की गांड मारे जा रहा था। मेरा लंड आज तो काजल जी की टाइट गांड को अच्छी तरह से खोल चुका था। काजल जी घोड़ी बन कर आराम से गांड मरवा रही थी। काजल जी की कंचन काया सरसों के पौधों की रगड़ से हरी-भरी हो चुकी थी। सरसों के खेत में गजब का ही नज़ारा बन रहा था।

“आह्हा आहहा ओह्ह्ह आहहा सियस् उन्ह।”

तभी धमा-धम ठुकाई से काजल जी का पानी निकल गया। मेरा लंड अभी भी काजल जी की गांड के मजे ले रहा था। फिर मैंने बहुत देर तक काजल जी की गांड बजाई।

“ओह्ह्ह रोहित जी मज़ा आ गया। अब जल्दी से काम निपटाओ आप। बहुत टाइम हो गया हमें।”

“हाँ काजल जी।”

अब मैंने काजल जी को तुरंत सरसो के पौधों के बिस्तर पर पटका और काजल जी टाँगे खोल उनकी चूत में लंड फंसा दिया और फिर काजल जी को बजाने लगा।

“ओह्ह्ह आहा सिस उँह सिसस आह्हा।”

मेरा लंड काजल जी की चूत में तगड़ा घमासान मचा रहा था। तभी काजल जी ने टांगो के घेरे में मुझे फंसा लिया। मैं काजल जी की चूत में लंड पेलता जा रहा था। काजल जी और मैं चूदाई के अनन्त सागर में गोते लगा रहे थे। मैं आज काजल जी को चोदने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा था। मेरा लंड आज काजल जी की कली-कली खिला चुका था।

“रोहित जी जल्दी करो यार अब। बच्चे इंतज़ार कर रहे होंगे।”

“हाँ काजल जी कर रहा हूँ।

काजल जी को अब जाने की जल्दी थी और मैं अभी भी काजल जी की लेने में लगा हुआ था। तभी ताबड़-तोड़ ठुकाई से काजल जी का पानी निकल गया।

“ओह्ह आहह सिस उन्ह आईई। बसस हो गया ना यार।”

“हाँ काजल जी बस हो ही गया।”

तभी ज़ोरदार ठुकाई के बाद अब मेरा लंड पानी छोड़ने वाला था। अब मैंने अचानक काजल जी के भोसड़े में खलबली मचा दी। तभी काजल जी फिर से सातवे आसमान में पहुँच गई।

“आईईईईई आईईईर आईईईई आईएईई ओह मम्मी।”

थोड़ी देर में ही मेरे लंड के झटकों से काजल जी बुरी तरह से हिल गई, और फिर मैंने काजल जी की चूत में लंड का पानी निकाल दिया। अब मैं निढाल होकर काजल से लिपट गया।

“ओह्ह्ह रोहित जी। मज़ा आ गया आज तो।”

“हाँ काजल जी। बहुत चैन मिला है मेरे लंड को।”

“मेरी चूत की भी पूरी खुजली मिट गई आज।”

“हाँ काजल जी, मेरा लंड तो मस्त हो गया आज।”

अज़ब-गजब नज़ारा था यारो। सरसो के खेत में हम दोनों एक-दम नंगे पड़े थे। काजल जी मेरी बाहों में एक-दम नंगी थी। हमारे आस-पास हमारे कपड़े फैले हुए पड़े थे। काजल जी कपड़े तो सरसों के पौधों पर अटके पड़े थे।

“बहुत देर हो गई रोहित जी। अब कपड़े पहन लो।”

तभी काजल जी उठ गई और कपड़े इकट्ठे करने लगी। लेकिन काजल जी की चड्डी नहीं मिल रही थी। फिर मैंने काजल जी उनकी चड्डी ढूंढ कर दी। काजल जी का गौरा चिकना जिस्म आज हरा भरा हो चुका था। अब काजल जी ने चड्डी पहन ली और फिर ब्रा पहन कर ब्लाउज पहनने लगी।

मेरी नजर काजल जी के जिस्म पर टिकी हुई थी। अब काजल जी ने पेटीकोट पहन कर साड़ी पहनने लगी। अब मैंने भी मेरे कपड़े पहन लिए।

“चलो काजल जी अब।”

“हाँ रोहित जी।”

अब हम सरसों के खेत से बाहर आने लगे। सरसों के टूटे हुए पौधे और पत्तों का बिछा हुआ बिस्तर देख कर कोई भी अंदाज़ा लगा सकता था कि यहां क्या हुआ होगा? सरसो के बहुत सारे पौधे बुरी तरह से टूट चूके थे।

अब मैं काजल जी का हाथ पकड़ कर उन्हे खेत से बाहर ला रहा था। काजल जी चूत और गांड फड़वाने के बाद बहुत मस्त लग रही थी। उनके जिस्म पर जगह-जगह मिट्टी और सरसों के पौधों की रगड़ लगी हुई थी। तभी मैंने काजल जी पर पंच मार दिया।

“काजल जी कोई कसर रह गई हो तो बताओ।”

“नहीं, अब कोई कसर बाकी नहीं रही।”

“रह गई हो तो बता दो। अभी तो मौका है।”

“रहने दो आप तो। बहुत टाइम हो गया आज।”

हमें ठुकाई करते हुए शाम हो गई थी। अब हम खेत से बाहर आ गए। अब मैंने काजल जी को बाइक पर बिठाया और उन्हे वापस घर लाकर छोड़ दिया।

अब मैं मेरे घर आने लगा, लेकिन काजल जी की सास ने रोक लिया।

“आज तो शाम हो गई है। कल सुबह चले जाना।”

फिर मैं रात में काजल जी के यहाँ ही रुक गया। अब मैंने रात में काजल जी को फिर से बजाने का मौका ढूंढा। लेकिन उनकी सास के होते हुए काजल जी को बजाने का मौका नहीं मिला।

So friends, hamare ye Saali Sex Story aur isky story age bhi chalati gayi. Mujhe aur bhi mauke milate gaye Kajal yane meri Sali ki thukai karane ke. Uski bhi kahani mei kabhi jarur indisexstories.com pe publish karunga aur uski link comment me add kar dunga.

Aap bhi mujhe bataiye ki kya apne ne bhi kabhi apke Saali Sex story kiya hei? Agar kiya to jarur comment karake batana.

2 Comments

  1. Bhopal Callboy

    Kisi ko Bhopal me CALL BOY chahiyo to muze email karo [email id removed]. 3som service aur on demand video bhi dunga.

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