Romance प्रेम कहानी डॉली और राज की

राज घर के अंदर आता और चारों तरफ देखता कि क्या यह उसका ही घर है जिसमें उसे खुद ही अपनी चीजों का कुछ अता पता नहीं रहता था ,,,कोई भी चीज कहीं भी पढ़ी हुई मिल जाती थी,,, और कई बार तो ढूंढने के बाद भी उसका अता-पता नहीं होता, पर अब सारा सामान इतनी व्यवस्था से रखा हुआ था कि अगर एक सुई भी ढूंढना है तो रात के अंधेरे में वह भी मिल जाए,,, डॉली की आदत थी कि वह जब भी काकी के साथ बाजार जाती ,,कुछ सामान खरीदती या घर में कुछ भी करती तो ,एक कॉपी पेन उठाकर उस पर नोट जरूर करती थी,,,, क्योंकि अपनी मां के सामने डॉली चौथी कक्षा तक पढ़ी थी तो लिखना पढ़ना तो उसे आ ही गया था ,,,और अपने शौक के चलते वह जहां काम करती ,वहां जाकर भी उसकी कॉपी पेन और कुछ किताबें जो उसे मिल जाती, काम से फ्री होकर वह हमेशा पढ़ती रहती थी ,,,,घर में कौन सा सामान कब आया कितनी तारीख को सिलेंडर भरा दूध का
हिसाब ,,,यह सब लिखना डॉली की आदत में शुमार था ,,,,,
तो यहां भी वह इन सब को एक कॉपी पेन पर अच्छे से मैनेज कर रही थी,,, एक बार डॉली की कॉपी हॉल में छूट गई थी और जब राज ने आकर वह कॉपी देखी तो यही करीब आठ से 10 पन्ने उस में लिखे हुए थे जब राज ने देखा कि डॉली की राइटिंग अच्छी है ,,और सब कुछ सही सही लिखा है तो उसने खाना खाते वक्त काकी से इस बारे में बात की और पूछा कि अगर वह इतना जानती है ,,,और अगर वह चाहती है तो स्कूल जाना शुरु कर सकती है,,,
काकी राज कि इस बात पर बहुत खुश हो गई थी ,,,उसे अच्छा लग रहा था कि कम से कम राज ने डॉली के बारे में इतना सोचा काकी ने जल्द से डॉली को आवाज दी डॉली बेटा इधर आ तुझसे कुछ बात करनी है,, डॉली को पता था कि राज खाना खा रहा है पहले तो वह डर गई थी,,, पता नहीं उसने क्या गलती कर दी ,,, लेकिन बहां काकी थी और उसे पता था काकी के सामने राज से डरने की जरूरत नई है, तो चुपचाप आकर काकी के बगल में बैठ गई ,,,काकी ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए पूछा ,,,,
डॉली बेटा तू स्कूल जाना चाहती है,, डॉली के लिए यह सब से बड़ी खुशी थी,,, उसने झट से हां में सिर हिला दिया,,,,,
राज ने रोटी का टुकड़ा मुंह में डालते हुए पूछा
देख महारानी तू सोच समझकर बता मेरे को अच्छे से
तू स्कूल जाकर अपनी पढ़ाई कर पाएगी ,,,मन लगाकर पड़ेगी,,, देख अपन की इज्जत का सवाल है अगर स्कूल में तुझे भर्ती करवाता हूं ,,तो परीक्षा पास करनी होगी ,,,,,,
राज की इस हिदायत पर डॉली थोड़ी सहम गई ,,,,काकी ने राज को डांटते हुए कहा,,, तू बच्ची से पढ़ाई की पूछ रहा है या उसे डरा रहा है ,,,,अरे कोशिश करेगी तो पास क्यों नहीं होगी ,,,,अगर नहीं भी हुई तो न सही पहले तू उसे स्कूल भेज तो सही ,,,
ठीक है काफी पास में ही जो स्कूल है मैं कल वहां जाकर पता करता हूं,, वैसे भी स्कूल जाएगी पढ़ाई लिखाई करेगी तो ठीक रहेगा इसके लिए दिन भर घर के ही काम करती रहती है, उल्टे सीधे,,,,
इतना कहते हुए राज अपने कमरे में चला गया और काकी खुशी से डॉली को बांहों में भरते हुए उससे स्कूल जाने की बातें करने लगी,, और पूछा डॉली बेटा तेरा मन तो है ना स्कूल जाने का ,,,डॉली ने भी हां में सर हिलाया हां काकी मैं स्कूल जाऊंगी और खूब पढूगी,, स्कूल जाना तो मुझे सबसे अच्छा लगता था ,,पर अब पता नहीं क्यों थोड़ा सा डर लग रहा है मैं ठीक से कर भी पाऊंगी या नहीं ,,,,,
काकी ने उसे फिर समझाया देख बेटा कोशिश करना हमारे हाथ में होता है फल देना तो भगवान के ऊपर छोड़ दे,,,
अरे अगर एक बार फेल हो भी गई तो दूसरी बार पास
हो जाएगी कौन सा तेरी उमर निकल गई है,,,,
काकी और निली ने सामान समेटा रसोई में सफाई की और स्कूल की बातें करते हुए सो गए,,,,,
डॉली को पता था कि आज स्कूल में उसके एडमिशन की बात होने वाली है ,तो वह बहुत ज्यादा खुश थी सुबह सवेरे उठकर जल्दी से काकी के साथ सारे काम करवाएं और तैयार हो गई, जैसे कि वह आज ही स्कूल जाने वाली हो ,सुबह राज भी आज थोड़ा जल्दी उठ गया था, वैसे तो रोज सुबह 900 बजे तक ही उसका उठना होता था पर उसे पता था कि अगर वह स्कूल में लेट पहुंचेगा तो फिर सभी अपने काम में लग जाएंगे और उसकी बात ठीक से मैडम जी से नहीं हो पाएगी,,,
राज ने उठकर ही काकी को कमरे से ही चाय के लिए आवाज लगाई ,काकी शायद पूजा कर रही थी तो डॉली ने जल्दी से चाय बनाई और राज को चाय देने उसके कमरे में चली गई ,अभी तो राज की आंखें भी ठीक से नहीं खुली थी उसने लेटे-लेटे ही चाय का कप हाथ में लिया और कहने लगा,,,
काकी उस महारानी से भी कह दे कि वह तैयार हो जाए मैडम जी सबसे पहले तो उसी से मिलना चाहेंगी और हां उससे कह देना कि वहाँ मुंह लटका कर बैठना नहीं है ,अगर मैडम जी कुछ पूछेंगी तो उस बात का ठीक-ठीक और सही सही जवाब देना है, और उसे जो
भी लिखना पढ़ना आता है,
तो वहां जाकर अच्छी तरह से बता दे,,,
डॉली चुपचाप सुनती रही और जब राज का कहना बन्द हुआ तो वापस रसोई में आ गई ,वह अपने आपको तैयार करने लगी थी उसने तो सोचा ही नहीं था कि स्कूल जाकर उसे यह सब भी करना पड़ेगा ,, जल्दी-जल्दी उसने कुछ कठिन शब्दों की स्पेलिंग लिखी उन्हें याद किया ,और एक पर किताब उठाकर फर्राटे के साथ पड़ने लगी ,अब तक राज भी नहा धोकर तैयार होकर बाहर आ चुका था,, और काकी भी पूजा से निबट गई थी ,,,आज डॉली सलवार सूट पर दुपट्टा डालकर तैयार हुई उसने अपने धुले हुए बालों की पीछे एक चोटी बनाई ,और पैरों में जूतियां पहनी हुई थी ,,,,
जब राज ने उसको इस तरह से तैयार देखा तो उसके हंसी छूट गई ,,,,काकी ने नीले के पास जाते हुए राज को डांट कर कहा कितनी अच्छी लग रही है मेरी डॉली ,क्यों हंस रहा है उसे देखकर ,,,
काकी यह कैसी तैयार हो गई है
किसी कॉलेज में नहीं जाना है इसको ,अरे स्कूल के लिए तैयार हुई है यह सूट और दुपट्टा स्कूल में यह सब नहीं चलेगा जैसी रहती है वैसे ही ठीक है ,,,काकी ने राज की बात को अनसुना किया और डॉली का हाथ पकड़ कर बाहर निकलने लगी और राज को भी पीछे से आवाज दी,,,
कि बात ना बनाते हुए जल्दी चल, हमें देर हो गई तो
आज बात ना हो पाएगी,,,
राज के आने से पहले ही डॉली और काकी जीप में बैठ चुके थे ,,,स्कूल की बात सुनकर डॉली खुशी से फूली नहीं समा रही थी उसके चेहरे की खुशी बता रही थी उसको स्कूल जाना कितना अच्छा लगता है,,,
राज ने जीप स्टार्ट की और बस 10 मिनट में वह स्कूल के सामने थे ,,,,
आसपास के सभी लोग राज को और काकी को अच्छी तरह से जानते थे ,स्कूल की टीचर जी भी काकी को पहचानती थी, जैसे ही स्कूल के अंदर गए और प्रिंसिपल साहिबा से मिलने की बात कही तो तुरंत ही उन्हें अंदर जाने दिया ,,,,स्कूल छोटा ही था पर दसवीं कक्षा तक था और आसपास के छोटे-छोटे गांव के सारे बच्चे इसी स्कूल में पढ़ने आते थे, आठ
बारह, चौदह लोगों का स्टाफ था, एक
प्रिंसिपल,10,11टीचर, और 2 चपरासी इस स्कूल में काम करते थे ,जैसे ही अंदर गए तो प्रिंसिपल साहिबा ने हंसते हुए काकी और राज को अंदर बुला कर बैठने के लिए कहा,,, डॉली को आये हुई अभी कुछ ही महीने हुए थे इस बात की खबर तो प्रिंसिपल साहिवा को लगी थी ,कि कोई लड़की आकर काकी के साथ रहने लगी हैं ,पर कौन है, क्या है, इस बात के बारे में उन्हें ज्यादा कुछ पता नहीं था,,,
काकी ने वहां जाकर प्रिंसीपल साहिबा को डॉली के बारे में सारी बातें बताई और उसकी जो स्कूल आने की इच्छा थी, पढ़ने की इच्छा थी ,उसकी विनती प्रिंसिपल साहिबा से की प्रिंसिपल साहिबा ने इनकी सारी बात बहुत ध्यान से सुनी,,,,, पर असमर्थता जताते हुए कहा सॉरी,,,, आप लोग लेट हो गए हैं हमारे एडमिशन तो जुलाई या अगस्त तक ही चलते हैं ,अब शायद आपको अगले साल ही एडमिशन मिल पाएगा ,यह बात सुनकर डॉली का हंसता हुआ चेहरा उदास हो गया था ,,,वह जितनी खुशी के साथ यहां आई थी एक पल में उतनी ही निराश हो गई, जब काकी ने प्रिंसिपल साहिबा से कहा कि आप कोई तो रास्ता निकाल ले हमारी डॉली का बहुत मन है पढ़ने का ,अगर अगले साल का इंतजार करेंगे तो बहुत सारा समय बर्बाद हो जाएगा ,,,,
अब कुछ सोचते हुए उन्होंने स्कूल के क्लर्क को बुलवाया और उनसे इस बारे में बात की कि क्या कुछ हो पाएगा
हम क्या कर सकते हैं

तब उन्होंने कहा मैडम जी एक रास्ता है हमारे पास अथॉरिटी रहती है कि इस कंडीशन में अगर कोई बच्चा हमारे यहां आता है तो हम किन्हीं भी तीन बच्चों को एडमिशन दे सकते हैं ,जो परीक्षा के 4 महीने पहले तक लागू रहता है, और इस नियम के चलते हम इस बच्ची को एडमिशन दे सकते हैं ,,,पर हां इसके लिए सरपंच के साथ-साथ गांव के किन्हीं भी 5 लोगों के दस्तखत की जरूरत रहती है,,
कागज का फॉर्मेट में बता देता हूं अगर आप कंप्लीट करा कर लाते हैं तो डॉली को एडमिशन मिल सकता है,, पर आप सोच लीजिए आपके पास सिर्फ 4 महीने हैं इनमें पढ़ाई करके अगर पास हो सकती हैं तो मैं आपके लिए एक कोशिश कर सकता हूं,,, यह बात सुनकर डॉली को तो , डूबते को तिनके का सहारा मिला हो, ऐसे लगा था उसने झट से हां कह दी कि वह पूरी कोशिश करेगी ,,,राज ने भी डॉली के चेहरे को देखा कि वह कितनी उत्साहित है,, उसने भी कहा कि ठीक है आप कागज तैयार करवाये, मैं सब के दस्तखत ले आऊंगा,, फिर क्या प्रिंसिपल साहब ने एक टीचर को बुलाया और उनसे डॉली का इंटरव्यू लेने के लिए कहा ,,,
,कि डॉली का इंटरव्यू लेकर देखते हैं कि इसका एडमिशन किस कक्षा के लिए कर सकते हैं,,,, और डॉली उस टीचर के साथ चली गई ,,,लगभग आधे घंटे बैठने के बाद क्लर्क ने आकर राज को कागज बना कर दे दिया ,और उस पर 5 लोगों के दस्तखत कराने के
लिए कहा ,,,,
राज और काकी का व्यवहार तो बहुत अच्छा था ही ,तो कोई बड़ी बात नहीं थी उनके लिए तो सारा गांव ही तैयार रहता था राज दस्तखत करवाने गांव में चला गया,,, और काकी बाहर बैठकर डॉली और राज का इंतजार करने लगी,,,,
लगभग 1 घंटे बाद डॉली टीचर के साथ जब बाहर आई तो वह काफी खुश दिख रही थी टीचर सीधी प्रिंसिपल के रूम में गई और प्रिंसिपल साहब ,से डॉली और काकी को अंदर बुलाया और कहा ,कि देखिए हमें पूरा भरोसा है कि आपकी डॉली अच्छे से पढ़ पाएगी ,,इसे जो भी आता हो पर इसकी लगन और मेहनत देखकर मैं कह सकती हूं मेरा मतलब मेरे टीचर ने जो बताया कि यह बच्ची परीक्षा पास जरूर कर लेगी,,, बस आपको उसका साथ देना होगा और इसकी लिखावट और इसकी समझ को देखते हुए हम कक्षा आठवीं में इसका एडमिशन कर रहे हैं ,,, और डॉली को अपने पास बुला कर टीचर ने उसकी पीठ ठोकते हुए कहा!! डॉली तुम्हें कर दिखाना है कि तुम कर सकती हो, तुम कल से स्कूल आ सकती हो यह सुनकर तो डॉली आंखों में आंसू ही आ गए थे ,,,खुशी के मारे वह टीचर से कुछ बोल भी नहीं पा रही थी,,, और तभी कुछ ही देर में राज भी वह पेपर लेकर आ चुका था उसने प्रिंसिपल साहिबा को पेपर दिया और उनका शुक्रिया
अदा किया ,,,काम इतनी जल्दी हो जाएगा उनने सोचा भी नहीं था और शायद अब डॉली की किस्मत उसका साथ दे रही थी ,,, अगर वक्त ने उसको रुलाया था ,तो अब शायद उसके साथ सब कुछ अच्छा ही होने वाला था ,डॉली से जब मैडम जी ने उनके माता-पिता का नाम पूछा तो उसने काकी की तरफ देखा,,,,
पर काकी ने डॉली के असली माता पिता का नाम ही वहां बताया ,क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि डॉली की मां जो उसको इतना प्यार करती थी ,,उसकी जगह कोई और ले ,जब डॉली ने बताया था कि उसके पिता पास ही किसी फैक्ट्री में काम करते थे, तो एक दिन राज ने वहां जाकर सारा पता किया और उनके पिता के जो भी कागजात थे,डॉली को साथ ले जाकर सारे निकलवा लिए थे,, जिसमें उनका राशन कार्ड ,आधार कार्ड डॉली का बर्थ सर्टिफिकेट ,सब कुछ था ,
और वह सारे कागज डॉली के पास आ चुके थे ,,,तो बस उसी बेस पर डॉली का एडमिशन आसानी से हो गया ,,, यह सभी जब वापस घर आने लगे तो राज ने , जीप घर की तरफ ना लेकर बाजार की तरफ ले ली और थोड़ी ही देर में जाकर किताबों की दुकान के सामने जीप रोक दी,, जीप से उतरने से पहले ही आवाज लगाई होए,,,, छोटू अपन को आठवीं की कक्षा का एक पूरा सेट दे दे किताबों का,,, राज तो पहले से सभी को जानता था ,,,तो उसकी तो एक आवाज पर ही उसका काम हो जाता था,,
दुकान वाला हंसा और बोला क्यों राज भैया स्कूल
जाने का इरादा कर लिया है क्या आपने ,,,,,
राज ने गाड़ी की चाबी निकाली और उंगली में चाबी को घुमाता हुआ दुकान पर खड़ा हो गया ,,,अभी तक डॉली काकी के साथ जीप
में ही बैठी हुई थी,,,,
राज ने आवाज लगाई ओओ महारानी तू वही बैठी रहेगी, कि अपनी किताबों और कॉपियों को लेने यहां आएगी ,,,
देखता हूं तू इन किताबों को उठा भी पाती है कि नहीं ,,,,
डॉली जल्दी से जीप से उतरी और दुकान पर जाकर राज के बगल में खड़ी हो गई ,,दुकान वाले ने जब कक्षा आठवीं की नई नई किताबें निकालना शुरू की तो वह एकटक उनको देखे जा रही थी ,,,जैसे सालों से बिछड़ी हुई कोई चीज उसके आगे सामने आकर खड़ी हो गई हो ,,,, किताब को छू कर देख रही थी जब दुकान वाले ने सारी किताबें निकाल दी और फिर राज की तरफ देखते हुए बोला भैया जी कॉपियां भी देनी है क्या
इसके साथ राज ने उसे आंखे दिखाते हुए कहा !!! अबे साले अपन को क्या पता कि क्या क्या आता है उसके साथ ! जो भी आता है बस सब डाल दे फटाफट ,अपुन कभी स्कूल गया है क्या जो उसके बारे में कुछ पता होगा,,,,,
पास खड़ी डॉली को भी डांटते हुए बोला महारानी तू भी अपना मुह खुलेगी कि नहीं अरे तू तो पहले भी
स्कूल गई है, कुछ तो जानती होगी कि क्या-क्या लगता है,,
कि अपुन की इज्जत का कचरा करवाएगी सबके सामने !!!!
अब डॉली ने कहना शुरू किया ,भैया जी!!
कॉपियां निकाल दीजिए ,पेंसिल भी दे देना और हां कॉपियों पर चढ़ाने के लिए कबर और टेप भी दे देना ,और कलर भी दे देना!!!
दुकानदार ने डॉली से कहा तुम्हारी पढ़ाई का तो सारा सामान हो गया है ,पर स्कूल में एक्स्ट्रा एक्टिविटीज भी चलती है जिसके लिए ड्राइंग बुक और कलर भी रहते हैं अगर आप कहो तो आपको अच्छे से आयल पेंट कलर और ब्रश भी निकाल दूँ,,,, डॉली ने धीरे से कहा नहीं भैया जी रहने दीजिए बहुत महंगे होते हैं वह कलर,,,,मेरा सारा सामान हो चुका है ,तब दुकान वाले ने हंसते हुये ,,,, राज की तरफ देखा और कहा ,,,,
अरे जब राज भैया आपके साथ हैं तो आपको सस्ते और महंगे सोचने की क्या जरूरत ,,,और डॉली को अच्छी सी ड्राइंग बुक ,ब्रश और सारे पेंट कलर दे दिए,, जब सारा सामान पैक हो गया, तो राज ने पूछा कि सारा सामान हो गया की अब चलें कुछ और भी लेना है,,, डॉली ने सिर झुकाते हुए हां में जवाब दिया सब कुछ हो गया ,,,
राज फिर अपना सिर खुजलाता हुआ डॉली से बोला,,, महारानी तुझे कुछ याद भी रहता है कि नहीं
अरे सारी किताबों को स्कूल सर पर लेकर जाएगी क्या
उसके लिए बैग भी तो चाहिए और हां क्या यह सलवार सूट दुपट्टा पहन के स्कूल जाएगी मैडम जी ने स्कूल ड्रेस के लिए भी बोला था तो वह भी सामने दुकान पर ही मिल जाएगी,, तीनों सामने की दुकान पर गए जहां वाइट सर्ट, ब्लू स्कर्ट ,जूते और साथ ही लंच बॉक्स और बोतल ,,, सारा सामान पैक करवा लिया ,,,और जीप में रखकर तीनों घर की तरफ आ गए ,,,,,डॉली के लिए यह दिन किसी सपने से कम नहीं था,, उसने सोचा भी नहीं था कि वह स्कूल जाएगी और वह भी नई नई किताबें और नई ड्रेस पहनकर,,, आज से 8 साल पहले ही उससे ऐ सब कुछ छीन लिया गया था ,,और जब दोबारा उसका मुहूर्त आया तो बहुत लंबा वक्त बीत चुका था पर आज वह बहुत खुश थी ,,सारा काम करके तीनों शाम तक ही घर वापस आ पाए थे ,,,,आकर हल्का सा अंधेरा होने लगा था आते ही राज ढाबे पर निकल गया और काकी दिया बत्ती करने लगी,,,,
डॉली ने अपनी सारी कॉपी किताबें खोली और उन पर कवर चढ़ाने लगी,,,

† डॉली के स्कूल का पहला दिन
डॉली को रात भर स्कूल जाने की खुशी में नींद ही नहीं आई थी,वह उठकर धीरे से लाइट जलाटी और अपनी कॉपी किताबों को अच्छी तरह से निहार लेती , और लाइट बंद करके फिर सोने की कोशिश करती लेकिन उसकी आंखों में नींद का नाम नहीं था, पूरी रात ऐसे ही निकल गई डॉली को सुबह 800 बजे स्कूल के लिए निकलना था वह सुबह 500 बजे ही उठ गई जल्दी से नहा धोकर नाश्ता बनाने लगी, तभी काकी भी उठकर डॉली के पास आ गई ,वैसे तो काकी को डॉली को देखकर कर बहुत खुशी हो रही थी कि वह स्कूल जाने के लिए काफी उत्साहित है ,पर प्यार से एक हल्की सी झिड़की लगाते हुए कहा ! तुझे क्या जरूरत थी इतनी जल्दी उठकर नाश्ता बनाने की अरे आज तेरे स्कूल का पहला दिन है ,तेरे लिए मैं अच्छा सा नाश्ता बनाऊंगी, जब देखा तो आलू उबल चुके थे ,और आटा भी गूंथ दिया था, आटे की परात अपनी तरफ खींचते हुए काकी ने डॉली से कहा ,,,तू अपनी कॉपी किताबें अच्छे से जमा ले ,जब तक मैं तेरे लिए गरम-गरम आलू के पराठे
सेकती हूं तेरा डब्बा भी लगा दूंगी, और हां तेरे लिए हलवा भी बना देती हूं आज तेरे स्कूल का पहला दिन है तो कुछ मीठा खा कर जाना,, फिर हलुआ राज को भी बहुत पसंद है तो वह भी खा लेगा ,,, डॉली ने जल्दी से एक तरफ चाय चढ़ा दी ,और हरा धनिया टमाटर की चटनी भी बना कर रख दी थी ,जिससे काकी को ज्यादा काम ना पड़े, उसके बाद काकी गरम-गरम आलू के पराठे सेकने लगी,, और डॉली जाकर स्कूल के लिए तैयार होने लगी पहला दिन था तो उसके मन में जितना उत्साह था उतना डर भी था, कि कहीं कोई चीज छूट न जाए उससे,, कोई गलती ना हो जाए ,, डॉली तैयार हुई उसने अपनी नई स्कूल ड्रेस पहनी रिबन से दो चोटियां बनाई और बैग में सारी कॉपी किताबों को सजाकर करीने से रखा ,,अब तक काकी उसके लिए एक प्लेट में गर्म चाय और पराठे के साथ चटनी ले आई थी,, डॉली देखते ही कहने लगी का कितना सारा ,मैं नहीं आ पाऊंगी,, काकी ने भी डांटते हुए कहा चुपचाप खा ले वहां पता नहीं कितनी देर में तुझे खाने को मिलेगा ,पता चला भूख से तेरा मन पढ़ाई में ही नहीं लग रहा ,,जैसे ही डॉली ने पराठे का पहला कौर तोड़ा कि पीछे से राज भी आ गया, उसने एक उड़ती सी निगाह से डॉली को देखा और बोला ,,,,
देख महारानी तेरे स्कूल का पहला दिन है और तेरे चक्कर में अपुन को भी रात भर साला नींद नहीं आई ,,सुबह ही उठ गया हूं अब तू स्कूल जा रही है ,,,,,
तो ठीक से पढ़ाई करने का, अपुन की इज्जत का फालूदा मत बना देना , जाकर पूरा मन लगाकर पढ़ाई करना और पास हो कर दिखाना,,, जिससे अपन भी छाती चौड़ी करके वो तेरे स्कूल मास्टर के सामने जा सके और हां अपुन को स्कूल के मामले में लेटलतीफी बिल्कुल पसंद नहीं है,,,
देख मैं रोज बस्ती में सब्जी लेने तो जाता ही हूं रास्ते में ही तेरा स्कूल पड़ता है, तो तुझे छोड़ दिया करूंगा, बस तू सुबह टाइम पर अपुन को बाहर खड़ी मिलाकर,,,
डॉली राज की बात सुनते हुए सिर नीचा करके चुपचाप पराठे का कौर निगलती जा रही थी ,,,क्योंकि राज के सामने तो उसकी बोलती वैसे भी बंद हो जाती थी, और वह जब भी कोई लेक्चर देता, तब तो जैसे डॉली की जान हलक में ही अटक जाती थी,, उसने काकी का दिया हुआ एक पराठा खत्म किया , जल्दी-जल्दी प्लेट से चाय पीकर अपना खाने का डिब्बा बैग में रखा और जाकर कान्हा जी के सामने हाथ जोड़कर कुछ कहने लगी, आते-आते एक बार फिर लड्डू गोपाल के सामने सिर झुकाया और जल्दी से बाहर आ गई ,
यह देखकर राज बोलने लगा ओ ,,,,सहजादी अपुन ने तेरे कान्हा जी का एडमिशन नहीं करवाया है स्कूल में ,तो खाली तेरे ही जाने का है , उनसे जो भी बात हो बाद में आकर कर लेना बता देना उनको बराबर के
स्कूल में क्या हुआ है ,,,,,काकी डॉली को छोड़ने बाहर तक आई थी और जब डॉली गाड़ी में बैठी तो काकी ने प्यार से उसका माथा चूमा और उसके भविष्य के लिए उसे शुभकामनाएं दी, साथ ही राज को एक हल्की सी फटकार भी लगाई खबरदार जो रास्ते में डॉली को तूने डांटा ,अरे वह स्कूल जा रही है 2 शब्द प्यार से भी बोल दिया कर ,,,राज ने चुपचाप गाड़ी स्टार्ट की और स्कूल की तरफ बढ़ा दी गाड़ी स्कूल के बाहर पहुंच चुकी थी,, डॉली गाड़ी से उतरी और राज के सामने खड़ी हो होकर उसकी तरफ देखने लगे लगी, कि शायद वह उससे कुछ कहे ,,, राज ने गाड़ी बंद की और डॉली की तरफ देख कर कहा देख तुझे किसी से स्कूल में डरने की जरूरत नहीं है ,अगर तुझसे कोई भी कुछ भी कहता है तो बिंदास अपुन को आकर बता ,,,,बस तू पढ़ाई में अपना मन लगा ,,,,,
अब जा ,,,,,,जैसे ही डॉली जाने लगी तो राज ने फिर उसे आबाज़ दी,,,
महारानी सुन !!!!!!!डॉली जैसे ही पलटी तो राज उससे बोला ,,,जब वह कुछ अच्छा काम करते हैं ना ,तो कहते हैं ना,,
कि बेस्ट ऑफ लक
तो वह अपन तेरे से भी बोलता है की बेस्ट ऑफ लक ,,राज ने अपने सिर में खुजली करते हुए हंसकर डॉली से कहा ,,
डॉली ने भी राज को थैंक्यू बोला और स्कूल के अंदर चली गई ,,todostokaiselagi प्रेम कहानी डॉली और राज कीcommentsmejarurbatana

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