कविता की गाँड़ लाल हो गयी। कविता को दर्द हो रहा था, पर दर्द और कामुकता के मिश्रण से उसके चेहरे पर आया भाव उसको और चुदक्कड़ बना रहा था। जय ने कविता की गाँड़ को फैलाया। सामने कविता की गाँड़ का छेद दिख रहा था। जय ने उसपे थूका, उस चुलबुली, झुर्रीदार गहरी भूरी छेद पर थूक पूरा फैल गया। और सडकते हुए उसकी बुर पर चला गया। और दो चार बार थूकने से वो पूरी गीली हो गयी। जय ने कविता की बुर में अपना लण्ड घुसा दिया। लण्ड घुसते ही फिरसे कविता काम सुख के अथाह समुंदर में गोते खाने लगी।
जय उसके बालों को पीछे से किसी घुड़सवार की तरह पकड़े हुए खींच रहा था। जय ने कविता की गाँड़ को देख तो कल रात की बात याद आ गयी। उसने लण्ड निकाल लिया और किचन की ओर जाने लगा। कविता को कुछ समझ नहींआया, वो बोली,” कहाँ जा रहे हो?
जय ने कुछ नहीं कहा, बल्कि तुरंत लौट आया बर्फ के टुकड़ों के साथ। बर्फ का टुकड़ा निकालके उसने कविता की गाँड़ में उस टुकड़े को ठूसने लगा। कविता को बस ज़रा सा दर्द हुआ, और वो टुकड़ा गाँड़ में घुस गया। जय ने पूछा- कैसा लग रहा है दीदी? कविता बोली- तुम लण्ड डालो ना बुर में, प्लीज। जय ने कहा- पहले हम जो पूछे हैं उसका जवाब दो। कविता- जैसे किसीने हमारी गाँड़ में बर्फ डाल दिया हो और ज़ोर से हंसी। जय ने एक एक करके तीन बर्फ के टुकड़े डाल दिये। और फिर लौड़ा कविता की बुर में डालके चोदने लगा। कविता एक हाथ से सोफे को पकड़ी थी, दूसरे से अपने दाहिने चूतड़ को। वो पीछे मुड़के अपने भाई की आंखों में आंखे डालके चुदवा रही थी। अब जय ज़ोर ज़ोर से धक्का मार रहा था, और कविता भी अपनी गाँड़ पीछे करके धक्के खा रही थी। ताकि लण्ड पूरा अंदर तक जाए।
जय कामोन्माद में बड़बड़ा रहा था- क्या बुर पाई है हमने तेरी कविता, तुमको चोदकर हम बहनचोद हो गए। क्या मज़ा आ रहा है अपनी सगी बड़ी बहन को नंगा करके चोदने में। दुनिया के लिए हम तुम्हारे भैया, पर घर के अंदर हम सैयां हैं तेरे।
कविता- हाँ भैया…….. सॉरी सैयां। अबसे तुम सच मे हमारे सैयां हो। और हम तुम्हारी क्या हैं भैया?
जय- तुम सजनी हो और क्या?
कविता – नहीं, हम तुम्हारी रररर….. । जय ने बोला- बोल शर्मा क्यों रही है, क्या चाहती है हम बोलें?
कविता- हाँ, तुम कहो। जय- तुम हमारी रखैल हो, रंडी कहीं की। रांड हो तुम कुत्ती साली।कविता- आआहह……. जब गालियां देते हो तो बुर से और पानी निकलता है। हम तुमको बहनचोद बनाये हैं। अपनी बहन का चुदक्कड़पन रंडिपन कैसा लग रहा है।
जय- विश्वास नहीं हो रहा है कि तुम हमारी सीधी साधी दीदी हो। कितनी बड़ी रंडी हो तुम। अपने घर मे सबको ऐसी बहन मिल जाए तो कोइ बाहेर क्यों जाएगा। सच कहते हैं, वक़्त रहते लड़की की शादी हो जानी चाहिए, नहीं तो लड़की को बचा पाना मुश्किल है।
कविता अपने बारे में इतनी गंदी और घिनौनी बाते सुनकर, और कामुक हो उठी। वो अब चरम सुखके करीब थी। भाई और ज़ोर से धक्के मारो, बहुत मज़ा आ रहा है। हमारा छूटने वाला है। जय ने बोला कि हमारा भी छूटेगा, बस हो ही गया है।
कविता बोली, देखो उस फिल्म में भी हीरो का छूटने वाला है। आआहह हहहहहह, भाई तुम कितना मस्त छिड़ रहे हो, आईईईईईईईईई……..एआईईईई, आआहह हहहहहहहह
कविता का निकल चुका था। जय को महसूस हुआ कि कविता की बुर उसके लण्ड को चूस रही है। जय ने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया, और कविता फुर्ती से उसके लण्ड के पास अपना चेहरा ले आयी। जय कुछ बोल नहीं पाया, कविता के खुले मुंह मे उसने 8 10 झटको के साथ अपने आंड का रस गिरा दिया। जय की टांगे कांप रही थी, कविता उसके लण्ड को पकड़के चूस रही थी, आखरी बूंद तक वो चूसती रही। जय कविता को देखके मुस्कुराया। और खुद सोफे पर बैठके उसे अपनी गोद मे बैठा लिया। कविता भी उसे देखके मुस्कुराई- बहुत मज़ा आया हमको, हमने पहले क्यों नहीं किया ऐसा? कविता उसके गाल को सहलाते हुए बोली।
जय हाँफते हुए- दीदी सारी कसर पूरी कर देंगे इस एक हफ्ते में। कोई है नही घर पर माँ भी नही और तुम्हारी छुट्टी भी है।
कविता का मुंह खुला रह गया- मतलब? दिन रात चुदाई ही चुदाई होगी।
जय- हाँ, तुमको अभी बहुत चोदेंगे ।
कविता – यही बात है तो पहले खाना खा लेते हैं, ताक़त भी तो चाहिए। उसके गोद से उतरने लगी। जय ने कविता को उतरने दिया। कविता उतरके अपने कपड़े पहनने लगी, तो जय ने उसके हाथ से कमीज ले ली, और कोने में फेंक दिया। कविता बोली- ये क्या?
जय- ससससस, कपड़ो की ज़रूरत नहीं है दीदी। फिर हम उतार ही देंगे। जाओ ऐसे ही खाना लगाओ। हम भी ऐसे ही रहेंगे और तुम भी, जब तक हम दोनों अकेले रहेंगे। बस पूजा करते टाइम कपड़े पहनना फिर तुरंत नंगी हो जाना।
कविता- तुम तो बहुत शैतान हो भाई, पर आईडिया ठीक है।
कविता फिर फर्श पर बिखरे कपड़ों को उठाके रूम में रख आयी। जय रूम से अपनी हार्ड ड्राइव ले आया जिसमे पोर्न भारी हुई थी। कविता नंगी ही खाना निकाल रही थी। थोड़ी देर में कविता मटकती चुचियों के साथ नंगी ही जय को थाली देने आ गयी। कविता को उसने झटके से गोद मे बिठा लिया। कविता- हमको अपनी थाली लाने दो।
जय- तुम इसीमे खाओगी, और हम जो निवाला चबाकर देंगे उसको ही खाओगी। तुम हमको मुंह मे निवाला डालके दो। कविता ने एक निवाला बनाके दिया। जय उसे अपने मुंह मे चबाकर आधा कविता को किस करके उसके मुंह मे दे दिया। कविता को ये बड़ा मज़ेदार लगा। कविता फिर निवाला बनाके जय को दी, जय ने फिर वैसे ही किया।दोनों भाई बहन नंगे सोफे पर बैठके खाना खाने लगे।
कविता- तुमको ये कैसे सूझा ?
जय- ये सब इस खुराफात दिमाग की उपज है। अभी और चीज़े हैं। तुम्हारे लिए कुछ नियम लागू होंगे कल से।
कविता- कैसे नियम??
जय- बताते हैं।
क्या हैं वो नियम, आखिर जय कविता के साथ क्या क्या करने वाला है??
जानेंगे अगले अपडेट में।कहानी जारी रहेगी।
mom son story
Posted inBest Indian sex stories Bhabhi Sex Hindi Sex Stories Incest Indian Sex Stories Indian Sex Story indiasex stories