आगे.. फूलो से सजे बेड पर हम दोनो लेटे थे, माँ सीधी लेटी थी, मै उठा और अपनी पेंट निकाल दी, मेरा लंड चड्डी मे भी बाहर निकलने को उतावला था, माँ ने चड्डी का उभार देख आँखो मे मस्ती सी छा गयी, माँ को नही पता था की ये कितना बड़ा और मोटा है,
माँ– मस्ती से,,, राज मुझे अपनी बाहों मे ले लो,,
मै– सीता बस कुछ देर रुको, तुमको बाहों मे ही टूटना है,
मैने माँ के पैरो की तरफ़ आकर माँ के पैरो की उंगलियो को मुह मे लेकर चूमने लगा,,
माँ– छोड़ो राज, मेरे उपर आ जाओ, और मुझे बाहों मे दबा लो,
माँ चुदाई के लिए कामुक हो गयी थी, और मै भी जल्दी चोदना चाहता था,
मै जल्दी से माँ के उपर लेट गया, मेरा और माँ का गर्म पेट आपस मे मिल गये, मेरा सीना माँ के ब्लाउस पर टिक गया, माँ ने भी दोनो हाथो से मुझे पीछे से पकड़ लिया,
माँ– हाय राज, बड़ा अच्छा लगता है जब तु ऐसे चिपकता है,
तभी मैने अपने दोनो पेर माँ के पैरो मे फंसा माँ के पेर को चोड़ा कर दिया, और अपने दोनो हाथ माँ के ब्लाउस पर रख दिया,
माँ कसक सी गयी और मेरा मुह को पकड़ मेरे होठों पर टूट पड़ी, मै ब्लाउस के उपर से ही माँ के चुन्चो को दबाने लगा,, बहुत ही कैसे और बड़े थे,, जैसे जैसे माँ के चुन्चो को दबाता, माँ मेरे होठों को जोर से चूसने लगती,
मैने माँ का ब्लाउस पकड़ उसके बटन खोलने लगा,, जैसे जैसे बटन खोलता माँ के बड़े चुन्चो पर लगी ब्रा दिखती, कुछ ही देर में ब्लाउस के पूरे बटन खोल दिये, जैसे ही खोले सामने माँ के मस्ती और मांस से भरे चुन्चिया लाल रंग की ब्रा मै फड़फड़ा रहे थे, माँ के गोरे रंग पर लाल ब्रा बहुत अच्छी लग रही थी,
पहाड़ जैसे तने चुन्चो पर मैने झट से अपना मुह लगा दिया,
माँ– आह आह राज, दिल कर रहा है खा जा इन्हे, माँ मस्ती मे पागल हो चुकी थी, माँ ने खुद ही एक ही झटके मे अपनी ब्रा उपर कर दी,
मेरे सामने एकदम से माँ के बड़े और कसे हुए चुन्चै सामने आ गये, उस पर छोटा सा गुलाबी सा गोला और बीच मे निप्पल बड़ा ही मस्त लग रहा था, लेकिन माँ जवानी की मस्ती मे बुरी तरह पागल हो चुकी थी, उसने मेरा सर पकड़ अपने एक चुन्चै पर दबा दिया,
माँ– राज मेरा दिल कर रहा है तू खां जा इनको.. आह राज आह,, सिसकी लेती हुई, मै और मेरा लंड बेकाबू हो रहे थे,
मैने झट से अपना मुंह माँ के चुन्चो को चुम लिया,
माँ– मस्ती से आह राज,, ऐसा मज़ा कभी नही आया,, राज, आह आह आ आ आह…
माँ की गर्म और मुलायम दूध जैसी चुन्चै को चूमते ही हम दोनो पागल ho गये,
मैने तभी अपने मुह माँ मे माँ का नीप्पल ले लिया, माँ तड़प सी उठी, और अपना हाथ मेरे सर को पीछे से पकड़ अपनी चुन्ची पर दबा दिया, और मैने दूसरे हाथ से माँ का दूसरा चुन्ची पकड़ दबाने लगा,
माँ– आह राज,, मार डाला राज,, आह आह
मैने अपना पूरा मुह खोल माँ की चुन्ची को चूसने लगा,
माँ की मस्ती से चूत पानी पानी कर रही थी,
मै बदल बदल कर दोनो चुन्चो को जोर से चूसने लगा
माँ– राज जल्दी कर कुछ, नही तो मै आज फट जाऊंगी,
आह राज,, जल्दी कुछ करो,,
मै समझ गया माँ चुदने को बेताब हो गयी है, और मै भी,,
मैने माँ की चुन्चियो को चूमता हुआ पेट को चूमने लगा, माँ का हाथ मेरा सर पर दबा रखा था,
मैने अपना मुह माँ की नाभि में लगा चूमने लगा,, माँ का पेट तेज से उपर नीचे होने लगा,
ज्युँ मै माँ की नाभि चूमता माँ अपना हाथ मेरे सर पर जोर से दबा देती, तभी माँ झटके खाने लगी, मै समझ गया माँ फिर झड़ रही है,
माँ– रुक जा राज, रुक जा,, आह आह आह. .. आह…
मै कुछ देर रुक गया, लेकिन मेरा सब्र टूट रहा था,
तभी मैने अपने हाथ से माँ के पेटिकोट का नाड़ा खोल दिया, और पेटिकोट को नीचे खीचने लगा,
माँ ने भी अपनी कमर और चुतड उठा कर पेटिकोट निकालने मे मदद की,
माँ की लाल रंग की पैंटी से चूत ढकी हुई थी, जो पूरी तरह से चूत के पानी से गीली हो रखी थी,
मैने माँ की कमर से पैंटी पकड़ नीचे करने लगा, माँ ने भी अपनी कमरे को उठा दी, मैने माँ की पैंटी को निकाल फेंक दिया,
माँ पूरी नंगी लेटी थी, मैने माँ के पैरो मे बैठ माँ की जांघो को पकड़ जैसे ही अपना चेहरा माँ की चूत के पास ले जाने लगा, माँ ने मेरा चेहरा पकड़ लिया,
माँ– नही राज यहाँ नही, ये गन्दी जगह अपना मुह मत लगा, वैसे भी बहुत थक सी गयी हु, जल्दी कुछ कर नही तो पागल हो जाऊंगी,
मै समझ गया माँ चुदाई के लिए के लिए बोल रही है,
मै– क्या हुआ सीता, कहा आग सी लगी है,,
माँ– राज मेरी चूत मे आग सी लगी हैं बहुत, कुछ कर राज,,
मै– सीता इसके लिए मेरा लंड है ना, सब ठीक कर देगा,
मैने खड़े होकर, अपनी चड्डी निकाल दी,
माँ मेरे लंड को देख होश खो बेठी,
इतना बड़ा लंड देख माँ पागल हो रही,
माँ– राज तेरा लंड बहुत मोटा है बिल्कुल घोड़े जैसा
आगे..
माँ– राज ये कैसे जायेगा चूत मे, नही राज मै मर जाऊंगी,, इससे
मै– नही सीता,, मै हु ना, नही मरने दूंगा,
माँ– लेकिन राज, तेरे पापा का तो तेरे से बहुत छोटा और मोटा था, वो ही नही गया, ये कैसे जायेगा,,
मै– माँ अगर प्यार से करेंगे और तुम मेरा साथ दोगी तो आराम से चला जायेगा,,
बताओ मेरी दुलहन दोगी ना साथ, और वैसे भी आज सुहागरात है, जो मै चाहू वो करूँगा,,
सीता जब ये अंदर जायेगा तब ही आप एक औरत होने का सुख ले सकोगी,,, और वैसे भी जब मै हुआ था तब भी दर्द हुआ था ना, तो आज भी सहना होगा,,
माँ– ठीक है राज, जो होगा देखा जायेगा, बना दे मुझे पूरी औरत, मेरा सुहाग जो चाहेगा वो होगा,
मै माँ के पैरो को खोल चूत के सामने बैठ गया, माँ की चूत पानी से पूरी तरह गीली हो गयी थी,
मैने माँ से,
मै– सीता तुम तैयार हो,
माँ– हा राज मै तैयार हु, आराम से करना,,
मैने अपने एक हाथ से लंड को पकड़ लिया और माँ की चूत जो छोटे छोटे काले झांटो से ढकी हुई थी, चूत पर लंड का टोपा लगा दिया,
माँ एकदम से सिहर सी गयी, मैने लंड के टोपे को चूत की फांकों पर लगा उपर नीचे करने लगा,
माँ– हाय राज, बड़ा मज़ा आ रहा है, राज
मैने थोड़ी देर चूत पर टोपे को ऐसे ही करता रहा, चूत के पानी से लंड का टोपा भी गिला हो चुका था,
तभी मैने माँ की दोनो टांगे पकड़ उपर कर माँ के कमर के दोनो तरफ कर दी,
माँ की गुलाबी चूत सामने आ गयी, क्या ही चूत थी माँ की, एकदम मस्त और गोरी गोरी, पानी से भीगी हुई
आगे,,
मै– सीता क्या तुम तैयार हो, अपने पति से चूत मराने के लिये
माँ– हा राज, आज मेरी सुहागरात है आज मेरा पति मेरी चूत का उद्धघाटन करेगा,
माँ मस्ती मे बोल रही , मै लंड का टोपा को चूत की फांकों के बीच माँ की चूत के छेद पर रगड़ रहा,
माँ–सुनो जी, अब और मत तड़पाओ आपकी पत्नी को, जल्दी डालो ना,
मैने बिना देर किये लंड के टोपे को छेद पर रोक दिया, टोपा छेद से भी मोटा था, मै सोच रहा, आज ये माँ की चूत फाड़ कर रख देगा,
मैने एक हाथ से लंड पकड़ चूत के छेद पर थोड़ा सा जोर दिया, लंड का सुपाडा गिला होने से थोड़ा सा माँ की चूत मे घुसने की कोशिश करने लगा,
माँ भी दर्द से,, उई,, माँ,,, कहती हुई उछल पड़ी, राज. आह,, लेकिन मैने सोच लिया की रुक गया तो माँ काफी देर डर से चोदने नही देगी,
मै माँ के उपर आ गया और माँ को किस करने लगा,
माँ ने भी अपने पेर मेरी कमर पर डाल आपस मे बंद कर लिए,
माँ होठों के किस और मेरे गर्म बदन से मस्ती हो रही, मैने अपनी कमर उपर कर लंड के टोपे को चूत पर रख रखा था,
मुझे पता था माँ को दर्द होने वाला है इसलिए मैने माँ को दोनो हाथो से कसकर मेरी बाहों मे ले मेरे नीचे दबा लिया,
लंड और चूत गिले थे,
मैने धीरे से अपनी कमर नीचे की लंड माँ की चूत पर फस सा गया,,
माँ– उई माँ,,, राज आराम से, पता नही इतना मोटा कैसे जायेगा,
अगले ही पल मैने अपनी कमर को झटके से थोड़ी नीचे की,
मेरा लंड का सुपाडा माँ की चूत मे फस गया,,
माँ– उई माँ, मर गयी,, आ…. आ… मर गयी, माँ झटपटा रही लेकिन मेरी बाहों और नीचे दबी होने के कारण हिल नही सकी,
राज, मर गयी,, राज बाहर निकालो,,, आ,, दर्द से,, आ,, हे राम,,,,
माँ की आँखे बाहर सी आ गयी,, और लाल हो गयी,
तभी मैने अपनी कमर को आजाद कर जोर लगाने लगा,
माँ झटपटाने लगी, और मुझे खुद से हटाने लगी, राज बाहर निकालो, माँ की आवाज मे दर्द और रोना था,
माँ– थोड़ी सी रोती हुई, राज एक बार बाहर निकालो, राज, आ.. आ.. आह..
राज बहुत तेज दर्द हो रहा है, निकालो ना,, आह,
माँ रोने लगी, माँ के आँसू निकलने लगे,
और मेरा लंड माँ की चूत को चिरता हुआ थोड़ा सा गया और वही फस सा गया,
मेरी भी हालत खराब हो रही थी, मुझे रुका नही जा रहा रहा, मैने एक हाथ माँ के मुह पर लगा एक झटका दिया लंड को, लंड माँ की चूत को चिरता हुआ आधा चूत मे घुस गया,
माँ की चूत से खुन की पिचकारी से निकल बेड पर गिरने लगी, माँ का मुंह बंद होने से दबी आवाज मे चीखी
माँ– आ………….आ…..मर गयी,,
माँ बहुत जोर से रोने लगी और झटपटाने लगी, लेकिन मेरी ताकत के आगे उनकी कुछ भी नही चल रही, मैने भी बिना देर किये लंड पर जोर दिया, जो माँ की चूत को चिरता हुआ सीधा गर्भाशय से लगा,
माँ की चीख निकल गयी, और माँ के पैर मेरी कमर से नीचे आ सीधे हो गये, माँ ने दर्द से मेरी पीठ पर नाखून से काट लिया, माँ के आँसू से बेड गिला हो रहा था,,
और माँ ने मेरे कंधे को दांतों मे जोर से दबा लिया,
माँ गर्भाशय पर लंड को पाकर झड़ रही थी, मै भी माँ की चूत की गर्मी सहन नही कर सका, और मेरे लंड ने भी गर्भाशय पर वीर्य फेकने लगा, मैने माँ की गर्दन को मुह मे लिया और झड़ने की मस्ती मे काट लिया,
आज पहली बार हम दोनो माँ बेटे की चुदाई हुई थी, मेरे वीर्य से पूरी गर्भाशय भर गयी,
कुछ देर बाद जैसे ही लंड को आराम मिला मैने लंड को बाहर निकाल लिया,
निकलते वक़्त भी माँ दर्द से कराह उठी,
जैसे ही लंड बाहर आया, लंड के साथ खून और वीर्य बाहर आने लगा, मै भी थक गया था, मै माँ के बगल मे लेट गया, माँ की चूत से खून और वीर्य से बेड गिला हो रहा था,
माँ– राज बहुत दर्द हुआ, तूने तो मुझे मार ही दिया, अब भी तेज दर्द हो रहा है राज,,
मै– मेरी सीता, दर्द तो होना ही था, आज पहली बार लंड से कई सालों बाद चूत फटी है,
माँ– हा राज, जब तु पैदा हुआ तब भी इतना ही दर्द हुआ था,
तु निकला तब भी इतना दर्द और आज डाला तब भी उतना ही दर्द है राज,
मै– सीता मैने वीर्य डाल दिया है अब तु मेरे मुन्ना को जन्म देगी,
माँ– हा राज, तेरा लंड किसी आग के शोले की तरह था, जब चूत फाड़ घुसा मुझे लगा जैसे किसी ने गर्म लोहे का सरिया डाल दिया हो, और उतना गर्म तेरा पानी था, जैसे कोई अंदर लावा डाल दिया हो,
मै राज इस मुन्ना को जन्म जरूर दूंगी,
मे– हा सीता,
सीता बहुत दर्द हो रहा है क्या, एक बार और करे क्या,,
माँ– नही राज,, अपनी पत्नी को माफ करना,
मै ये दर्द भी दूर नही कर पा रही हु
अब हम जब मे फिर से ठीक हो जाऊंगी तब देखूंगी,
वैसे भी परसो हमे तेरे पापा के साथ घर चलना है, तब तक ठीक हो जाऊ, नही तो घर पर लोग क्या सोचेंगे,
राज हमे समाज का भी ध्यान रखना होगा, नही तो हमारा रुतबा खराब हो जागेया,
राज मै घर पर तुझे बेटा कहूंगी, और तुम माँ कहना,
जब मोका मिलेगा तब हम पति पत्नी की तरह रहेंगे,
मै– हा सीता,, सही कहा
सीता कोई पूछेगा की या पापा कहे की मुन्ना कैसे लगा तब क्या सोचा है
मै आपका रुतबा और इस मुन्ना को खोना नही चाहता,
माँ– हा राज मै भी, तुम ही कोई उपाए बताओ,,
मै– एक काम करना, परसो घर जाते ही आप पापा को झूठ बोलना की आपको मुन्ना चाहिए, इसलिए आप पापा को प्यार का नाटक कर उनका वीर्य किसी डब्बी मे डाल लेना,
पापा पूछे तो बोल देना डॉक्टर से बात हुई ही, वो वीर्य को मशीन से अंदर डाल देंगे,
और आप उस वीर्य को फेंक देना, और हमारे मुन्ना को जन्म देना,
कल मे मुन्ना चेक करने की मशीन लाऊंगा,
माँ– ठीक है राज, लेकिन मै उनका वीर्य कैसे निकाल पाऊँगी,
मै– माँ आप उनकी मुठ मार निकालना,,
माँ– राज मुझे नही आती मुठ मारनी,
मै– सीता मै हु ना,… सब सिखा देता हु, एक काम करो मैने लंड को हाथ मे पकड़ लो,
माँ– नही राज आज अब बिल्कुल हिम्मत नहीं है, कल बताना,,
माँ की चूत बहुत दर्द कर रही थी
मै– ठीक है सीता, अब आप सो जाओ, हम दोनो के पास पूरा जीवन है, ये सब करने के लिए,,
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