राज अपनी बात पूरी कर भी नही पाया था कि बन्सी अन्दर आ गयी।।
” किस बारे में हमसे बात करने की सोच रहे राज?”
” कुछ नही प्रिया बाद में बताएंगे,, आओ लो कॉफ़ी पी लो,,आज तुम सब के लिये इंडियन कॉफ़ी हाऊस से कॉफ़ी मँगवाई है।।”
” क्या बात है राज !! आज बड़े खुश लग रहे जो कॉफ़ी पिला रहे हम सब को।”
चारों मुस्कुराते हुए कॉफ़ी का मज़ा लेने लगे बाहर जिम में गाने की पंक्तियाँ सुनाई दे रही थी।।
” तुम सिखा रहे हो,तुम सिखा रहे हो,जिस्म को हमारे रूहदारियां . काफिराना सा है ,इश्क़ है या क्या है।।”
” तुम सिखा रहे हो,तुम सिखा रहे हो
जिस्म को हमारे रूहदारियां .
काफिराना सा है,इश्क़ है या क्या है।।”
गाने के बोलों के साथ ही राज के मन में भी प्रिया बजने लगी।।
कॉफ़ी खतम कर प्रिया और निरमा उठ खड़े हुए घर वापसी के लिये।।
राज और प्रेम दोनों को छोड़ने बाहर तक आये_
” प्रिया आज तुम्हें मेसेज करेंगे,फोन अपने पास ही रखना,तुम इधर उधर रख कर भूल जाती हो।”
राज की बात का जवाब प्रिया की मुस्कान ने दिया,उसने
हँस के सिर हिला के हामी भर दी,और हाथ हिला के बाय करती हुई चल दी।
घर पहुंचते ही प्रिया ने फोन को चार्ज पे लगा दिया।।नीचे माँ के साथ रसोई का काम निपटाते भी उसका पूरा ध्यान फोन पर ही था,उसने दो तीन बार अपनी अम्मा से पूछा भी__” अम्मा हमारा फोन बजा क्या”
” नही लाड़ो हमें तो ना सुनाई दिया।”
आखिर सब्र की इन्तिहा हो गयी,बाकी दिनों में रात के खाने के बाद भी घंटों अपनी माँ के साथ इधर उधर की बतकही करने वाली प्रिया आज खाना निपटते ही तुरंत ऊपर अपने कमरे में चली गयी।।
रात के नौ बज चुके थे,पर राज का कोई मेसेज अब तक नही आया था__” हद दर्जे का भुलक्कड़ है, खुद ही बोला मेसेज करूंगा और गायब है।”
प्रिया ने राज का लास्ट ऑनलाइन चेक किया वो भी शाम का 5 बजे दिखा रहा था,मतलब उसके बाद से राज ने फोन छुआ तक नही।दिल बहलाने के लिये प्रिया ने एक किताब खोल ली,और बिना रूचि के भी उसे पढ़ने के लिये प्रयास करने लगी।पर घूम फिर कर दिमाग फ़ोन की तरफ ही जा रहा था।।
उसने एक बार फिर फोन उठाया ,साधारण टेक्स्ट मेसेज चेक किया,वॉट्सएप्प चेक किया,कहीं कुछ नही था,समय देखा नौ बजकर दस मिनट हुए थे।।
,
ऐसा कैसे हो सकता है ,क्या सिर्फ दस मिनट पहले ही फ़ोन देखा था,पर ऐसा लग रहा जैसे एक घंटा बीत गया हो,उफ्फ आज घड़ी ही पिछड़ गयी है या मैं ही कुछ ज्यादा उतावली हो रही। ऐसा सोच के प्रिया को खुद पर थोड़ी शर्म सी आयी और उसने यही सोचा कि इस द्वंद से बचने का उपाय है कि चादर को तान कर आराम से सो लिया जाये,जब मेसेज आयेगा देखा जायेगा।।
प्रिया खिड़की की ओर करवट किये लेट गयी,पर आंखों में नींद कहाँ __ जिन आंखों में सपने बसते हैं उनमें फिर नींद नही रुकती।।
खुली आंखों से पूर्णमासी का चांद देखते हुए मन ही मन कोई गाना गुनगुनाती बन्सी बड़ी देर तक चंदा को निहारती रही,फिर उसे महसूस हुआ कि अब बहुत रात बीत चुकी है,अब कोई मेसेज नही आने वाला,अब उसे सच में सो जाना चाहिये,पर सोने से पहले पानी पीने को उठी प्रिया ने सोचा मेसेज तो नही पर हाँ समय कितना हो रहा ये जानना आवश्यक है,उसने मोबाईल पे दिखा रहे समय पे नज़र डाली__ साढ़े नौ
अरे ऐसे कैसे चमत्कार हो रहा,इतनी देर तक लेटी पड़ी रही और अब समय देख रही तो बस साढ़े नौ!!
क्या उसे लेटे हुए सिर्फ बीस मिनट ही बीता है,उसे लगा मोबाईल की घड़ी सही वक्त नही दिखा रही,उसने दीवार घड़ी पर नज़र डाली,संयोग से वही समय उस घड़ी ने भी दिखाया।।अब क्या किया जाये,,प्रिया को खुद पर खीझ भी हो रही थी और गुस्सा भी आ रहा था,ऐसा इतना बेताब होने ,
की क्या ज़रूरत है,ऐसा लगा जैसे खुद से ही कोई युद्ध लड़ रही हो,बन्सी ने उठ कर रेडियो पे एफ एम ट्यून किया और खिड़की पर बैठ गयी__
“नमकीन सी बात है हर नई सी बात में
तेरी खुशबू चल रही है जो मेरे साथ में
हल्का-हल्का रंग बीते कल का
गहरा-गहरा कल हो जाएगा (हो जाएगा)
आधा इश्क़, आधा है, आधा हो जाएगा
कदमों से मीलों का वादा हो जाएगा।।
गाने को सुनते हुए प्रिया के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गयी,वहीं लेटे लेटे वो जाने कब सो गयी।।
अगले दिन सुबह उठते ही सबसे पहले उसे याद आया रात राज का मेसेज आने वाला था,पर रात जब तक वह जाग रही थी कोई मेसेज नही आया था,उसने लपक के फ़ोन उठाया फ़ोन बन्द पड़ा था . मेसेज देखने की हड़बड़ी में फोन चार्जिन्ग पे लगाना ही भूल गयी।।सुबह सुबह खुद पर ही गुस्सा आने लगा__
पता नही क्या मेसेज करने वाला था,राज को भी आजकल क्या हो गया है,क्या ज़रूरत थी ऐसे सस्पेंस क्रियेट करने की,अरे ना बोलता कि रात मेसेज करूंगा,सीधे मेसेज ही कर देता।।
” प्रिया ! अरी का बड़बड़ा रही हो सुबह सुबह!! आज तुम ,
नही उठी तो हम ही तुम्हारे लाने चाय बना लाये।।लो पी लो और तैयार हो जाओ,जिम नही जाना का??”
” हाँ जायेंगे ना अम्मा!! “
” दस बजे तक तो आ जाओगी ना,तुम्हें नाश्ता करा के फिर हमें गुड्डन के घर जाना है,दस दिन बाद उसका तिलक चढ़ना है,तो आज उसकी अम्मा बुलाई है,सारी तैयारी जोड़ने।।”
” हाँ दस तक तो आ जायेंगे, तुम चले जाना अम्मा ,हम नाश्ता कर लेंगे, इतनी चिंता ना किया करो।”
” अरे काहे ना करे!! अब कुछ दिन में तुम भी बियाह कर चली जाओगी,फिर कहाँ तुम्हारी देखभाल कर पायेंगे,फिर ससुराल वाली हो जाओगी, उनकी मर्ज़ी से आना उनकी मर्ज़ी से जाना, फिर हमारे हाथ में का रहेगा।। अभी अपनी मन मर्ज़ी से तुम्हे खिला पिला तो सकते हैं ।”
” तुम तो ऐसे इमोशनल हो रही हो अम्मा जैसे कल ही हमारा ब्याह हुआ जा रहा??”
” सब सकुन साइत सही रहा तो एक महीना में तुम्हरा ब्याह भी हुये जायेगा,तुम्हरे पापा के दोस्त हैं ना वर्मा अंकल उन्होनें एक बहुत अच्छा लड़का बताया है,लड़का रेल्वे में नौकरी करता है,दू जन भाई हैं बस.. ये छोटा है,माँ बाप बड़के के साथ गांव में रहते हैं ,और ये लड़का यहीं इसी सहर मे रहता है,हमरे लिये भी अच्छा रहेगा तुम यहीं के यहीं बिदा होगी ,
तो।।”प्रिया सिर झुकाये बैठी चाय पीती रही,अभी इस मौके पे कुछ भी बोलने का उसका जी ना किया,बस बिना किसी कारण के मन खट्टा हो गया।।,उसे चुपचाप देख उसकी अम्मा नीचे गयी और एक फोटो लिये वापस आयी और उसके सामने रख दी .
” कैसा है?”
प्रिया का इस बारे में बात करने का बिल्कुल मन नही था पर बात टालने के लिये उसने ” ठीक है” बोलकर पीछा छुड़ाना चाहा और वहाँ से उठ गयी।।उसके बाथरूम में घुसते ही शर्मिला के चेहरे पे हल्की सी मुस्कान दौड़ गयी और फोटो उठाये वो नीचे चली गयी।
24 Asterisk
इधर प्रिया से जाने कैसे राज बोल तो गया कि मेसेज करेंगे पर रात में अपने कमरे में बैठे जाने कितनी बार हुआ कि राज ने मोबाइल उठाया और कुछ लिखा फिर डिलीट किया,फिर लिखा और मिटाया,,यही सिलसिला चल रहा था कि उसकी अम्मा ऊपर चली आयी।।
” अरे राज तुम हियाँ बैठे हो,चलो नीचे तुम्हरी भौजी के बाऊजी आये हैं,रेखा के गमना पे विचार करने ।”
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” रेखा के बिदाई से हमारा का लेना देना अम्मा?? हम का करेंगे बड़े बुजुर्गों के बीच??”
” तुमको कोनो सलाह मसवीरा के लिये नही बुला रहे,तुम जाओ भाग के पाड़े जी (पण्डित जी) को बुला लाओ।”
बिल्कुल ही बिना मन के राज उठा और नीचे उतर गया।
पाड़े जी को सादर लेकर आया,उन्हें सम्मान पूर्वक घर की बैठक में बैठा कर लम्बे लम्बे डग अपने कमरे की तरफ बढा ही रहा था कि पीछे से बाऊजी ने आवाज़ लगायी __
” अरे राज सुनो!! ज़रा चौक से सब के लिये कुल्हड़ वाली रबड़ी ले आओ,समधि जी को बड़ी पसंद है।”
दिमाग के अन्दर एक ज़ोर का ज्वालामुखी फूटा ज़रूर पर गुस्से का लावा किसी को दिखा नही, चुपचाप अपने मन को समेट राज वहाँ से जाने लगा तो भाभी के बाऊजी ने उसे आवाज़ लगायी __
” राजकुमार!! बेटा रुपये तो हमसे ले जाओ,भई खुशी राजी का मौका है,मुहँ तो मीठा हम ही करायेंगे ना।।”
” कैसन बात कर रहे समधि जी, रेखा का हमार बिटिया नही है,जाओ जाओ राज ,तुम ले आओ।”
हम रुपये देंगे,हम रुपये देंगे कर के दोनो समधि उलझे ज़रूर रहे पर पूरे पन्द्रह मिनट भिड़ने के बाद भी किसी की ,
अंटि से अधन्ना भी नही निकला, उन्हें बहस में उलझा छोड़ राज अपनी बाईक उठा कर निकल लिया,और कुल्हड़ वाली रबड़ी के साथ साथ चौरसिया के यहाँ से बनारसी पान बीड़े का बंडल भी बंधवा लाया,क्योंकि कहीं ना कहीं वो समझ गया था कि इस गोष्ठी का समापन पान के साथ ही होगा।।
सब कुछ सही हाथों में यानी अपनी अम्मा के हाथों में सौंप के जब राज ऊपर अपने कमरे में पहुंचा तो देखा बड़े भैय्या उसके कमरे में अपने ब्याज के रुपैये के देयक लोगों की लिस्ट थामे राज का ही इन्तजार कर रहे थे,उसे देखते ही उसके सामने हिसाब का बही खाता शुरु कर दिया,किसने कितना चुका दिया,किसने कुछ और समय की गुजारिश की ,सब कुछ बड़े भैय्या को समझा बुझा के संतुष्ट करने में लगभग डेढ़ घन्टे और बीत गये।।
” चलो फिर ठीक है,थोड़ा अपने लड़कों को भेज वसूली करा लेना टाईम पे,,हम अब जाते हैं रात बहुत हो गया है,तुम भी सो जाओ,हम देखे ज़रा ससुर जी का क्या व्यवस्था करना है।”
राज ने हाँ में सिर हिला दिया,भैय्या के जाते ही समय देखा साढ़े ग्यारह हो चुके थे,फिर भी बड़ी आस से राज ने मेसेज करने फ़ोन निकाला कि नीचे से बड़के भैय्या की आवाज़ आयी।।
” राज गाड़ी निकालो ज़रा!! पापा जी अभी ही घर निकलने कह रहे,रुकने मना कर रहे,,चलो उन्हें छोड़ आते हैं ।।”
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” आया भैय्या।”
लक्ष्मण ने भी कभी राम को किसी काम के लिये मना किया है भला!!
राज को पता था कि भाभी का घर लगभग 45 किलोमीटर दूर था,आना जाना मिला कर डेढ़ दो घंटा तो लग ही जाना था,फिर भी बड़े भैय्या की आज्ञा शिरोधार्य कर दोनों भाई समधि जी को छोड़ने निकल गये।।
वापस आने के बाद थकान से कब नींद लग गयी ध्यान ही नही रहा,सुबह नींद नही खुली और राज जिम नही जा पाया।।
23 Asterisk
“पहले मैं समझा कुछ और वजह इन बातों की
लेकिन अब जाना कहाँ नींद गयी मेरी रातों की
जागती रहती हूँ मैं भी, चांद निकलता नही
दिल तेरे बिन कहीं लगता नही,वक्त गुज़रता नही। क्या यही प्यार है . हाँ यही प्यार है।।”
जिम में ट्रेड मिल पे चलते चलते प्रिया को 20 मिनट हो गये,वो बार बार पलट कर दीवार घड़ी पे नज़र डाल लेती,समय गुज़रता जा रहा था,जिम की भीड़ बढ़ती ही जा ,
रही थी,सब आ रहे थे बस एक वो ही नही था।।
एक बार प्रिया ऑफिस में भी झांक आयी,पर राज वहाँ भी नही था,,कल शाम के बाद से कोई बात नही हुई थी,जाने कैसी बेचैनी थी जो रह रह कर गुस्से में बदलती जा रही थी।।
” क्या यही प्यार है” गीत को सुबह से जाने कितनी दफा प्रिंस से रिवाइंड करवा करवा के सुना जा रहा था,पर भीड़ बढ़ने के साथ ही प्रिया ने गाने को वापस बजाने से मना कर दिया।।
सिर्फ बीस मिनट में ही प्रिया बेइंतिहा बोर होने लगी, और ट्रेड मिल से उतर कर ऑफिस रजिस्टर में अपने नाम के आगे साईन कर वहाँ से जाने लगी।।
” का हुआ प्रिया ?? आज और कुछ नही करोगी का?? जल्दी निकल ले रही हो।।”
” हाँ प्रिंस!! तबीयत खराब लग रही,इसलिये आज मन नही कर रहा,घर जाकर आराम करेंगे।”
प्रिया दरवाजे तक पहुंची ही थी कि दरवाजा खोल राज सामने खड़ा था।।
‘ ये बचपन का प्यार अगर खो जायेगा
दिल कितना खाली खाली हो जायेगा
तेरे ख़यालों से इसे आबाद करेंगे
,
तुझे याद करेंगे जब हम जवां होंगे जाने कहाँ होंगे’
गीत के बोल सुनने के साथ दोनो कुछ देर एक दूसरे को देखते रह गये।।
” कल मेसेज काहे नही किये।”
” काहे तुम रस्ता देख रही थी क्या??”
” हम !! तुम्हारे मेसेज का रास्ता देखेंगे,और कोई काम नही है क्या??”
” तो पूछी काहे?”
” ऐसे ही पूछ लिये भई ,कोई पाप हो गया क्या”
” नही नही,कोई पाप नही हुआ,तुम इत्ती जल्दी कहाँ चल दी,चाय तो पी लो।।”
” भैय्या जी प्रिया का तबीयत खराब था,इसीसे घर जा रही बेचारी आराम करने।।आईये आपके लिये चाय तैय्यार है।”
राज ने तबीयत की बात सुन प्रिया को देखा और आंखों ही आंखों में हाल पूछा,प्रिया ने भी सिर हिला के सब ठीक है कहा और राज के पीछे पीछे ऑफिस में प्रवेश कर गयी।।
दोनो साथ साथ चाय पीते रहे . फिर राज ने ही बात छेड़ी ,
__
“प्रिया तुमको पता है ,जैसा तुम हमे सोचती हो ना हम वैसे सीधे सादे लड़के नही हैं ।।बहुत दुर्गुन हैं हममें ।।”
प्रिया राज की बात सुन खिलखिला कर हँस पड़ी
” जैसे?? कोई एक आध दुर्गुण बताओ,हम भी तो जाने।।”
राज सिर नीचे किये थोड़ी देर अपना हाथ अपने बालों पे फिराता रहा फिर बड़ी हिम्मत जोड़ के बोलना शुरु किया__
” लोगों को डरा धमका के वसूली करते हैं,बड़के भैय्या के ब्याज के पैसों की।।और इस सब में कई बार गाली गलौच सब करना पड़ता है,जवान बुज़ुर्ग किसी को नही छोड़ते,हमारे लिये ब्याज की लिस्ट का एक एक आदमी हमारा दुसमन हो जाता है,।।
पढ़ाई लिखाई का हमारा हाल तो तुमको पता ही है,और इसके अलावा एक और बात है . “
” बोलो राज!! हम सुन रहे हैं ।”
” हम जब स्कूल में थे ना तब एक लड़की हमे बहुत भा गयी थी,बहुते जादा,उस टाईम तो लगने लगा था उसके बिना जिंदा नही रह पायेंगे पर वो स्कूल बदल कर चली गयी,और हम यहीं रह गये . शायद हम अपनी स्कूल की जिंदगी छोड़ना ही नही चाहते थे इसिलिए फेल होते रहे और स्कूल में ,
ही पड़े रहे,स्कूल में हर जगह उसकी यादें थी।। ,हमे तो अभी कुछ समय पहले तक यही लगता था कि हम अब भी उसिसे प्यार करते हैं,पर कुछ दिन पहले हमें समझ आ गया की वो बचपना था हमारा,,वो तो अपनी जिंदगी में बहुत आगे बढ़ चुकी है,और हमें भी बढ़ जाना चाहिये,तुम जानती हो हम तुम्हें ये सब क्यों बता रहे??”
प्रिया ने बिना कुछ कहे ना में सिर हिला दिया
” क्योंकि हम चाहते हैं तुम्हारे हमारे बीच कोई बात छिपी ना रहे,तुम्हे सब मालूम होना चाहिये।।प्रिया तुम्हारी आदत सी पड़ गयी है हमें,तुम दो दिन भी जिम नही आती तो जिम ऐसा सुनसान लगने लगता है,जैसे कोई है ही नही यहाँ ।।हमें पता है तुम्हारे घर वाले तुम्हारे लिये रिश्ता देख रहे,हमारे घर वाले भी!! हमने सोचा किसी अंजान से शादी करोगी उससे अच्छा है हमसे ही कर लो,हम तुम्हारी पढ़ाई लिखाई किसी चीज़ को नही रोकेंगे।।पर हम चाह रहे थे पहले हम अपनी अम्मा से तुम्हरे बारे में बात कर लें ।।
अगर अम्मा हाँ बोल दी तो ठीक है वर्ना जैसे पहले दोस्त थे वैसे दोस्त ही बने रहेंगे,,क्या बुराई है इसमें ।।”
प्रिया अचरज से राज का मुहँ देखती रह गयी,ये कैसा प्रपोसल था,अगर अम्मा हाँ बोली तो हाँ वर्ना फिर से दोस्त . एक बार एक दूसरे को अपने दिल की बताने के बाद क्या वापस पहले जैसी दोस्ती सम्भव है??
,
प्रिया बिना कुछ कहे ही उठ गयी और ऑफिस से बाहर निकल गयी,राज उसके पीछे भागता चला आया__
” क्या हुआ प्रिया?? कोई बात बुरी लगी क्या??हम कुछ गलत बोल गये क्या??”
” नही राज!! तुम्हारी भावनाओं की कद्र करते हैं,तुम बात कर लो अम्मा जी से,क्या बोलती हैं बताना!! हम आज रात तुम्हारे मेसेज का इन्तजार करेंगे।।आज भूलना मत मेसेज ज़रूर करना ।”
” अरे हम तो कल भी नही भूले थे,वो तो घर वाले एक के बाद एक काम पकड़ाते चले गये कि समय ही नही मिला,पर सुनो आज हम अम्मा से बात कर ही लेंगे।।”
दोनों बात कर ही रहे थे कि भैय्या जी का मोबाइल थामे प्रिंस दौडता चला आया__
” भैय्या जी रेखा दीदी का फोन आ रहा है।”
” हेलो!! हाँ रेखा,हाँ साथ ही है,हाँ बोल देंगे,अच्छा लो तुम्ही बोल दो।”
राज ने फोन प्रिया को पकड़ा दिया,लगभग पांच मिनट की बातचीत के बाद प्रिया ने फोन वापस कर दिया__
” कल रेखा की बिदाई है,उसीके लिये बुला रही है।”
,
” तो चलो ना हम सब भी तो जायेंगे कल,तुम भी हमारे ही साथ चलो।”
” और अम्मा जी??” प्रिया के सवाल पर राज मुस्कुरा दिया__
” अम्मा तो जायेंगी ही,भई अब तुम्हें रहना तो उन्हीं के साथ है।”
” ओहो हीरो जी इतना उड़िये मत!! अभी उन्होनें हाँ नही की है,,अगर उनकी ना हुई तो हम पहले जैसे सिर्फ दोस्त ही रह जायेंगे,इसलिये थोड़ा जज्बात पे काबू रखिये।।”
मुस्कुराती हुई प्रिया घर चली गयी,राज जिम की ओर पलटा तो प्रिंस खड़े खड़े मुस्कुरा रहा था और प्रेम हाथ बांधे खड़े राज को घूर रहा था।।
दोनो से नज़र बचाते हुए राज अन्दर ऑफिस में चला गया,,कुछ ज़रूरी काम निपटाने के बाद प्रिया को ” घर पहुंच गयी या नही?” का मेसेज किया और जैसे ही उधर से जवाब आया,एक नया सवाल भेज दिया . दोपहर हुई फिर शाम ढली और रात हो गयी पर राज और प्रिया के सन्देशों का अथक आदान प्रदान चलता रहा।।
जब एक बार किसी रिश्ते को प्यार की राह में कुछ आगे बढ़ा दिया जाये तब वो वापस दोस्ती के चौक पर पुन: वापसी ,
नही कर पाता,,इस बात से अंजान दोनो नये नवेले प्रेमी शाम भर और फिर रात भर अपनी ही बातों में खोये रहे।।
बचपन की बातें,घर परिवार की बातें,दोस्तों की बातें,अम्मा ,बड़के भैय्या,रूपा भाभी,वीणा जिज्जी, बुआ जी,पापा का ऑफिस, पिंकी की पढ़ाई, रतन का किस्सा ,निरमा और प्रेम की बातें . उफ्फ कितनी सारी बातें थी दोनो के बीच।।रात में एक मौका ऐसा भी आया जब दोनों को ही फ़ोन को चार्जींग में लगाये लगाये ही बात करना पड़ा .
पर वो रात गुजरते गुजरते दोनो को एक नयी सुबह दे गयी।।
दोनो में कितना कम सम सा था,और कितनी अधिक थी विषमताएं!! पर फिर भी एक वस्तु थी जो दोनों के पास लगभग बराबर थी!! एक दूसरे के लिये अपार प्रेम और असीम सम्मान!!उस एक कच्चे धागे ने ऐसी मजबूती से दोनों को बान्ध लिया कि अब हर स्वतंत्रता पे ये बंधन भारी पड़ गया।।” अब तक सोये पड़े हो लल्ला!! उठो राजू !! देखो समधि जी के घर जाना है आज रेखा का बिदाई है ना,उठो उठो बेटा आठ बज गया है,लो चाय पियो और जल्दी से तैयार हो जाओ।”
भोर में चार बजे तो प्रेमी जोड़ा थक कर सोया था,आठ ,
बजे अम्मा की आवाज़ सुनते ही राज उठ बैठा।।आज सुबह भी अलग ही रंग में रंगी थी, मुस्कुरा के अम्मा के गले में बाहें डाले झुलते हुए राज कुछ गुनगुनाने लगा।।
” बस बस ,लड़ियाओ नही,जाओ बिटवा नहा धो लो।”
” अम्मा तुमसे एक बात पूछनी थी।”
” हां पूछ लेना बाद में,हम जा रहे अभी तैयारी देखने।।” राज की बात पूरी सुने बिना ही माता जी काम निपटाने भागती चली गयी।।
नौ बजे तीन तीन गाड़ियों पे सवार शर्मा परिवार समधियाने की ओर निकल पड़ा, राज ने पहले ही रूपा को रेखा द्वारा प्रिया को बुलाये जाने के बारे में बता दिया था,और रूपा को प्रिया को अपने साथ बैठाने के लिये मना भी लिया था,अपनी गाड़ी में प्रिया के लिये एक सीट रिसर्व रखे राज ड्राईविंग सीट पर बैठा खुश था कि अम्मा जी बड़ी सी मिठाई की टोकरी संभाले राज की गाड़ी के निकट चली आयी ।।
” खोलो दरवाजा,,ए राज ,सुन नही रहे का।’
” अम्मा तुम इसमें बैठोगी क्या?? तुम उसमें भैय्या के साथ बैठ जाओ,बाऊजी भी उसिमे हैं।”
” हाँ पता है तुम्हरे बाऊजी उसमें बैठे हैं तभी तो तुम्हारी गाड़ी ,
में आ गये,खाली तो है एक सीट ।”
” अरे अम्मा जी वो प्रिया है ना लल्ला जी की सहेली वो भी जायेंगी हमारे साथ!! उन्ही के लिये लल्ला जी .
” अरे प्रिया के लिये कब बोले हम भाभी,आप भी कुछ भी बोलती हैं,आओ बैठो अम्मा!! प्रिया पीछे भाभी के साथ बैठ जायेगी।।”
तभी युवराज राज की गाड़ी के पास चला आया__
” कोई परेशानी छोटे?? क्या प्रिया को भी लेना है क्या?? तो ऐसा करो ये रधिया और श्यामा को हम अपनी गाड़ी में ले लेते हैं,चलो तुम दोनो वो फल फुल की टोकरी में उठा के हमारी इनोवा में आ जाओ।”
एक बार फिर बड़के भैय्या अपने लाड़ले छोटे भाई के लिये संकटमोचन बन अवतरित हुए और उसकी उलझन को निपटा चलते बने।।
प्रिया के घर के आगे अपनी गाड़ी रोके राज ने प्रिया को फ़ोन लगाया ही था कि शर्मिला दरवाजा खोले बाहर चली आयी,सबको सादर अभिवादन कर उसने बड़े प्रेम से राज की अम्मा को प्यारा सा उलाहना दिया__
” बाहरे से चल देंगी जिज्जी,भीतर नही आयेंगी, सुदामा की कुटिया में भी जरा चरण फिरा दीजिये।।”
शर्मिला के स्वभाव में ही मिसरी घुली थी,इससे अंजान ,
सुशीला को यही लगा कि ये अस्वाभाविक माधुर्य सिर्फ और सिर्फ उसके सजीले बेटे को फांसने के लिये ही है,इसिलिए उसने अपने चेहरे को यथासम्भव कठोर दिखाते हुए कड़े शब्दों मे अपनी व्यस्तता की दुहाई दे डाली__
” ऐसे जगह जगह रुकते रहे तो बडी अबेर हो जायेगी,आप जल्दी से लड़की को भेजिए,फिर हम निकले।”
” चाय पी लेती जिज्जी , बस 5 मिनट ही लगेगा।”
शर्मिला की विनम्रता सुशीला के तन बदन को सुलगा रही थी
” नही ! अभी तो हो ही नही सकता।” इतने में प्रिया आसमानी रंग के लहन्गे में सजी संवरी चली आयी, उसे देखते ही राज के चेहरे पे लजीली मुस्कान चली आयी,होंठों की नाचती कोर अम्मा से कैसे छिपी रह सकती थी,आते ही प्रिया ने सुशीला को प्रणाम किया __
” हाँ! बस बस!! खुस रहो,,पीछे बैठ जाओ।।
एक दूसरे में खोये ताज़े ताज़े प्रेमियों को ये रुखाई नज़र नही आयी पर पीछे कोई और भी थी जिसे ये सारा सब कुछ समझ आने लगा था और जो भविष्य में घर में छिड़ने वाले महायुद्ध की प्रस्तावना को मन ही मन तैयार कर आनंदित हो रही थी।।
” हियाँ आ जाओ प्रिया !! हमारे पास।” रूपा की चाशनी पे सास की जलती हुई नज़र भी कडवाहट ना ला पाई
,
प्रिया ने आंखों ही आंखों में राज से इजाज़त ली, राज ने पलकें झपका कर इजाज़त दी और प्रिया पीछे चली गयी . कुछ देर पहले का पुत्र की बगल वाली सीट पर विराजमान होने का मातृ विजय गर्व चकनाचूर हो गया।।
इत्ता सुन्दर गोरा चिट्टा सजीला सा लड़का .
कुछ सोच समझ कर ही सुशीला ने अपने दोनों लाड़लों का नाम रखा था,दोनो ही तो दिखने सुनने में राज राजकुमार ही लगते थे . जैसे उंचे पूरे वैसा ही गठीला कसरती बदन,उसपे बिल्कुल पिघले हुए सोने सा लपटें मारता रंग . राज को इस सांवली सी बित्ते भर की लड़की में क्या भा गया ऐसा,ठीक है बामण घर की छोकरी है,पर है तो सरजूपारीन, राज के बाबूजी कभी ना मानेंगे,कहाँ हम कानपुरिया बीस बीसवां कान्यकुब्ज बामण और कहाँ ये लड़कोरि।।
किसी भी कीमत पर अपने लल्ला को इस बिदेसिनी से बचाना ही पड़ेगा।।
सुशीला अपनी सोच में मगन थी,,राज ने गाड़ी में गाने बजा दिये .
” जब से तुम्हारे नाम की मिसरी होंठ लगायी है
मीठा सा गम है और मीठी सी तन्हाई है .
रोज़ रोज़ आंखो तले एक ही सपना चले . “
गाड़ी अपनी गति से गन्तव्य की ओर बढ़ती चली गयी।।।
,
” नैना नु पता है, नैना दी खता है
सानु किस गल दी फिर मिल दी सज़ा है
नींद उड़ जावे, चैन छड जावे
इश्क़ दी फ़क़ीरी जद लग जावे
ऐ मन करदा है ठगी ठोरिया
ऐ मन करदा हैं सीना ज़ोरियां
ऐने सिख लियाँ दिल दियां चोरियां
ऐ मन दियां ने कमज़ोरियाँ “
एक के बाद एक गाने बजते रहे,गानों की ताल पे ताल मिलाता राज गाड़ी चलाता रहा,प्रिया पीछे से राज को देख देख मुस्कुराती रही,पर राज के ठीक बाजू में बैठी सुशीला का फिर किसी काम में मन नही लगा।।
ऐसा नही था कि सुशीला को “लव मैरिज” से शिकायत थी ,अपनी बेटी जैसी पिंकी के लिये भी कुछ हल्की फुल्की ना नुकुर के बाद उसने खुद ने हामी भर दी थी . पर बेटों के नाम पर जाने क्यों उसका हृदय एक अजीब सी ममता से छलक उठता था,इस भाव में प्रेम था तो आधिपत्य भी
था,स्नेह था तो एकाधिकार भी था।।
वैसे भी शादी के बाद लड़का उतना माँ का कहाँ रह जाता है,और अगर शादी खुद की मर्ज़ी से की हो तब तो पूछो मत !! माँ तो ऐसी शादियों में अमूमन ललिता पवार का किरदार निभाने लगतीं हैं।
वैसे सुशीला को पारंपरिक बहुओं को सताने वाली सास बनने का शौक भी नही था,इसीसे वो रूपा के लिये बिल्कुल माँ जैसी सास ना होकर भी एक अच्छी सास तो थी ही, पर राज के केस में बात अलग थी,यहाँ राज किसी लड़की को पसंद करने लगा था,हालांकि अभी तक प्रिया के लिये ऐसी कोई इच्छा उसने अपनी माँ के सामने जाहिर नही की थी पर पूरे नौ महीने अपने पेट में रख के अपने ही रक्त मांस से सींच कर उसे पैदा करने वाली जननी क्या अपने बालक के हृदय की अधीरता से इस हद तक अंजान रह सकती थी।।
छठी इंद्रि के एंटीना द्वारा बार बार भेजी जा रही सूचनाओं को व्यर्थ भी नही माना जा सकता था ।।
बिदाई के नियत मुहूर्त से कुछ पहले ही शर्मा परिवार मय प्रिया शास्त्री जी के घर पहुंच गया, आवश्यक आवभगत के बाद दोनो समधिने यहाँ वहाँ की तैयारियों में जुट गयी,रूपा प्रिया को साथ लिये रेखा को सजाने में लग गयी,,सभी किसी ना किसी कार्य में व्यस्त थे।।
घर के बीचो बीच बने बड़े से दालान में लोगों की आवाजाही लगी हुई थी,रूपा का कमरा ऊपर था जहाँ प्रिया थी . काफी देर से प्रिया को राज का कोई हाल समाचार ,
नही मिला था,प्रिया के भेजे सन्देश भी राज ने व्यस्तता के कारण नही देखे थे, ऐसे में अपनी अधीरता से स्वयं परेशान प्रिया ने रूपा से पानी पीने के बहाने नीचे जाने की आज्ञा ली और कमरे से निकल चली,लोगो से बचते बचाते नीचे को जाती गोलाकार सीढ़ियाँ उतर ही रही थी कि किसी काम से ऊपर को जाते राज से टकरा गयी__
” कहाँ गायब हो सुबह से?? नज़र ही नही आ रहे,, और इतना काहे में बिज़ी हो गये की मेसेज तक देखने का समय नही मिला।”
” क्या मेसेज करी रही।”
” खुद ही देख लो,बताना होता तो लिखने में आँख काहे फोड़ते।”
” ये भी बात सही है,,यार इत्ता भन्नायी काहे हो,देख तो रही हो शादी ब्याह का घर है,अब भैय्या तो ठहरे जमाई ,उनको कोई काम नही बता रहा,हम ही सबसे छोटे हैं,हमी पेराते हैं हर जगह।।”
” हम काम करने मना कर रहे क्या?? पर एक तो हम किसी को जानते नही,तुम एकदम ही छोड़ कर चल दिये तो गुस्सा तो आयेगा ना,का करें बोलो।”
” हम तो सोचे थे आराम से तुम और हम कहीं बैठ के बातें करेंगे पर यहाँ तो इत्ता काम फैला रखा है इन लोगों ने,ऐसा ,
करो जरा,उसके बाद जनमासा भी देखे आओ एक बार,सब ब्यब्स्था ठीक ठाक है की नही??”
” अम्मा बिदाई ही तो है,उसमें जनमासा की का ज़रूरत।”
“काहे अब तुम हमें बताओगे कि का नियम करना है और का नही।।कुंवर कलेवा करने के पहले दूल्हा का हाथ मुहँ नौआ कहाँ धुलायेगा,ईहे घर मे?? बिदाई के पहले दोनो का कोहबर पुजाई कहाँ होगा?? बोलो? औ सबसे बड़ा बात कि यहाँ से रेखा को जनमासा तक बिदा करके बापस ले आयेंगे औ एक बार फिर बिदाई कर देंगे तो गमना भी संगे संग निपट जायेगा। नही तो इतना महंगाई के जमाना में बिदाईये मा दुई तीन लाख रुपिया बकील बाबू का निपटा जायेगा, समझे।।हमसे बाते बनाएँगे ,जाओ हो लाला जल्दी करो,और ए सुनो तुम ,का नाम है तुम्हारा??”
सुशीला ने बिल्कुल ऐसा अभिनय किया जैसे उसे सच में प्रिया का नाम याद नही आ रहा हो,प्रिया ने सिर झुका कर धीरे से अपना नाम बता दिया__” प्रिया “
” हाँ हाँ प्रिया!! जाओ देखो दुलहीन तैयार भई की नही।उसे नीचे लाना ,तब तक वहीं बैठो।।”
बहुत प्यार से हां मे सिर हिला के प्रिया ऊपर को वापस मुड गयी पर जाते जाते उसने आंखों के इशारों से राज को अम्मा जी से बात करने को बोल ही दिया,जिसे राज ने सर झुकाकर मान लिया,इस सारे प्रसंग को देख कर सुशीला के ,
तन बदन में आग लग गयी।।
उसे अपने लाड़कुंवर और इस छोकरी के बीच चल रही “आंखो की गुस्ताखियाँ ” माफ करने का बिल्कुल भी जी नही किया।।बिदाई के पहले होने वाली छोटी मोटी रस्में चलती रहीं,सब रस्मों रिवाजों का आनंद ले रहे थे पर प्रेमी युगल अपने में ही मगन था,भले ही राज पुरूषों की तरफ और प्रिया औरतों के तरफ बैठी थी पर रह रह कर दोनो की आंखें आपस में टकरा ही जाती थी, और इस टकराहट में निपट जाते थे दुनिया भर के उलाहने,ताने,मान मनौव्वल,रूठना मनाना।।और इन सब बातों की साक्षी बनती जा रही थी सुशीला।।
बरातियों के स्वागत सत्कार भोजन पानी के बाद बिदाई कार्यक्रम प्रारंभ हुआ__
“कैसे भूल पाऊँगी मैं बाबा ,सुनी जो तुमसे कहानियाँ छोड़ चली आँगन मैं मैय्या ,बचपन की निशानियाँ
सुन मेरी प्यारी बहना, सजाये रहना ये बाबुल की गली, सजन घर मैं चली . “
बरातियों के साथ आयी धुमाल पार्टी ने ऐसा मर्मस्पर्शी गीत पृष्ठभूमि में बजा दिया कि वहाँ खड़े कई उम्रदराज पुरूष भी अपनी अपनी दुहिताओं की बिदाई याद कर सिसक पड़े .
रेखा को शादी ब्याह की हर रस्म से बहुत प्यार था, पर उसकी शादी जिन हिसाबो में हुई उसे अपनी कल्पनाओं को ,
साकार करने का कोई अवसर नही मिल पाया था,इसीसे आज उसने अपने एक मात्र सुख स्वप्न को पूर्ण करने शहर की सबसे बड़ी और महंगी चर्चित ब्युटिशियन “नीता जी “को अच्छी मोटी धनराशि दे कर बुक कर लिया था।।
रेखा के पीछे पीछे रूपा भी ब्यूटी सलून की गंगा नहा आयी__” बस हमारा ज़रा सा जूड़ा सेट कर देना, ये कौन सी लिपस्टिक है थोड़ा सा हमें भी लगा देंगी नीता दीदी,ज़रा सा आपका वाला फेस पाउडर भी मार दो ना चेहरे पे।”
इस तरह की टुच्ची हरकतों से परेशान होकर डिग्निफाईड,वेल मैनर्ड सुपर स्मार्ट ब्युटिशियन नीता जी ने अपनी असिस्टेंट को रूपा का टच’प, करने का इशारा किया और खुद रेखा को सजाने में लग गयी।
अपने कुशल चितेरे हाथों का कौशल दिखाती
ब्युटिशियन ने रेखा के साधारण रूप को ऐसे असाधारण रंगो से सजा दिया कि रूपा भी चकित हो देखती रह गयी . अब ग्यारह हज़ार खरच कर कराये इत्ते सुन्दर मेक’प को क्या बिदाई के आँसूओं में बहाया जा सकता था।।
भले ही सारी मोहल्ले की औरतें ज़ार ज़ार रो रही थीँ पर दोनो बहनों के आंसू नदारद थे,,,जग दिखायी को दो एक आंसू रूपा ने बहा भी लिये,बहन को गले से लगाये बचपन की यादों को दुहराती रूपा ने धीमे से रेखा के कान में मन्त्र फूंक दिया__” दो आंसू बहा दो,बिदाई मे नही रोने से अपसकुन होता है।”
” मेक’प सारा बह जायेगा जिज्जी।” रेखा की बात पर ,
बन्सी ने चुपके से उसके कान के पास मुहँ ले जाकर कहा__
” वाटर प्रूफ मेक’प है ‘मैक’ का,आपकी ब्युटिशियन बोल रही थी,विदेशी कंपनी है,जा के नहा भी लेंगी ना तब भी चेहरा ऐसे का ऐसा ही दिखेगा।। बेझिझक रो लिजिये।”
रेखा ने इशारे से बन्सी से पूछा ” पक्का??”
प्रिया ने आंखों से ही रेखा को आश्वस्त किया,और रेखा अपनी जिज्जी के गले से लगी रो पड़ी ।।
लल्लन के पट से बंधी अपनी चुनरी की गांठ सहेजती रेखा अपने दोनों हाथों से लावे उलीचती आगे बढ़ कर कार में जा बैठी,उसके पीछे सभी को सादर नमन करता लल्लन भी अपनी नवेली पत्नि के बाजू में जा बैठा,,उनकी कार अपने पहिये से नारियल को दबाती धीरे धीरे आगे बढ़ धूल उड़ाती चली गयी।।।
बिदाई के बाद सभी मेहमान खाना पीना निपटाने में लग गये, रूपा के साथ बैठी प्रिया भी बिना मन आड़े टेढे कौर जैसे तैसे निगल रही थी।।
जिसने भी ये कहा है कि प्यार होने के बाद भूख प्यास मर जाती है ,नींदे उड़ जाती है . शत प्रतिशत सत्य कहा है,,उस बन्दे को वाकई ये सुखद अनुभूति ( पहले और सच्चे प्रेम की) कई कई बार हुई होगी।।
अब इस आनंद उदधि में राज और प्रिया डुबकी लगा रहे ,
थे ,जहां उनकी भूख प्यास सुख चैन सब खो चुका था,और कुछ बचा था तो बस एक सुकून __ एक दूसरे की आंखों में खोने का।।
राज अपनी प्लेट सजाये प्रिया की तरफ बढ़ ही रहा था कि सुशीला ने आकर बीच में ही उसे रोक लिया__” लाला जा बेटा अपने बाऊजी को थाली दे आ!! वो कहाँ यहाँ बुफे उफे में घुसेंगे,और सुन पानी का गिलास भी रख आना,खाने के बीच उन्हें पानी लगता है,और सुनो मिर्ची का भजिया ना ले जाना , खाने को खा तो लेंगे फिर रात भर पेट मा जलन बोल के परेसान करेंगे,मीठा उठा अच्छे से ले जाना,वही तो चाव से खाते हैं मिठखौवा बामण ।।”
अम्मा की बात सुन राज वापस मुड़ के अपने बाऊजी की तरफ चला गया,उन्हें थाली पकड़ा के निकल ही रहा था कि शास्त्री जी ने उसका हाथ थाम वही बैठा लिया__
” आज एक और जिम्मेदारी से मुक्त हो गये हम! अब हमारे सलगे लड़िका बच्चा अपने अपने ठौर को लग गये,, शर्मा जी आप जैसा समधि पाकर सच हमने गंगा नहा ली ,, युवराज बाबू जैसा दामाद, आपका जैसा परिवार किस्मत से मिलता है भई !! अब देखो !! राज ने कितना भाग दौड़ किया है,हमको तो लगता है जैसे राज हमारे ही कोनो जनम का लड़का है।।
अब एक पते की बात बताते हैं,हमारे एक साढू हैं, बलिया के रहवासी है,खूब खेती खार है,पुराने गोंटिया है जमीन जायदाद की कोनो कमी नही ,,इत्ता रुपया जोड़े रक्खे ,
हैं कि सात पुश्ते आराम से बैठ के खा सकतीं हैं . एक इकलौती लड़की है बस !! मालती!! अपने राजकुमार के लिये एकदम फिट रहेगी।।खूब माल दबा के रक्खा है मिसिर( मिश्रा) जी ने,मोटे आसामी है . इक्कीस लाख तो तिलके चढ़ा देंगे,पांच – सात में बरीक्षा निपटाएंगे।।
गिरस्ती का पूरा समान,कार और पांच एकड़ का खेती भी देने बोल रहे।।हमरी बड़की के ब्याह में उन्होनें राज को देखा रहा,अब जब वो देखे कि हमरी रेखा भी निपट गयी तब अपने मन की बात रक्खी हमारे सामने।।
समधि जी इससे बढ़िया रिस्ता नही मिलेगा।”
” पापाजी लड़की पढ़ी कहाँ तक है।”
” दामाद बाबू अब ईहे मत पूछो,लड़की गोरी नारी सुन्दर है,अब बचपन से राजकुमारी बना के पाले, स्कूल में एक दिन कुछ जबाब गलत दे दी रही तो गणित की बहन जी ने वहीं दो लप्पड़ धर दिये अब लड़की डर गयी और घर आके ऐसा कोहराम मचाई कि फिर कोनो उसको स्कूल नही भेज पाया।”
“दसवीं तो पास होगी??”
” चौथी के बाद पाठसाला का दरसनो नही पायी लड़की पर काम काज में एकदम चतुर!! हमरी रूपा का दूजा रूप समझो ।।।
” तब तो गये काम से ” युवराज की चिकोटि पे बिना ध्यान ,
दिये उसके ससुर भावी पुत्रवधु के गुणों का व्याख्यान करते रहे।।