सही कहा मयंक तुमने तुम बार-बार वही काम करते रहे।जो नहीं करना चाहिए था। जब तुम्हें पहले ही पारुल से मिलने से रोका गया था।
तो तुम नही माने, यशवंत जी ने मना किया, संध्या जी ने मना किया। शिल्पा बार-बार इसी बात पर टूटकर बिखरती रही कि पारुल से मत मिलो, पर तुम नहीं माने।
तुम्हारे सामने पारुल की सच्चाई तक आ गई,फिर भी तुम नहीं माने। उसने सुसाइड का झूठा नाटक किया, तो फिर दौड़ कर उसके पास पहुँच गए।
हम कैसे विश्वास गलती का पछतावा है।क्या पता कल पारुल फिर कुछ ऐसा करे और तुम फिर उसके पास लौट जाओ।
शिल्पा फिर से उसी दर्द में घिर जाए। जिस दिन हमें विश्वास होगा कि तुम सच में सुधर गए हो..? तब हम सोचेंगे तुम्हें शिल्पा से मिलने दे या नहीं.?
तुम्हें आश्चर्य हो रहा होगा कि मैं तुम्हारे और पारुल के बारे में इतना सब-कुछ कैसे जानता हूँ।
हाँ मुझे भी जानना है। आप पारुल के बारे में इतना सब कैसे जानते हो…? आपको कैसे पता मुझे पारुल की सच्चाई पता चल गई थी।
हमें सब पता है मयंक।अगर पहले से ही हमने अपने कान और आँख खुले रखे होते तो आज शिल्पा की यह हालत ना होती।
तुम्हें क्या लगता है मयंक.?पारुल ने सच में सुसाइड करने की कोशिश की थी..? नहीं.. यह वीडियो देखो..? कैसे डील कर रही है पारुल।
अब समझ में आया पारुल किस कदर तुम्हें बेवकूफ बना रही थी।
यह विडियो राघव ने भेजा था।उसे पता था पारुल आसानी से चुप नहीं बैठेगी। कुछ न कुछ खुराफात तो करेगी।
इसी कारण वह और विक्की पारुल की हरकतों पर नजर रखे थे।पर जतिन, राघव के विषय में कुछ नहीं कहते हैं
यहाँ सबसे बड़ी गलती तो मेरी रही, जो मैंने शिल्पा की पढ़ाई पूरी नहीं होने दी।और जल्दी ही उसकी शादी कर दी।
काश मैंने इतनी जल्दबाजी नहीं होती, शिल्पा को तुमसे बेहतर जीवन साथी मिला होता।
चले जाओ यहाँ से मयंक.. संध्या जी आपसे हाथ विनती है। कृपया कर दुबारा यहाँ नहीं आइएगा। मुझे इस तरह आपको मना करना अच्छा नहीं लग रहा।
आपको अपने पोते का मोह यहाँ खींच लाया है।पता तो आपको बहुत दिन पहले ही चल गया था।पर एक बार भी फोन कर शिल्पा का हाल जानने की कोशिश नहीं की।
आज फुर्सत मिली आपको.. फिर कितना भी हो आप माँ है तो अपने बेटे का भला सोचेंगी।
आप सही कह रहे हैं जतिन जी। हमसे गलती तो हुई है। और यह गलती कोई छोटी गलती नहीं है। मयंक को उसकी गलती की सजा तो मिलनी ही चाहिए।
शिल्पा जहाँ भी रहे खुश रहे ।उसको और उसके बच्चे को मेरा दिल से आशीर्वाद है चलती हूं बहन जी संध्या जी रेवती से बोली।
संध्या और मयंक वापस लौट जाते हैं। संध्या के आँसू रुक नहीं रहे थे।चुप हो जाओ दीदी..बीमार हो जाओगी।
हो जाने दे छोटी..कभी सपने में भी नहीं सोचा था। अपने बेटे का घर टूटते देखूँगी। कितने चाव से शिल्पा को बहू बनाकर लाई थी।क्या पता था। ऐसा दिन भी देखना पड़ेगा।
शिल्पा अपनी चाची के साथ अपने बेटे वंश को टीका लगवाने गई थी। सुनयना बच्चों की डॉक्टर थी।तो बच्चे के लिए कुछ आवश्यक दवाएं ले आई थी।
यह इतनी सारी दवाएं..? शिल्पा वंश ठीक तो है।हाँ दीदी वंश ठीक है सुनयना बोली। पर बच्चे के लिए सफर लंबा है।वंश को कोई दिक्कत न हो तो कुछ जरूरी दवाएं ले ली हैं बस।
तब ठीक है.. मैं तो घबरा गई.. रेवती बोली।माँ!! कुछ हुआ है क्या..? शिल्पा ने पूछा।
“कहाँ..? रेवती बोली” वो पापा पता नहीं किस सोच में बैठे हैं..? उन्होंने अभी तक हम लोगों को देखा भी नहीं..? नहीं तो तुरंत वंश को ले जाते।
अरे वो..वो ऑफिस का कोई फोन आया था। तबसे ही कुछ , , लें..?कि सोच रहे हैं।सब बढ़िया है बेटा तू चिंता मत कर रेवती हड़बड़ाकर बोली।
सुनयना ने रेवती के चेहरे के भाव पढ़ लिए। दीदी सिरदर्द हो रहा है, मैं चाय बनाने जा रही हूँ आप पियोगी..? अरे तू बैठ मैं बनाकर लाई.. रेवती रसोई में चली गई।
पीछे-पीछे सुनयना भी रसोईघर में पहुँच गई। दीदी सच-सच बताइए,क्या हुआ..?आप भी परेशान दिख रही हो..! कुछ तो हुआ है।
रेवती सुनयना को सब बता देती है।आप चिंता मत करो दीदी,सब अच्छा होगा।कर सुबह ही हम लोग यहाँ से चले जाएंगे।
शिल्पा के सब दुःख यहीं रह जाएंगे। शिल्पा अब एक नयी दुनिया में कदम रखने जा रही है।
अब जो वापस आएगी तो एक नयी शिल्पा,जो ज़िंदगी की चुनौतियों का डटकर मुकाबला करने की हिम्मत रखती होगी।
जानती हूँ सुनयना, मैंने शिल्पा को जन्म दिया है।पर प्यार तुमने मुझसे कहीं ज्यादा उसको दिया है।
रात को सब खाना खाकर सोने चले गए। जतिन एक बात पूछूँ…?” हाँ रेवती पूछो ना..?” आपने संध्या बहन को शिल्पा से मिलने मना क्यों नहीं दिया।
आपने क्यों झूठ बोला कि शिल्पा कहीं दूर चली गई है..?बेचारी कितनी आस लेकर आईं थी।
शिल्पा की भलाई के लिए झूठ बोला था। रेवती अगर आज शिल्पा, मयंक और संध्या जी से मिल लेती तो शायद उसका यहाँ से जाना मुश्किल होता।
वह यहाँ से नहीं जा पाती। क्योंकि वह मयंक से अभी भी बहुत प्यार करती है। मयंक भी उससे प्यार करता है। पर वह अभी तक उसके प्यार की सच्चाई को समझ नहीं पाया।
इसलिए अभी उनका नहीं मिलना ही बेहतर है। मयंक को फील होना चाहिए कि शिल्पा उसकी जिंदगी में क्या जगह रखती हैऔर फिर शिल्पा हमेशा के लिए तो जा नहीं रही है। कुछ दिनों की तो बात है। नई जिंदगी में रहकर, नई नई चीजें सीखेगी मेरी बेटी।
जिंदगी को नई तरीके से जीना सीखेगी।जो उसके आगे के लिए बेहतर होगा। मैं उसका बाप उसका बुरा नहीं चाहता। मैं भी चाहता हूँ शिल्पा का प्यार मिले।
उसकी ज़िंदगी में ठहराव आए।पर सबसे पहले वो कुछ बन जाए। मैं जानता हूँ, उसकी जिंदगी,उसकी खुशियाँ मयंक है।
पर वह अभी मयंक से मिल नहीं सकती। मयंक को अभी इंतजार करना होगा।यह दिखाना होगा कि वाकई में वह शिल्पा को अपनाना चाहता है।
शिल्पा को भी मजबूत बनना होगा।रो-रोकर ज़िंदगी में कुछ हासिल नहीं होता।
यह तो आपने सही कहा जतिन।अगर शिल्पा नादान नहीं होती। तो आज यह नौबत नहीं आती।
दीदी चलिए खाना खा लीजिए। तू खा ले छोटी! मुझे भूख नहीं है.. ऐसे कैसे भूख नहीं है दीदी..? आपको अभी अपनी दवा भी तो लेनी है..?
आप इतनी जल्दी हार मान गई.. आपने अनजाने में किसी का दिल नहीं दुखाया है।तो भगवान आपको इतनी बड़ी सजा कैसे दे सकते हैं।
आप चिंता मत करो, मेरा दिल कहता है कि जल्दी ही आपको बहू और पोते दोनों का सुख मिलेगा। फिर हम सब साथ रहेंगे
और आप यह चाहती हैं जब आपकी बहू आए तो हम सबकी डाँट लगाए। हमने आपका ख्याल नहीं रखा, है न दीदी..?
चलो अब जल्दी से खाना खाकर दवा खालो। मेरा मन नहीं है छोटी.. बेकार की जिद मत कर।
मौसी उदास होकर वहाँ से चली जाती है। मयंक देखो दीदी खाना नहीं खा रही है। अगर उन्होंने समय पर दवा नहीं ली तो फिर से वही प्रॉब्लम हो सकती है।
, ।अब तुम ही चलकर समझाओ दीदी को.. अब रीता भी नहीं आती है। कोई प्रॉब्लम हुई तो मैं अकेली कैसे संभाल पाऊँगी।
मौसी आप चलिए मैं आता हूँ.. मयंक भी अनमना अपने रूम में लेटा हुआ था।
माँ क्या हुआ..? आप खाना क्यों नहीं खा रही.? आप मेरी गलती की सजा खुद को क्यों दे रही हो।
मैं अपने किए पर बहुत शर्मिंदा हूँ माँ।पर मैं तुझसे वादा करता हूँ.. मैं जल्दी तेरे पोते और तेरी बहू को वापस लेकर आऊँगा।
अब मैं कोई ऐसा काम नहीं करूँगा जिससे तुम्हारा सिर नीचा हो। चलो अब कुछ खालो,आप नहीं खाएंगी, तो मैं भी नहीं कुछ नहीं खाऊँगा।
संध्या की आँखों से आँसू गिरने लगते हैं। वह कोई जवाब नहीं देती। चुपचाप खाना खा लेती है,और दवा खाकर सोने चली जाती हैं।
अब मयंक एक धीर-गंभीर इंसान बन गया था। दिन-रात सिर्फ काम ही काम मैं लगा रहता।
सक्सैना ग्रुप अब इंडिया के बाहर भी अपनी जड़ें जमाने लगा था।
शिल्पा भी पढ़ाई पूरी करके जॉब करने लगी थी।वंश चार साल का हो गया था। मयंक की कार्बन कॉपी वंश बहुत शरारती बच्चा था।
शिल्पा टेक्सास की जिस कम्पनी में जॉब करती थी।उसी कम्पनी में मयंक को भी किसी प्रोजेक्ट के सिलसिले में जाना था।
हैलो एक्सक्यूज मी.. मिस्टर रोबिन के साथ आज मेरी मीटिंग फिक्स है।क्या आप बता सकती है, उनका केबिन किधर है।
यस सर..!सेवन्टींथ फ्लोर पर सीधे जाकर लेफ्ट में रूम नंबर “वन वन जीरो” सर इस समय मीटिंग रूम में आपका ही इंतज़ार कर रहे हैं।
मयंक मीटिंग के लिए पहुँच जाता है।वहाँ मिस्टर रोबिन अपने स्टॉफ के साथ पहले से ही कुछ डिस्कशन में लगे हुए थे। हैलो मिस्टर रोबिन..! ओह मिस्टर मयंक!मयंक मीटिंग के लिए पहुँच जाता है।वहाँ मिस्टर रोबिन अपने स्टॉफ के साथ पहले से ही कुछ डिस्कशन में लगे हुए थे।हैलो मिस्टर रोबिन..! ओह मिस्टर मयंक!! वेलकम.. हम आपका ही वेट कर रहे थे।सब लोग अपनी-अपनी चेयर पर बैठ जाते हैं।
एक चेयर खाली थी।मिस रोजी..?
यस सर..
यह शिल्पा क्यों नहीं आई अभी तक। मयंक शिल्पा के नाम से चौंक गया। फिर खुद को सयंत कर लेता है।
मैं भी पागल हूँ.. शिल्पा यहाँ अमेरिका में क्या करेगी।सर अचानक शिल्पा के घर में इमरजेंसी आ गई।तो वो मुझे प्रजेंटेशन देने के लिए कहकर घर चली गई।
ओके नो प्राब्लम.. चलो फिर मीटिंग शुरू करते हैं।रोजी पहले आप प्रजेंटेशन देगी.. फिर आगे की कार्रवाई शुरू करें। मीटिंग करीब घंटे तक चली।
मयंक जब मीटिंग में जाने के लिए लिफ्ट के पास पहुँचा। तो शिल्पा पहले से ही लिफ्ट के पास मौजूद थीं।
उसने आँखों पर चौड़े फ्रेम का धूप का चश्मा लगा रखा था। बाल खुले हुए थे। हल्के ब्लू कलर का ब्लेजर पहन रखा था।
जो शिल्पा की पुरानी छवि “सलवार सूट, साड़ी” के विपरीत था। मयंक की ओर उसकी पीठ थी। इसलिए मयंक उसे देख नहीं पाया।
लिफ्ट में लगे आईने में शिल्पा ने मयंक को देख लिया था। इसलिए वह दसवीं मंजिल पर लिफ्ट से बाहर निकलकर रोजी , Pके केबिन में चली गई।
रोजी को प्रजेंटेशन की फाइल सौंपकर, शिल्पा घर वापस निकल गई। ओह मयंक तुमने सामने आकर आज फिर मेरे दर्द को हरा कर दिया।
क्यों नहीं भूलने देते मुझे..? शिल्पा सीधे घर न जाकर एक कॉफी शॉप में बैठ जाती है। अपने और मयंक के साथ बिताए पलों को याद करने लगी।
काश पारुल हमारे बीच नहीं आई होती तो आज हम साथ होते।आज ज़िंदगी ने हमें अजनबी बना दिया मयंक।
कॉफी शॉप से निकल कर शिल्पा पैदल ही घर के लिए चल दी। मयंक ऑफिस से निकलकर टैक्सी कर होटल के लिए निकल गया ।
रेड सिग्नल पर गाड़ियाँ खड़ी हो गई थी। मयंक आसपासके नजारे को देख रहा था,तभी उसकी नज़र सड़क किनारे फुटपाथ पर चल रही शिल्पा पड़ी।
मयंक उसे भी अपना ख्याल समझता है। शिल्पा तुम आज भी मेरे दिल में इस कदर बसी हो।हर जगह तुम ही नज़र आती हो।
यह क्या हो जाता है मुझे..? शिल्पा यहाँ क्यों और कैसे आई होगी।यह मेरा भ्रम है।ग्रीन सिग्नल होते ही टैक्सी चल पड़ी।
तभी अचानक मयंक को कुछ याद आता है। अरे मैं इतनी बड़ी बात कैसे भूल गया।वो शिल्पा ही थी..हाँ शिल्पा यहाँ हो सकती है।
यह मेरे दिमाग में पहले क्यों नहीं आया।ड्रायवर गाड़ी वापस लेलो। और वहाँ चलो ,जहाँ रेड सिग्नल हुआ था। चलो जल्दी..!
यस सर..ड्रायवर गाड़ी घुमा लेता है। मैं इतना भुलक्कड़ कैसे हो गया। शिल्पा ने बताया था, उसके नितिन चाचा अमेरिका में रहते हैं।
शिल्पा यही आई है,यही अपने चाचा-चाची के पास।अब तो मैं अपने बेटे से मिले बिना नहीं जाऊँगा।
सर हम वहीं आ गए… मयंक वहाँ चारों ओर शिल्पा कोहै। शिल्पा कहीं नहीं दिखाई देती।
शिल्पा को उसकी चाची मिल गईं थीं। अरे शिल्पा..? चाची शिल्पा को आवाज लगातीं है।
शिल्पा कहाँ जा रही हो..? चाची आप..?हाँ मैं..बैठो गाड़ी में..क्या हुआ तुम तो ऑफिस के लिए निकलीं थीं..?
कुछ नहीं चाची.. थोड़ा सिरदर्द महसूस हो रहा था। मैं घर वापस जा रही थी।”ऐसे पैदल..?” घर कहाँ है पता है ना..?अभी भी एक घंटा लगेगा।
बताओ क्या हुआ..? चाची की प्यार भरी झिड़की सुनकर शिल्पा रुआँसी हो उठी। अरे अरे यह क्या..?यह आँसू..?सब ठीक तो है ना।
चाची वो मयंक…!क्या हुआ फिर कोई कारनामा किया उसने..? नहीं चाची..वो यहाँ आया हुआ है।आज मीटिंग में वो भी था ।
तू मिली..? नहीं मैंने पहले ही उसको देख लिया था।तो वहाँ से निकल आई। अच्छा किया तूने..अब उसके विषय में ज्यादा सोच मत।
हम्म शिल्पा सीट से टिककर आँखें बंद कर लेती है। मयंक निराश होकर होटल पहुँच जाता है।
अब इतने बड़े शहर में कैसे पता चलेगा..?वो लोग कहाँ रहते हैं।
मयंक ने कम्पनी में जाकर शिल्पा के बारे में जानने की कोशिश की मगर सब बेकार।
कम्पनी ने अपने कर्मचारियों की डिटेल देने से मना कर दिया।
मयंक निराश होकर इंडिया लौट आता है। वापस आकर वो संध्या को सारी बातें बता देता है।
सुबह-सुबह जतिन अपने छोटे से गार्डन में पौधे में पानी दे रहे थे।
नमस्ते अंकल जी..! अरे राघव..! अरे आओ-आओ रेवती, चिंटू देखो कौन आया है।
अरे राघव भैया कहाँ थे आप.. चिंटू दौड़कर राघव के गले लग गया। नमस्ते आँटी राघव रेवती के पैर छूकर बोला।
, वेलकम.. चिंटू तू तो मुझ से लंबा हो गया । क्या सोचा कैरियर के बारे में..? भैया मुझे डॉक्टर बनना है। चाचाजी के पास जा रहा हूँ।वहाँ डॉक्टरी की पढ़ाई करने जा रहा हूँ ।
वाह बहुत बढ़िया। रेवती चाय-नाश्ता ले आई। अंकल में आपको एक खुशखबरी देने आया हूँ… मैं शादी कर रहा हूँ।
शादी वाह गुड न्यूज़… लड़की कौन है..?क्या करती है,कहाँ की रहने वाली है, एक साथ कई सवाल कर डाले रेवती ने।
आप लोग उससे मिल चुके हैं.. मुस्कुराते हुए राघव बोला। अंशुss जतिन और रेवती एक साथ बोले। अरे उसे कैसे भूल सकते हैं।
शिल्पा के अकेलेपन में एक वही थी, जिसके साथ शिल्पा अपना दुःख हल्का कर लेती थी।
आँटी अंशु का कहना है,शादी एक ही शर्त पर होगी..जब शिल्पा आकर हमारा गठबंधन करेगी। वरना मैं शादी की बात भूल जाऊँ।
अंकल अब तो आपको शिल्पा को बुलाना होगा। नहीं तो मेरे संन्यासी बनने के दिन आ गए।आप चाहते हैं मैं शादी करूँ तो कृपया उसे बुला लीजिए।
राघव ने इतनी मनुहार करते हुए कहा कि जतिन मना नहीं कर पाए थे। ठीक है बाबा जैसा तुम चाहो, तुमने शिल्पा के लिए बहुत कुछ किया है।
हमें तो तुम्हारी इच्छा पूरी करनी होगी।हम आज ही शिल्पा से बात करते हैं।पापा में जिम जा रहा हूँ..बाय भैया..”बाय चैंप”चिंटू के जाते ही। अंकल शिल्पा के लिए क्या सोचा आपने..? कब तक ऐसे अकेले रहेगी..?
मयंक ने इन चार सालों में अपने आप को भी भुला दिया है।हँसना तो जैसे भूल ही गया है। अंशु मयंक के ऑफिस में जॉब करती है, उससे सारी खबर मिलती है।
मयंक ने एक अनाथाश्रम भी खोल लिया है।वहाँ में अपने बच्चे का सुख ढूँढता है।
पारुल ने भी ज़िद में आकर विदेशी रईस से शादी कर ली।और ऑस्ट्रेलिया में जाकर बस गई।
मुझे सब पता है राघव..तुम यह सब पहले भी बता चुके हो।पर शिल्पा यहाँ वापस नहीं आना चाहती।तो फिर इस विषय में क्या सोचें।
शिल्पा क्या चाहती है, उसने क्या सोचा है। उसके मन में मयंक के लिए फीलिंग बची है या नहीं,यह तो मिलकर ही पता चलेगा।
सही कहा आपने अंकल जी,पर एक बात तय है यह शादी तो शिल्पा के आने पर ही होगी।
आप कह देना उससे मैंने कहा है।अरे शिल्पा का फोन आ रहा है।अब यह बात उससे तुम ही कह दो राघव।
हाँ क्यों नहीं आँटी..यह तो और भी अच्छा हो गया। शिल्पा और राघव की नोंक-झोंक शुरू हो गई। मैं नहीं आऊँगी तो अच्छा है, अंशु तेरे चंगुल से बच जाएगी।
मैं सही कह रहा हूँ शिल्पा..तू नहीं आई तो मेरी वीरान ज़िंदगी के लिए मैं तूझे ही दोष दूँगा।
हाहाहाहाहा बच्चू सही लड़की मिली है तुझे.. बराबर कान खींचेगी।पर देवी यह तो तब होगा ना,जब साक्षात देवी जी दर्शन देने आएंगी।
अब कोई बहाना नहीं शिल्पा.. मैं सीरियस कह रहा हूँ। अंशु का कहना है, जब-तक तुम नहीं आओगी,यह शादी नहीं होगी।
ओके बाबा तुम जीते मैं हारी।आ रही हूँ .. और जल्दी तुम्हें अंशु की जेल में कैद करवाती हूँ।
मेहरबानी होगी..राघव हँसते हुए बोला। फोन कट गया।आँटी आज शिल्पा से बात करने से लगा, किसी मैच्योर लड़की से बात कर रहा हूँ।
पहले तो इसको तर्क करना नहीं आता था।आज बराबर क्लास लगा दी मेरी।
हाँ बेटा उसके बुरे समय ने उसे बहुत कुछ सिखा दिया ।शिल्पा हर कदम सोच-समझकर रखती है। सुनयना ने मेरी बेटी को नई ज़िंदगी दी है।
जी सही कहा आपने, शिल्पा आज़ उस जगह खड़ी है।जहाँ वो अपना अच्छा-बुरा समझकर सही दिशा में कदम रखेंगी।
मुझे खुशी होगी,अगर वो मयंक को चुनती है।तो वंश को माँ-बाप दोनों का प्यार नसीब होगा।
अगर मयंक उसकी ज़िंदगी में कहीं जगह नहीं रखता तो फिर मैं कभी उससे मयंक के विषय में कोई बात नहीं करूँगा।
अंकल अंशु मयंक की कम्पनी में जॉब करती है तो हो सकता है मयंक शादी में आए।
मैं दावे से नहीं कह रहा पर वन परसैंट चांस है आने का। शादी भी दिल्ली में ही है। शिल्पा को अभी बता देता तो वह फिर आती नहीं।
अब जो नसीब में होगा देखा जायेगा राघव। मैंने तो खुशी मनाना छोड़ दिया है। जिस दिन मेरी बेटी की ज़िंदगी में ठहराव आएगा।
उस दिन मेरे घर में होली, दीवाली दोनों मनाई जाएगी।एक महीने बाद चिंटू अमेरिका जा रहा है। शिल्पा यहाँ नहीं रुकी तो हम अकेले क्या करेंगे।
आप अपनी जगह सही हैं अंकल जी। अच्छा अब मैं चलता हूँ, शिल्पा कब आ रही है।आप मुझे फोन करके बता दीजिए। शादी की शॉपिंग वही करेगी। राघव चला जाता है।
मयंक ने जबसे शिल्पा को देखा, फिर से बहुत बैचेन रहने लगा था। कभी-कभी पूरी रात जागकर शादी के एलबम देखता रहता था।
उसने अपने कमरे को फिर से शिल्पा की पसंद के कलर से सजा रखा था।हर वस्तु व्यवस्थित रूप से रखी थी। जैसा शिल्पा रखती थी।
अपने हाथों से अपने बेटे के लिए कमरा तैयार किया था। चार साल से हर जन्मदिन, तीज-त्योहार पर उसके लिए गिफ्ट्स , ला-लाकर रखे थे।संध्या रात को पानी पीने के लिए उठी।अरे यह क्या,आज छोटी पानी रखना भूल गई।अब मुझे ही रसोई में जाना होगा।
संध्या कमरे से बाहर आती हैं तो देखती हैं।यह क्या मयंक अभी तक जाग रहा है।कमरे में आकर देखती हैं, मयंक लेपटॉप पे बैठा था।
मयंक बेटा..! अभी तक सोए नहीं..? नींद नहीं आ रही थी माँ। सोचा कुछ काम ही कर लूँ। बेटा कब-तक खुद को सजा देते रहोगे।
मयंक कुछ नहीं बोलता। संध्या पास में जाकर उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरने लगी।अपनी माँ से अपना दर्द कैसे छुपाओगे मयंक।
माँ!!! मयंक के सब्र का बाँध टूट गया।माँ मैं कैसे इतनी बड़ी भूल कर सकता हूँ। शिल्पा मेरे सामने थी। मैं उसे पहचान नहीं पाया।
सही कहते हैं पापा.. मैं शिल्पा के लायक नहीं हूँ। अगर होता तो शिल्पा को यूँ न खो बैठता।
मयंक की तड़प बढ़ती जा रही थी।अपने बच्चे से मिलने को लालायित मयंक ने कितने बार जतिन से मिलकर का पता जानने की कोशिश की थी।
हर बार उसे नाकामयाबी का मुँह देखना पड़ा था।जतिन का बस एक ही जवाब होता था।
जिस तरह तुमने बिना कुछ सोचे-समझे शिल्पा को तलाक का दर्द दिया। उसकी सजा तो तुम्हें भुगतनी ही होगी।
शायद अब तुम्हें यह अहसास हो गया होगा।जब किसी से उसकी सबसे प्रिय चीज छीन ली जाती है।तब उसके दिल पर क्या गुजरती है।
तुमने जो चोट दी है उसे,उस घाव का भरना बहुत मुश्किल है।वो जहाँ है, सुकून से जी रही है।
मयंक की हर कोशिश नाकामयाब हो गई थी।पर शिल्पा का पता नहीं चला था।अब जब उसने एक झलक शिल्पा की देखी तो बैचेन हो गया था।
माँ बस एक बार शिल्पा मुझे मिल जाए। मैं उससे माफी माँगकर अपने दिल का बोझ हल्का करना चाहता हूँ।
अब समझ आ रहा है मुझे, कितना तड़पी होगी वो जब मैंने , उसे सफाई का कोई भी मौका दिए बगैर, पारुल के कहे में आकर तलाक दे दिया।
उसकी ज़िंदगी के सबसे खूबसूरत लम्हें,जब वो माँ बनने वाली थी।उन खुशी भरे लम्हों में कितनी बार छुप-छुपकर रोई होगी।
मैं बहुत बुरा इंसान हूँ माँ बहुत बुरा।अब बस भी करो मयंक,ऐसे रोकर काम नहीं चलेगा।जो हो गया उसे अब भूल जा।शिल्पा बच्चे के साथ जहाँ रहे खुश रहे।
अब तू अपने बारे में भी कुछ सोच बेटा।अब तक अकेले यूँ तड़पता रहेगा।नहीं माँ शिल्पा को छोड़कर मैंने ज़िंदगी में बहुत बड़ी गलती की है।
अब इस जन्म में तो, मैं शिल्पा की जगह किसी को नहीं दे सकता। और आप भी यह बातें करना बंद कर दो।
जैसी तेरी मर्जी बेटा। मैं क्या करूँ..?माँ जो ठहरी। तुझे इस हालत में देख भी तो नहीं पाती।चल अब यह सब बंद कर और चुपचाप सो जाओ।
शिल्पा भी इंडिया आने की तैयारी करने लगी थी। चाची मैं जाना तो नहीं चाहती।पर राघव ने मेरे लिए,मेरी फैमिली के लिए बहुत परेशानी उठाई है।
हम्म कोई बात नहीं शिल्पा।अब चिंटू यहाँ आ रहा है तो जब भी तुम्हारा माँ-पापा से मिलने का मन करेगा। हम भैया-भाभी को यहाँ बुला लिया करेंगे।
शिल्पा ने एक महीने की छुट्टियाँ लेली थी। काफ़ी समय बाद , लौट रही थी।तो माँ-बाप के साथ समय बिताना चाहती थी।
हैलो माँ मैंने टिकट करवा लिया है।आप पापा को दिल्ली एयरपोर्ट भेज देना।
पापा को ही नहीं मैं भी आ रही हूँ। चार साल बाद शिल्पा ने दिल्ली एयरपोर्ट पर कदम रखा तो सीने में जैसे कुछ कसक-सा गया था।
मम्मा यहाँ हम किसके पास जाएंगे..?वंश ने पूछा। बताया तो बेटा… आपके मामा और नानी-नानू के पास।तो चलो न.. मैं बहुत थक गया हूँ।
बस बेटा हमारा लगेज आ जाए… फिर हम घर चलेंगे। ओके मम्मा।
मयंक शिल्पा की तलाश में वापस अमेरिका जाने के लिए एयरपोर्ट पहुँच चुका था। उसने शिल्पा की चाची का पता निकाल लिया था।
शिल्पा लगेज लेकर बाहर जाने के लिए चल पड़ी। शिल्पा जैसे ही गेट से बाहर निकली।उसका टकराव मयंक से हो गया।
शिल्पा..! मयंक आश्चर्य से बोला। शिल्पा मयंक को देखते ही घबरा गई। उसने तुरंत वंश को गोद में उठा लिया। और आगे बढ़ गई।
शिल्पा!! शिल्पा मेरी बात तो सुनो। शिल्पा तब-तक जतिन आ जाते हैं। शिल्पा से कहते हैं।तुम गाड़ी में बैठों, मैं सामान लेकर आता हूँ।
, पापा प्लीज मुझे शिल्पा से एक बार मिल लेने दो।मयंक तुम समझते क्यों नहीं..देखो वो बच्चा अचानक से तुम्हें देखकर डर गया।
मयंक के अचानक रास्ता रोकने से वंश घबरा कर शिल्पा से चिपक गया था। मयंक यह सुनकर ठिठक गया।
जतिन शिल्पा को लेकर निकल गए।अब मयंक के अमेरिका जाने का कोई मतलब नहीं था।वो भी वापस घर लौट गया।
अरे बेटा तुम वापस आ गए.?फ्लाइट कैंसल हो गई.? नहीं माँ.. शिल्पा यहीं आ गई है।क्या,कहाँ, तुझे कैसे पता चला? मिलकर आ रहा हूँ।
क्या तू मिला उससे..? कैसी है वो और मेरा पोता वो कैसा दिखता है।माँ मेरी कार्बन कॉपी है। मेरी बचपन की तस्वीर और उसकी सूरत एक जैसी है।
मुझे भी मिलना है उससे।पर कैसे मिलना हो पाएगा..? उसने कुछ कहा तुझसे कुछ बात हुई..? नहीं माँ वो कुछ नहीं बोली।
चुपचाप चली गई। पापा आए थे उसे लेने, उन्होंने मुझे कुछ बोलने नहीं दिया।
मयंक को यूँ अचानक देख शिल्पा को पुरानी बातें याद आने लगी थी। रह-रहकर उसकी आँखों में नमी तैरने लगती थी।
जतिन गाड़ी चलाते हुए मिरर में शिल्पा को देख लेते थे। मैं तुझे इस हालत में नहीं देख सकता मेरी बच्ची, कुछ न कुछ तो करना ही होगा..मन में सोचने लगे जतिन।
, शिल्पा इसी सोच-विचार में डूबी कब घर पहुँच गई पता ही नहीं चला।
माँ..! शिल्पा गाड़ी से उतरकर माँ के गले लगते हुए रो पड़ी। अरे क्या हुआ तुझे सब ठीक है..?हाँ माँ यह तो खुशी के आँसू हैं।
तब ठीक है मैं तो घबरा गई।वंश..?वो सो रहा है माँ..वो देखो।अभी उसे उठाती हूँ शिल्पा बोली।
नहीं सोने दे थक गया होगा।माँ वंश को जगाने से मना कर देती है। चिंटू उसे संभाल कर उठा, और अंदर बेड पर लिटा दें।
जतिन रेवती को मयंक से शिल्पा की मुलाकात के बारे में बताते हैं। ओह इसलिए शिल्पा रो रही थी।
शिल्पा फ्रेश होकर आ जाती है।माँ बहुत भूख लग रही है। आपके हाथ के खाने को बहुत मिस किया मैंने,अब जल्दी कुछ खिलाओ।
शाम को राघव भी अंशु के साथ शिल्पा से मिलने चला आता है।रात देर तक हँसी-मजाक चलता रहा।
अच्छा अब हम लोग चलते हैं, राघव बोला।कहाँ चलते हैं?इतनी रात को कहाँ जाओगे दोनों आज हमारे साथ रुक जाओ। सुबह चले जाना शिल्पा बोली।
मैं तो रुक जाऊँगा। मेरी कौन चिंता करने वाला है..पर अंशु..? मैं फोन कर देती हूँ अंशु की माँ को..तब तो रुकोगे। अच्छा बाबा ठीक है दोनों रुक जाते हैं।
, सुबह-सुबह जतिन को संध्या का फोन आता है।जतिन जी एक बार मुझे मेरे पोते से मिलवा दीजिए। मैं बहुत बैचेन हूँ,मुझे शिल्पा से भी मिलना है।
आप विश्वास रखिए हम वंश को कुछ पता नहीं चलने देंगे। संध्या जी यह तो शिल्पा के ऊपर है वो मिलना चाहती है या नहीं, मैं पूछकर बताता हूँ।
शिल्पा चाय लेकर आई तो पापा को फोन पर बात करते देख रुक गई थी। उसने सब सुन लिया था।
वो जतिन से फोन माँग लेती है। हैलो माँजी.. वैसे तो मुझे माँजी कहने का भी हक नहीं है। आपको वंश से मिलने से नहीं रोकूँगी।
आपका ख़ून है,आप जब चाहें मिल सकती हैं..पर एक शर्त है। आप उससे अपने रिश्ते को सच नही मान बैठना।वो सिर्फ मेरा बेटा है।
शिल्पा फोन काटकर जतिन को पकड़ा गई। शिल्पा के इस तरह भावशून्य चेहरे को देख जतिन दंग रह गए।
अब मुझे विश्वास हो गया। शिल्पा जो फैसला लेगी बहुत
सोच-समझकर लेगी। जतिन शिल्पा पर गर्व करने लगते हैं।
संध्या और मयंक तीन बजे के करीब वंश से मिलने पहुँच जाते हैं। करीब दो घंटे तक वंश के साथ खेलने के बाद वो लोग जाने लगते हैं।
मयंक रेवती से कहता है।माँ प्लीज एक बार मुझे शिल्पा से मिल लेने दो। शिल्पा जो कहेगी मैं वो सब करूँगा,पर एक , मौका दे दीजिए।
ठीक है मैं शिल्पा से बात करूँगी रेवती मयंक की बातों से भावुक हो गईं। शिल्पा घर पर नहीं रुकी थी।वो अंशु के साथ शॉपिंग के लिए चली गई थी।