Romance चाहत

अध्यन रास्ते में अंश के साथ जा रहा था।

वो चाहत को याद कर मुस्कुराए जा रहा था । तभी उसने देखा ।

अंश थोड़ा उदास था उसे देख अध्यन – काजल के बारे में सोच रहा है।

अंश – हा … पता है मुझे वो लड़का ठीक नहीं लगा।

मैंने उसके बारे ने पता लगाया था। उसके और भी चक्कर है। कितनी ही लड़कियों के साथ घूमता है।

अध्यन – ऐसा है … तो कल ही हम चाहत से बात करते हैं।

अंश – चाहत से क्यू..??

अध्यन – क्युकी चाहत ही उनके बारे में सही से बता पाएगी । और अगर वो सही नहीं है तो एक वहीं है जो उसे (काजल) समझा पाएगी।

अंश – ठीक है।

अध्यन अंश को छोड़ घर आ जाता है।

अध्यन का घर

अध्यन मुस्कुराते हुए घर आया। शाम का वक्त था । सब घर पर थे। वो आया और सबसे पहले गौरी जी के पास गया । अध्यन अपनी मॉम को पीछे से पकड़ कर – मॉम मै आ गया।

गौरी जी – दिख रहा है।।।

अध्यन अपनी मॉम को प्रसाद देते हुए।

अध्यन – मॉम ये चाहत ने दिया है।… पूजा का प्रसाद है .. आप और डेड खा लेना।

गौरी जी – अच्छा…

गौरी जी ने देखा आज अध्यन और दिनों के मुकाबले ज्यादा

खुश है ये देख वो मुस्कुरा उठी ।

अध्यन अपने रूम आया। उसने अपना मोबाइल निकला। और उसने उसे ओपन किया तभी एक तस्वीर उभरी जिसे देख उसने मोबाइल अपने सीने से लगा लिया।

ये फोटो चाहत की थी । चाहत की ये फोटो उसने तब ली थी जब वो दिया बाहर रखने गई थीं। वहा कोई नहीं था जब वो दिया रख हाथ जोड़कर आंखे बंद किए हुए बैठी थी तब ये तस्वीर अध्यन ने के की थी। उसे उसने अपने मोबाइल पर वॉलपेपर बना कर रख लिया।

चाहत का घर

सब मेहमान के चले जाने के बाद घर में बस दादी ,शिव जी ,आर्यन, रीमा जी और चाहत ही बचे थे ।

चाहत टेंट वालो को समान रखवा रही थी। वहीं शिव जी आज काम कर रहे सभी लोगो को पैसे दे रहे थे। साथ में बैठा आर्यन प्रसाद दे रहा था और रीमा जी ने सब को धन्यवाद देते हुए कहा – आप सब के कारण आज का समारोह बहुत अच्छा हुआ । आप सब का दिल से धन्यवाद।

सब मुस्कुराते हुए प्रसाद ले कर घर चले गए।

दादी अंदर थी । वो बाहर अाई और बोली – बेटा बहुत वक़्त हो गया है चलो खाना खा लो।।

सब अंदर आ गए चाहत ने सबको कहा – मै कपड़े बदल कर आती हूं । आप सब भी फ्रेश हो जाओ।

सब अपने रूम चले गए। चाहत हैरम और टी शर्ट पहनकर अाई ।

सब डायनिंग टेबल पर आए बस चाहत नहीं अाई थी। रीमा जी ने खाना सर्व किया ।

दादी शिव जी से – भगवान की कृपा से आज का काम सकुशल हो गया ।

शिव जी – हा मा। मैंने तो सोचा भी नहीं था सब इतनी आसानी से हो जाएगा।

दादी जी – सब भगवान की कृपा है।

इतने देर में चाहत भी अाई और दादी और शिव जी की बात सुनने लगीं।

दादी चाहत को देख – बेटा वहा क्यू खड़ी हो… यहां आओ ।

चाहत दादी के पास आ गई। दादी ने प्यार से चाहत की तरफ

खाने का निवाला बढ़ा दिया। चाहत ने भी बिना देर किए उसे खा लिया। वहीं आर्यन ये देख चीढ़ गया ।

वह रीमा जी से बोला – मम्मी आप मुझे खिलाओ। यहां तो किसी को मेरी कोई फिक्र ही नहीं है।

ये सुन रीमा जी ने उसे एक निवाला खिला दिया ।

दादी आर्यन की तरफ देख कर – मेरा राजा बेटा किसने कहा । की किसी को तेरी फिक्र नहीं । अरे मै तेरे पापा, तेरी मम्मी और चाहत बेटा सब को तेरी फिक्र है।

आर्यन मुंह बनाते हुए – नहीं आप झूठ बोल रही है सबको बस दी अच्छी लगती हैं। कोई मुझसे प्यार नहीं करता ।

चाहत आर्यन के पास आ कर – बात तो सही है…. तेरी… ये बोल उसने एक निवाला तोड़ा और उसे आर्यन को खिला दिया।

रीमा जी तीसरा निवाला खिलते हुए – ऐसा नहीं है….. बेटा सब तुमसे भी बहुत प्यार करते हैं ।

शिव जी चौथा निवाला खिलते हुए – खबरदार जो किसी ने मेरे भोलू को कुछ कहा तो….. मै एक एक कि खबर लूंगा।

दादी फिर से उसके पास अाई । उसे अपनी गोद में बिठाया और माथे को चूमते हुए बोली –

तुझे सूरज कहूं या चंदा ।।

तुझे दीप कहूं या तारा ।।

मेरा नाम करेगा रौशन जग मेरा राज दुलारा।।

ये गाते हुए उन्होंने अपना गाल आर्यन के गाल से लगा लिया।

ये गाना सुन आर्यन और चाहत जोर जोर से हसने लगे तो दादी ने कहा – क्या हुआ मैंने कुछ गलत गाया क्या?.,… तुम्हे पता है तुम्हारे पापा को मै यही गाना गा कर सुलाती थी ।

सबने कुछ नहीं कहा तो दादी जी चुप हो गई।

दादी जी – ठीक है अब से नहीं गाऊंगी। ये बोल वो जाने लगी। तो आर्यन ने उनका हाथ पकड़ कर उन्हें अपने हाथ से खिलते हुए कहा – नहीं दादी ऐसी बात नहीं है।

चाहत भी आर्यन का साथ देते हुए – हा दादी वो आप पहली बार गाना गा रही थीं…. । वो भी ये वाला तो समझ नहीं आया कैसे रिएक्ट करे अपनों बुरा लगा क्या ?

दादी उसका चेहरा पकड़ते हुए ना में सिर हिला दिया। चाहत ने उन्हें खाने का इशारा किया फिर खुद भी खाने लगी । सब ने खाना खत्म किया।

शिव जी को कल जाना था इसीलिए रीमा जी सारा समान

पैक करने लगी। वहीं चाहत आज दादी को अपने रूम ले अाई और वो दोनो आज मिल गिफ्ट को खोल कर देखने लगी। तभी तेज हवा चली और खिड़की में लगा विंड चाइम हिलने लगा तो चाहत का ध्यान वहा चले गया। चाहत के होंठो पर अपने आप स्माइल आ गई।

चाहत ने खिड़की बंद की । सारे गिफ्ट को एक जगह रख कर दादी के पास लेट गईं ।

चाहत दादी से – दादी आप यही रह जाओ ना बहुत मज़ा आयेगा । हम सब बहुत मस्ती करेंगे। ये बोल उसने दादी के पेट पर अपना सीधा हाथ लपेट दिया।

दादी उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए – बेटा गांव में भी काम होते है वहा की खेती भी तो देखनी है।

तुम सब यहां सुकून से हो और मुझे सुकून मेरे उस घर में मिलती है। मै चाहूं तो भी वहा से दूर नहीं रह सकती।

मुझे वहा ही रहना है वहीं ही मर जाना है।

चाहत एकदम से उठ कर गुस्से में कहती है, – दादी आप ऐसे बोलोगी ना तो मै…

दादी मुस्कुराते हुए, – तो क्या…

चाहत अपनी उग्लियो को घूमते हुए,- मै आपको … आपको बहुत सारी गुदगुदी करूंगी ये बोल वो दादी के पेट में गुदगुदी

करने लगती है।

चाहत दादी को गुदगुदी कर के हस्ती हुई उनसे लिपट जाती है। दादी ने भी अपने एक हाथ से उसका एक हाथ पकड़ा और उसका सिर सहलाने लगी।

वह दादी को और कर के जकड़ कर सो गई वहीं दादी भी उसे सीने से लगाए सो जाती है।

अगली सुबह

चाहत का घर

चाहत की नींद पहली बार काजल के मैसेज से नहीं बल्कि विंड चाइम के आवाज़ से खुली वो आख मसलते हुए उठी।

रेडी होकर बाहर अाई तो देखा उसके पापा वापस ड्यूटी पर जा रहे है। ये देख वो थोड़ा उदास हो गई। फिर खुद को शांत कर बाहरी तौर से खुश हो कर आगे बढ़ गई।

वो पापा के पास गई तो उन्होंने उसे गले से लगाया और बोले – खूब पढ़ना और अपने भाई मम्मी का ख्याल रखना।

चाहत ने हा में सिर हिलाया।

चाहत और रीमा जी ने शिव जी के पैर छुए । फिर शिव जी ने भी सुमित्रा जी ( चाहत की दादी ) के पैर छुए।

शिव जी मुस्कुराते हुए अपने फर्ज को निभाने चले गए।

रीमा जी खुद को रोके हुए थी। उनके जाने के ठीक बाद अपने रूम में गई और मुंह में हाथ रख रोने लगी।

चाहत को पता था उसने बचपन से देखा था उनको ऐसे रोते हुए । उसे पता था वो थोड़े देर में ठीक हो जाएंगी।

चाहत ने देखा दादी बोर हो रही है। तो उसने दादी से कहा – चलो दादी आज आपको मंदिर ले चलती हूं। ये कह कर उसने मम्मी को आवाज़ दी ।

चाहत – मम्मी मै दादी को मंदिर के जा रही हूं।

गौरी जी खुद को संभाल कर बाहर आते हुए।

गौरी जी – ठीक है ले जाओ।

चाहत और दादी मंदिर गईं ।

वहा मंदिर में

मंदिर बहुत सुंदर था। मंदिर के सामने एक गार्डन भी था।

चाहत दादी का हाथ पकड़ कर मंदिर की सीढ़ियों पर अाई। वो अंदर दर्शन करने चले गए ।

ये मंदिर राधा कृष्ण का था। दोनों की मूर्ति बहुत सुंदर थी उस मूर्ति के पास पीले कपड़ों में पंडित जी थे । दर्शन के बाद दोनो बाहर गार्डन में बैठ गई।

चाहत दादी से – यहां कितना अच्छा लग रहा है ना।

दादी ने कहा – हा बेटा।

तभी चाहत के कानों में एक भजन सुनाई दिया।

” यशोमती मैया से बोले नंदलाला…

राधा क्यू गोरी मै क्यूं काला…”

उस भजन को सुन चाहत ने दादी से कहा । दादी पहले का जमाना कितना अच्छा था ना लोग भेदभाव नहीं करते थें । पर आज तो सब को रंग , कपड़े , स्टेटस ये सब देखते है।

दादी कुछ बोलने को हुई तभी पीछे से किसी औरत की थोड़ी भारी आवाज़ गूंजी – ऐसा नहीं है बेटा।।।

चाहत ने पलट कर देखा तो एक औरत हल्के हरे रंग की साड़ी में लिपटी हुई उनके सामने थी। उनके सारी में लाल रंग

का बॉर्डर था।

वो चाहत के पास आई और बोली – रंग , कपड़े या स्टेटस मायने नहीं रखता। हमारी सोच हमे दर्शाती है।

ये बोल वो उनके पास बैठ गई। अपनी बात जारी रखते हुए उन्होंने कहा। ” क्या जब तुम रोती हो तो तुम्हारे रंग को देख कर तुम्हारी मा तुमसे दूर चले जाती है???”

चाहत ने ना में सिर हिलाया ।

वो औरत – क्या तुम्हारी दादी के पुराने जमाने के कपड़े देख तुम्हे शर्मिंदगी महसूस होती है।

चाहत ने ना में सिर हिला दिया ।

औरत ने कहा – तो ये बाते तुम्हारे दिल की अच्छाई बताते है। तुम कैसी हो …तुम्हारी सोच कैसी है?… ये बात ज्यादा जरूरी है। रंग बस आकर्षण है। अच्छाई और अच्छी सोच परमानेंट है जो कभी कोई आपसे छीन नहीं सकता । ना ये कम ही सकता है और ना ही कोई इसमें कुछ कर फेर बदल कर सकता है।

चाहत ने उनकी बात सुन कर कहा – पर आंटी लोग तो खूबसूरत लोगो को ज्यादा महत्व देते है । आज के जमाने में

रंग , कपड़े स्टेटस ज्यादा मायने रखता है।

वो औरत – बेटा तो ऐसे फेक लोगो से दूर रहो । ये बस पल भर के लिए हमारी जिंदगी में आते है इनको लोगो को बस दिखावे से मतलब होता है। एक सच्चा दोस्त वहीं होता है जो आप जैसे हो जो हो उसे देख कर आपके पास रहे। जो समय के अकॉर्डिंग चेंज ना हो।

चाहत सोचते हुए – अगर ऐसा कोई हमारी जिंदगी में हो तो क्या करे?

वो औरत – उनसे कोई एक्सपेक्टेशन ना रखो । और सबसे जरूरी बात उनकी बातो को दिल से ना लगाओ। बस अपना काम करो। आखिर कृष्ण जी भी कहते है ना

” कर्म करो फल , की चिंता मत करो”

चाहत ने हा में सिर हिला दिया । तभी उनकी ही उम्र का एक आदमी वहा आया । उस आदमी ने उनसे कहा – चलो नहीं तो हम लेट हो जाएंगे। शायद ये आदमी उन आंटी के पति थे।

ये बोल उस आदमी ने चाहत को देखा और स्माइल दी।

वो औरत चाहत के पास आकर – कभी खुद को कम मत समझना । अगर कृष्णा ने तुम्हे कोई कमी दी है तो साथ में

तुम्हे किसी खूबी से नवाजा भी है बस उसे पहचान लो ।

चाहत ने हा में सिर हिला दिया । उस औरत ने चाहत और उनकी दादी से विदा ली।

उस औरत की बाते चाहत पर एक गहरा असर छोड़ गई। चाहत और दादी घर आ गई।

चाहत स्कूल जाने के लिए रेडी हुई और स्कूल आ गई।

स्कूल क्लासरूम

आज चाहत जल्दी अाई थी । क्लास खाली थी। तो चाहत ऐसे ही बैठी बाकी लोगों का इंतज़ार कर रही थी।

अध्यन जैसे ही क्लास आता है । चाहत को डेस्क पर बैठा देख कर खुश हो जाता है। वो उसके पास आया दोनो बाते करने लगे।

ऐसे ही दोनो बाते करते रहते है । काजल और अंश जो कब से दोनो को देख कर मुस्कुरा रहे होते है।

उनके पास जाकर अंश उनसे कहता है – अरे हम भी यही है।.. पर किसी को तो फिक्र ही नहीं। … लगे है अपने में…

अध्यन ये सुन कर अंश के गले में हाथ डाल उसका गला दबा कर – क्या कहा… जरा एक बार फिर बोलना।

अंश उससे गला छुड़ाते हुए – अरे यार मै तो मज़ाक कर रहा था। ये सुन अध्यन ने उसे छोड़ा । तो वो भागते हुए बोला – तुम दोनो कपल को किसी की नजर ना लगे।और वहा से भाग गया।

काजल ये सुन जोर ज़ोर से हसने लगीं अध्यन की हालत ही खराब हो गई। वो भी वहा से भाग गया। और चाहत ने भी नज़रे झुका ली

ऐसे ही चारो की दोस्ती बढ़ते गईं । अंश के साथ औपचारिक तौर पर हुई दोस्ती भी अब सच्ची दोस्ती में तब्दील हो चुकी थी। चारो का ग्रुप बहुत ही अच्छा हो गया था। जहा अंश काजल की दोस्ती में अपने मन में उठ रही भावनाओ को दबा चुका था। वहीं चाहत के मन में भी अध्यन अपनी जगह बना चुका था। ऐसे ही वक़्त गुज़रा सभी एक दूसरे के करीब आते जा रहे थे।

एक दिन स्कूल में सर आते है और सब से कहते है।

सर – हम सब टीचर्स ने मिल कर ये सोचा है । आप सभी को

पिकनिक पर ले जाएंगे। पर ज्यादा दूर नहीं यही डोंगरगढ़ में बम्लेश्वरी मंदिर है और पास में ही एक गार्डन और बहुत सारी घूमने की जगह है तो हम आपको वहा ले जाएंगे। सुबह निकलेंगे और शाम तक वापस आ जाएंगे । आपके खाने की व्यवस्था भी वहीं होगी।

सारे बच्चे खुश हो गए। सर ने अपनी बात जारी रखते हुए – हम सब परसो जाएंगे । आप सभी में जो जाना चाहता है । कल तक बता देना ।

वे चाहत की तरफ देख कर – कल तुम लिस्ट तैयार कर के से देना।

चाहत ने हा में सिर हिला दिया ।

काजल चाहत के पास आकर – वाओ यार …. पहली बार घर से दूर वो भी पूरा दिन के लिए.. कितना मज़ा आयेगा ना।

चाहत – हा पता है मै सोच रही थी कि क्यू ना मै घर से कैमरा ले आऊ फिर सब ढेर सारी फोटोस लेंगे।

काजल – हा ये सही है… ले आना।

अध्यन जो बगल मै खड़ा उनकी बाते सुन रहा था। उनके पास आकर कहा – चाहत तुम रहने दो मै ले आऊंगा कैमरा ।

चाहत – ठीक है।

अंश – और मै क्या लाऊ..

काजल उसके सिर पर मारते हुए – तुम खुद टाइम पर आ जाओ ना वहीं बहुत बड़ी बात है।

अंश अपनी एक आइब्रो उठा कर – अच्छा।

काजल भागते हुए – हा ।

अंश उसके पीछे आते हुए – काजल की बच्ची … रुको तुम्हे मै बताता हूं….

ये कह दोनो लड़ने लगे । चाहत उन्हें देख कर मुस्कुराने लगी । और चाहत को देख अध्यन मुस्कुराने लगा।स्कूल ग्राउंड

दो दिन बाद सब स्कूल ग्राउंड पहुंचे सब पिकनिक के लिए एक्साइटेड थे। देख कर ही लग रहा था। सब अपने साथ एक छोटा सा बेग पकड़ कर लाए थे। जिनमे उनके जरुरत का सामान था।

चाहत भी सही टाइम पर ग्राउंड आ गई। उसे काजल मिल गई। वो उसके साफ़ अंश और अध्यन का वेट करने लगती है । पर वो लोग नहीं आते थक के दोनो बस में चढ़ जाती है तभी दोनो बाइक में आते हुए दिखते है।

चाहत को बहुत गुस्सा आता है वो काजल का हाथ पकड़ एक सीट में बैठ जाती है ।

अध्यन बस में चढ़ कर चाहत को ढूंढता है पर वो नहीं दिखाई देती तो वो वहीं बैठ जाता है।

इधर चाहत और काजल अपने सीट पर सिर झुकाए बैठ जाती है। काजल चाहत को कुछ बोलने को होती है तो वो आंख दिखा कर उसे रोक देती है इसीलिए वो चुप हो जाती है।

थोड़े देर बाद सब अंताक्षरी खेलने का प्लान बनते है । बस को दो हिस्सों डिवाइड कर दिया जाता है।

तभी अंताक्षरी शुरू होती है सब मिल कर गाना गाने लग जाते हैं ।

तभी अध्यन की नजर चाहत पर पढ़ती है जो रेड कुर्ती और ब्लू जींस पहने हुई थी । उसने ब्लैक लेदर की जैकेट डाली थी क्युकी ठंड का मौसम था। काजल ने भी ब्लैक जींस में रेड टॉप पहना था। और उसने भी ब्लु कलर का जैकेट पहना था।

अध्यन ने देखा चाहत उसे इग्नोर कर रही है तो वह जल्दी से

उठा और उसके पास गया। पर चाहत वो अध्यन को अपनी तरफ आता देख जान बुझ कर अपनी आंखे बंद कर सोने का नाटक करने लगी। अध्यन उसके पास आकर उसे आवाज़ देने लगा पर वो ना सुनने का नाटक कर रही थी। जैसे सच में नींद में हो।

उसने काजल से इशारे में पूछा तो उसने मुंह हिलाते हुए बताया – गुस्सा है तुमसे….लेट आ रहे हो ना ….

अध्यन को अब समझ आया प्रोबलम क्या है। उसके दिमाग में एक तरकीब सूझी । वो आया और अपने साथियों के साथ गाने लगा।।।

मै चाहता हूं तुझको दिलो जान की तरह…..

तू छा गई है मुझपे आसमान की तरह….

मै चाहता हु तुझकोदिल ओ जान की तरह

तु छा गयी है मुझ पे आसमान तरह…

ओ हो हो मेरे यार….

सौ रब दी ओ हो हो मेरे यार सौ रब दी…..

चाहत तो जैसे नींद से जागी उसने सिर उठा कर देखा तो अध्यन उसे देख कर ही गाना गा रहा था….

आ हा आ हा आ आ आ आ

आ……

अध्यन अपनी हरकतों के बारे में सोच कर

“देखता ही रहता हु सपने तेरे ….

देखता ही रहता हु सपने तेरे ..

डरता हूँ कही मेरी आँख ना खुले

डरता हूँ कही मेरीआँख ना खुले

आँख जो खुलेंगी हो जायेगी तो परे

आँख जो खुलेंगी हो जायेगी तो परे

दूर नहीं जाना कभी दिल से मेरे….

दिल से मेरे….

इस बार अध्यन चाहत की सीट पर गया और उसकी सीट से अपनी पीठ लगा गाने लगा।

“पाक मेरा दिल है कुरान की तरह

पाक मेरा दिल है कुरान की तरह ….

तु छ गयी है मुझपे आसमान की तरह

छा गयी है मुझपे आसमान की तरह

ओ हो हो मेरे यार सौ रब दीओ हो हो मेरे यार सौ रब दी…..

इतना गाकर अध्यन ने अपना गाना ख़तम किया। चाहत बस एक टक उसे देख रही थी। अध्यन ने दोनो कान पकड़ कर सॉरी का कहा।

चाहत ने फिर अपना मुंह फेर लिया। अध्यन का मुंह ही उतर गया । वो वापस अपनी सीट पर आ गया।

इतने में टीचर आए और उन्होंने कहा। अब बस हम पहुंचने वाले है तो सब अपने बेग के साथ रेडी रहो ।

सबने साथ में यस सर कहा।

जब अध्यन का ध्यान हटा तो चाहत उसे देखने लगी। व्हाइट टी शर्ट पर उसने रेड ब्लैक कॉम्बिनेशन कि एक शर्ट डाल रखी थीं और नीचे ब्लू जींस पहने वो काफी क्यूट लग रहा था।

चाहत जो अध्यन को देखे जा रही थी उसे कोहनी मर के काजल ने कहा – बस कर कितना देखेगी।

चाहत अध्यन को देखते हुए – उसने ये गाना …. मेरा मतलब है कैसे …. क्यू….

काजल उसे पकड़ कर रोकते हुए, – अरे रिलैक्स मैंने बताया था।

चाहत हैरत से उसे देखती है तो गहरी सांस लेकर काजल

कहती है..,एक बार उसने मुझसे मेरे और तेरे फेवरेट सॉन्ग के बारे में पूछा था तो मैंने बता दिया था। और तू आज उससे गुस्सा थी तो शायद उसने सोचा हो तुझे ये सॉन्ग गाकर मना लू बस इसीलिए उसने ये सॉन्ग गाया होगा…

चाहत एक लम्बी सांस लेकर – ओ ओ ओ….

काजल और चाहत अपनी अपनी जैकेट उतार कर वहीं रख देती है।

फिर वो भी बस से उतरने लगती है।

अध्यन उसका पीछे से चाहत का हाथ पकड़ उसे रोकते हुए…

अध्यन – चाहत सुनो ना यार…

चाहत – बोलो।।।

अध्यन नज़रे झुका कर – सॉरी …

चाहत कुछ देर तक अध्यन को देखती रही। फिर अचानक से हसने लगी। अध्यन हैरानी से उसे देख रहा था। तब चाहत ने कहा….

चाहत – अरे बुद्धू… मै तो मज़ाक कर रही थी… ये बोल कर उसने अध्यन की नाक खींची और वापस जाने लगी।

अध्यन जो उसका हाथ पकड़े खड़ा था। उसने अपने हाथ को

झटका दिया । चाहत सीधे उसके करीब आ गई। उनकी सिचुएशन कुछ ऐसी थी। जहा वो कुछ बोल भी नहीं पा रही थी। उसका एक हाथ थामे अध्यन सीधे उसकी आंखो में देख रहा था। कुछ देर दोनो यूहीं खड़े रहे । फिर अध्यन ने कहा – आज के बाद ऐसा मज़ाक मत करना। तुम सोच भी नहीं सकती मुझे कैसा फील हो रहा था।

चाहत जो बस उसे देखे जा रही थी। अध्यन की ये हरकत उसे डराने लगी थीं। अध्यन को उसे देख खुद डर लगने लगा और उसने झट से कहा – सॉरी…. अब से ऐसा कुछ नहीं करूंगा।

चाहत ने कहा – हम्मम….. कहा तो उसकी आंखो में डर साफ़ नजर आ रहा था।

जिसे देख अध्यन ने कहा – वो… अम्म… हमे चलना चाहिए। ये बोल अध्यन जल्दी से बस से उतर गया।

चाहत अभी जो हुआ उसे ही सोच रही थी। वह बस से नीचे उतर गई।

काजल ने चाहत को देखा तो उसके पास आ गई । उसे देख काजल ने पूछा – क्या हुआ।

चाहत जैसे अपनी सोच से जागी उसने कहा – वो… मै… मेरा मतलब है…

काजल ने उसके सिर पर हाथ रखा फिर पूछा – क्या हुआ … तु ठीक तो है ना।

चाहत उसका हाथ हटाते हुए – कुछ नहीं … और मै ठीक हूं।

ये कह कर उसने आस पास देखा। उसने देखा एक खूसूरत सा शहर है यह शहर में चारो तरफ बस पहाड़ से है। यहां पर आस पास बहुत सारे मंदिर है । आस पास बहुत हरियाली है। वो यहां पहले भी आ चुकी थी । इस शहर से वो अंजान नहीं थी ।

यहां की देवी मां बम्लेश्वरी को सब बहुत पूजते हैं। ऊंचे पहाड़ पर मा का मंदिर बहुत ही खूबसूरत लगता है ।

माँ बम्लेश्वरी देवी के मंदिर के लिये विख्यात डोंगरगढ एक ऎतिहासिक नगरी है। यहां माँ बम्लेश्वरी के दो मंदिर है। पहला एक हजार फीट पर स्थित है जो कि बडी बम्लेश्वरी के नाम से विख्यात है। मां बम्लेश्वरी के मंदिर मे प्रतिवर्ष नवरात्र के समय दो बार विराट मेला आयोजित किया जाता है जिसमे लाखो की संख्या मे दर्शनार्थी भाग लेते है। चारो ओर हरी-भरी पहाडियों, छोटे-बडे तालाबो एवं पश्चिम मे पनियाजोब जलाशय, उत्तर मे ढारा जलाशय तथा दक्षिण मे मडियान जलाशय से घिरा प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण स्थान है डोंगरगढ।

यहां एक पहाड़ है जिस पर बौद्ध जी विराजमान है ।

वैसे तो ये शहर पहाड़ों से घीरा है पर यहां पहाड़ एक जी चोटी पर बौद्ध जी की बहुत ही बड़ी मूर्ति है। इस मूर्ति की खूबसूरती देखने लोग दूर दूर से आते है। ये बहुत ही प्रचलित स्थान है। यहां पर बौद्ध विहार नाम से एक मंदिर भी जो बहुत प्रचलित है।

सारे टीचर्स ने डिसाइड किया कि ये दो जगह वो बच्चो को लेकर जाएंगे। पहले सब प्रज्ञा गिरी गए और वहा से दर्शन कर सबने हल्का लंच किया ।

लंच के बाद सभी बम्लेश्वरी मंदिर के लिए निकल गए। टीचर ने सभी बच्चों को बताया वहा 1000 सीढ़ियां है। अगर किसी को कोई भी प्रॉब्लम हो तो बता दो अभी।

सब ने ना में सिर हिलाया और अपने बोतलों में पानी भर कर पहुंच गए । मंदिर के द्वार पर और मा का नाम ले कर उन्होंने चढाई स्टार्ट की। सब चढ़ते जा रहे थे। सब ने ठान लिया था कि अब उन्हें ऊपर पहुंचना ही है।

चाहत काजल अंश और अध्यन साथ चल रहे थे। जहा लोग थकते सब साथ में बढ़ते टीचर भी सबको इंकरेज कर रहे थे।

ऐसे ही आगे बढ़ते हुए । अध्यन ने चाहत को देखा जो आस

पास के दुकानों को देख रही थी। अध्यन ने चाहत से कहा ,- तुम पहली बार अाई हो।

चाहत ने ना में सिर हिलाया और कहा – नहीं मै कई बार यहां आ चुकी हूं। फिर भी सब चीजे दुबारा देखना अच्छा लगता है।

मंदिर में पहुंचने से पहले यहां पर कई छोटे मंदिर और है । जिस कारण उन लोगो को तीन घंटे लगे। सब आखिर मा के दरबार पहुंच ही गए। वहा दर्शन कर सब बाहर आए सबने फोटोस क्लिक करवाई।

अध्यन सबकी फोटोस क्लिक कर रहा था। उसने देखा चाहत कहीं जा रही है उसका पीछा कर वो मंदिर के पीछे पहुंचा जहा पर एक पेड़ पर बहुत सारे लाल कपडे की पट्टियां थी जिस पर जय मा बम्लेश्वरी लिखा था। अध्यन ने देखा चाहत वहीं पर है।

अध्यन वहा गया और वहा से नीचे की खूसूरती देखने लगा। उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसने स्वर्ग जैसा कुछ देख लिया हो वो बहुत ही सुन्दर था। नीचे सारे घर बहुत सुंदर लग रहा था वहा से देखने पर ऐसा लग रहा था जैसे वो बदलो में है। और नीचे की छोटे छोटे आयरलैंड हो।

वो ये सब पहले भी देख चुका था। पर आज चाहत के साथ ये सब देखना उसे और भी अच्छा लग रहा था। उसने चाहत को देखा जिसके बाल हवा के कारण बंधे होने के बाद भी वो चेहरे पर आ रहे थे जिसे उसने अपने हाथो से पीछे किया। सुरज की हल्की रौशनी में उसका चेहरा अलग ही तरह से दमक रहा था ।

अध्यन के चेहरे से स्माइल जाने का नाम ही नहीं ले रही थी। वो बड़े ही आराम से उसे देख रहा था।

अध्यन ने एकदम से कहा – ब्यूटीफुल ।

चाहत ने उसकी साइड देखा और उसने कहा – सच में कितना सुन्दर है ना ये सब ।

अध्ययन उसके पास आकर बोला – बेशक ये चीजे बहुत सुंदर है पर यहां मै तुम्हारी बात कर रहा हूं।

चाहत ने कहा – तुम भी ना कुछ भी बोलते हो ..

अध्यन उसके पास आकर – मैंने ऐसा क्या कहा।

चाहत – खूबसूरत तो मै हूं नहीं फिर तुम मुझे खूबसूरत क्यू कह रहे हो।

अध्यन – तुम्हे ऐसा क्यों लगता है कि तुम खूबसूरत नहीं हो ???

चाहत – खूबसूरत साफ़ चीजे होती है पर मै तो उतनी साफ़ हूं

ही नहीं । साफ़ चीजो का रंग सफेद होता है। और बेदाग भी… पर मेरा तो काला है।

अध्यन उसे देखते हुए – गलत हो तुम … खूबसूरती रंग की मोहताज नहीं होती। उसे बस तुम्हे महसूस करना होता है।

अध्यन अपना हाथ आगे बढ़ा कर सामने इशारा करते हुए कहा – देखो उन हरे पेड़ों को क्या वो तुम्हे अच्छे लगते अगर वो सफ़ेद होते।

चाहत ने ना में गर्दन हिलाई।

अध्यन बात जारी रखते हुए – क्या ये पहाड़ , वो नदी , ये मंदिर सब सफेद होते तो क्या ये इतने ही खूबसूरत लगते जितने ये है, नहीं ना।

रंग कभी भी खूबसूरती दिसाइड नहीं करता । बल्कि खूबसूरती देखने वालो की आंखो में होती है।

तो पागल लड़की खुद को कभी कम खूबसूरत मत समझो। तुम्हारी आंखो में को मासूमियत है… तुम्हारे माथे में ये जो तिल है…. तुम्हारा मुस्कुराते वक़्त आंखो का बंद हो जाना। ये सब तुम्हे खूबसूरत बनाती हैं। हर किसी को ये खूबसूरती ना दिखे पर मै ये देख सकता हूं।

क्युकी तुम्हे वहीं आंखे खूबसूरत कहेगी जो तुम्हे समझेगी तुम्हे करीब से जानेगी। तुम बेशक दूसरों की तरह ना हो पर खास हो, अलग हो। हर चीज अपने आप में खूबसूरत है बस नजरिया चाहिए उसे देखने का।

और अब आते है तुम्हारी बात पर तो तुम हो खूबसूरत कभी मेरी आंखो से खुद को देखना। तुम्हे पता चल जाएगा।

चाहत अध्यन को देखने लगी जो उसे ये सब बड़ी ही आसानी से कह रहा था। वो उसकी बाते समझ रही थी।

तभी काजल और अंश वहा आए ।

अंश – ओह लव बर्डस चलो। या दिन भर यही रहना है।

अंश की जबसे दोस्ती उन दोनों से गहरी हुई थी तो वह हमेशा दोनो को साथ देख लव बर्डस बुलाया करता था। पहले तो चाहत को अजीब लगता था । पर अब उसे आदत सी हो गई थी।

अध्यन उसे देखते हुए – हा चलते है।

तभी काजल ने अध्यन को इशारा किया – यार मेरी अंश के

साथ फोटो लो ना और फिर मेरी और चाहत की भी एक फोटो लेना।

अध्यन ने हा कहा और उनकी फोटोस ली। एकदम से काजल ने अध्यन को कहा – तुम भी आओ ना । वो उनके पास आ गया । काजल ने अध्यन का कैमरा अंश को दिया फिर एक फोटो ली।

काजल ने कहा – अध्यन और चाहत तुम दोनो भी साथ में फोटो ले लो।

दोनों साथ में खड़े हुए और उन्होंने फोटो ली ।

कुछ देर बाद सर उन्हें नीचे चलने के लिए बुलाने लगे।

वो उस तरफ चले गए। दोनों धीरे धीरे सीढ़ियां उतर रहे थे … आस पास कुछ भिखारी भी बैठे थे। सब ने उन्हें कुछ ना कुछ दिया।

तभी अध्यन ने वहा कुछ बंदरो को भी देखा। ये सारे बंदर एक जगह थे । अध्यन बिना कुछ सोचे उनके पास गया और उनको बिस्कुटस खिलाने लगा उसे देख बाकी बच्चे भी उन्हें कुछ ना कुछ खिलाने लगे।

अध्यन ने देखा सब कुछ ना कुछ खिला रहे है पर चाहत दूर है

। वो उसके पास गया।

अध्यन – यहां अकेले क्या कर रही हो…

चाहत – कुछ नहीं।

तभी काजल उनके पास आते हुए – ये बंदरो से डरती है। इसीलिए नहीं जा रहीं।

काजल ने कहा तो चाहत उसे खा जाने वाली नजरो से घूरने लगी ।

अध्यन ने कहा – सच में।

चाहत ने ना में सिर हिलाया ।

अध्यन ने उसे देखा फिर कहा – चलो…

चाहत – कहा।

अध्यन – बंदरो से दोस्ती करने..

चाहत – क्या… कुछ भी…. मै नहीं जाऊंगी।

अध्यन उसका हाथ पकड़ कर चलते हुए – अरे चलो भी … अब.।

चाहत और अध्यन उनके पास पहुंचे। चाहत के तो डर के मारे पसीने छूट रहे थे। अध्यन ने उसे बिस्कुट दी और कहा – चलो खिलाओ।

चाहत ने ना कहा तो अध्यन ने उसका हाथ पकड़ कर उसमे बिस्किट्स रखी और हाथ पकड़ कर बंदरो की तरह बढ़ा दिया

ऐसे उसने चाहत के हाथो से खिलाया। वो भी बिना कुछ किए बिस्किट्स खाने लगे । ये देख चाहत बहुत खुश हुई और फिर खुद ही उन्हें खिलाने लगी।

जैसे जैसे वो बिस्किट्स खाते चाहत खुश होती । और साथ में अध्यन भी खुश होता।

वो खुश हो गई थी। जब वह बंदरो को बिस्किट्स खिला रही थी। वो हस्ते हुए बहुत प्यारी लग रही थी । अध्ययन उसके पास आया ।

अध्यन – अब बताओ….अभी भी डर लग रहा है…,?

चाहत ने ना में सिर हिलाया।

इधर काजल दोनो को देख रही थी। तो अंश ने कहा। क्या देख रही है।

काजल दोनो को देखते हुए – ये दोनो साथ में कितने प्यारे लगते है ना।।।

अंश – हा लगते तो है….

काजल उसकी तरफ मुड़ते हुए – है ना… मुझे लगता है अध्यन चाहत को पसंद करता है… और शायद चाहत भी….

बोलते बोलते वो रुक गई।।।।

अंश उसे देखते हुए – हा वो उसे पसंद करता है…. जबसे उसे देखा है तब से…. पर

काजल उसके पास आकर – पर क्या…????

इतने में अध्यन और चाहत वहा आते है। सब धीरे धीरे सीढ़ियां उतरते है। सारे टीचर्स सारे बच्चो को एक होटल में ले जाती है। सब उनको अपनी पसंद का खाने बोलते है।

अध्यन,चाहत ,अंश और काजल चारो साथ में बैठ कर खाने का सोचते है। चाहत चावल , रोटी और मिक्स वेज ऑर्डर करती है। वहीं काजल भी सेम ही ऑर्डर करती है। तो अंश भी बोलता है वो भी इतना ही खाएगा।

पर अध्यन एक चिकेने तंदूरी के साथ लच्छा पराठा ऑर्डर करता है। सबका खाना आता है । सब खाने लगते है चाहत अध्यन को देख रही होती है जो दुनिया से बेखबर अपने चिकन को खा रहा था।

अध्यन चाहत को देख – ऐसे घुरो मत खाना है तो खा लो….

चाहत उसे देख कर नाक सिकोड़ते हुए – नहीं तुम ही खाओ।

काजल अध्यन को ऐसे खाते देख – तुम शर्मा हो ना मतलब ब्राम्हण तो तुम चिकन कैसे खा रहे हो???

अध्यन चिकन के लेग को चूसते हुए – क्युकी मुझे पसंद है….

काजल उसका जवाब सुन चुप हो गई।

ये देख अंश बोला – अरे ये तो है है राक्षस … जिंदा इंसान खा ले तो चिकन क्या चीज़ है।

काजल और चाहत ये सुन हसने लगी।

तब अध्यन ने कहा – कुछ भी … अरे मैंने कभी किसी को नहीं रोका ना ही टोका तो … तुझे इतनी प्रोबलम क्यू है … तू खा अपना घास फूस.. मै तो चिकन खाऊंगा … ये बोल उसने एक पीस उठाया। और मुंह में रख लिया। वो चाहत को देखने लगा जो बस मुस्कुरा रही थी।

उसने एक बाइट तोड़ी और उसने चिकन लगा कर चाहत की तरफ बढ़ा दिया । चाहत रुक गई। चाहत कभी चिकन को तो कभी अध्यन को देखती ।

तब अध्यन ने उसे खाने का इशारा किया । तो उसने कहा – नहीं … मेरा हो गया। ये बोल वो उठी और हाथ धोने चले गई।

अध्यन उसे देखने लगा उसे कुछ समझ नहीं आया ।

तब काजल ने उसके उठे हुए हाथ को नीचे किया और कहा – वो वेजी है .. वो चिकन नहीं खती।

अध्यन सोचते हुए – पर वो तो सिंह है … फिर भी।

तभी चाहत वापस आते हुए – हा क्युकी मेरी मम्मी नहीं खाती… तो मेरा भी मन नहीं हुआ खाने का।

अध्यन उसे देखते हुए – सॉरी … मैंने ऐसे तुम्हे खाने के लिए इंसिसिट किया।..

चाहत उसे रोकते हुए – अरे … इट्स ओके । मेरे घर में सब खाते है बस मै और मम्मी नहीं । तो मुझे तुम्हारा मुझसे पूछना बुरा नहीं लगा।

अध्यन ने सिर झुका लिया और चुपचाप खाने लगा।

ये देख अंश जोर ज़ोर से हसने लगा। काजल उसे हस्ता देख – तुम्हे क्या हुआ … क्यू हस रहे हो।

अंश अध्यन को देखते हुए – कुछ नहीं … बस इस सिचुएशन पर एक गाना आ गया।

वो गाने लगा…

दिल के अरमां आसूंओं में बह गए…

अध्यन ने उसे घुरा तो वह और जोर से हसने लगा।

सब होटल से बाहर आ गए । चाहत मुस्कुरा रही थी। सब खाना खाने के बाद बाहर आए ।

सामने एक गार्डन था। वहा पर बोटिंग हो रही थी । चाहत ने सब से कहा – चलो ना बोटिग करते है।

सब वहा गए वहा उन्होंने टिकट्स ली और उनको लाइव जैकेट दिए गए । रेड कलर की लाइव जैकेट पहने सारे बच्चे क्यूट लग रहे थे। एक बोट पर चार लोगो को बैठना था तो उन लोग भी एक बोट पर बैठने का सोचा।

पहले अंश आया और वो एक सीट पर बैठ गया। फिर अध्यन आया । उसने देखा चाहत को बोट में चड़ने में थोड़ी परेशानी हो रही है तो उसने उसकी ओर अपना हाथ बढ़ाया । चाहत ने भी बिना सोचे उसका हाथ पकड़ लिया । और धीरे से बोट पर बैठ गई। यही काम उसने काजल के साथ भी किया। इन सब में हमारे अंश बाबू चुपचाप बैठे पानी से खेल रहे थे। तभी काजल ने उसकी तरफ पानी उछाल दिया। अंश का चेहरा भीग गया। वो तो शुक्र है कि उसने लाइव जैकेट पहनी थी वरना उसकी शर्ट भी भीग जाती।

उसके साथ ये सब कर के काजल हसने लगी साथ साथ अध्यन और चाहत भी हसने लगे । अंश ने बुरा सा मुंह बना लिया ।

सब हस्ते हुए बोटिंग कर रहे थे। तभी चाहत ने देखा पानी में

कुछ मछलियां है । उसने अपना हाथ पानी में डाला तो सारी मछलियां उसके हाथ पर आ गई। ठीक उसी टाइम अध्यन ने उसकी एक फोटो क्लिक कर ली । जिस में वो मछलियों को देख रही थी।

सब ने वहा और ढेर सारी फोटोस खींची। फिर सब नीचे उतरने लगे। अध्यन ने पहले चाहत को और फिर काजल को हाथ देकर बोट से बाहर उतारा। सब अपनी लाइव जैकेट खोंलने लगे ।जब चाहत ने अपनी जैकेट की क्लिप को खोलने की कोशिश की तो वह खोल ही नहीं पा रही थीं। बड़ी मुश्किल से उससे वो क्लिप खुली। ऐसे ही दूसरे क्लिप्स के साथ भी हो रहा था। अध्यन ने उसे देखा तो वो उसके पास आया और क्लिप्स को खोलने लगा । चाहत उसे एकटक देखने लगी वो बड़ी ही शिद्दत से उन क्लिप्स को खोल रहा था।

थोड़ी देर बाद सारी क्लिप्स खुल गईं । तो उसने वो जैकेट ली और काउंटर पर जमा करवा दी।

काउंटर से वह वापस उनके पास आ गया। अब शाम होने लगी थी। सबको वापस घर जाना था। सब घर चलने के लिए बस के पास आए।

चाहत बस के पास आकर सबका वेट कर रही थी। तभी उसकी नजर सामने वाली शॉप पर गई जहा कुछ लॉकेट , ब्रेसलेट्स जैसी चीजे थी। चाहत काजल का हाथ पकड़े उस ओर बढ़ गईं । अध्यन उसे जाते हुए देखता रहा। वहा जाकर उसने सारी चीज़े देखी जिसमे उसे एक रुद्राक्ष वाला ब्रेसलेट्स अच्छा लगा। उसने वो ले लिया।

वहा उसने झुमके देखे तो वो भी ले ली। वहा एक मोबाइल था जिसमें बटन दबाने पर सॉन्ग बजता था। वो उसने आर्यन के लिए खरीद ली। थोड़ी दूर उसे पेडे दिखाई दिए। उसे देख उसको अंश और दादी की याद आ गई तो उसने दो पैकेट पेडे लिए । वो ये सब खरीद वापस अाई।

उसने सबसे पहले झुमके काजल को दिए।

काजल ने उन झुमकों को लेकर सीधा कान में डाला और पहन कर दिखाने लगी। वो उस पर बहुत प्यारे लग रहे थे। उसके गोरे रंग पर वो झुमके और भी अच्छे लग रहे थे।

चाहत ने एक पैकेट पेडे अंश को दिए। जिसे देख अंश बहुत खुश हुआ।

अंश खुशी से – तुम ही मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो … बाकी सब तो दिखावे वाले है…

ये सुन अध्यन , काजल उसे घूरने लगे तो उसने कहा – तुम

लोग भी अच्छे हो पर चाहत … तुम बेस्ट हो यार…

चाहत उसे चुप करवाते हुए – बस बस… अब ज्यादा बटर ना लगाओ…

चारो हसने लगे इसी बीच सर आ गए और उनसे बस में बैठने को कहा। सब अपनी सीट पर बैठने लगे तभी अंश ने अध्यन से कैमरा लेने के लिए हाथ बढ़ाया और एक तरफ काजल ने भी हाथ बढ़ाया।

काजल – मुझे कैमरा चाहिए।।।

अंश उसे घूरते हुए – क्यों..???

काजल उसे और जोर से घूरने हुए – मुझे फोटोस देखनी है।

अंश आंखे छोटी करते हुए – मुझे भी देखनी है।

ऐसे दोनो लड़ने लगे कभी कैमरा काजल के हाथ में जाता तो कभी अंश कर हाथ में। दोनों को लड़ते देख चाहत ने कहा – रुको…

दोनों में से किसी ने भी ध्यान नहीं दिया।

चाहत ने फिर एक बार जोर से चिल्ला कर कहा – रुको!!!!!

अब दोनो ने उसकी तरफ ध्यान दिया ।

तब चाहत ने कहा – बच्चो की तरह मत लडो… एक काम करो दोनो साथ में देख लो।

दोनों ने अब चाहत को देखा ।

चाहत – तुम दोनों एक साथ बैठ जाओ और साथ में फोटोस

देखो। मै और अध्यन साथ में बैठ जाते है।

काजल ने कहा – हा ये ठीक रहेगा। और दोनो साथ में बैठ गए।

इधर अध्यन भी चाहत की बगल में बैठ खुश था। थोड़े देर में बस चालू हुई सब लोगो को एक बार फिर देखा गया कहीं कोई छूट ना गया हो।

बस चलने लगी चाहत और अध्यन दोनो शांत होकर बस सीट में बैठे थे। चाहत ने अध्यन को देखा जो खिड़की से बाहर देख रहा था। उसने अध्यन से कहा – अध्यन

अध्यन उसकी तरफ देखते हुए – हा।

चाहत – अपना सीधा हाथ दो …

अध्यन को समझ नहीं आया – क्या कहा तुमने।।।

चाहत – अरे अपना सीधा हाथ दो ना।।।

अध्यन – ओके ये लो… कह कर उसने अपना सीधा हाथ बढ़ा दिया।

चाहत ने उसका सीधा हाथ पकड़ कर रुद्राक्ष वाला ब्रेसलेट पहना दिया ।

चाहत उसका हाथ पकड़ते हुए, – ये मैंने तुम्हारे लिए लिया। कैसा है???

जब चाहत ने उसे ब्रेसलेट पहनाया तो वह थोड़े देर के लिए खो सा गया था। उसने कुछ देर तक कुछ नहीं कहा। जब

चाहत ने उससे दूसरी बार पूछा तब उसने हा में सिर हिला दिया ।

चाहत ये देख खुश हुई। चाहत और अध्यन यूहीं बैठे रहे तभी चाहत को थकान के कारण झपकी आने लगी वो बार बार गिर रही थी। अध्यन ने ये देखा तो उसका सिर अपने कंधो पर रख लिया। चाहत ने उसे पहले देखा। उसका चेहरा चाहत के चेहरे के बहुत करीब था। चाहत उसे देखे जा रही थीं ये देख अध्यन मुस्कुराया और उसने उसकी आंखो पर हाथ रख उसे बंद कर दिया ।

चाहत को अब सच में नींद आ गई उसने अध्यन के बाजुओं में अपनी पकड़ मजबूत की और बेफिक्री से सोने लगी… अध्यन भी चाहत के हाथो को अपने हाथो पर महसूस कर सोने लगा। उसका सिर भी चाहत के सिर पर आ गिरा…

दोनों काफी वक़्त तक ऐसे ही सोए रहे। तभी अचानक बस रूकी और दोनो झटके से जागे। अध्यन ने जब चाहत को देखा वो भी आंखे मसलते हुए उठीं । बस अपने स्कूल पहुंच गई थीं। सारे बच्चे धीरे धीरे उतरने लगे। चाहत भी उतरी उनको आते हुए शाम हो गई थी। चारो बस से उतरे और अंगडाई लेने लगे। अंगड़ाई लेते हुए चारो ने एक दूसरे को देखा। एक दूसरे को देख चारो जोर से हसने लगे आस पास

खड़े बाकी बच्चे हैरत भरी नज़रों से उनको देख रहे थे। और वो बेखबर हस रहे थे।

सर ने सभी को आवाज़ लगाई। सब एक जगह आ गए । सर ने सभी की काउंटिंग की फिर सभी को घर जाने को कहा । सभी मेन गेट के पास आए। तो देखा अनिल काजल का वेट कर रहा था। काजल ने उसे देखा और मुस्कुराते हुए उसके पास चले गई और बाइक में बैठ कर सबको बाय किया। सबने जबरदस्ती मुस्कुराते हुए उसे बाय कहा।

इधर चाहत अपनी साइकिल निकाल कर अाई । अध्यन ने उसे देखा तो वो उसके पास गया।

अध्यन उसके पास जाकर – चाहत एक काम करो मेरे साथ बाइक पर चलो।

चाहत उसे घूरते गए – क्यों..??

अध्यन – क्युकी शाम हो रही है।… अकेले मत जाओ।।

चाहत – अरे डोंट वरी… मै चले जाऊंगी।

अध्यन – नहीं … चलो मेरे साथ ।।

चाहत गुस्से से – नहीं।

अध्यन – देखो बात को समझो …

चाहत – नहीं।।।।

अध्यन – ठीक है जाओ।

ये बोल कर वो पलट गया। अंश दोनो को देख चाहत के पास

आया।

अंश – वो सही बोल रहा है।

चाहत – पर मेरी साइकिल…

अंश – वो मै ले आता हूं…

चाहत सोचते हुए – ठीक है।।।

चाहत अध्यन के पास आकर दांत दिखाते हुए।

अध्यन ने कुछ नहीं कहा और चुप चाप बाइक निकली । बाइक में बैठ अध्यन ने बाइक स्टार्ट की ओर एक्सीलेटर पर हाथ घुमा कर बाइक की चलने की आवाज़ को तेज किया। ये एक तरह का सिग्नल था। चाहत के लिए।

वो भी कुछ नहीं बोली। उसके बाइक के पीछे बैठ गई।

अध्यन अंश से – तू पीछे से साइकिल ले आ।

अंश – हा ठीक है।

अध्यन बिना कुछ कहे बाइक चला। रहा थी। चाहत बाइक के लेफ्ट मिरर में उसे देख रही थीं वहीं अध्यन उसे राइट मिरर में देख रहा था। दोनों ऐसे ही घर पहुंचे।

चुकी दोनो बाइक में थे । इसीलिए जल्दी पहुंच गए। वहीं अंश को आने में अभी वक़्त था। चाहत को अध्यन का उससे बात ना करना बुरा लग रहा था। वो चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही थीं।

चाहत अध्यन की तरफ देखते हुए – सॉरी..

अध्यन ने कुछ नहीं कहा। ये देख काजल को गुस्सा आया।फिर भी उसने अध्यन को देखते हुए पूछा।

चाहत – पानी लोगे …

अध्यन ने ना में सिर हिला दिया।

अब चाहत को और गुस्सा आने लगा। चाहत अध्यन के पास आकर – क्या प्रोबलम है तुम्हे हा… सॉरी तो बोल रही हूं … फिर भी शादी में आए जीजा की तरह नाराज़ हो रहे हो… फिर उसे उंगली दिखते हुए अगर तुमने मुझसे बात नहीं की ना ।

अध्यन – तो क्या … क्या करोगी।

चाहत उसके हाथ से बाइक की चाबी लेकर – ये नहीं मिलेगी तुम्हे।।

अध्यन ने कहा – ठीक है रख लो..

चाहत हैरान होकर उसे देखने लगीं । इतने में अंश आ गया। चाहत ने अंश को चाबी पकड़ाई थैंक्यू कहा।

अंश अब अध्यन को देखने लगा। जो चाहत को देख रहा था। चाहत ने उसे जाने का इशारा किया। अध्यन मुस्कुराते हुए चाहत के पास आया। और कहा – जा बालिका.. तुझे माफ़ किया।

चाहत उसकी इस हरकत को देख कर मुस्कुरा दी।

अध्यन ने अंश को कहा वो बाइक चलाए। अंश ने पहले किक मारी । तब तक पीछे बैठ अध्यन चाहत को देखने लगा। चाहत को देख अध्यन और अंश ने उसे बाय कहा । वो दोनो

चले गए।

चाहत भी साइकिल अंदर रख घर आ गई।चाहत का घर

चाहत अपने घर के अंदर अाई। चाहत ने अपने शूज उतरे। और मम्मी को देखते हुए किचन में आ गई। चाहत ने देखा उसकी मम्मी कुछ बना रही थीं । चाहत पीछे से उन्हें गले लगाते हुए। उसने अपना चेहरा उनके कंधो पर रख दिया।

चाहत – मम्मी…

चाहत की मम्मी उसके गाल में हाथ रख कर बोली – आ गया मेरा बच्चा..

चाहत – हा… वैसे क्या बन रहा है।।

रीमा जी – बैगन का भरता ।।।

चाहत चिल्लाते हुए – अरे वाह।। आज तो मै बहुत सारा खाना खाऊंगी।। ये बोल उसने अपनी मम्मी को गाल पर किस कर दिया।

रीमा जी – चाहत … हटो बेटा काम करने दो…

चाहत उनसे दूर हुई और पेडे का डिब्बा निकाल कर अपनी मम्मी को से दिया। वो धीरे से उनके कान में बोली – दादी को मत बताना। सरप्राइज है।।

रीमा जी भी उसी की तरह धीरे से बोली – ओके।।।

फिर दोनो जोर से हसने लगीं । तभी चाहत ने मुंह में ऊंगली रख कर कहा – शू…. ह….

चाहत किचन से निकल कर बाहर अाई । वो अपने रूम की तरफ चले गई। वहा से कपडे चेंज कर वो बाहर अाई। बाहर देखा आर्यन टीवी देख रहा था। चाहत ने उसे देखा तभी उसे याद आया कि आर्यन के लिए वो मोबाइल ले कर अाई थी…,वो भागते हुए अपने रूम गई वहा से मोबाइल लेकर । चाहत सामने सोफे पर बैठ गई। आर्यन ने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया । वो चुपचाप टीवी देखने लगा। चाहत उसके पास अाई और मोबाइल लेकर उसमे बात करने की एक्टिंग करने लगी। अब आर्यन का ध्यान गया। वो भागते हुए चाहत के पास आया । चाहत मोबाइल में जबरदस्ती बात करते हुए।

चाहत – हा काजल.. अरे नहीं … ओह ऐसा ये तो होना ही था… अच्छा वैसे सही ही हुआ जो भी हुआ … हा वहीं तो …

आर्यन उसे देखते हुए – दी …

ये आवाज़ सुन दादी वहा आ गई। चाहत उनके पास गई ।

दादी – आ गया मेरा बच्चा… कैसा रहा डोंगरगढ़ दर्शन…

चाहत उनको गले लगाते हुए – मस्त था दादी… अगली बार पापा आएंगे तो आपको भी ले जाऊंगी।

दादी उस पर अपनी बाहों को कसते हुए – ठीक है।।।

चाहत दादी से अलग होते हुए – आपके लिए भी कुछ है।

ये बोल वो किचन गई । जब वह वापस अाई तो उसके हाथ में पेडा था। उसने एक पेडा दादी को दिया । तो दादी जिद करने लगी एक और पेडा खाने की चाहत ने दादी को एक और पेडा दे दिया।

अब चाहत आर्यन के पास अाई और बोली। मेरी पपड़ी चाट चल मुंह खोल..

आर्यन उसे देखते हुए – हा ये लो… ये कह कर मुंह खोल देता है… और चाहत उसे पेडा खिला देती है।

दोनों एक दूसरे को देख कर हसने लगते है।

दादी दोनो के पास आकर उनकी बलाए लेती हुई – हाए मेरे बच्चो को किसी की नजर ना लगे… ये बोल चाहत और आर्यन के माथे को चूमती है।

थोड़ी देर बाद रीमा जी दोनो को आवाज़ लगा कर डायनिंग टेबल पर बुलाती थीं । जहा चाहत आज हुए किस्सों के बारे में सबको बताते हुए खाना खाती है।

चाहत उसे अनदेखा करते हुए – अरे नहीं तो… ओह ठीक है

अब आर्यन से सब्र नहीं हो रहा था। वो भागते हुए आया और चाहत की गोद में चढ़ उससे मोबाइल छीन ली।

चाहत इन सब के लिए तैयार नहीं थी। वो आर्यन देखने लगी ।

आर्यन ने चाहत को देखा फिर कहा – ये कितना अच्छा है। आप मेरे लिए लाए हो ना…

चाहत बनते हुए – नहीं ये तो काजल का है .. उसने लिया था अपनी बहन के लिए…

ये सुन आर्यन का चेहरा उतर गया । वो चाहत की गोद से उतरा और मोबाइल चाहत की तरफ करते हुए – ठीक है आप उन्हें दे देना…

वो वापस सोफे पर बैठ गया पर उसकी नजर अभी भी उस मोबाइल पर थी।

चाहत उसका उतरा चेहरा देख रही थीं। फिर भी उसे मज़ा आ रहा था। पर जब आर्यन एकदम से शांत हो गया तो चाहत को भी अच्छा नहीं लगा। वो उसके पास गई । उसने मोबाइल बढ़ाते हुए कहा – तेरे लिए ही लाई हूं।

आर्यन उसकी तरफ देखते हुए – सच में ।

चाहत उसके हाथ में मोबाइल देते हुए – हा मेरी सोनपापड़ी।।

आर्यन ने मोबाइल लिया और खुशी से चाहत को गले लगा लिया। और ये… ह.. कर के चिल्लाने लगा।

चाहत ने उसे माथे पर किस किया ।

अध्यन का घर

अध्यन चाहत को याद कर मुस्कुराते हुए घर में आता है। उसे दरवाजे पर ही देव जी और गौरी जी मिल जाते है। अध्यन उनको देखता है फिर मुस्कुराते हुए अपने रूम में चले जाता है।

थोड़ी देर के बाद गौरी जी अध्यन को खाने के लिए बुलाती हैं। अध्यन उनके सामने टेबल पर बैठ जाता है।

गौरी जी देखती है अध्यन आज सारी हरी सब्जी खुशी से खा रहा है। बिना ना नुकुर किए।

उन्होंने देखा अध्यन शिमला मिर्च भी खा रहा है। पर किसी को कुछ बोल भी नहीं रहा। बाकी वक़्त तो वो ऐसे नखरा करता था जैसे उसे कुछ बुरा खिला दिया गया हो…

अध्यन को देख गौरी जी उसके पास अाई और उसके माथे पर हाथ रख कर बोली – तुम ठीक हो ना..

अध्यन उनका हाथ माथे से हटाते हुए – हा मॉम मै तो ठीक हूं .. मुझे क्या हुआ ।

गौरी जी – तू जो कभी शिमला मिर्च नहीं खाता था… आज क्या हुआ जो तू इसे खाने लगा…

अध्यन चाहत को याद करता है तो उसके चेहरे पर अपने आप मुस्कान आ जाती है। जिसे गौरी और देव जी दोनो ही महसूस करते है। मगर अध्यन अपनी मुस्कान छुपाते हुए – कुछ नहीं मॉम,.. बस ऐसे ही आज मन किया तो खा लिया…

गौरी जी आंखे छोटी करते हुए – अच्छा … आज तक तो तेरा मन नहीं किया .. फिर अचानक कैसे … हा बोल भला…

अध्यन स्पून नीचे रख कर – मॉम आप ना सीरियल मत देखा करो … फिर आप ना उसमे रहने वाली आंटी जैसे बिहेव करने लगते तो,.. ये बोल वो वहा से चले गया।

गौरी जी उसे जाते हुए देखते रही ।

देव जी जो कब से मा बेटे का ये ड्रामा देख रहे थे । वो पेट पकड़ कर हसने लगे। उनको ऐसे खुल के हसता देख गौरी जी उनके पास वाले टेबल पर बैठ उनको प्यार से देखने लगती है।

देव जी गौरी जी को अपनी ओर देखते हुए देखते है तो वो झेप जाते है। इधर उधर देखते हुए स्पून उठा कर गलती से

मिर्ची वाला अचार खा लेते है। फिर जलन के कारण उनका मुंह लाल हो जाता है वो पानी .. कह कर जोर से चिल्लाते है ।

गौरी जी ये देख कर डर जाती है और उन्हें पानी देती हैं । साथ में उनको जल्दी से मिठाई खिलाती है।

गौरी जी उनकी पीठ सहलाते हुए – क्या हुआ … ठीक हो ना आप ।

देव जी उनको देखते हुए – पहले तो अपने ही मुझे डिस्ट्रैक्ट किया और अब आप ही ..

गौरी जी उनको टोकते हुए – मैंने क्या किया…

देव जी – अब आप मुझे ऐसे प्यार से देखेगी तो यही होगा ना…

गौरी जी ये सुन शर्मा जाती है । जिसे देख देव जी फिर कहते है – एक तो आप खूबसूरत ऊपर से आपका यू शर्माना हाए ..

गौरी जी उनको रोकते हुए – क्या आप भी अध्यन अभी भी घर पर है… सोच समझ कर बोला करो आप।

देव जी सिर पर हाथ रख कर – कुछ कहूं तो दिक्कत … ना कहूं तो दिक्कत … बांदा करे तो क्या करे..

गौरी जी उनकी प्लेट में पराठा रखते हुए .. कुछ ना करो ये पराठा खाओ… चुपचाप।

देव जी चुपचाप पराठा खाते है।

अध्यन रूम में आता है। वह बेड पर लेट कर आज की फोटोस देखता है। वो सारी फोटोस को स्कीप करते हुए देखता है। तभी उसे चाहत की पहाड़ी वाली फोटो दिखती है। जिसे देख वो मुस्कुरा देता है। तभी उस पहाड़ी पर हुए बात याद करता है।

अध्यन चाहत के फोटो को देखते हुए – तुम्हे ऐसा क्यों लगता है तुम खूबसूरत नहीं हो.. मेरी नजर नहीं हटती तुम से और तुम हो की … खैर रहने दो… तुम्हे तुम्हारी खूबसूरती का अहसास अब मै करवाऊंगा। .. तो मिस चाहत सिंह बी रेडी … ये बोल उसने उसकी फोटो को होंठो से छुआ और सो गया।

चाहत का घर

चाहत खाना खाकर अपना काम कंप्लीट कर के बेड पर लेट गई । थोड़े देर में उसे उसके सिर पर किसी का हाथ की छुअन महसूस हुई । इस छुअन से वो अंजान नहीं थी। ये चाहत की दादी की छुअन थी। उनके हाथ को महसूस करते हुए सो गई। उसका सुकून भरा चेहरा देख दादी ने उसे माथे पर किस किया। फिर वो भी सो गई।

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