राघव सुबह-सुबह जिम पहुँच गया। पारुल वहाँ पहले सेमौजूद थीं।मैम आपने कल मुझे नौकरी…,हाँ हाँ आओ.यह मेरा जिम है।
बाप रे इतना बड़ा..!!हम्म और भी दो हैं इतने ही बड़े..। आज से तुम्हें क्या करना है।जैकब समझा देगा, तुम उससे मिल लेना।
जी मैम..!तभी राघव के फोन पर विक्की का फोन आता है। हैलो विक्की.!क्या पार्टी..?कहाँ। और क्यों..?ओह होटल वेलकम में..!
सॉरी यार मैं नहीं आ पाऊँगा.. आज ही नौकरी लगी है।मैम छुट्टी नहीं देंगी.. क्या कहा..! उन्हें भी साथ ले आऊँ।
अरे यार दिमाग खराब है तेरा..?वो मालिक में नौकर..!वो भला मेरे साथ क्यों आने लगी ..?तू कहे तो अलग से इन्वाइट कर देता हूँ।
मेरा आना तो बहुत मुश्किल है…! फिर भी बात करके देखता हूँ, राघव फोन काट देता है।सॉरी मैम..वो मेरे दोस्त विक्की ने वेलकम होटल में पार्टी रखी है।मुझे और आपको इन्वाइट किया है।
पार्टी दोपहर से शुरू हो रही है।हम्म देखती हूँ वैसे मैं यूँ हीं किसी की पार्टी में नहीं जाती। फिर भी कोशिश करूँगी कुछ देर ही सही पर वहाँ पहुँच सकूँ।
तुम्हें आज पूरे दिन की छुट्टी,कल से अपने काम पर ध्यान देना समझ गए..?जी मैम, थैंक यू सो मच।राघव वहाँ से चला जाता है।
पारुल मन ही मन बहुत खुश हो रही थी। उसने इसी उद्देश्य से राघव को काम देने के बहाने से जिम में बुलाया था।उसको तो विक्की से मेल-जोल का कोई जरिया चाहिए था।
पार्टी में बहुत सारे लड़के-लड़कियाँ थे।लड़कियाँ विक्की के आस-पास मँडरा रही थी।पारुल पार्टी में पहुँच जाती है। उसके हाथों में सफेद फूलों का बहुत सुंदर बुके लिया हुआ था।
हाय विक्की..! अरे राघ.. सॉरी रोहन..! अच्छा लगा तुझे देखकर..यह क्या अभी से नौकरी के चक्कर में पड़ गया तू..?, हीअभी तो हमारे खेलने-खाने के दिन हैं।
तुझे नौकरी की जरूरत नहीं विक्की..पर मुझे है..खैर वो सब छोड़ो.. इनसे मिलो..यह मेरी बॉस हैं। मैम यह मेरा सबसे प्रिय दोस्त विक्की है।
हाय आई एम पारुल.. विक्की को बुके देते हुए पारुल बोली। थैंक्स पर शायद हम पहले भी मिल चुके हैं।ओह याद आया रात की ही तो बात है,आप अपने बायफ्रेंड के साथ थी।
अरे नहीं-नहीं वो मेरा बायफ्रेंड नहीं.. सिर्फ फ्रेंड है पारुल ने सफाई से झूठ बोल दिया। मैं तो अभी तक सिंगल हूँ.. मुझे मेरे टाइप का एटीट्यूड दिखाने वाला अभी तक कोई नहीं मिला।
हम्म बढ़िया..तब तो हमारी खूब जमेगी विक्की पारुल को इंप्रेस करने लगा। मुझे भी एटीट्यूड दिखाने वाले लोग ही भाते हैं।विल यू डांस विथ मी.. विक्की ने पूछा।या श्योर.. पारुल विक्की के साथ डांस करने लगी।
इधर पारुल राघव के बिछाए हुए जाल में फंसती जा रही थी। वहाँ शिल्पा ने पढ़ाई के प्रति गंभीर होती जा रही थी।पर वह मयंक को अभी-भी भुला नहीं पा रही थी।
शिल्पा जब भी अकेली होती मयंक की याद में आँसू बहाने लगती थी पर अपने माँ-बाप के सामने खुश रहने की कोशिश करती थी।
शिल्पा बेटा बहुत रात हो गई.. अब आराम कर ले बच्चा ।कल सुबह जल्दी उठकर पढ़ लेना। नहीं माँ एग्जाम पास में हैं..मुझे पढ़ने दो।पर बेटा.. इस नन्ही जान का भी तो ध्यान रखना है ना..?
अगर कहीं तुझे बीमार पड़ गई तो..? मुझे कुछ नहीं होगा माँ आप चिंता मत करो,..! तब तक जतिन आ जाते हैं। क्यों परेशान कर रही हो मेरी बेटी को..?
पढ़ने दो उसे.. सुबह देर तक सोने देना, जगाना ही मत.. कौन सा उसे कॉलेज जाना है।यह हुई ना बात पापा..! समझाइए माँ को
मुझे भी ऐसी स्कूल में एडमिशन करा दो ना पापा..? जहाँ स्कूल नहीं जाना पड़े। मैं भी मज़े से घर पर बैठ कर पढ़ लिया करूँगा।
यह रोज-रोज स्कूल जाना बहुत बोरिंग है, है ना दीदी..? चिंटू की बात सुनकर सब हंस पड़ते हैं। बेटा जी तुम्हें तो स्कूल जाना ही पड़ेगा। स्कूल क्या तुमको तो कॉलेज भी जाना पड़ेगा।
डॉक्टर जो बनना तुम्हें.. है ना शिल्पा बेटा। चिंटू बनाकर धीरे-धीरे समय बीतता गया मयंक से अलग हुए उसे आज सात महीने होने को आए थे। संध्या की हालत में अभी भी ज्यादा सुधार नहीं था।
हाँ अब वो उठकर बैठ लेती थी,पर न तो चल पातीं न बोल पाती,बस टूटे-फूटे शब्द मुँह से निकलते थे।
डॉ अंकल अब माँ पहले से काफी ठीक हैं। पर मुझे उनके बोलने और चलने का बेसब्री से इंतजार हैं।
कब माँ फिर से मुझे बेटा कह कर बुलाए..! पता नहीं कितना समय और लगेगा। चिंता मत करो मयंक अभी इतना सुधार हुआ,आगे और होगा। जल्दी संध्या जी बोलेंगी भी और अपने पैरों पर चलेंगी भी।
धन्यवाद अंकल जी..! बस इसी तरह से उनका ध्यान रखो,समय पर दवा देते रहो, और इन्हें ऐसे खुश रखने की कोशिश करते रहो।
संध्या की छोटी बहन विमला पूरे मन से अपनी बहन की सेवा कर रही थी। हल्की-फुल्की हँसी-मजाक कर अपनी बहन को खुश करने की कोशिश करती रहती थी। विमला के आ जाने से संध्या का अकेलापन काफ़ी हद तक दूर हुआ था।
मयंक बेटा अब तो तू जल्दी बहू ले आ, कब-तक यूँ अकेले ज़िंदगी जियेगा..? और फिर अभी तेरी उमर ही क्या है,क्यों दीदी मैं सही कह रही हूँ ना..?
संध्या की आँखों में आँसू आ जाते हैं।देख वह तुझे अकेले देखकर दुखी हो रहीं हैं। तेरी शादी हो जाए.. घर में बहू आ जाए, फिर देखना दीदी कितनी जल्दी ठीक होती है।
हाँ मौसी मैं भी यही सोच रहा हूँ,पर फिर सोचता हूँ, पहले माँ पूरी तरह से ठीक हो जाए.. और वह अपने हाथों से आशीर्वाद दे,मैं अपना घर बसाऊँ..? हैं न माँ।
संध्या भी हाँ मैं गरदन हिला देती हैं।वो भी नहीं चाह रही थीं मयंक सच जानें बग़ैर शादी करे।देखा मौसी माँ मना कर रहीं हैं।
माँ आप चिंता न करो..? जब-तक आप नहीं बोलेंगी मैंनहीं करूँगा।यह सुनकर संध्या गहरी साँस लेकर आँखें बंद कर लेतीं हैं।
जैसी तुम लोगों की मर्जी.. मैं भी चली आराम करने, दीदी को कुछ चाहिए तो मुझे बुला लेना रीता.. जी मैम आप अब आप आराम करिए.. मैं हूँ यहाँ।
मयंक भी ऑफिस के लिए निकल जाता है।अब पारुल मयंक से मिलने कम ही आती थी।
मयंक ही रोज कभी फोन तो कभी डिनर,तो कभी लंच के बहाने पारुल से मिलता और बात करता था।आज़ दोनों शाम के समय इंडिया गेट घूम रहे थे। पारुल बुरा न मानो तो एक बात पूछूँ..? हम्म पूछो न मयंक मैं तुम्हारी बात का क्यों बुरा मानूँगी।
तुम आजकल मुझसे दूर-दूर क्यों रहती हो..? ना तुम पहले की तरह मिलने आती हो..? और जब मिलती भी हो तो पहले जैसा क्रश नहीं दिखाई देता..?
कोई बात खराब लगी है क्या..? किसी बात से नाराज हो..?अरे नहीं नहीं मयंक तुमने ऐसा कैसे सोच लिया। मैं तो बस दिन-रात इसी चिंता में रहती हूँ।कब आँटी ठीक होंगी।
हमारी शादी तो तभी होगी जब वो पूर्णतः स्वस्थ हों बस यही सब बातें परेशान करतीं हैं ।ऊपर से बिजनेस में कितने टेंशन होते हैं, तुम्हें पता ही है।
चिंता मत करो मैं हूँ ना..! पारुल के झूठ में फंसा मयंक पारुल के सच को समझ ही नहीं पा रहा था, मयंक पारुल को अपने गले से लगा लेता है।
तभी पारुल की निगाह सामने से आ रहे विक्की पर पड़ती है।उसे देख पारुल घबरा जाती है,ओ माई गॉड विक्की कहीं मुझे मयंक के साथ न देख ले।
मुझे जल्दी से यहाँ से निकलना पड़ेगा। वरना बहुत बड़ी गड़बड़ हो जाएगी।
मयंक मेरी मुंबई में एक अर्जेंट मीटिंग है, मुझे दो-तीन दिन के , शादी , है मेरी तो लिए वहाँ जाना है ।अब मैं चलती हूँ बाय.. जल्दी ही मिलते हैं, पारुल तेजी से वहाँ से निकल जाती है।
थोड़ी दूर जाकर वो वहाँ से मयंक के जाने का इंतजार करने लगी।जैसे ही मयंक की गाड़ी वहाँ से निकली। वैसे ही पारुल गाड़ी घुमाकर विक्की के पास पहुँच गई।
हाय विक्की यहाँ क्या कर रहे हो..? अरे पारुल तुम यहाँ कैसे..? मैं एक जरूरी काम से जा रही थी तुम्हें देखा तो मिलने आ गई।,आज रात को डिनर पे मिलते हैं..?
हम्म.. ठीक है..! जैसा तुम कहो। ठीक है तो फिर डिनर पक्का,अभी बहुत जल्दी है,चलती हूँ विक्की।
राघव आज पारुल मुझे डिनर पर बुला रही है क्या करना है अब..? आज तू शादी के लिए प्रपोज कर दे..! क्या..? तुझे पता है तू क्या कह रहा है..?
हम्म पता है..बस अब जल्दी ही तेरा मेरा काम पूरा होने वाला है।रात को पारुल और विक्की डिनर के लिए मिलते हैं। पारुल ने विक्की को इंप्रेस करने के लिए कैंडल लाइट डिनर का प्लान बनाया था।
वाह नाइस अरेंजमेंट.. थैंक्स पारुल..! खुश कर दिया यार तूने.. कहीं तुम्हें मुझसे प्यार तो नहीं हो गया।
मेरी छोड़ो तुम अपनी कहो विक्की तुम मेरे बारे में क्या सोचते हो..?बोल दूँ..?हाँ-हाँ बोलो विक्की मैं जानना चाहती हूँ।
विक्की आगे बढ़कर घुटने के बल बैठ गया, और अपना हाथ आगे बढ़ाकर.. विल यू मैरी मी पारुल… पारुल को तो जैसे मुँहमाँगी मुराद मिल गई हो।
पारुल को कुछ क्षण के लिए कुछ बोल न सकी, जैसे शब्द ही नहीं मिल रहे थे।
सॉरी यार लगता है मैं कुछ ज्यादा ही और जल्दी बोल गया..?
तुम्हें बुरा लगा तो माफ़ कर देना।पर सच में पता ही नहीं चला कब.. मुझे तुमसे प्यार हो गया। तुम पहली लड़की हो.. जिसके आने से मेरी ज़िंदगी बदल गई।सच कह रहे हो विक्की..?हाँ पारुल..!!ओह विक्की मैं बता नहीं सकती हूँ कि आज मैं कितनी खुश हूँ। पारुल विक्की के गले लग जाती है।
राघव का निशाना सही लगा।अब पारुल मयंक से पीछा छुड़ाने के बहाने ढूँढने लगी।
इधर शिल्पा कि डिलीवरी का समय नजदीक आ गया था। जैसे-जैसे ड्यु डेट पास आ रही थी। शिल्पा मयंक के लिए दुखी हो रहीं थी।
मयंक बस कुछ दिन बाद हमारा बच्चा इस दुनिया में आने वाला है। काश इस समय तुम मेरे साथ होते।
पर कैसे होते..? तुम पर तो पारुल का जादू छाया हुआ है। तभी तो तुमने वो देखा जो झूठ था।शायद मेरे बच्चे के नसीब में उसके पिता का प्यार नहीं है।
मयंक..! मयंक बेटा देखो दीदी बोलने लगी..! पता नहीं पारुल.. पारुल कर रहीं हैं।समझ नहीं आ रहा वो क्या कहना चाह रही हैं।
क्या सच्ची मौसी माँ ने बात की आपसे..? मयंक दौड़कर माँ के पास आता है।माँ बोलो मैं भी सुनना चाहता हूँ, माँ क्या हुआ..?
रीता माँ..? सब ठीक है सर.. मैंने चैक कर लिया है।मैम कुछ कहने की कोशिश कर रही हैं।यह अच्छा संकेत है कि जल्दी वह बोलने लगेंगी।
बोलो माँ आपको पारुल से मिलना है..?पर संध्या एक-दो बार पारुल बोलकर चुप हो गईं। माँ बस जल्दी ठीक हो जाओ फिर ढेर सारी बातें करेंगे।
संध्या नम आँखें लिए मन मसोस कर रह गई।वो मयंक को शिल्पा की सच्चाई और पारुल का झूठ बताना चाहती थीं।जो वह कहने में असमर्थ हो रही थी।
मयंक ने खुश होकर पारुल को फोन लगाया है।हाय मयंक कैसे फोन किया..? पहले यह बताओ तुम कहाँ हो..? मैं मुंबई में हूँ..कहो न क्या हुआ है।
, पारुल बहुत बड़ी खुशखबरी है..!आज माँ ने कितने दिनों के बाद कुछ शब्द बोले, और पता है वो शब्द क्या थे..? उन्होंने तुम्हारा नाम लिया है।
वाह मयंक यह तो बहुत खुशी की बात है। मैं जल्दी ही वापस आकर तुमसे और आँटी से मिलती हूँ। पारुल झूठ बोल कर फोन काट देती है।
विक्की के यहाँ राघव और विक्की बैठे बात कर रहे थे।यार कब खतम करेगा यह सब..? तुझे पता है अगले हफ्ते मॉम-डैड आ रहे हैं।
वो तो भैया ने एक महीने और रोक लिया था उन्हें, वरना मैं यह सब नहीं कर पाता।अब बात आगे बढ़े, उससे पहले यह सब रोक दे,खतम करदे सब। अगर वो मेरे घर तक आ गई तो बहुत गड़बड़ हो जानी है।
यार बस एक-दो दिन दे.. सिर्फ एक-दो दिन इससे ज्यादा मैं तेरी मदद नहीं कर सकता।
राघव बहुत टेंशन में आ गया था। सुबह इसी उधेड़बुन में वह जिम पहुँच जाता है। पारुल मयंक से बात कर रही होती है।
मयंक बस दो दिन का काम और है मुंबई में, मैं जैसे ही दिल्ली आती हूँ, सीधा तुमसे मिलने आती हूँ।
राघव को देखते ही,अरे रोहन..!रुको तुमसे बहुत जरूरी बात करनी है। जी मैम..! राघव पारुल के पास जाकर बैठ गया।रोहन तुम विक्की के दोस्त हो.. इसलिए मेरे भी खास हो।
तुम्हें पता है,कल विक्की ने मुझे प्रपोज किया है मुस्कुराते हुए पारुल बोली।
अरे वाह मैम..!यह तो बहुत खुशी की बात है,इस बात पर तो स्पेशल पार्टी होनी चाहिए,क्या ख्याल है मैम..? वाह ख्याल तो अच्छा है।
पार्टी की तैयारी तुम्हारे जिम्मे..पर पार्टी कहाँ रखें यह समझ नहीं आ रहा..?मैम समझना क्या पर्सनल पार्टी है तो आपके घर पर रखिए।
, वाह ग्रेट..!तो तय रहा यह काम तुम्हारे जिम्मे..यह लो मेरे घर की चाबी..आज तुम्हारी छुट्टी,शाम तक सारे अरेंजमेंट हो जाने चाहिए।
जी मैम समझो काम हो गया।रोहन ने सारे अरेंजमेंट कर दिए।शाम को पार्टी अपने शबाब पर थी।रोहन जतिन को फोन करता है।
अंकल मयंक का फोन नंबर होगा आपके पास..? मुझे कुछ काम है.. जतिन से नंबर लेकर राघव ने मयंक को फोन लगा दिया।
हैलो मयंक सक्सेना..?हाँ जी..आप कौन..? आपका एक शुभचिंतक बोल रहा हूँ। जिस पारुल के साथ आप ज़िंदगी के हसीन सपने बुन रहे हो,वो आपको धोखा दे रही है।
क्या मतलब..? कौन हो तुम…? पारुल के बारे में कैसे जानते हो..? मैं कौन हूँ ? इससे आपको मतलब नहीं होना चाहिए ।
आप तो अपनी ज़िंदगी में मतलब रखिए।अगर मेरी गलत लग रही है, तो आज और अभी पारुल के घर जाकर देखिए,सच झूठ आपको पता चल जाएगा।
पारुल मुंबई में नहीं यहीं दिल्ली में है, और अपने नए शिकार के साथ मजे कर रही थी।यह सुनते ही मयंक के तनबदन में आग लग गई।
अनुराधा चौहान,
, ही खराब है।)
, : मयंक उसी समय पारुल के घर के लिए निकल गया। वहाँ जाकर देखता है तो पारुल के घर में पार्टी चल रही थी।
पारुल,विक्की,रोहन और पारुल के कुछ दोस्त डांस करके पार्टी एंजॉय कर रहे थे।
मयंक जाकर म्युजिक सिस्टम बंद कर देता है। यह म्यूजिक किसने बंद किया पारुल गुस्से में चिल्ला कर बोली।
मैंने किया..! मयंक पारुल के सामने जाकर बोला। तुम..! तुम यहाँ कैसे..? तुम तो मुंबई में थी..?दो दिन बाद आने वाली थी।
झूठ बोला मुझसे क्यों..? मैं कई दिनों से महसूस कर रहा था, तुम मुझसे दूर-दूर भाग रही हो।तो यह कारण था।
तब-तक विक्की आ जाता है।
पारुल कोई प्राब्लम है क्या..? अरे यह वही है न जो उस दिन होटल में था..? यह यहाँ इस तरह से पार्टी में आकर हंगामा कर रहा है।
विक्की मैं बात कर रही हूँ ना..प्लीज तुम पार्टी एंजॉय करो।राघव मयंक को देखते ही छुप गया क्यों सुनने दो न उसे भी..तुम्हारी करतूतें तुम्हारे जैसी लड़की से उम्मीद भी क्या की जा सकती है।
पहले मेरी ज़िंदगी में आकर शिल्पा और मेरे संबंध खराब किए।अब किसी और का दामन थाम लिया।
पारुल भी मयंक की बातों से गुस्से में आ गई थी। मेरे जैसी लड़की से क्या मतलब है तुम्हारा..? और हाँ तुमने खुद अपनी ज़िंदगी खराब की है।
तुमसे शादी करके में अपनी ज़िंदगी खराब करूँगी..?यह कैसे सोच लिया..? तुम मेरी झूठी बातों में आकर अपनी पत्नी को छोड़ बैठे।
गलत तुम हो मयंक..! मैं नहीं.. मेरी तो यह आदत है, कोई मुझे नीचा दिखाए तो मैं उसे बर्बाद कर देती हूँ।
तुम्हारी माँ और तुम बहुत तारीफ करते थे न शिल्पा यह शिल्पा वो करते थे। और मुझे इग्नोर..हटा दिया उसे रास्ते से।
अब अगर मैंने विक्की से शादी करके अपनी लाइफ में आगे बढ़ने का फैसला कर लिया है।तो तुम्हें क्यों बुरा लग रहा है।
तुमने मुझसे शिल्पा के बारे में सब झूठ कहा..! और मैंने तुझे पर विश्वास कर लिया।यह तुमने अच्छा नहीं किया पारुल..! तुमने मेरी ज़िंदगी खराब कर दी।
पारुल यह मयंक क्या कह रहा है..? विक्की बीच में आकर बोला। और यह शिल्पा कौन है..? शिल्पा मयंक की वाइफ का नाम था।
, ।मैं सिर्फ इसकी दोस्ती चाहती थी। और यह जब देखो तब मेरी वाइफ मेरी लाइफ करता रहता था। इसके मॉम-डैड भी मुझे नीचा दिखाने में कसर नहीं छोड़ते थे।
बस मैंने भी उस शिल्पा नाम के काँटे को निकालने के लिए इसके दिमाग में शक के कीड़े डाल दिए। और यह बेवकूफ सब सच मान बैठा।
पारुल मैं तो तुम्हें एक समझदार लड़की समझ कर अपनी लाइफ पार्टनर बनाना चाहता था । तुम इतनी घटिया सोच वाली लड़की निकलोगी यह मैंने नहीं सोचा था मयंक बोला।
मैंने भी नहीं सोचा था,विक्की बीच में आकर बोला। सॉरी पारुल..पर मैं तुम्हें एक अच्छी लड़की समझकर शादी के लिए प्रपोज किया था।
पर जो लड़की अपनी जिद्द में किसी भोले-भाले इंसान की ज़िंदगी तबाह कर सकती है, उसके साथ ज़िंदगी बिताने का फैसला मैं तो नहीं कर सकता।विक्की यह तुम क्या कह रहे हो..? मैं सच में तुमसे प्यार करने लगी हूँ.. और तुम भी तो मुझसे प्यार करते हो।प्यार तो तुम मयंक से भी करती थी ना पारुल..?
मयंक यही कहा था पारुल ने तुमसे..?हाँ चार दिन पहले तक इसे मुझसे शादी करनी थी।अब तुमसे..यह कभी किसी एक की नहीं हो सकती। कहकर मयंक वहाँ से चला गया।
मयंक के जाते ही, राघव,विक्की यह लड़की तेरे लायक नहीं है।यार तू गलत लड़की से दिल लगा बैठा था।
,
अब हमें भी यहाँ चलना चाहिए।यह तुम्हारे लिए ठीक होगा।हाँ रोहन तू सही कह रहा है, मैंने गलत लड़की से प्यार करने की भूल कर दी।
विक्की प्लीज.. तुम तो ऐसा मत कहो। मैं सच में तुमसे बेहद प्यार करती हूँ।रोहन तुम समझाओ विक्की को..? सॉरी पारुल मैं कुछ नहीं कर सकता.. शायद शिल्पा भी कुछ ऐसे ही तड़पी होगी..?
शिल्पा..! तुम शिल्पा को कैसे जानते हो..? पारुल ने चौंककर पूछा। अभी इतनी देर से आप ही शिल्पा शिल्पा बोल रही थी।
विक्की चल अब यहाँ रुकने की कोई वजह नहीं है।हाँ रोहन..! तुम सही कह रहे हो।
रोहन..!यह मत भूलो.. तुम मेरे नौकर हो..! मैं तुम्हें बरबाद कर दूँगी। आप भी मत भूलिए मैम.. मैं पहले विक्की का दोस्त हूँ।
रोहन सही कह रहा है पारुल..अब तुम मुझसे मिलने की कोशिश भी मत करना। और यह बरबाद करने की धमकी किसी और को देना।
वरना तुम्हारी यह जो छोटी-छोटी दुकानें हैं न,इनका नामोनिशान मिट जाएगा। पारुल विक्की को रोकती रह गई,पर विक्की न मिलने की हिदायत देकर वहाँ से चला गया।
पारुल गुस्से से तिलमिला गई। मयंक यह तुमने अच्छा नहीं किया..! मैं तुम्हें छोडूंगी नहीं। देखो अब मैं क्या करती हूँ..?
इधर मयंक गुस्से में घर चला गया और अपने को बेडरूम करके शिल्पा की तस्वीर हाथ में लेकर रोने लगा मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई ।
मैंने पारुल की बातों में आकर अपने हाथों से अपना घर उजाड़ बैठा। मुझे माफ़ कर देना शिल्पा।
संध्या व्हील चेयर के घर में घूमने लगी उनकी हालत में दिन पर दिन सुधार होता जा रहा था टूटे-फूटे शब्दों में अपनी बात कह देती थी।
विक्की राघव से पूछता है, राघव एक बात बता..?जब पारुल से मयंक का झगड़ा हो रहा था,तो तू कहाँ गायब हो गया था।
मैं वही छुपा था, चुपचाप उनके झगड़े का विडियो बना रहा था।क्यों..? विक्की ने पूछा। अरे यार जब कोई ब्याहता लड़की दो साल में ही घर बैठ जाएं तो लोग उसी पर उँगली उठाते हैं।
ऐसा ही शिल्पा के साथ हो रहा है।जब भी बाहर निकलती है,पड़ोस की रेणुका आँटी कुछ न कुछ ऐसा कह देती हैं, शिल्पा टूटकर रह जाती है।
मेरी आँटी से बात होती रहती है। उन्होंने बताया कि शिल्पा कितने मानसिक तनाव से गुजर रही है।तो तू सामने आकर भी तो मयंक को पारुल का सच बता सकता था..?
नहीं विक्की अगर मैं सामने आता ,तो पारुल तुरंत गेम पलट देती।वो आज के ड्रामे को मेरा झूठ बनाकर मयंक के सामने परोस देती।
और मयंक कान का इतना कच्चा है। वह पारुल की बातों पर , , आसानी से विश्वास कर जाता है और हमारी सारी मेहनत बर्बाद हो जाती है
अभी मुझे पर्दे के पीछे ही रहना है बस आंटी के ठीक होने का इंतजार है जिस दिन वह ठीक होंगी शिल्पा की पूरी सच्चाई मयंक के सामने होगी।
मैंने वीडियो बनाकर रेवती आँटी को भेज दिया है।ताकि वो रेणुका आँटी को दिखा दे,कमी शिल्पा में नहीं उन लोगों की सोच में है।जो उसके बारे में ग़लत सोच ले बैठे हैं।
यह तूने अच्छा किया।अब आगे क्या करना है..? कुछ नहीं अब हमारा काम खतम। मयंक को यह तो पता चला कि पारुल ने शिल्पा को बदनाम करने के लिए कितना बड़ा गेम खेला था।
पर जब आँटी से पता चलेगा शिल्पा माँ बनने वाली है।तब उसे अहसास होगा कि वो ज़िंदगी में क्या खो चुका है। यह पारुल भी चुप बैठने वालों में से नहीं है, राघव बोला।यह खुराफात तो करेगी।
सही बोला राघव..!इतनी आसानी से हार तो नहीं मानेगी। कहीं मेरे घर न पहुँच जाए..? वरना मॉम-डैड तो मुझे हमेशा के लिए बाहर भेज देंगे।
नहीं वो तेरे पीछे नहीं.. मयंक के पीछे जाएगी।अब देखना यह है कि वो करती क्या है। और तू कल जाएगा पारुल के ऑफिस..? नहीं.. अब मेरा वहाँ जाना ठीक नहीं ।
मयंक रात देर तक जागता रहा, इस कारण सुबह देर तक सोता रहा था। मयंक उठो बैठा..! आज ऑफिस नहीं जाना है क्या।
, मयंक घड़ी देखता है,बाप रे नौ बज गए। आज़ मेरी बहुत जरूरी मीटिंग है। मयंक फटाफट तैयार होकर नीचे आता है। मौसी नाश्ता नहीं करूँगा, बहुत लेट हो गया।
रु..रुको..!म मयंकक संध्या अटकते हुए बोली। और जूस के गिलास की और इशारा करते हुए बोली।थथोडड़ा स्ससा, ओके माँ तू कह रही है तो पी लेता हूँ।
मयंक जूस पीने लगा तो देखकर संध्या मुस्करा उठी।अब तो खुश माँ..! मयंक संध्या के पैर छूकर ऑफिस निकल गया। रीता संध्या को चलाने की प्रेक्टिस कराने लगी।
संध्या जी आप ने चुप नहीं रहा कीजिए। आज़ से बल्कि अभी से बोलने की प्रेक्टिस शुरू कर दीजिए।
आप कई दिनों से बोली नहीं,बस इसी कारण आपकी जुबान उठ नहीं पा रही है।
मौसी जी आप संध्या जी के साथ ज्यादा से ज्यादा बात कीजिए और इन्हें बोलने के लिए प्रेरित कीजिए। फिर देखिए यह हम लोगों को चुप कराने लगेंगी। रीता की बात पर सब हँस पड़े।