आगे..
मैं और मां खाना खाने बैठ गए मां चाहती थी कि मैं उनसे डरु नहीं और प्यार जताते हुए मां ने खाने का निवाला लिया और बोली ले बेटा अपनी मां के हाथ से भी एक निवाला खा ले और मैंने मुंह खोल दिया मां ने निवाला मेरे मुंह में रखा पहली बार उनकी अंगुली को टच किया क्या इस बुलाए ही मुलायम अँगुलिया थी उनकी, पहली बार मे ही मज़ा सा छा गया,खाना खाने के बाद माँ बोली..
माँ– बेटा तेरी मौसी भी आने को है आज शायद, मै कुछ नही बोला, सिर्फ चुपचाप बैठा रहा, मै चाहता था माँ खुद मुझसे कहे की बेटा मै तुमको सब बताउगी, क्यों की माँ रात से गुस्सा टाइप हो रही थी, और मै भी बिल्कुल चुपचाप रहा..
मै — ठीक है माँ.
हमने खाना खाया अब मुझे हुक्का पीना था,
मै– माँ मै माया दीदी के घर घूम आउ, थोड़ा.
माँ– हा बेटा जाओ, अच्छा है
माया बाहर बर्तन साफ कर रही थी,
मै — दीदी चले हम,
माया– हा भैया आती हु, रुको.
माया आ गयी हम दोनो चल दिये, माया आगे मै पीछे चल रहा,
माया एक जवानी भरी कमसीन कली जैसे ही थी उसके भी मुन्ना नही थे, छोटी चुन्चि मस्त सी छोटी गांड, उपर से पति बीमार, सबका प्यार मुझे ही देना था, जैसे ही माया के घर पर गये सामने पति कुर्सी पर बैठा था, अपनी बैशाखी लेकर खड़ा होने लगा,
मै– अरे जीजा जी बैठे रहे, जीजा जी हस्ते हुए, कल माया ने बताया की आप दोनो भाई बहन बन गये है, अच्छा लगा सुनकर,
मै– जी क्या है ना माया हम सब का बहुत ख्याल रखती है, और मेरे यहा कोई और है भी नही जिससे हसी मज़ाक कर सकू, इसलिए माया को दीदी बना लिया,
इतने में माया हुक्का लेते हुई आई लो पिलो,
मै– nhi दीदी यहा नही अंदर कमरे मे यहा माँ का डर लगता है मुझे.
माया और जीजा जी– कोई बात नही, जहा आपको ठीक लगे वहा पिलो
मै माया के साथ कमरे मे गया, हम दोनो चारपाई पर बैठ गये और हुक्के का कश लगाने लगे, थोड़ा नशा सा हुआ मै बोला,
मै– दीदी आप बहुत अच्छी हो सबका ख्याल रखती हो
माया- नही भैया, वो भी मेरा घर है, आप भाई बन गये तो सब रिश्ते हुए ना फिर,
मै– दीदी आप हमसे दूर नही जाना कभी, मै शहर में अच्छे डॉक्टर से जीजू का ईलाज करवाउंगा,
माया एकदम से मेरी तरफ देखी और अचानक रोती हुई मुझे गले लगा लिया,,
भैया आप बहुत अच्छे हो, हम गरीबो के लिए इतना सोचते हो, भिया अगर ये ठीक हो गये ना तो मै आपके लिए जी जान से सेवा करूँगी, अभी भी करती हु, लेकिन इनकी तरफ ध्यान ज्यादा रहता है
मै– दीदी आज से आपका ख्याल भी मै रखूँगा, वादा रहा. कहता हुआ बाहर आया,
दीदी अब चलता हु कल फिर से आऊंगा
दीदी और जीजू हस्ते हुए, हा जी जरूर
मै घर पहुंच गया तभी सामने माँ बैठी थी..
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मेरी धार्मिक माँ – maa bete ki chudai
आगे..
माँ– आ गया बेटा, यहा आ, फिर से चुपचाप रहने लगा ना तू, क्या मै तेरी माँ नही हु,
मै– सिर हिलाते हुए, हा माँ आप ही तो माँ है
माँ– फिर चुपचाप क्यु रहता है बेटा मै तुमको बहुत प्यार करती हूँ, मुझसे यू दूर मत रहा कर,,
मै– माँ प्यार तो मै भी करता हूँ लेकिन आप गुस्सा करती है कुछ बताती भी नही, कल पापा के बारे में पूछा तब भी नही बताया.
माँ– चुपचाप रही, बेटा उनको उनकी गलतियों की सज़ा मिली है, इसलिए वो बीमार है,
माँ की आवाज दर्द से भर गयी, और आँखों से आँसु निकलने लगे, तभी मै माँ के आँसु पूछते हुए
मै– आप रोयो मत, मै आपकी आँखों मे आँसु नही देख सकता,, और दोनो हाथो से माँ के आँसु पूछने लगा, बहुत ही प्यारे और मुलायम गाल थे माँ के, माँ रोती हुई मेरे गले लग गयी, मेरे मुन्ना, कितना ख्याल होता है,, माँ का ब्लाउस मेरे सीने पर टच था मै उनकी चुन्चियो को महसूस कर रहा था, मै बोला
माँ आपको मेरी कसम है आज के बाद आप कभी नही रोवोगी..
आप रोती हुई अच्छी नही लगती , आप खुश रहा करो माँ, माँ थोड़ी सी हस्ती हुई
माँ– मेरा लाल इतना ध्यान रखता है अपनी माँ का,
मै– माँ आप को कसम दी है आप हमेशा खुश रहोगी, आप जो कहोगी जैसा कहोगी मै करूँगा माँ,, बस मेरी एक बात माननी होगी, और कुछ नही कहूँगा माँ,,
माँ– थोड़ी सी हिचकते हुए, हा मेरे लाल मै कोशिश करूँगी, और क्या बात माननी है बेटा.
मै–माँ आपको कसम दी है, आपको माननी होगी,
माँ- ठीक है बेटा, मै जरूर मानुगी, अब बताओ
मै– माँ आप पापा से दूर नही रहना है उनकी सेवा करनी होगी माँ, मेरे कारण, माँ, मेरे खातिर माँ, पापा तो वैसे भी बेड पर ही रहते है वो हिल डुल भी नही सकते, आपको उनसे गुस्सा किस बात पर है मुझे नही पूछना, लेकिन माँ मेरे पापा है और आपके पति भी है वो, आपको भी पत्नी की तरह सेवा करनी होगी, माँ मै चाहता हु हमारे घर मे खुशिया हो, बस मेरे लिए ये काम कर सकती है क्या माँ,,
माँ– कुछ देर सोचती हुई सही बोला बेटा, मेरे साथ जो भी हुआ, लेकिन अब वो मेरे पति और तेरे पापा भी हैं, मै अपने गुस्से मे सब कुछ भूल गयी थी, मेरे लाल तूने बहुत अच्छा किया मुझे याद दिलाया, मै तेरी कसम खाती हु बेटा, मै उनकी सेवा जरूर करूँगी,
तभी मै समझ गया की तीर निशाने पर है, तभी
मै– माँ आप एक अच्छी माँ और एक अच्छी पत्नी भी बनना, अपनी मांग, बिंदिया और सारे व्रत भी रखना,
माँ- हा मेरे लाल कहती हुई रोने लगी जोर जोर से, कितना समझदार हो गया तू बेटा, अपनी माँ के बारे मे इतना सोचा, मैं बेटा अब से ही अपने घर की तरफ ध्यान दूंगी,
माँ बोली बेटा अब शाम होने को है चलो पापा के कमरे मे चलते है, हा माँ,
हम दोनो पापा के कमरे की तरफ जा रहे, आज माँ के कदम बहुत तेजी से चल रहे, मै समझ गया की माँ अब बदल रही है, तभी सामने पापा बेड पर लेट रहे, पापा की नज़र हम दोनो पर पड़ी, पापा पड़े पड़े चोंक से गये,
हम पास गये, माँ की आँखो मे आँसु निकलने लगे और माँ जोर से रोती हुई, पापा की छाती पर सिर रख रोने लगी,
माँ– मुझे माफ करदो, मैने आपके साथ अच्छा नही किया, माँ जोर जोर से रो रही,
पापा बस हिल डुल नही सकते थे बाकी ठीक था, आज पहली बार माँ को पास देख और वो भो रोता हुआ, पापा की आँखो मे आँसु आ गये, ऐसा मत कहो, तुमने सही किया था, मैने ही जोश मे गलत काम किया, मुझे ऐसी सज़ा मिलनी जरूरी ही थी, माँ और पापा की आँखो मे आँसु की नदी बह रही, तभी मै
मै- माँ रोवो मत, जो भी हुआ होगा, लेकिन आज से सब ठीक करना आप, पापा को जल्दी से ठीक करना है अब, भगवान चाहे तो जल्दी ही सब ठीक हो जायेगा, माँ पापा ने मुझे पास बुलाया और हम तीनो आपसे मे गले मिले,
माँ- सब तूने किया है बेटा मेरी आँखे खोल दी, आज से हमारे घर मे खुशिया होगी,
हम तीनो बहुत खुश थे, तभी शाम का खाना बनाने माया आ गयी,
माँ ने सब बात माया को बताई माया भी बहुत खुश हुई, बोली मेरे भैया है ही बहुत अच्छे, सबका ख्याल रखते है, माया ने खाना बनाया, और माँ को बोली
माया– मालकिन आप साहब के लिए खाना लेकर जाओ, आज आप उनको खाना खिलाना,
वैसे रोज़ उनको माया ही देती थी,
माँ थाली को उठाई, तभी माया
माया– क्या कर रही है आप मालकिन, ऐसे नही, एक पत्नी बनकर जाओ आज से,
माँ – वो तो हु ही,
माया– अरे मालकिन ऐसे नही, पहले तैयार होके, मांग और बिंदिया भी लगाओ,
माँ — अरे हा सही बोली माया, मुझे ये सब याद नही रहा, माँ अपने कमरे मे चली गयी, आगे
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