इधर अंश की नजर काजल पर गई जो अपनी बुक में खोई हुई थी और उसकी नाक पर लगा चश्मा जिसे वो बार बार अपनी उगलियो से ऊपर करती और वो फिर नीचे आ जाता ऐसे ही वो बार बार करती। ये देख अंश मुस्कुरा उठा जब काजल की नजर उस पर पड़ी तो उसने इशारे से उसे पूछा क्या है.. तो उसने ना में सर हिला दिया और अपना नोट्स में कुछ करने लगा।
सर थोड़े देर में क्लास आए और बच्चो को पढ़ने लगे । क्लासेस खत्म हुई सब घर जाने को निकले। काजल और चाहत दोनो चौक तक पहुंचे वहा से एक दूसरे को बाय बोल कर अपने रास्ते निकाल गए ।
चाहत घर पहुंच अपनी साइकिल रख मेन गेट बंद कर अंदर आ गई वो जैसे अंदर गई कोई गली से निकला और उसने कहा वो तो तुम यहां रहती हो । और मुस्कुरा दिया।।।
अगले दिन
अध्यन का घर
आज अध्यन सुबह से रेडी होकर बैठा था। वह बार बार घड़ी को देखता उसकी मम्मी कब से उसे ये सब करते देख रही थी।
वह किचन में काम कर ही रही थी तभी अध्यन आया और पीछे से उनको पकड़ कर अपना सर उनके कंधो पर रख कर बोला मम्मा आपको नहीं लगता हमारी घड़ी खराब हो गई है।
गौरी जी – वो सही है ।
अध्यन – नहीं मॉम ऐसा नहीं है। देखो ना इतनी देर से देख रहा हूं पर टाइम तो वैसे ही है।
गौरी जी – अब हर मिनट में देखोखो तो यही होगा ना।
अध्यन – मॉम आप मुझे नोटिस कर रही है। यह कह वो उनसे दूर हुआ और उन्हें देखने लगा ।
गौरी जी मुड़ी और दोनो हाथ बांध कर अध्यन को घूरने लगी। उनकी आंखो को देख कर वो थोड़ा डर गया और बोला मॉम आई थिंक मुझे जाना चाहिए।
ये कह कर वो जाने के लिए मुड़ा ही था तभी….
गौरी जी – बाबू….
अध्यन आंखे बंद कर – यस मॉम
गौरी जी – तुम तो स्कूल हमेशा टाइम पर जाते थे वो भी मेरे तुम्हें टाइम बताने के बाद पर आज इतनी जल्दी क्यों । ये कह कर उन्होंने अपनी भावो को उपर की ओर किया।
सवाल से भरी निगाहें देख कर अध्यन थोड़ा सा डरा फिर हिम्मत कर के बोला – मॉम कुछ भी।
अध्यन – आज वो स्कूल में कुछ काम है इसीलिए जल्दी जाना है जैसा आप सोच रही है वैसा कुछ नहीं है।
गौरी जी – ठीक है ।
ये सुन अध्यन ने राहत की सांस ली और जाने को मुड़ा ही था।
गौरी जी – सोना सुनो…जब भी मै तुम्हे बाबू सोना बुलाती हूं तो तुम चीढ़ जाते हो पर अाज ऐसा कुछ भी नहीं हुआ तुम चुप चाप जा रहे हो।
अब अध्यन फस गया और उसने कहा चाहत यार तुम ही
कुछ करो।
उसे अचानक याद आया …उसने कहा मॉम आप अभी जैसे मुझे घुर रही थी तो मेरी हिम्मत ही नहीं हुई आपसे कुछ कहने की।
गौरी जी – अच्छा ठीक है।
अध्यन अपने शू लेस बांध रहा था। साथ में बड़बड़ाए जा रहा था हे भगवान आज तो बच गया…। कहीं मॉम को शक हो जाता तो तू बे मौत मारा जाता…. माना तू उसे देखने के ख्याल से ही आज खुश है… पर ऐसे भी उतावला ना हो … अब से ध्यान रखना , समझा।
अध्यन खुद को समझा बाहर निकाला तभी उसे याद आया वो अपने साइकिल की चाबी तो भूल गया जैसे ही वो जाने के लिए मुड़ा गौरी जी चाबी लिए चली आ रही थी। अध्यन ने चाबी लेनी चाही तो उन्होंने अपने हाथ ऊपर कर दिए ।
ये देख अध्यन बोला – अरे मॉम आप… वो बोल ही रहा था।
गौरी जी हस्ते हुए – ये लों।
अध्यन ने अपनी साइकिल निकली और चलने को हुआ गौरी
जी का चेहरा उदास हो गया तो अध्यन वापस उनके पास आया । उनके गाल खींच कर उन्हें एक किस दी और बाय करता हुआ चला गया ।
गौरी जी के चेहरे पर स्माइल आ गई । वो अंदर घर के अंदर आ गई जो घर अभी अध्यन के चहल पहल से गूंज रहा था वहीं अब गहन शांति थी । गौरी जी वापस अपने काम में लग गई ।
बस तीन लोग रहते थे इस घर में एक अध्यन और उसके मॉम डेड … तीन लोगों का परिवार था अध्यन के पापा देव एक बहुत बड़े इंजिनियर थे पूरे शहर के लोग उन्हें जानते थे वो बहुत अच्छे स्वभाव के थे। अध्यन को किसी भी चीज में फर्क ना करना उन्होंने ही सिखाया था इतने बड़े परिवार से होने के बाद भी उसे जरा सा भी घमंड नहीं था। उसके पापा ने उसे हमेशा डाउन टू अर्थ रहना सिखाया था ।
घर में उसके पास बाइक थी फिर भी वो साइकिल से स्कूल जाता था। उसे सब के साथ नॉर्मली रहना अच्छा लगता था। स्कूल में किसी को उसके बारे में पता नहीं था सिवाय अंश के।
गौरी जो पेशे से टीचर थी अब उनकी प्रोमोशन के बाद प्रिंसिपल बन गई थी। वो घर में सिर्फ खाना बनाती थी और बाकी काम के लिए नौकर थे।चाहत का घर
चाहत स्कूल के लिए तैयार हो रही थी ।
रीमा जी – चाहत बेटा मै आज शायद लेट हो जाऊंगी …तुम जल्दी आकर खाना बना देना।
चाहत – आप कहा जा रही है
रीमा जी – वो घर में पेंटिंग का काम कंप्लीट हो गया है उसे ही देखने जा रही हूं ।
चाहत – सच में मम्मी…. आप पूरा घर अच्छे से देख आना… और याद से आप अपनी दवाई ले लेना।
रीमा जी हाथ जोड़ते हुए – हा मेरी मम्मी और कुछ…
चाहत आशीर्वाद की मुद्रा में – अभी तो कुछ नहीं…बाकी बाते आपके आने के बाद।
रीमा जी हाथ उठा कर दिखाते हुए – अच्छा।
चाहत मुस्कुराते हुए घर से बाहर आई और स्कूल की तरफ निकाल गई।
चाहत का इस शहर नया घर बन रहा था उसकी मम्मी वहा का काम देखने आज जा रही थी। उसका घर लगभग पूरा तैयार था बस पेंटिंग का काम बाकी था।
जिसे देखने के लिए आज उसकी मम्मी वहा जा रही थी ।एक पुलिस वाले की पत्नी होने के कारण उन्हें ये सब खुद करना पड़ता था। वो अकेले ही हर काम करती थी क्युकी शिव जी ज्यादातर उनके साथ नहीं थे पर फिर भी उन्होंने उनकी कमी किसी को महसूस नहीं होने दी। हर जिम्मेदारी को बखूबी निभाती आ रही थी।
शायद शुरू से ही अकेले रहने के और जिम्मेदारी उठने के कारण ही चाहत भी इतनी समझदार हो चुकी थी ।
वह हर काम करने से पहले सोचती थी और दूसरों को देखती थी अगर जरा सा भी बुरा प्रभाव उसे नजर आता था तो वो उस काम को नहीं करती थी। वो जानती थी कि पापा की पोस्टिंग अलग जगह है और मम्मी वैसे ही परेशान रहती है वो उन्हें बेवजह परेशान नहीं करना चाहती थी।
चाहत आज चौक पहुंची और काजल का इंतज़ार करने लगी। थोड़े देर इंतज़ार करने के बाद वो आ गई पर इसके साथ कोई था चाहत ने उसे दूर से पहचान लिया वो उसका जूनियर था जो मॉर्निंग बेच से था उसका नाम था अनिल। पर ये काजल के साथ क्या कर रहा था।
चाहत यही सोच रही थी तभी काजल आई और उसके सामने चुटकी बजाकर बोली कहा हो मैडम।
चाहत – कहीं नहीं तू बता… ये अनिल था ना तू उसके साथ क्या कर रही थी।
काजल – अरे कुछ नहीं … वो रास्ते में मिल गया था तो बस नॉर्मल हाय हेल्लो कर रही थी।
चाहत ने अच्छा कहा और दोनों स्कूल आने के लिए आगे बढ़ गए।
क्लास में
अध्यन सबसे पहले क्लास में आ गया और चाहत का इंतज़ार करने लगा।
वो बार बार दरवाज़े की तरफ देखता फिर वापस बुक ने देखता। ये काम वो बहुत देर से कर रहा था।
क्लास के सारे बच्चे आ चुके पर चाहत और काजल अभी तक नहीं आए ये देखते हुए अध्यन उठा और अंश की सीट पर जा बैठ ।अंश जो उसे काफी देर से देख रहा था वो बोला।
अंश – इन्तहा हो गई इतंजार की
अाई ना कुछ खबर मेरे यार की।।
अध्यन जो उसके गाने को सुन रहा था उसने उसे घुर कर देखा तभी अंश ने कहा – देखो वो आ गई ।
अध्यन ने पलट कर देखा चाहत और काजल आ रही थी। आज चाहत खिलखिलाते हुए आ रही थी। उसकी हसी बेहद आकर्षक थीं वो बहुत ज्यादा प्यारी लग रही थी। शायद काजल ने कोई जोक मारा था ।
वो आई उसने अपना बेग रखा ही था तभी प्रेयर बेल बजी उसने सभी से कहा कि ग्राउंड में जाए पूरी क्लासेज में सब बाहर चले गए तभी उसने देखा कोई क्लास में है उसने देखा ये अध्यन था जो बेग बंद कर के उठने लगा। फिर दरवाज़े की
ओर बढ़ गया।
तभी किसी ने उसे आवाज दी उसने मूड कर देखा तो देखता ही रह गया ये चाहत थी जिसने उसे पुकारा था वो तो बस उसे देखे जा रहा था चाहत ने उसे दो तीन बार पुकारा। चाहत ने जवाब ना पाकर अपना हाथ अध्यन के सामने हिलाया। ये देख अध्यन होश में आया।
तब चाहत ने कहा _ वो अंदर कोई है और वो बेहोश हो गया। ये कहते वक्त उसके चेहरे पर घबाराहट लिए वह खूबसूरत लग रही थी अध्यन ने किसी तरह खुद को संभाला और उसके साथ चला गया ।
जहा उसने देखा कोई सर झुकाए खड़ा था उसने उसे अच्छे देखा तो गुस्से से भर गया पर चाहत के सामने कैसे बोले उसे समझ ही नहीं आ रहा था।
अध्यन की तरफ देख कर चाहत ने कहा देखो ना इसे ये कब से ऐसे ही बैठा है मैंने और काजल ने इसे उठने की कोशिश की पर ये जवाब नहीं दे रहा है।
अध्यन – मुझे लगता है ये बेहोश है तुम प्रेयर ग्राउंड जाओ मै आता हूं।
ये कह कर उसने उसका एक हाथ अपने हाथ में लिया और मेडिकल रूम में आ गया फिर उसने उस शख्स से कहा – नाटक बंद करो…..
मैडिकल रुम
“नाटक मत करो”
अध्यन ने जैसे ही कहा वो लड़का बड़ी ही मासूम सी शक्ल बना कर अध्यन को देखने लगा।
अध्यन – देखो हर्ष तुम्हे क्या लगता है……. कोई नया है तो तुम उसे बेवकूफ बना लोगे।
हर्ष जो उस की उस लड़के का नाम था वो अध्यन को देख रहा था वो एक दम से हसने लगा और बोला – यार तू तो सच में समझदार निकाला। मै तो तुझे बहुत भोला समझता था बट आई मस्ट से यूं आर वेरी कलेवर।
ये वो वहा के बेड पर बैठ गया ।
अध्यन – देख तू जो ये सब कर रहा है ना वो मत कर….
काजल बहुत अच्छी लड़की है और पढ़ने लिखने वाली भी तू उसे कुछ मत कर।
हर्ष – काजल को कौन परेशान कर रहा है मुझे तो वो चाहिए । ये बोल वो बेड पर पसर गया।
अध्यन को लगा था हर्ष को काजल पसंद आ गई होगी इसीलिए वो अपने पुराने तरीके आजमा रहा है उसकी ये आदत थी हर नई लड़की से दोस्ती और फिर उसका यूज करना और अपने काम करवाना।
उसे बस अपने आप से और अपने काम से मतलब था।
अध्यन – कौन?
हर्ष – चाहत। यार सच में वो इतनी इमोशनल है……. और टॉपर भी मेरा काम तो बन जाएगा। और उसका फिगर भी…. वो बोल ही रहा था।
अध्यन ने इतना सुन । खुद को काबू में ना रख पाया और गुस्से में आकर हर्ष का कॉलर पकड़ कर बोला।
अध्यन – चुप….. कर एक वर्ड भी नहीं । वरना मै…..
हर्ष उसकी आंखो में देखने लगा फिर मुस्कुराते हुए उसका
हाथ अपने कॉलर छुडवा कर बोला – हम्म्म…. तो क्लास में प्यार का फूल खिल ही गया ….. बहुत याराना लगता है। वो भी दो दिन की आई लड़की के लिए….. क्या बात है बेटे ….. बहुत सही जा रहे हो।
अध्यन ने कुछ नहीं कहा बस गुस्से मे उसे घुर रहा था।
हर्ष – मैंने सोचा नहीं था उस पर इतना इंटरेस्ट लूंगा पर…..
वो अध्यन के करीब आ कर।
हर्ष – पर अब तो उसे तो तुझसे दूर करना ही होगा ……किसी लड़की के लिए पहली बार कोई मुझ से लड़ रहा है मेरे कॉलर तक पहुंच चुका है….. तो करना तो पड़ेगा ही। ये बोल उसने आंख मारी।
अध्यन जो उसकी बात सुन रहा था। वो मुस्कुरा कर उसके सामने की कुर्सी पर बैठ कर बोला – ठीक है तुझे जो करना है वो कर …. पता है पहले मै कंफ्यूज था… समझ.. ही नहीं पा रहा था मुझे चाहत को लेकर को फीलिंग आती है वो प्यार वाली है या बस पसंद वाली पर अब….मुझे यकीन हो गया कि ये प्यार है….. और अब जब मुझे यकीन हो गया है तो , मै तुझे ओपनली चैलेंज दे रहा हूं ….. तू उसे छू कर तो बता ।
हर्ष हस कर – ओके चैलेंज एक्सेप्टेड….. पर
ये कह कर उसने अध्यन को देखा और बोला – अगर मैंने उसे टच भी कर लिया तो तू उससे दूर रहेगा। ….. डील…. कह कर उसने हाथ बढ़ाया।
अध्यन – डील । कह कर हाथ मिलता है।
हर्ष – तू उससे प्यार करने का दावा कर रहा है और उसके नाम से डील भी ये तेरा कैसा प्यार है?
अध्यन – मै ये डील उसे तुझ से दूर रखने के लिए कर रहा हूं और हा ……ये मेरा प्यार है तुझे समझ ही नहीं आयेगा।
तभी दरवाज़ा नॉक हुआ और चाहत अंदर आई।
चाहत हर्ष के पास जा कर तूम ठीक हो ।
हर्ष ने है में सिर हिला दिया।
फिर चाहत ने रूम में देखा वहा कोई नहीं है तो खुद ही वहा रखे ग्लास में पानी निकाल कर उसमे ग्लूकोज डाल कर घोल बना कर हर्ष को दिया।
और कहा – लो इसे पी लो…… और आराम करो। ठीक लगे तो ही क्लास आना । मैंने सर स बात कर ली है तुम आराम से रेस्ट करो ।
ये बोल कर वो उठी । तभी वहा उस रूम की इंचार्ज सा गई उसने चाहत को देख कर कहा – चाहत बेटा तुम यहां कैसे ….. कहीं फिर से बीपी तो लो नहीं हुआ ना तुम्हारा।
चाहत – नहीं मैम… मैम मै तो ठीक हूं…. ये हर्ष है….. इसे चक्कर आ रहे थे….. तो मैंने उसे ग्लूकोज घोल कर दे दिया।
मैम – ठीक किया बेटा ।
चाहत – ओके मैम अभी क्लास है तो …. हम चलते है ।
मैम – ठीक है जाओ। और हर्ष तुम यहीं रुको मै तुम्हे चेक कर लू ताकि कोई प्राब्लम ना हो ।चाहत आगे बढ़ी। अध्यन के पास आकर उसे चलने को कहा वो जा ही रहा था तभी उसने पीछे मुड़ कर देखा तो हर्ष उसे इशारे से बेस्ट चॉइस बोल रहा था।
वो मुस्कुरा कर रह गया।
दोनों रूम से बाहर आए।
चाहत – थैंक्यू।
अध्यन – क्यू…..?
चाहत – मेरी हेल्प करने के लिए …… अगर तुम ना होते
तो …मदद के लिए हमे किसी और को बुलाना पड़ता ….. फिर शायद देर हो जाती और ….. हर्ष को प्रॉब्लम हो सकती थी।
अध्यन – हे!!! इट्स ओके….. तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे मैंने कोई बहुत बड़ा काम कर दिया हो ।
चाहत उसे देख कर हस्ते हुए – हा तो उतने बड़े लड़के को उठाना आसान काम थोड़े ना है बहुत मेहनत लगती होगी।
अध्यन – हा सच में …… देखो मेरे हाथ भी दुख रहे है।
ये कह कर उसने अपने हाथ दिखाए।
जिसे देख चाहत और हसने लगी उसे हस्ता देख अध्यन ने सोचा – तुम्हारी इस हसी के लिए तो मै किसी को भी उठा कर ला सकता हूं।
चाहत हस्ते हुए – सुनो! तुम्हारा नाम क्या है?…….. वो मैंने सब से बात कि पर तुमसे नहीं की तो…. तुम्हारा नाम मुझे नहीं पता।
अध्यन ने उसके मासूम से चेहरे को देखते हुए कहा – अध्यन।
चाहत – और मेरा चाहत……
अध्यन – जनता हूं।
चाहत मुस्करा दी।
अध्यन – वैसे तुम्हारा नाम बहुत यूनिक है……किसने रखा।
चाहत – पापा ने ।
बस इतनी ही बाते हुई दो में और दोनो क्लास पहुंच गए ।
जब दोनो ने क्लास रुम में एंट्री ली तो। सब उन दोनों को देख कर हैरान हुए जा रहे थे रंग में इतना डिफरेंस होने के बाद भी दोनो साथ में अच्छे लग रहे थे।
इन सब में अंश के चेहरे पर दोनों को देख कर स्माइल आ गई और वो मन में बोला सही जा रहे हो बेटा ।
दोनों अपनी डेस्क पर आ कर बैठ गए।
क्लासेस फिर से शुरू हुए । दो प्रियेड के बाद हर्ष आया और सब उसे घुर रहे थे। उसकी नजर चाहत पर पड़ी। वह जान बुझ कर उससे टकराने का सोच कर चला आ रहा था।
तभी अध्यन ने पुकारा – चाहत!!
चाहत – हा।
अध्यन – ये तुम्हारा पेन है क्या। ऐसा कह उसने नीचे की तरफ इशारा किया।
तभी चाहत नीचे झुकी और देखने लगी फिर उसने वह पेन उठाई और कहा ये तो मेरा ही नहीं है।
अध्यन – सॉरी मुझे लगा तुम्हारी होगी।
यह पेन अध्यन ने ही गिराई थी ताकि वह उसे हर्ष से बचा सके। यह देख हर्ष मुस्कुरा दिया और अपने डेस्क के पास चला गया ।
कलास में टीचर आए और क्लासेज फिर से स्टार्ट हो गई। सारी क्लासेज हो जाने के बाद सारे बच्चे घर जाने के लिए बाहर निकल रहे थे सबने अपनी साइकिल उठाई तभी किसी की गिरने की आवाज़ आई ।
सब ने देखा हर्ष गिर गया था और वह बुरी तरह से छटपटा रहा था ये देख अध्यन और चाहत दौड़ कर उसके पास आए उन्हें दौड़ता देख काजल और अंश भी भागे।
अंश और अध्यन ने हर्ष को उठाया और मेडिकल रूम गए वहा पर मैम ने उसे देखा फिर बताया। इसे चक्कर आ गया
था शायद अब ये ठीक है इसके फैमिली से किसी को बुला लो।
अध्यन ने सर से बात कर उसके घर पर फोन करवा दिया । फिर वापस आ कर उसने देखा । हर्ष को होश आ गया है।
अध्यन उसके पास बैठ कर – आज तुझे फिर से अटैक आया…. जिस वजह से तु फिर बोहोश हो गया था। तू डॉक्टर को दिखाता क्यू नही ?
हर्ष – दिखाता था तो…. दवाइयां दी है…. अभी टाइम लगेगा…. अभी तो स्टार्ट हुई है तो कुछ दिन असर तो रहेगा ना।
सब ने देखा हर्ष की आंखे बार बार बंद हो रही है सबने उसे लेटे रहने को कहा।
थोड़ी देर में हर्ष के पापा आ गए और उन्होंने टीचर से बात की और उसे ले गए।
टीचर ने भी सब से कहा कि सब अपने घर जाए ।
सारे बच्चे घर की तरफ निकल गए।
अध्यन ने देखा अधेरा होने को है तो उसने चाहत और काजल को रोक लिया और कहा सुनो शाम बहुत हो गया है हम दोनों तुम दोनो को घर छोड़ देते है। ये कह कर कह कर। वह मुड़ा और अंश को बोला तू काजल को छोड़ आ और मै चाहत को छोड़ आता हूं।
स्कूल ग्राउंड
अध्यन – मै चाहत को घर छोड़ देता हूं।
चाहत – नहीं… मै चली जाऊंगी… । तुम खामखां परेशान हो रहे हो।
अध्यन – देखो शाम हो रही है…. और तुम्हारा घर अकेले जाना सेफ नहीं मै छोड़ देता हूं।
इतना कह कर वो मुड़ा । अंश की तरफ देखते हुए ।
अध्यन – तू काजल को छोड़ आ।
अंश को तो ऐसा लगा जैसे उसकी मन मांगी दुआ पूरी हो गई हो । वो बिना कुछ बोले सिर हा में हिला कर काजल की तरफ मुड़ा। और उसे चलने का इशारा किया।
वे दोनो अपनी साइकिल लिए निकाल गए ।
अध्यन – चलो ।
चाहत – हा।
दोनो ने साइकिल पकड़ी और चाहत आगे आगे और अध्यन उसके पीछे पीछे । ऐसे ही दोनो चलते जा रहे थे । पर बोल कोई नहीं रहा था ।
तभी अध्यन ने देखा की चाहत ने अपने साइकिल की स्पीड थोड़ी कम कर दी है । वो कुछ समझता इससे पहले वो अपनी साइकिल से उतरी। अपनी साइकिल को स्टैंड पर लगा कर वो आगे बढ़ गई।
वहा वो पहुंची ही थी। तभी कुछ छोटे पपी (कुत्ते के बच्चे) बाहर आए और चाहत ने उन्हें अपने बेग से बिस्किट्स निकाल कर दिए । जिसे वो खाने लगे। चाहत ने उनके सिर पर हाथ फेरा और वहीं रुकी रही ।
जब सब ने सारे बिस्किट्स खा लिए तो वह अपना बेग उठा कर मुड़ी ही थी कि अध्यन उसके पीछे खड़ा उसे मुस्कुराते हुए देख रहा था। पता नहीं क्यों पर जब भी चाहत अध्यन को मुस्कुराते हुए देखती तब चाहत के भी चेहरे पर मुस्कान आ
जाती थी ।
अध्यन मन में – एक ही तो दिल है…. कितनी बार लोगी।
चाहत उसके पास आकर – चले
अध्यन – हा ।
दोनों साथ चलने लगे ।
अध्यन का मन था कुछ बात करने का हो रहा था पर वो बोल नहीं पा रहा था ।
तभी अचानक चाहत ने कहा – आज जब मै स्कूल आ रही थी ना… तो ये बेचारे रो रहे थे। …मुझे लगा उन्हें भूख लगी होगी…. जब पास गई तो देखा….. इनकी मा इन्हे छोड़ कर चली गई… किसी ने उन्हें बेरहमी से कार से कुचल दिया था। … ये कहते वक्त उसका ग्ला भर आया था ।
फिर भी खुद को शान्त रख कर उसने आगे बताया … वहा पर थी वो । …. ये कह कर उसने रोड की तरफ इशारा किया ।
चाहत – मुझसे इनका दुख देखा नहीं गया तो… मैंने सोचा इनको ज्यादा ना सही पर संभलते तक ही खाना खिला दू …. कम से कम ये एक टाइम का तो खाना खा पाएंगे … ये बोल उसने अध्यन को देखा।
अध्यन – डोंट वरी… मै सुबह इनको खाना देकर चले जाऊंगा । … और तुम शाम में ।
और हा… मुझे कोई तकलीफ भी नहीं होगी … क्युकी मै सुबह पापा के साथ यहां जोगिंग करने आता हूं …. तो मुझे प्रॉब्लम भी नहीं होगी ।
चाहत ने उसे देखा और मुस्कुरा रही थी। उसे ये समझ ही नहीं आया की कैसे बिना कहे ही अध्यन ने उसकी बात समझ ली।
दोनों अपनी साइकिल पर आए और चलने लगे अपनी मंजिल की ओर ।
इधर अंश और काजल साइकिल चला रहे थे। अंश काजल से बात करना चाहता था। पर बात हो तो कैसे वो समझ ही नहीं पा रहा था। तभी काजल ने कहा – अंश ।
अंश जो की कब से उससे बात करने को मरा जा रहा था । उसे तो ऐसा लगा जैसे डूबते को तिनके का सहारा मिल गया हो। उसने खुश होकर कहा – हा बोलो ना ।
काजल – मेरी गली का मोड़ आ गया है अब मै खुद चले जाऊंगी …. बाय एंड थैंक्यू।
अंश का तो जैसे मन ही उतर गया उसने बुझे मन से कहा – इट्स ओके । … एंड बाय।अंश का तो जैसे मन ही उतर गया उसने बुझे मन से कहा – इट्स ओके । … एंड बाय।
काजल फिर वहा से चले गई ।
अंश ने अपना हाथ सिर पर मार लिया । और कहा – इस मोड़ को भी अभी आना था।
ये बोल वो भी अपने घर की तरफ निकाल गया।
चाहत के घर के अपने घर के सामने रुक कर ।
चाहत – ये मेरा घर है ।
अध्यन – पता है।
चाहत – तुम्हे कैसे पता ,?
अध्यन सोचते हुए बोला- वो……अरे तुमने अभी तो बताया …
चाहत – ओह…. हा ।
चाहत अध्यन को रोकना चाहती थी पर उसे अचानक याद आया मम्मी घर पर नहीं है ।
उसने उसे कहा- थैंक्यू । …. सच में तुमने आज बहुत हेल्प की ।
अध्यन – थैंक्यू से काम नहीं चलेगा । … चलो चाय पिलाओ।
चाहत ने सिर झुका लिया और प्यार से कहा – आज मम्मी घर पर नहीं है … और आर्यन भी नहीं होगा तो…
अध्यन को समझते देर ना लगी उसने कहा – हा मै समझ गया … इट्स ओके … फिर कभी ।
उसने एक बार नज़र उठा कर चाहत को देखा और हाथ बढ़ा कर कहा- फ्रेंड्स।।।।
चाहत ने सिर उठा कर कहा – फ्रेंड्स।।।
दोनों ने हाथ मिलाया और मुस्कुराते हुए एक दूसरे को बाय बोला । अध्यन के जाने के बाद साइकिल नीचे रख चाहत सीढ़ियों से ऊपर आ गई ।
चाहत का घर
चाहत दरवाज़े के पास पहुंची तभी उसने देखा की दरवाज़ा खुला है। उसे याद आया आज तो मम्मी घर का काम देखने
गई थी पर आज इतनी जल्दी कैसे आ गई तभी उसकी नजर घड़ी पर गई ।
घड़ी 7 बजने का इशारा कर रही थी । चाहत भाग कर किचन में गई । वहा देखा तो मम्मी काम कर रही थी ।
ये देख चाहत ने सोचा पहले मुंह हाथ धो कर कपड़े बदल लू फिर उनसे आज के बारे में बता दूंगी ।
ये बोल कर बाथरूम में चले गई ।
यहां रीमा जी गुस्से से लाल हो गईं थी । कोई भी उन्हें देख कर बोल सकता था कि वह गुस्सा है …….पर क्यू,,?
चाहत फ्रेश होकर आई तो देखा आर्यन वहीं अपना होमवर्क कर रहा है ।।
चाहत उसके पास बैठ अपनी नोट बुक निकाल कर बैठ गई और बोली – क्या बात है आज मेरे आने तक का भी इतेजार नहीं किया …
ये बोल कर उसने आर्यन के गाल खींचे ओर कहा । मेरा मोटू …. मेट लड्डू …. मेरी सोनपापड़ी…. मेरा रसगुल्ला … मेरी डेरिमिलक सिल्क ….
आर्यन – क्या है दी…..आपको भी चैन नहीं है…. होमवर्क करू तो प्रॉब्लम ना करू तो प्रॉब्लम …. तो मै करू क्या …. ये कह कर उसने सिर पर हाथ रख लिया … फिर कहा उसके बाद आप मुझे ये सब बोलते हो …. मुझे भूख लग जाती है…. ।
चाहत उसकी बाते सुन और हसने लगी । और उसने कहा हा मेरी पपड़ी चाट…. तुझे तो पता है … जब तक मै तुझे ये सब ना कह दू …. मुझे चैन नहीं मिलता …
ये कह उसने फिर उसके गाल खींचे और दोनो अपना होमवर्क करने लगे ।
जब दोनो का होमवर्क फिनिश हुआ । तब चाहत ने देखा 9 बज रहे है उसने जल्दी से आर्यन को चॉक्लेट दी और बाहर आई । देखा तो डायनिंग टेबल पर सब कुछ रखा था । चाहत को थोड़ा अजीब लगा आज मम्मा ने आवाज़ क्यू नहीं दी।
वो आर्यन को भी साथ ले आई अब सब डायनिंग टेबल पर बैठ कर खाना खा रहे थे । चाहत ने खाना फिनिश किया के आर्यन को देखा उसने भी खाना खा लिया था।
चाहत ने देखा तो बर्तन उठने लगी तभी रीमा जी आई और उसके हाथ से बर्तन लेकर खुद धोने लगी । चाहत को अब समझ आया कि रीमा जी उससे गुस्सा है पर क्यू…..
वह हमेशा से यही करती थी जब भी उन्हें गुस्सा आता था तो वो घर के काम करने लग जाती थी। ताकि उनसे किसी कोई परेशानी ना हो और उनका गुस्सा भी निकाल जाए।
वो ये सोच ही रही थी । फिर उसने खुद से कहा – चाहत मम्मी खुद तुझे कुछ नहीं बताएगी…. तो तू खुद बात कर उनसे और वजह जान…. और भगवान का नाम लिया।
मम्मी के पास गई फिर उसने कहा – मम्मी क्या हुआ??? आप नाराज़ है मुझसे ।
रीमा जी ने उन्हें घुर कर देखा और कहा कुछ नहीं ।
मम्मी के घूरने पर चाहत को लगा बात बहुत ही ज्यादा सीरियस है।
इतने वक़्त में उन्होंने बर्तन साफ कर दिया । और अपने रूम में आकर चादर ओढ़ कर लेट गई । चाहत भी आ गई फिर उसने उनके पैर के पास बैठ कर कहा – क्या हुआ मा….
मुझसे कोई गलती हुई है तो मुझे बता दो…. पर यु मुझसे नाराज़ ना हो ….
रीमा जी उठ कर बैठी और कहा।
रीमा जी – वो लड़का कौन था ???
चाहत – कौन लड़का मा ???
रीमा जी – वहीं जिसका हाथ तुमने पकड़ा था …. बोलो बताओ ….. चाहत को जब पता लगा की उसकी मम्मी उस पर शक कर रह है तो वो उन्हें देखने लगी और रोने लगी ।
ये देख रीमा जी कुछ देर उनको भी बुरा लगा पर मन कठोर कर के उन्होंने अपने बात जारी रखते हुए कहा – क्यू… तुमने उसका हाथ पकड़ा था….??? और उनकी आवाज़ बहुत तेज थी ।
चाहत डर के कारण कापने लगी फिर उसने कहा मम्मी वो क्लासमेट था। मुझे छो…. वो बोल ही रही थी तभी….
रीमा जी – नहीं वो कोई और था… अगर वो क्लासमेट होता तो तू उसे घर लाती…. यू बाहर से नहीं जाने देती….. सच
बोलो चाहत
चाहत – नहीं मम्मी … वो क्लासमेट था ये बोल उसने सारी बात रीमा जी को बता दी । और रोने लगी ।
रीमा जी ने जब ये सुना तो उन्हें अपने किए पर पछतावा हुए और उन्होंने कहा – मुझे माफ़ करना बच्चा ….. मैंने तुम्हे गलत समझा ….
ये कह कर उन्होंने उसे गले से लगा लिया चाहत उनके गले लग कर रोती रही और गले लगे हुए ही सो गई।
रीमा जी ने देखा तो उन्होंने चाहत को माथे पर किस किया और अपने गले लगा कर सो गई।।।
रीमा जी गलत नहीं थी । चाहत के पापा के जाने के बाद घर का ख्याल रखती थी । चाहत के पापा की ड्यूटी हमेशा बाहर ही रही ऐसे में उन्हें हमेशा डर लगा रहता था कि कहीं उनके बच्चे पिता के ना होने पर कहीं गलत रास्ते पर ना चले जाए। इसीलिए उन्होंने खुद को मजबूत बना कर एक पिता और मा दोनो की जिम्मदारियां निभानी थी जिस वजह से वो थोड़ी रूड हो जाती थी ।पर अपने दोनो बच्चो से बहुत प्यार करती थी।
अगली सुबह
चाहत का घर
सुबह चाहत की नींद हमेशा की तरह काजल के मैसेज से खुली वो उठी। फ्रेश होकर घर का काम किया । आर्यन को दूध दिया।
नहाकर बाहर आईं तो देखा। डायनिंग टेबल पर कुछ रखा है पास जाने पर पता लगा अरे ये तो मैगी है ।
मैगी को देख चाहत को पता चल गया ये काम उसकी मम्मी का है।
वो मुस्कुराई तभी मम्मी उसके पीछे खड़ी हो गई । और कहा – आई एम् सोरी ।…. वो कल कुछ ….. वो बोल ही रही थी तभी चाहत ने कहा – मम्मी आप ऐसे मत कहो ।
उसने मम्मी का हाथ पकड़ा और उन्हें वहीं चेयर में बिठा कर उनके हाथ को अपने हाथ में लेकर बोली । क्या हुआ था… मम्मी जो आप इतनी गुस्सा थी….. क्युकी आप कभी भी मुझसे ऐसे बात नहीं करती और इसकी वजह मै तो नहीं
हूं…..
रीमा जी सर झुका कर – बेटा कल मै घर को देखने गई थी।….. वहा पेंटिंग का काम पूरा हो चुका है….. । तो तुम्हारे पापा को बताने के लिए कॉल किया था ।…. उन्होंने मुझसे ढंग से बात तक नहीं की…..उल्टा सीधा कह दिया और जब तुम्हे उस लड़के के साथ देखा तो खुद को रोक नहीं पाई….. तुम्हे वो सब……ये कह कर वो फिर से रोने लगी…..
चाहत ने मम्मी के आंसू पोछे । उसने मैगी की एक बाइट मम्मी की तरफ बढा कर खाने का इशारा किया । फिर खुद भी उसके साथ खाने लगी । इसी तरह दोनो ने नाश्ता किया नाश्ता हो जाने के बाद चाहत ने अपना बचा हुआ होमवर्क किया। स्कूल के लिए तैयार होने लगी ।
Is chahat ko koi thoko yaar!!!