Incest क्या…….ये गलत है?

उधर सत्य माया को अपनी घोड़ी बनाके, उसकी सवारी कर रहा था। घने बाल सत्य के लिए लगाम थे। सत्य का लण्ड, माया की बुर में नई गहराईयां, तलाश रहा था। माया एक हाथ से दीवार पकड़े थी और एक हाथ से अपने दाहिने चूतड़ को पकड़े थी। सत्य के आंड़ जब उससे टकराते तो माया को और अच्छा लगता था। माया, की बुर में तेजी से अंदर बाहर घुसता लौड़ा, कभी कभी चिकनाई की वजह से बाहर फिसल जाता। माया तुरंत लण्ड पकड़, उसको बुर में घुसा लेती। सत्य उसको इस पर चूतड़ पर थप्पड़ जमा देता था। पर ये माया को और मस्त कर देती थी। माया खुद गाँड़ हिलाकर, लण्ड बुर में लेने के लिए उल्टे धक्के मार रही थी। सत्य लण्ड निकाल उसके चूतड़ों पर पटकता और फिर बुर में पेल देता।

माया को थोड़ी देर बाद सत्य ने उठने को कहा और, खुद बिस्तर पर किनारे बैठ गया। माया अपना साया कमर तक उठाये, उसके गोद में उसकी ओर मुड़कर बैठ गयी। माया ने मुंह से थूक हाथ पर निकाला, और लण्ड पर बेहिचक मल दी। सत्य ने लण्ड माया के बुर में फिर घुसा दिया। माया सत्य के चेहरे को अपने भारी स्तनों के बीच चिपकाए हुए थी। सत्य भी उसकी बांहों में बेफिक्र हो कुछ देर ऐसे ही रहा।
सत्य- दीदी, हमको ऐसे ही प्यार दो। हम तुम्हारे प्यार के प्यासे हैं। 
माया- हम अब तुम्हारे हैं, सत्य। हमको भी तुमसे बहुत प्यार चाहिए। 
माया हौले हौले, अपनी गाँड़ उठाके बुर में लण्ड को लेने लगी। सत्य माया की कमर पकड़े, उसके चुच्चियों और गर्दन पर चुम्मे की बौछार कर रहा था। माया अपने हाथ उसके कंधों पर टिकाए हुए थी। तभी माया का मोबाइल, बजा, माया के मुंह से निकला,” कौन कमबख्त है,? उसने देखा,” ममता का फोन था। उसने लण्ड पर उछलते हुए, ही फोन उठाया।
माया- हेलो।
ममता- माया सुनो हमको कुछ बात करना है।
माया हांफते हुए- दीदी, बाद में प्लीज हम बाद में कॉल करेंगे।
ममता- ओह्ह अच्छा, ठीक है, समझ गए। हमारे प्यारे भाई तुमको खूब पेल रहे हैं। कोई बात नहीं खूब मजा करो।
सत्य- क्या बोल रही थी दीदी? 
माया- कुछ बात करना था उनको, हम बोल दिए बाद में।
सत्य- क्यों?? क्या बात हो गया?
माया सत्य को चूम ली और बोली,” पहले जो काम कर रहे हैं, उसको पूरा करो ना। अपनी इस दीदी को जमकर चोदो।”
सत्य- माया दीदी, उसका चिंता क्यों करती हो?? अभी तो शुरुवात है, रातभर पेलेंगे तुमको।
माया- जरूर पेलना, हम भी पेलवाएँगे, तुम्हारी दुल्हन नहीं बने हैं तो क्या?, तुम्हारी रंडी हैं। और रंडियों को अपने मालिक का लण्ड लेकर, खुश होना चाहिए और पेलवाते रहना चाहिए। 
सत्य- तुम जैसी स्कूल टीचर, ऐसा मस्त ज्ञान देती हो तो मज़ा आता है।माया- अभी मज़ा लो स्कूल टीचर का, बाद में गुरु दक्षिणा भी लेंगे तुमसे।आह आआहह…. आआहह…. हहम्ममम्म.. ससस..तत्त यय…हमारा छूटने वाला है, आआहह…. हाय्य…. ऊफ़्फ़…ओह्ह। माया की कमर अकड़ने लगी। उसके हाथ सत्य के चेहरे को स्तनों में समा लेना चाहते थे। सत्य माया को कसके जकड़े हुए थे। माया के बुर के पानी से  सत्य के लण्ड का अभिषेक हो गया। सत्य भी इस एहसास को झेल नहीं पाया और बोल उठा,” माया दीदी, हमारा भी छूटने वाला है।” माया ये सुनकर, झट से फर्श पर घुटनों के बल बैठ गयी और सत्य के लण्ड से निकलते मूठ की धार के सामने अपना खूबसूरत चेहरा रख दिया। मूठ की पहली धार, सीधे उसकी मांग पर गिरी, फिर माथे तक चिपक गयी। अगली धार बांयी आंख के पलकों से टकराई और गालों से चिपक गयी। अगली धार माया के गुलाबी होंठों से चिपक गयी। इस तरह 6 7 मूठ की धार से उसका चेहरा गीला हो गया। माया जीभ निकाल सब चाट गयी। फिर बोली, अपने लण्ड की दुल्हन बना दिये हो, मूठ से मांग भरकर।” सत्य हंस पड़ा। mom son story

” आहहहहह, चोदो चोदो बस चोदते रहो, हमारी प्यास बुझा, दो जय। अपनी दीदी को वो सुख दो, जो शादी के बाद तुम्हारा जीजा, हमको देता। अब तो तुम खुद ही अपने जीजा हो। अपनी दीदी के सुहाग।” कविता जय के नीचे मचलते हुए बोली। जय कविता के ऊपर, लेटा, उसके बुर में लण्ड घुसाए था। कविता बेशर्मों, की तरह बड़बड़ाये जा रही थी। जय उसके हाथों को दबा रखा, था। कविता की कांख जो कि थोड़ी साँवली थी, साफ दिख रही थी। 
जय- कविता दीदी, तुम फिक्र ना करो। हम अपने जीजा होनेका फ़र्ज़ भी पूरा करेंगे। तुमको बहुत पेलेंगे। तुम्हारे साथ, अब तो सारी जिंदगी, ऐसे ही कटेगी। कभी तुम हमारे ऊपर, कभी हम तुम्हारे ऊपर। चोदम चोदाई, का ये खेल बचपन के छुप्पम छुपाई की तरह खेलेंगे।”
कविता- ओह्ह, तुम क्या जानो, उस खेल में वो मज़ा नहीं, जो इस खेल में है। 
जय- हमारी रंडी दीदी, ये जो तुम्हारा बेबाकपन है ना ये हमको बहुत पसंद आता है। 
कविता- अब जल्दी करो ना। माँ, आ गयी तो बोलेगी की उनके बिना ही शुरू हो गए। 
जय- ह्हम्म, तो क्या हुआ? वो भी तो हमारी रंडी है। तुम माँ बेटी भी ना हद हो। इतने दिनों से एक साथ चुदवा रही हो फिर भी एक दूसरे से शर्माती ही हो। 
कविता- राजा भैया, ये रिश्ता ही ऐसा है क्या करे। पर जब हम दोनों अभी लगे हैं तो इस काम को पूरा कर लें। आआहह…..आहठह…
कविता अब झड़ने वाली थी। कविता की बुर के अंदर समुंदर का तूफान उठने लगा। जय ने भी अपने अंदर के तूफान को नहीं रोका और दोनों एक साथ एक दूसरे की बांहों में झड़ गए। कविता जय के सीने में अपना, मुंह छुपाए थी। थोड़ी देर बाद जय का लण्ड अपने आप निकल गया। और बुर से मूठ की धार बह गई। वो दोनों इस बात से अनजान थे कि ममता उनको देख रही थी। 
” कविता, आई लव यू,। जय उसको बांहों में भरकर माथा चूमते हुए बोला।जय के सीने से चिपकी कविता उसकी छाती चूमकर बोली,” आई लव यू,।माया सत्य के गोद में निर्वस्त्र बैठी थी। सत्य माया के सीने पर सर दबाए था, जिससे माया की स्पंज समान चुच्चियाँ दबी हुई थी। माया उसके सर को पकड़ अपने सीने से लगाये हुए थी। सत्य किसी बच्चे की तरह उससे चिपका था। अगर माया की चुच्ची में दूध होता, तो शायद माया उसे पिला भी देती। माया की मस्त चूतड़ों पर सत्य के पंजे कब्ज़ा जमाये थे। दोनों की सांसे भी टकड़ा रही थी। माया के बाल बिखरे हुए थे, और अव्यवस्थित होने के कारण वो और सुंदर लग रही थी। चुदाई के बाद कमरे में एक औपचारिक खामोशी थी, क्योंकि कामक्रीड़ा में दोनों थक चुके थे। सत्य माया की बांहों में खोया था। माया उसको सीने से लगाये, कुछ सोच रही थी। उसके जीवन में सत्य तीसरा मर्द था। थोड़ी देर बाद, माया को सत्य के खर्राटे की आवाज़ आई। वो उसे बांहों में लिए उसी तरह बिस्तर पर लेट गयी। सत्य की नींद हल्की खुली तो, वो उसे ” ससससस…. ससससस ” बोलकर थपकी देते हुए सुला दी। इस क्रम में माया उसके बगल में वैसे ही लेट गयी, जैसा भगवान ने उसे पैदा किया था। सत्य भी नंगा ही सो गया। उसके सोते ही माया बिस्तर से उठी और नंगी ही खिड़की के पास जाकर खड़ी हो गयी। अभी अभी हुई चुदाई से उसके कामपिपासी नंगे बदन पर पसीने की बूंदे, समुंदर की प्यारी हवा के टकराने से विलीन हो रही थी। उसने, अपने चेहरे को खिड़की से बाहर निकाला, और पलकें उठाकर, चांद को निहारने लगी, जैसे किसीको ढूंढ रही हो।कमरे की बत्तियां बंद थी और बाहर चांदनी अपनी चादर फैलाये थी। माया का बदन भी उस चांदनी में नहा गया। उसकी जुल्फें हवा के साथ लहरा रही थी। माया चांद को लगातार निहारे जा रही थी। निहारते हुए अचानक उसकी आँखों में आंसू आ गए, उसके होंठ कांपने लगे। उसने अपनी बांहे फैलाई जैसे किसीको गले लगाना चाहती हो। कांपते हुए होंठों से उसके मुंह से शब्द निकले,” र.. रवी… हमको माफ कर दीजिएगा, आज हम फिर आपके प्यार को अपने शारीरिक भूख के आगे नीचा दिखाए।”
तभी रविकांत की रूह जो उसकी बांहों में थी, बोल उठी,” माया, आंखें खोलो। हमने कभी तुमको इसके लिए गुनहगार नहीं ठहराया है। तुम हमारे ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत ख्वाब थी। तुम्हारा प्यार हमारे ज़िंदगी का सबसे बड़ा सौगात था। और ये क्या कम है कि आज भी हमारे जाने के बाद, तुम उस प्यार के दिये को अपने मन मंदिर में जलाए हुए हो। तुम्हारे साथ बिताए हर लम्हा, इस दूसरी दुनिया में भी हमारे साथ रहते हैं।”
माया उसकी ओर देख बोली,” लेकिन, आपने जो हमारे साथ किया वो ठीक नहीं किया। हमको, यहां छोड़ गए, आपके बिना जीने के लिए। आपसे अलग एक पल भी सदी के समान होता है और अब तो आठ साल बीत चुके हैं। आपको क्या पता कि कैसे काटे हैं हम। आपका साथ पाने के लिए हम आपके भाई से शादी तक कर लिए।”mom son story
रवि- माया, तुम भी जानती हो कि रिश्ता तुम्हारे लिए ही भेजा था, पर तुम्हारे बाबूजी को ममता की शादी की जल्दी थी। उन्होंने जोर देकर हमारी शादी करवा दी। रही बात तुम्हारा साथ, छोड़ने की बात तो वो हम जीते जी तो क्या, मरने के बाद भी नहीं छोड़े हैं। ज़िंदगी और मौत तो भगवान के हाथ की बात है, उस पर किसका बस है। अगर तुम ज़िंदा हो तो इसके पीछे भी वजह होगी। शशि बेचारे को क्या पता, की उसकी बीवी उसके बड़े भाई की प्रेमिका थी।
माया गुस्से से बोली- बेचारा मत बोलिये उसे, उसीकी वजह से आज आप और हम साथ नहीं है। ये जानकर की आप बाप नहीं बन सकते, उसने हम दोनों बहनों को रख लिया। आपकी माँ की वजह से ये सब हुआ। वो तो चली गयी। और हम दोनों बहनों को सौतन बना गयी। आपकी मौत भी उसीके कारण हुई है। 
रवि- नहीं, ऐसी बात नहीं है।

माया- झूठ मत बोलिये, आप हमेशा से उसको बचाते आये हैं। उस रात जब वो दारू पीकर आया और आपसे नदी के पास की ज़मीन के लिए बहस हुई। तब उसने आपको क्या कुछ नहीं कहा, आपको नपुंशक, वंशहीन और ना जाने क्या क्या बोला। आपकी आंखों का दर्द उस दिन सिर्फ हमको दिखा था। वो रात आपके साथ हमारी आखरी रात थी। सोए तो आपके साथ थे, पर उठे तो आपकी लाश के साथ। ब्रेन हैमरेज हो गया था आपको।” ये कहते कहते वो फफक फफक कर रोने लगी। 
रवि- वो रात भूले नहीं भुलाती। “

और दोनों जैसे खो गए उस रात में……
बिस्तर पर माया शशिकांत के साथ लेटी थी। शशिकांत दारू पीकर सो चुका था। उसने उसको हिलाकर एक बार जांच की। फिर हौले से बिस्तर से उतरी। रात के अंधेरे में माया चोरी छिपे कमरे का दरवाजा खोलती है। कमरे की कुंडी बाहर से बंद करती है, और दांये बांए देखती है। वो धीरे धीरे चुपके से उस कमरे की ओर बढ़ती है, जहां रविकांत सोया था। ममता और बच्चे दूसरे कमरे में सोए थे। चूंकि उस रात लड़ाई जो हुई थी। माया दरवाज़े पर पहुंचकर गेट खटखटाई। अंदर से रवि बोला,” माया क्या तुम हो??”माया- हाँ, आइस्ता बोलिये। दरवाजा खोलिए।
रवि ने दरवाजा खोला। माया अंदर घुस गई और फौरन दरवाजा बंद कर दिया। फिर रविकांत की ओर पलटी। रवि- तुमको यहां नहीं आना चाहिए था।” माया उसके सर को पकड़ लेती है और चुम्मों कि बौछार करने लगती है। रवि ने उसको नहीं रोका। हालांकि, वो रिश्ते में उसका जेठ था, पर पहले उसका प्रेमी था। माया ने पहले, रवि को बच्चे की तरह चेहरे को टटोला, फिर उसके कंधों को। फिर बोली,” आप ठीक है ना। हमको आपकी चिंता हो रही थी।” रविकांत मुड़कर बिस्तर की ओर जाने लगा। तो माया ने उसका हाथ थाम लिया और बोली,” आपने हमारे सवाल का जवाब नहीं दिया।” रविकांत ने उसकी ओर देखा और कमर में हाथ डालते हुए बोला,” आओ ना।”
दोनों बिस्तर की ओर चल दिये। बिस्तर पर रवि बैठ गया और माया सामने खड़ी हो गयी।
माया उसके चेहरे पर हाथ फेडते हुए बोली,” आप बहुत उदास हैं। हमसे आपका उदासी देखा नहीं जाता है। आपको उनकी बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।”
रवि- चलो, इस घर में कोई तो है, जो हमारा इतना ध्यान रखता है। 
माया- हम आपके भाई की बीवी बाद में हैं, और आपकी प्रेमिका पहले। आपका सुख हमारा सुख है, और आपका दुख हमारा।” ये बोलकर वो उसके बगल में बैठ गयी। रवि उसकी ओर देख बोला,” थक गए हैं हम, माया । इस समाज से लड़ते लड़ते, लोगों को मनवाते मनवाते की ये तीनों बच्चे, हमारे हैं और उनका बाप रविकांत है। और घर में ये बात सबको पता होते हुए, भी इसकी चर्चा नहीं हुई थी। पर आज वो भी हो गया। अब तो भगवान बस मुक्ति दे दे इस जीवन से बस…..।”
माया- छी…. क्या बोलते हैं आप। आप बाप नहीं बन सके तो क्या हुआ?? बाप का फर्ज तो निभा रहे हैं। वो आपका खून, भले ही ना हो पर आप कर्म से उनके बाप हो। आइए हमारे बांहों में आइए।” कहकर माया ने रविकांत को अपने बांहे फैलाकर आने का इशारा किया। रवि उसकी ब्लाउज से झांकती, अधनंगी चुच्चियों पर सर रख दिया। माया ने उसको एक मां की तरह सांत्वना दी।” आप नपुंशक नहीं है, आपका तो लण्ड खड़ा होता है, आपका स्पर्म काउंट बस कम है। और इसलिए आप दीदी को बच्चा नहीं दे पाए। आप हमारे नज़र में मर्द है, नामर्द नहीं। काश हम आपकी पत्नी बनते। प्रेमी प्रेमिकाओं के बीच हमेशा से भगवान समाज के रूप में दीवार खड़ा कर देते हैं। दोनों का मिलन जल्दी नहीं होता या होता ही नहीं। फिर भी दोनों समाज के बंधनों को तोड़कर, मिलते रहते हैं। जैसे हम और आप इस वक़्त हैं। समाज ने हमको आपसे जेठ का रिश्ता जोड़ दिया है। पर ना तो हमने और ना कभी आपने इस रिश्ते को मान दिया है। हम तो आपकी प्रेमिका बैंकर सारा जीवन बिताना चाहते थे। पर आपने ही हमको अपने पास रखने जे लिए, अपने छोटे भाई से शादी करने को कहा। आपके साथ और आपके लिए हम कुछ भी कर सकते हैं। इसलिए हमने ये भी कर लिया। पर आपको इस तरह देखते हैं तो, लगता है कि आपका सारा दुख हमको मिल जाये।”
रवि ने उसकी ओर देखा तो, माया ने उसके माथे को चूम लिया। रवि ने उसको पकड़कर उसके होंठ पर अपने होंठ रगड़ने लगा, ऐसा करते हुए उसने माया को बिस्तर के बीच ले आया। माया उसका भरपूर साथ दे रही थी। उसके होंठ और जीभ रवि के होंठों के साथ पकड़म पकड़ाई का खेल खेलने लगे। दोनों एक दूसरे में लीन थे, चुम्बन का कोई अंत ही नज़र नहीं आ रहा था। माया रवि को अपने ऊपर खींच रही थी, अपने बांहों से पकड़ उसको अपने अंदर समा लेना चाहती थी। रवि माया के होंठों पर बुरी तरह टूट चुका था। वो, उसके अधरों के यौवन का रसपान कर रहा था। कभी वो नीचे होता तो कभी माया। दोनों किसी बिछड़े प्यासे प्रेमी युगल की तरह, खो गए थे। तभी माया ने शशि के कपड़े उतार दिए, और खुदकी, ब्लाउज उतारने लगी। रवि ने उसका ब्लाउज उतारने में उसकी मदद की और, माया के सुडौल चुच्चियों को आज़ाद कर दिया। उसने माया की साड़ी को कमर से पकड़ा और उसका सूक्ष्म चीरहरण कर साड़ी को उसके जिस्म से अलग कर दिया। माया अब सिर्फ साया में थी। साया को खोलने की बजाय, उसने साया उठा लिया, और पैंटी, उताड़ फेंक दी। फिर रवि के मुंह के पास आकर, अपनी बुर को उसके मुंह पर रगड़ने लगी। रवि को बुर चाटना बड़ा अच्छा लगता था, माया की बुर से बेहिसाब नमकीन पानी चू रहा था। वो कमर हिलाकर, बुर रगड़ रही थी। रवि उसके चूतड़ थामे हुआ था।mom son story

माया की बुर के फांक के बीच रवि की जीभ, जब टकराती तो, उसके मुंह से आआहह निकल जाती। माया को ये एहसास पागल कर जाता था। फिर तो वो अपना बुर उसके चेहरे पर मलने लगी। उसकी कमर में एक चाल सी थी। रवि ने माया के बुर को अपने थूक से पूरा गीला कर दिया था। वो कभी कभी बीच में दांत भी गड़ा देता था। माया छटपटाती, पर अपने जेठ को कुछ नहीं, बोलती थी। उसे अपने साथ इतनी छेड़खानी अच्छी लगती थी। माया अपने बाल खोलने के लिए हाथ ऊपर की, और क्लिप निकाल दिया। उसकी जुल्फें, काली घटाओं सी रात में अंधेरा कर गयी। रवि ने बुर चाटने के साथ साथ उसकी नाजुक गाँड़ में उंगली, घुसा दी। गाँड़ में उंगली घुसना और बुर चटाई से, माया मदमस्त हो रही थी। माया की गाँड़, में रवि को उंगली करने में, बहुत मज़ा आता था। माया उसकी ओर देखी,” आप नहीं, सुधरेंगे ना। हमको इस तरह गाँड़ में उंगली करना आपको बहुत पसंद है।”
रवि- तुम्हारी गाँड़ है, बड़ी मस्त। इसको छेड़े बिना कैसे रह सकते हैं। 
थोड़ी देर उसकी बुर चाटने के बाद, माया खुद उसके लण्ड पर बैठ गयी और लौड़ा, बुर में घुसाने लगी। रवि का लण्ड कड़क था, पर उतना नहीं। माया सब जानती थी। इसलिए वो, अपनी गाँड़, रवि की ओर कर दी और बोली,” हमारे गाँड़ में खूब उंगली कीजिये। हमको अपना लौड़ा चूसने दीजिए। तब आपका और सख्त हो जायेगा। देखिए ना हमारी नंगी गाँड़ को। कितने चिकने चूतड़ है, मुलायम सेब की तरह। आपके लिए। ” वो लण्ड को और कड़क होता महसूस की। फिर लण्ड चूसने लगी। रवि माया के गाँड़ में उंगली करते हुए, उसके नंगे चूतड़ों पर काटने के निशान भी छोड़ रहा था। उसकी उंगली माया की तंग, सिंकुड़ी, कसी हुई गाँड़ में रास्ता बनाके पूरी तरह भीतर घुस गई। माया की गाँड़, से वो खिलवाड़ कर रहा था। तभी उसने दूसरी उंगली भी घुसा दी। माया के मुंह में लण्ड की वजह से सिर्फ,” हहम्ममम्म….. बोल पाई। पर वो पीछे नहीं हटी। वो अपनी बुर भी सहला रही थी साथ में। थोड़ी ही देर में, बुर में लौड़ा घुसाने के लिए वो परेशान हो गयी। लौड़ा को चूसना छोड़, उसकी ओर उठके लपकी।
माया- आपके घोड़े को एक सवारी की जरूरत है। और चढ़ गयी अपना साया उठाकर। बुर की फांकों को फैलाकर लण्ड का सुपाड़ा अपनी बुर में माखन की तरह उतारती चली गयी। वो फिर झुककर, अपने जेठजी, की आंखों में देखते हुए, कमर हिलाकर, चुदने लगी। माया की चुच्चियाँ उसके जेठ के सीने से टकड़ाकर और कड़क और चूसने योग्य हो गयी थी। माया ने रवि को अपने मस्त मस्त चुच्चियों को उसके मुंह में घुसाने लगी। वो हंस रही थी। दोनों मज़े ले रहे थे। माया- आप नामर्द नहीं है, जेठजी। आपका लौड़ा हमारा बुर को पेल रहा है। 
आपको, औरत का दूध पीना चाहिए। उससे आपको ताक़त मिलेगा। अपनी बहू का दूध पियेंगे। चूस कर देखिए, आपके लिए चुच्ची में दूध है कि नहीं। काश हम आपको, अपना दूध पिला पाते। आपके सिवा किसी और का बच्चा हमारे पेट में पलेगा नहीं। हम माँ बनेंगे, तो सिर्फ आपके बच्चे का। हमको माँ बना दीजिए। 
माया की ये बात सुनकर, रवि का रुकना मुश्किल था। वो बोल उठा,” माया हमारा चूने वाला है।” माया बोली,” इसीलिए तो हम ऊपर चढ़े हैं  ताकि हम आपके साथ ही झड़े। माया तेज़ी से कमर हिलाने लगी। और दोनों एक साथ झड़ गए। दोनों बिस्तर पर निढाल हो गए। माया के बुर में ही रवि ने मूठ गिराया था, पर माया के माँ बनने की संभावना बिलकल नही थी। माया उसके ऊपर ही लेटी थी। दोनों हांफ रहे थे। कुछ देर ऐसे लेटने के बाद। माया बिस्तर से उठी और अपने जेठ के लिए पानी लाने गयी। वो नंगी ही कमरे में रखी पानी की सुराही से पानी ले आई। रवि उठकर बिस्टेर के सिरहाने पीठ टिकाकर, बैठ गया। माया उसकी ठुड्ढी पकड़ पानी पिलाने लगी। फिर वो उसकी छाती से चिपककर, उसके बगल में उसी तरह लेट गयी। तूफान थम चुका था। उसने रवि की ओर देखा,फिर बोली,” क्या सोच रहें हैं आप?
रवि,” तुमको हम माँ नहीं बना पाए।तुम्हारी इच्छा पूरा नहीं कर पाएंगे।”
माया- आपको इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं हैं। हम आपकी प्रेमिका बने, यही बहुत है। 
रवि- ना तो तुमको बीवी ही बना पाए?
माया- अगर आप हमको रखैल समझते हैं, तो भी हम खुश हैं। मांग में सिंदूर हम रोज सिर्फ आपजे नाम से लगाते हैं। और इसमें सिर्फ आपका ही नाम रहेगा।”
रवि- ये तो तुम्हारा बड़प्पन है। माया क्या हम तुमसे कुछ मांगे तो दोगी?
माया- दिल जान सब तो आपको दे चुके हैं, और क्या दे सकते हैं आपको।
रवि- मज़ाक नहीं, वादा करो ना दोगी।
माया- आपकी कसम खाते हैं, आपकी खुशी के लिए सब मंज़ूर है। 
रवि- तो हमसे वादा करो, अगर हमको कुछ हो गया, तो तुम जियोगी हमारे प्यार की खातिर। और इस दौरान तुमको प्यार करनेवाला, अगर कोई मिलेगा तो तुम उसके साथ खुशी खुशी रहोगी। हम जानते हैं कि तुम शशि की पहली पसंद नहीं हो। उसको ममता पसंद है। इसलिए हमारे बाद तुमको अगर कोई चाहनेवाला मिले, तो तुमको हमारी कसम है, तुम पीछे मत हटना।”
माया- ये क्या बोल रहे हैं आप ? हम सिर्फ आपके हैं। इस तन पर इस आत्मा पर सिर्फ आपका हक़ है।ये हमसे नहीं हो पायेगा। आपने हमको धर्मसंकट में डाल दिया है। रवि- तुम हमसे बहुत छोटी हो। तुम्हारे अंदर सेक्स की जो भूख है, उसको सिर्फ एक मर्द ही शांत कर सकता है। शशि तुमको चोदता तो होगा, पर तुमको वो एहसास नहीं मिलता होगा। हमारे जाने के बाद तुमको, कोई ना कोई तो चाहिए।
माया- आप बार बार अपने जाने की बात क्यों कर रहें हैं। आप हमारे साथ ही रहेंगे। कुछ नहीं होगा आपको।” माया सजे गाल सहलाते हुए बोली। 
रवि- तुम वादा करो बस।
माया- आप सो जाइये, रात बहुत हो गयी है। आपको आराम की जरूरत है। हम कल बात करेंगे।” माया ये कह कर बिस्तर से उठी और अपनी साड़ी फर्श से उठने लगी।mom son story

रवि उसका हाथ पकड़ बोला,” आज रात यहीं सो जाओ। हमको अपने बांहों में सुलाओ। माया मुस्कुरा पड़ी। उसने घड़ी की ओर देखा रात के 2 बज रहे थे। दो घंटे का समय था उसके पास। वो उसके पास लेट गयी और, उसे अपने नंगे सीने से लगाके, थपकियाँ देकर सुलाने लगी। जैसे माँ अपने बच्चे को सुलाती है। पर रवि को नींद नहीं आ रही थी। उसने माया से फिर कहा,” प्लीज वादा करो ना।” माया बोली,” अरे हमारे राजाजी आप आराम से सोइये अभी।” रवि बे जवाब दिया,” जब तक तुम वादा नहीं करती, तब तक हमको नींद नहीं आएगी। प्लीज कह दो।”
माया ,” ऊफ़्फ़, आप भी जिद्दी हैं। ठीक है वादा, अब खुश। अब सो जाइये।”
फिर रविकांत और माया आपस में सो गए। पर रविकांत शायद अब कभी नहीं उठने वाले था। 
सुबह के चार बजे, माया उठी। उसने देखा भोर होनेवाली थी। वो झटपट उठी, और पहले अपने कपड़े पहन ली। साड़ी ब्लाउज सब पहनकर, वो सोते हुये रवि का माथा चूमने नीचे झुकी और बोली,” हम जा रहे हैं।” और उसको चूम ली। सामान्यतः ऐसे करने पर रविकांत जग जाता था। पर आज ने कोई हरकत नहीं की। माया को लगा वो नाटक कर रहा है। इसलिए उसने उसके होंठों पर चुम्मा दिया। पर फिर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। उसने महसूस किया कि उसकी सांसें नहीं चल रही है। उसने उसके चेहरे को हिलाया तो, वो लुढ़क गया। वो अवाक रह गयी। ये तय था, की वो मर चुका था। वो वहां से रोते हुए चली गयी। 
कुछ देर बाद घर के आंगन में उसकी लाश थी। ममता और कविता फूट फूट कर रो रहे थे। कंचन भी रोये जा रही थी। माया के आंसू तो सूख से गए थे। सिर्फ ममता ही समझ सकती थी, उसका ये हाल। पर वो खुद ही कहाँ संभल पाई थी। 

वो दिन याद करके माया के आंसू बहने लगे। वो रोते जा रही थी। फिर बोली,” आपको दिया हुआ वादा हम आज भी पूरा कर रहे हैं। खुद को ज़िंदा रखे हुए हैं, बस आपके लिए। हमको प्यार दुबारा मिला तो, अपने भाई में ही।” तब तक वो अकेले, ही खिड़की से लगे चांद में रविकांत का चेहरा जाते हुए देख रही थी।

आपके जाने के बाद, हम रोज जलते हैं और शशिकांत के साथ होते हुए भी, उसके साथ सोते हुए भी, हम उससे बदला लेने की सोचते थे। आपकी मृत्यु का जिम्मेदार वही है, हम उससे बदला जरूर लेंगे। और हमारा भाई सत्य हमारी मदद करेगा उसको ही हथियार बनाएंगे।”
माया वैसे ही खड़ी बाहर निहार रही थी।कहानी जारी रहेगी।अगला अपडेट जल्दी ही दूँगा।कहानी के बारे में अपने विचार अवश्य दें।

mom son story – Sauteli Maa aur Sagi Didi

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