आगे..
हम सीधे एक बढिया से डॉक्टर के क्लिनिक में गये, वहा डॉक्टर को दिखाया पापा को,
डॉक्टर ने कहा की ईलाज कुछ लम्बा चल सकता है, जिससे कुछ हद तक पापा ठीक हो सकते है, लेकिन ईलाज सिर्फ क्लिनिक पर ही हो सकता है, क्यों की गाँव में इतनी व्यवस्था नही हो सकती, 5/6 महीने तक पापा को यही रखना होगा,
माँ– डॉक्टर जी इतने दिन तो हम यहा रुक नही सकते, हम तो गाँव में रहते है, कुछ और बताये ना,
डॉक्टर- मैडम और तो कुछ नही हो सकता, इनको हमारे पास रख ही ईलाज कर सकते है,
माँ मेरी तरफ देखती है
मै- डॉक्टर सर, यहा पापा का ध्यान रखने मे दिक्कत होगी,
डॉक्टर- नही सर, सारा काम हम देख लेंगे,
आप गाँव सकते है, बीच बीच मे आप आकर देख सकते है,
माँ– नही डॉक्टर, हम इनको अकेले नही छोड़ सकते,
मैने माँ का हाथ पकड़ लिया,
माँ डॉक्टर जैसे कह रहे है हम करेंगे तभी तो पापा ठीक होंगे,
माँ- लेकिन बेटा उनको अकेला यहा
मै– यहा इनका पुरा स्टाफ रहेगा, और हम भी तो आते रहेंगे, इनको देखने, इतने दिन इतने दूर रहे है कुछ महीने और सही,
माँ– कूछ सोचती हुई, ठीक है बेटा, जैसा तुझे अच्छा लगे,
हमने डॉक्टर से सारे कागजी काम पुरे किये और पापा को सब बताया, पापा भी खुश थे हम लोग इनके लिए इतना कर रहे है,
माँ और मै दोनो पापा से मिल क्लिनिक से बाहर आ गये, माँ चिंता मे लग रही थी, तभी मै
मै– माँ आप चिंता ना करो, सब ठीक हो जायेगा, आप ऐसे चिंता में बिल्कुल अच्छी नही लगती, मेरी माँ, मेरे लिए थोड़ा मुस्कराओ ना,
माँ मेरी तरफ देखती है और हल्का सा मुस्करा देती है,
मै– ये हुई ना बात, एकदम परी जैसे हंस रही हो,
माँ अपनी बड़ाई सुन सरमा जाती थी,
मै– अब हम आपके लिए कुछ सामान लेते है,
माँ– क्या करेगा बेटा, मै ऐसे ही ठीक हु
मै, — नही माँ आप देखना, आप और भी खूबसूरत हो जाओगी, मेरी प्यारी माँ,
माँ- मेरी तरफ देखती हुई, ठीक है बेटा जैसे तुझको ठीक लगे, अपनी माँ का कितना ख्याल रखता है,
मै भी माँ की बड़ाई करने में कोई कसर नही छोड़ता,
माँ की कसी हुई जवानी, लंबा बदन, बड़ी सी कसी हुई चुन्चिया, कैसे हुए चुतड, छोटी सी नाभि, बड़ी ही मस्त लगती थी,
मै और माँ दोनो बाहर बाजार मे आ गये, यहा देखा लड़कियां और लड़के हाथ मे हाथ डाल घूम रहे है, कोई लड़की बिल्कुल छोटे कपड़े मे घूम रही,
कई औरते साड़ी मे घूम रही, बाल खुले, मैक उप किया हुआ, मस्त लग रही थी, तभी माँ
माँ– बेटा यहा कहा ले आया, इनको बिल्कुल शर्म नही है सब कैसे घूम रहे है
मै– माँ ये शहर है यहा ये सब ऐसा नॉर्मल है,
माँ– नही बेटा मुझे यहा ठीक सा नही लग रहा, यहा से चलते है
मै– क्या माँ, आप भी ना, रुको उस दुकान मे चलते है,
एक बड़ा सा शॉपिंग माल था लेडीज का,
मै और माँ दोनो अंदर जाते है,
सामने एक सुंदर सी लड़की आती है, सर मै आपकी क्या सहायता कर सकती हु,
मै– मैडम मुझे अपनी माँ के लिए साड़ी लेनी है, और थोड़ा सा साज सज़ा का समान भी,
मैडम– जी जरूर सर, आप उपर के फ्लोर पर चले जाए, वहा आपको सब सामान मिल जायेगा,
माँ चुपचाप खड़ी थी
मै और माँ दोनो उपर आये, हमने बहुत सारी साड़ी देखी और ली भी, एक जोड़ी मस्त पायल की जोड़ी, लिपस्टिक, छोटी बिंदिया, झुमके, सब मैक उप का सामान लिया,
हम माल से बाहर आ गये, सारा सामान गाड़ी मे रखा, फिर सामने ही सुनार की दुकान थी, मैने माँ का हाथ पकडा और दुकान की तरफ चल दिये, मैने सुनार को बड़ीया सा मंगल सूत्र दिखाने को बोला, सुनार ने बहुत सारे मंगल सूत्र दिखाये, मैने एक अच्छा सा मंगलसूत्र लिया,
माँ ने शहर मे कभी शॉपिंग नही की थी वो बिल्कुल चुप थी,
मैने माँ से कहा माँ और कुछ लेना है क्या,
माँ- बेटा तूने इतना सारा समान ले लिया, मुझे तो ये सब करना भी नही आता,
मै– माँ मै हु ना सब सिखा दूंगा, मेरी माँ, प्यारी माँ के लिए सब करूँगा माँ मै,
माँ हल्की सी मुस्करा दी, चल अब शाम हो रही है, घर चलते है, हम दोनो गाड़ी मे बैठ घर की तरफ चल दिये,
माँ अब पूरी तरह से बदल चुकी थी, वो अब शांत रहती गुस्सा नही करती, उनको एक औरत होने का अहसास होने लगा, माँ अपनी बड़ाई सुन शरमा जाती थी,
शाम हो गयी मै और माँ दोनो घर पहुंचे माया हमारा इंतज़ार कर रही थी,
माया को हमने सब बाते बताई, माया भी खुश हो गयी थी,
माया ने खाना लगा दिया था, माँ आज थक गई थी, खाना खाते ही माँ बोली बेटा अब सोती हु, आज खूब घूम ली हु, नींद आ रही है, चल तु भी थक गया होगा, सोजा
मै और माँ दोनो कमरे मे आ गये, तभी मै
मै– माँ कपड़े पहनके देखो ना,
माँ– बेटा सुबह पहनुगी, अब थक सी गयी हु,
मै– कोई बात नहीं माँ सुबह पहन लेना.
माँ ने अपनी चुनरी निकाली और जल्दी से कंबल मे घुस गयी, मै भी जल्दी से लेट गया,
माँ कुछ सोचती हुई, बेटा
शहर में लोग ऐसे रहते हैं क्या,
मै– माँ समझा नही, ऐसे मतलब क्या हुआ
माँ– बेटा उनको बिल्कुल सरम नही, देखा कैसे घूम रहे थे, इतने छोटे कपड़ो मे, घर वाले कुछ नही बोलते इनको,
मै– माँ ये फैसन है आज कल, वो कोई गाँव नही है, वहा ये सब नॉर्मल है,
माँ- बेटा कही तु भी ऐसे नही रहा ना,
मै– नही माँ बिल्कुल नही, मुझे सिर्फ मेरी माँ अच्छी लगती हैं मै तो किसी और को देखता भी नही,
माँ– हा बेटा, मुझे पता है मेरा बेटा कभी कोई गलत काम नही कर सकता,
तु तो बस अपनी माँ की झूठी बड़ाई करता रहता है,
माँ अपनी बड़ाई से खुश थी, वो मेरे मुंह से और बड़ाई सुनना चाहती थी,
मैं– नही माँ आप सच मे बहुत सुंदर है, मै झूठ नही बोल रहा,
माँ अब मेरी बातो मे आने लगी थी,
नही बेटा, मै कहा से सुंदर हु,
मै– अरे माँ आप पूरी सुंदर हो,
माँ– मुझे तो नही लगता ऐसा बेटा,
मै– माँ देखो एक तो आप इतनी लंबी है और काले बाल, गोरी हो, आपका चेहरा जैसे चाँद हो,
माँ– हट पागल मै ऐसी कहा हु, झूठ बोलता है थोड़ी सी मुस्करा गई,
मै समझ गया माँ को अपनी जवानी का अहसास होने लगा है तभी बार बार अपनी बड़ाई सुनती है,
मै- माँ मे झुठ क्यु बोलूँगा, माँ आपकी कसम आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो,
आप देखना पापा जब ठीक हो जायेंगे तब पापा भी ऐसी ही बड़ाई करेंगे,
माँ सोचती हुई, ठीक है बेटा, तु कहता है तो मान लिया, अब सोजा,
मै और माँ दोनो आराम से सो गये, सुबह उठा….
आगे..
सुबह उठा रोज़ की तरह सब काम किये, माँ नहा ली थी मुझे बोली बेटा तू भी नहा ले, मै भी जल्दी से नहा लिया क्यु की आज माँ को सजाना था,
मै नहा कर जैसे ही कमरे मै गया माँ कांच के आगे बैठी हुई थी, उनके बालो से पानी की कुछ बुँदे उनके ब्लाउस को भिगो रही, माँ ब्लाउस और पेटिकोट मे छोटी सी टेबल पर बैठी हुई, माँ का लंबा चौडा बदन एकदम फिट, आगे निकली चुन्चिया और टेबल से बहार निकले चुतड, एकदम मस्तानी लग रही थी, माँ ने मुझे दरवाजे पर देख
माँ– नहा लिया बेटा,
मै– हा माँ, नहा लिया, माँ आप बहुत अच्छी लग रही है,
माँ– अरे अभी से, मैने तो पूरे कपड़े भी नही पहने, तु भी ना झुठ बोलता रहता है
मै– नही माँ, सच में आप बहुत सुंदर है,
माँ अपने आप को कांच मे देखती हुई हल्की से मुस्करा दी, माँ अब योवन मे आने लगी थी,
बेटा सच मे बहुत सुंदर हु
मै– हा माँ आप बहुत सुंदर हो,आपकी कसम ,
माँ के बदन मे सर्सरी सी उठने लगी, खुद को कांच मे देख रही
माँ– बेटा मुझे आजतक किसी ने नही बताया मै सुंदर हु, एक तूने ही कहा है,
माँ आओ सुंदर हो और मुझे बहुत अच्छी लगती हो, माँ मुस्कुराती हुई
माँ– चलो अच्छा है किसी को तो अच्छी लगी, ये तो तूने बता दिया नही तो मैने आजतक खुद को देखा तक नही,
मै– अब मै हु ना, मै देखूंगा मेरी माँ को,
माँ– ठीक है बेटा, तू खुश रहा कर बस,
मै – माँ कल जो साड़ी लेकर आये उनको पहनो ना, और समान भी लगा कर देखो,
माँ– बेटा मुझे नही आता उस बारे मे, मै तो केवल चुनरी पहनती हु,
मैं– मै हु ना मां, मै सिखा दूंगा,
माँ– हस्ती हुई, तुझे ही तो करना होगा और तो किसी को आता भी नही,
माँ ने सारा सामान अलमारी से निकाल कर बेड पर डाल दिया,
माँ मेरे सामने खड़ी हो गयी, आज पहली बार उनका ऐसा रूप देख मै तो पागल हो रहा था, ब्लाउस और पेटिकोट चिपका हुआ पेट, मस्त सी नाभि, गिले बाल, माँ भी सरमा रही थी,
माँ ने अपने हाथ आगे कर सीधे पेट को ढक लिए,
माँ- बेटा मुझे अच्छा सा नही लग रहा,
क्यों की माँ आज तक किसी के सामने ऐसे खड़ी नही हुई थी,
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