Incest क्या…….ये गलत है?

दोनों की चुच्चियां आपस में रगड़ खा रही थी।दोनों बुर चूसे जाने से बेहद कामुक हो चुकी थी। एक दूसरे को जंगली बिल्लियों की तरह चूम रही थी। जय के इस तरह चूसे जाने से दोनों अब तरप उठी। ममता को फिर जय ने अपने लण्ड पर बैठने को कहा। कविता उसे उठाकर जय के लण्ड पर बिठाई। ममता अपने साये को पकड़े हुए बैठ गयी। जय के इशारे को पाते ही, लण्ड बुर में घुसाए उछलने लगी। बुर में लण्ड घुसते ही मानो प्यासे को पानी मिल गया हो।

ममता की आंखें कामुकता से ओत प्रोत होकर, अपने आप बंद हो गयी। जय माँ के चुच्चियों को कसके पकड़े हुए था। कविता वहीं अपनी माँ को चुदने में मदद कर रही थी। लण्ड के बुर में घुसने से सबसे ज़्यादा राहत जय को मिली वो पागल हो गया और नीचे से उछल कर अपनी माँ को चोदने लगा।कविता- वाह हमारे मादरचोद भाई। चोदो माँ को। इसको सजा दो की ये अब तक इस लण्ड को छोड़ दूसरे मर्द के साथ क्यों चुद रही थी। तुम इसके मालिक हो, और ये तुम्हारी औरत। एक मर्द को अपनी औरत को काबू में रखना चाहिए। इस बेटाचोद माँ को बताओ कि, अबसे ये तुम्हारी मिल्कियत है। ये रंडी अबसे सिर्फ तुम्हारा बिस्तर गरम करेगी।”

ममता चुदते हुए बोली,” हाय, आआहह हहहह ठहम्ममम्म उफ़्फ़फ़ कितनी गंदी गंदी बातें बोल रही हो। हमको शर्म आ रही है।”
कविता- वाह रे छिनाल माँ, बेटी के सामने सगे बेटे से चुदवाते हुए शर्म नही आती।
जय- सब तुम्हारे जैसे रंडी थोड़े ही होती है दीदी। आखिर माँ तो माँ होती है, इसको रंडियों की तरह चुदवाने में शर्म तो आएगी ही। तुम अपनी मस्त चुच्ची हमारे मुंह के पास लाओ। चोदेंगे भी और पियेंगे भी।
कविता ने वैसा ही किया। थोड़ी ही देर में ममता की बुर लण्ड को पकड़कर अंदर खींचने लगी। वो झड़ने को हुई तो जय ने लण्ड बाहर निकाल लिया, और बोला,” आज तुमको जल्दी झड़ने नहीं देंगे। ममता बैठे बैठे ही मचल रही थी। उसके बदन पर बहुत पसीना था। फिर बेचारी उठी और पानी पिया। बिस्तर से उतरने लगी, तो जय ने उसे पकड़ लिया। ममता- हमको जाने दो ज़ोर से मूत लगा है। “mom son story

जय- तुम कहीं नहीं जाओगी, यहीं बैठोगी।
ममता- बिस्तर पर ही मूत देंगे, फिर समझना।
जय- तुम ऐसा नहीं करोगी हम जानते हैं। और ममता की बुर को पकड़ के मसल दिया।
उधर कविता जय के लण्ड से चिपके अपनी माँ के मधुर रस को चूस रही थी। जय का लण्ड अभी भी तना हुआ था। कविता लण्ड को बड़े गौर से देख रही थी। जैसे मन में उसकी तस्वीर बना रही हो। उधर जय ममता के बुर को पकड़ लगातार छेड़ रहा था। ममता कभी हंसती, तो कभी बेचैन हो उठती पर जय उसे कहीं जाने नही दिया। बल्कि ममता के बुर पर तो उसने 2 4 थप्पड़ जड़ दिए। तभी ममता अपने को किसी तरह छुड़ा ली और उतरकर दरवाज़े की ओर भागी। उसकी चुच्चियाँ लगातार हिल रही थी। उनका डोलना मस्त लग रहा था। साया कमर में फंसा था, तो गाँड़ भी पूरी नंगी थी। चूतड़ों का दोलन आंदोलन दौड़ने से और भी कामुक हो गया था।

जय भी झट से उठ गया और ममता को पकड़ लिया। फिर उसे वापस बिस्तर पर ले आया। ममता उससे मिन्नत करती रही, पर उसने एक न सुनी।
जय ने ममता के नंगे चूतड़ों पर कई थप्पड़ लगा दिए। ममता की कामुक आँहें पूरे कमरे में गूंज रही थी। तभी जय ने कविता को ममता के ऊपर लिटा दिया और कविता की लसलसी बुर में लण्ड पेल दिया। कविता बुर में घुसे लण्ड के एहसास से सीत्कार उठी।

जय- क्या हुआ दीदी, ऐसे सिसिया क्यों रही है?
कविता- ये लण्ड घुसने का एहसास है, हमारे भैया सैयांजी। जिस तरह प्यासे को पानी मिल जाता है, उसी तरह बुर को लण्ड मिलने से मन तृप्त हो जाता है। अब चोदिये अपनी पत्नी को।
जय लण्ड और अंदर पेलते हुए बोला,” ये तो हमारा काम है। तुम जैसी खूबसूरत पत्नियों को बिस्तर में खूब चोदना है।जय ने कविता के बाल पकड़ लिए, और जोर जोर से चुदाई करने लगा। कविता ने उसे बिल्कुल नही रोका। वैसे भी शेर अब शिकार का मज़ा ले रहा था। जय कविता के बुर से लण्ड निकालता और फिर घुसा देता। इसी तरह ताबड़तोड़ चोदे जा रहा था। ममता नीचे तड़प रही थी। जय ने उसे चिढ़ाने के लिए बुर में चिकोटी काट लिया। उसे बड़ा मजा आ रहा था, ममता को देखने में। उधर कविता भी गाँड़ उछाल उछाल कर चुदवा रही थी।

थोड़ी देर में बेचारी कविता भी झड़ने लगी। तो जय ने उसके साथ भी वही किया जो ममता के साथ किया था। दोनों माँ बेटी को किनारे लाकर छोड़ दिया था। दोनों ही बेहद मचल रही थी। कविता के बाल पकड़के उसने उसे खींचकर अपने लण्ड को उसके मुंह पर रगड़ने लगा। कविता भी उसके लण्ड को पकड़े पूरे चेहरे पर पटक रही थी। जय ने ममता की ओर देखा, ममता जैसे सांसें रोके लेटी थी। जय,” कविता दीदी ये लण्ड को माँ की बुर में घुसा दो।” कविता एक आज्ञाकारी पत्नी की तरह वैसे ही किया। जय ने लण्ड घुसाया तो ममता की बुर से थोड़ा पेशाब निकल गया। जय को ये देख बड़ा मजा आया और फिर ममता की चुदाई शुरू कर दिया।

जय ममता के चुच्चियों को अपने पंजों से पकड़ मसल रहा था। ममता का साया उसके कमर में फंसा था। जय अपनी जन्मस्थली को अपने लण्ड से कुटाई कर रहा था। ममता की बुर अपने बेटे के कड़े लण्ड की चुदाई से अब तक दो बार चुद चुकी थी। पर जैसे ही वो झड़ने को होती जय ममता की बुर पर थप्पड़ बरसा देता था। ताकि वो झड़े ना। इस बार भी जय ने वही किया। जैसे ही बेचारी झरने को हुई, जय लण्ड निकाल लिया और ममता की बुर पर लगातार पांच छः थप्पड़ मार दिया। ममता तीसरी बार किनारे लगने से रुक गयी। ऊपर से अब उसे पेशाब भी बहुत जोर से आ रही थी। जय ने दोनों को अब तक पेशाब भी नहीं करने दिया था। जय ने कविता को अपने करीब खींचा और उसके गाँड़ में लण्ड घुसा दिया।

कविता भी कुतिया बनी हुई थी। वो अपने गाँड़ के छेद में जय के खड़े लण्ड को प्रवेश करता महसूस कर रही थी। जय ने ममता के बाल पकड़ उसे कहा,” कितना, मज़ा आ रहा है, अपनी माँ और बहन को बिस्तर में रंडी बनाकर चोदने में। माँ, अपना मुंह कविता दीदी के गाँड़ के पास टिकाओ और हमारे लण्ड को लेने के लिए तैयार रहो।”

ममता ने वैसे ही किया। जय पर औषधि बहुत ही भारी थी। वो पिछले तीन घंटों से लगातार चोदे जा रहा था।
ममता- बेटा, हमको मूतने जाने दो ना। तुम ना तो झड़ने दे रहे हो, और ना मूतने दे रहे हो। ऊपर से इतना चोद रहे हो। आज हम मां बेटी शाम से पानी पिये जा रहे हैं। हमारे अंदर झील बन गया है। हमको मूतने दो, हम जल्दी आ जाएंगे।

जय- माँ कैसा लग रहा है तड़पना, हम ऐसे ही तड़प रहे थे। बोलकर उसने ममता के मुंह पर थूक दिया। ममता के गाल, नाक और होंठ पर थूक चिपक गया। ममता को ये बुरा नहीं बल्कि उत्तेजनावर्धक लगा, की कोई मर्द उसे इस हद तक अपने काबू में रख सकता है।
ममता- बड़े बेरहम हो गए हैं आप बेटा सैयांजी।ममता अपनी बुर को सहलाते हुए, मुंह खोल वहीं बैठ गयी। कविता की गाँड़ बहुत खुल चुकी थी। ममता उसकी गाँड़ के चारो ओर अपनी जीभ फिरा रही थी। जय उसको देख हंस रहा था। कविता अपने चूतड़ पकड़ चुदवाने में मस्त थी। जय ने लण्ड निकाल ममता के मुंह में दे दिया। ममता लण्ड पर लगी कविता के गाँड़ का चिपचिपा पदार्थ अपनी जीभ पर महसूस कर रही थी। कविता की गाँड़ का छेद चूहे की बिल की तरह खुला था।

कुछ पल लण्ड चुसवाने के बाद जय ने कविता की गाँड़ में लण्ड वापस पेल दिया। इस बार ममता ने जय के पैर पकड़ लिए। और बोली,” बेटा, अब जाने दो, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है।” जय ने ममता के गाल को थपथपाते हुए कहा,” बस तेरी बेटी की गाँड़ चोद ही लिए हैं, फिर हम भी मूतने जाएंगे, तुम्हारे साथ। थोड़ा रुको ना।” ममता ने जय को जल्दी झड़वाने के लिए, उसके आंड़ को मुंह में रखकर चूसने लगी।

कविता की किसी हुई गाँड़ और ममता के मुंह की गर्माहट से जय अब पिघलने लगा। और गाँड़ के अंदर ही मूठ गिरा दिया। जय लण्ड निकालकर ममता के मुंह मे दे दिया। ममता उसे चूसकर साफ करने लगी। जय के लण्ड पर लण्ड के रस और कविता की गाँड़ के रस का अद्भुत मिश्रण था। उधर कविता की गाँड़ से लण्ड का रस चूने लगा। कविता उसे अपने हथेली पर इकठ्ठा कर चाटने लगी। जय आँखे बंद कर इस चरम सुख का।आनंद ले रहा था। थोड़ी देर बाद सब नार्मल हुआ तो, जय बिस्तर से उतरा और ममता को अपनी गोद में उठा लिया और उसे बाथरूम ले गया।

ममता अपने बाहों का हार उसे पहनाए हुए थे। कविता वहीं बिस्तर पर लेटी रही। ममता को बाथरूम में जय ले घुसा, तो ममता बोली,” अब तुम उतारोगे तब तो हम मूतेंगे।” जय मुस्कुराया और उसे उतार दिया। ममता ने फिर कहा,” तुम यहीं खड़े रहोगे, तो हम पेशाब कैसे करेंगे। बाहर जाओ ना।”

जय ममता को अपने पास खींच लिया और उसकी आँखों में देखकर बोला,” अरे अब कैसा शर्म हमसे। पति को तो सब देखना है।” ममता हंस पड़ी। ठीक है देखो जो देखना है, हमको छोड़ो।” जय ने उसे छोड़ दिया ममता लैट्रिन की शीट पर गयी और साया उठाया फिर बैठ गयी। उसकी बुर से सीटी की आवाज़ के साथ, मूत की धार निकलने लगी।mom son story

जय को ये देख बहुत अच्छा लग रहा था।ममता करीब 3 मिनट तक मूती। उसके चेहरे पर बहती मूत की धार के साथ, सुकून की मुस्कुराहट आ रही थी। अचानक उसके चेहरे पर गरम पानी सा गिरता महसूस हुआ।

 मता का पूरा चेहरा और बाल भीग चुके थे। उसके कंधों और चुच्चियों से जय का गरमा गरम मूत बह रहा था। ममता की आंखें अभी बंद थी। उसने चेहरा अलग हटाया और आंखों को अपने हाथों से पोछा। फिर कनखियों से देखा तो जय अपना लण्ड हाथ मे पकड़कर उसके ऊपर मूत रहा था। वो मुस्कुरा रहा था।

तभी ममता बोली,” जय ये क्या कर दिया तुमने, हमही पर मूत दिए। हमको पेशाब करवाने लाये थे और तुम हम पर पेशाब कर रहे हो। अरे हटाओ ना लण्ड अपना, हम पर मूतने में तुमको मज़ा आ रहा है। देखो हम पूरे गीले हो गए हैं।”
जय ने देखा कि ममता का मुंह खुला हुआ है तो, उसके मुंह में लण्ड से निशाना लगाकर ममता के मुँह में मूतने लगा। जय की मूत की पीली धार सीधा ममता की जीभ से टकराई। ममता का मुंह तुरंत मूत से भर गया, उसने उसे उगल दिया। जय ये सब देख हंसता रहा, फिर बोला,” अरे इसीमें तो मज़ा आता है, हमको।

तुम अभी बहुत अच्छी लग रही हो माँ। हमारे ख्याल से हर औरत को ये ज़रूर करना चाहिए। अपने मर्द के मूत/ पेशाब से नहाना चाहिए और उसका मूत भी अमृत समझकर पीना चाहिए। ये औरत के समर्पण को दर्शाता है। हां, भले ही थोड़ा सा अजीब लग सकता है, और पहली बार में ये सब कर भी नहीं सकती। पर जिनकी आत्माएं एक हो जाये, उनके लिए ये तो कुछ भी नहीं। और अपनी पत्नी से तो इसकी कामना कर ही सकते हैं।

सेक्स का ये एक घिनौना और गंदा रूप है, पर तुमको इसमें खुदको ढालना होगा। तुमको तो इसके भी आगे बढ़ना है। तुमको पूरी निर्लज्ज होना पड़ेगा और इन चीज़ों के परहेज से बचना होगा।”
जय के लण्ड से पेशाब गिरना बंद हो चुका था। ममता खड़ी हो गयी और अपने चेहरे को पोछने के लिए आगे बढ़ने लगी। उसके बाल गीले हो चुके थे, चेहरा भी गीला था। चुचकों पर मूत की बूंदे मोतियों की तरह लटककर चू रही थी। उसका साया भी थोड़ा सा गीला हो चुका था।
जय ने उसे देखा और अपनी बांहों में पकड़ लिया। ममता बोली,” जय हमको छोड़ो ना, धोने दो देखो पूरा पेशाब से गीला कर दिए हो। हमको बहुत शर्म आ रहा है। पूरा बदबू है।”ममता- तुम कैसी बात करते हो जय? हम पेशाब कैसे पी सकते हैं। छी बहुत गंदा है। तुम हमारा मूत पी सकते हो क्या?
जय- हम तो तुम्हारा हर चीज़ पी जाएंगे। मूत क्या चीज़ है।
ममता बांहों में कसमसाती हुई,” झूठ, तुम पी नही पाओगे। बहुत गंदा स्वाद होता है।”
जय- और अगर पी लिए तो?
ममता- तो हम भी तुम्हारा पेशाब बेहिचक पियेंगे।
जय- पक्का ना?
ममता- पक्का।
जय- तुमको बदबू आ रहा है। एक मिनट रुको।” जय ने ममता का साया उठाया और मूत से गीले बुर को पूरे मुंह में भर लिया। और जीभ से पूरे बुर को चाटा। ममता की खट्टी और खारे पेशाब का स्वाद उसके मुंह में समा गया। पर जय को वो चासनी जैसी लगी। वो चाट रहा था और ममता इस पूरे प्रक्रिया के दौरान उसको बोले जा रही थी,” जय ये क्या कर रहे हो? गंदा है वो , हमारा मूत क्यों पी रहे हो?  हालांकि वो ये बोल रही थी। पर उसे जय के जीभ से टकराते बुर के दाने का एहसास पागल कर रहा था।mom son story

इस वजह से उसके बुर से और मूत निकल गया। जय उसे बिना किसी झिझक के पी गया।  वो जय की ओर देखी। जय और उसकी आंखें टकराई। फिर जय ने उसको छोड़ा और कहा,” माँ, तुम्हारी कोई भी चीज़ गंदी नहीं। ये तो तुम्हारे अंदर था। हम तुमको प्यार करते हैं।”
ममता उसे देखी तो उसे एहसास हुआ कि जय उसको कितना चाहता है, की उसके मूत को भी पानी की ही तरह पी गया। ममता ने उसे चूम लिया और बोली,” बेटा सैयांजी, तुम तो बहुत ही अच्छे हो, पर हम कैसे हैं कि तुम्हारा दिल दुखाये। कैसा लगा अपनी माँ की मूत का स्वाद?
जय- मस्त बिल्कुल चासनी थी।”
ममता- चल हट…. वैसे तुम्हारे मूत का स्वाद तो खारा था।
जय- कोई बात नहीं, कुछ दिन में तुमको इसकी आदत हो जाएगी। बाद में खूब पियोगी।

तभी पीछे से आवाज़ आई” भाई, हमारे मूत का स्वाद चखना चाहोगे, हमको मूत लगी है।” जय और ममता आलिंगन में थे दोनों ने देखा, तो कविता मुस्कुराते हुए खड़ी थी।  ममता के सामने ही वो बेबाक होकर बोली थी। जय ने कहा,” तुम्हारी पैंटी से तो तुम्हारे बुर और मूत का स्वाद खूब चखा है, पर आज तुम्हारा ताज़ा पेशाब पिऊंगा। आ जाओ।” कविता उसके पास आ गयी। जय घुटनो पर बैठ गया और कविता अपना साया उठाके बुर को उसके मुंह पर सेट की। ममता वहीं पास में खड़ी थी। कविता के बुर से सिटी की तरह आवाज़ गुनगुनायी फिर उसके मूत्रद्वार से पेशाब की पतली धार निकली। वो सीधा जय के नाक से टकराई।कविता फिर बुर को पीछे की तो धार उसके मुंह मे गिरने लगी। कविता की आंखें बंद थी। वो भी बहुत देर से नहीं मूती थी। जय उसके मूत को बेहिचक पीने लगा। कमरे में भीगी फुआर की महक आ रही थी। जो कि कविता की मूत की थी। कोई तीन चार मिनट मूतने के बाद कविता ने आंखें खोली तो देखा, जय का सीना, पेट, जाँघे और लण्ड सब गीला हो चुका है। जय ने उसका बहुत मूत पिया भी था। जय उठा तो उसने कविता से कहा,” दीदी तुम मां के बदन को चाटो, अभी अभी हम मां को मूत से नहलाये हैं।” ममता बोल उठी,” नहीं अभी नहीं बाद में।” शायद उसको शर्म आ रही थी।

कविता,” जय मां तो शर्मा रही है। माँ अब हमको इसकी आदत लगा लेनी चाहिए। क्योंकि ये सब तो चलता ही रहेगा।” ये बोलकर कविता ममता को पकड़ उसको चूमने लगी। दोनों के होंठ एक दूसरे में उलझ गए। ममता के पूरे बदन से जय के पेशाब की गंध आ रही थी। उसके मुंह से वही गंध कविता खूब मज़े से सूंघते हुए उसको चाट रही थी। मूत का खारा स्वाद उसकी जुबान पर घर कर गया। फिर वो ममता के पूरे चेहरे को चाटने लगी। इसके बाद कविता ममता के गर्दन को चूमते हुए उसकी उन्नत चुच्चियों को चूसने लगी। पीली पेशाब की बूंदे उसके प्यासे होंठों पर ओस की बूंदों की तरह गीला कर रही थी। ममता उसे रोक नहीं रही थी, बल्कि और उत्तेजित हो चुकी थी। दोनों एक दूसरे को जकड़े हुए थी। जय उन दोनों को देखकर खुश और उत्तेजित होने लगा।
जय- तुमदोनों को ऐसे देख बहुत अच्छा लगता है।” जय अपना लण्ड पकड़कर बोला,” अभी और पेशाब है, पियोगी।”
कविता जय की ओर देखकर बोली,” तुम्हारा पेशाब हमारे लिए अमृत ही है। तुम भी तो हमारा पेशाब पिये हो। तो हमदोनों भी पियेंगे। क्यों माँ??
ममता- अभी अभी तो शर्त हारे हैं। पूरा तो करना पड़ेगा? जय ने हमारा मूत पिया है अब हमको भी बेहिचक इसका मूत पीकर इसकी हर इच्छा पूरी करनी होगी।” ये कहते हुए वो दोनों घुटनों पर बैठ गयी। वो दोनों मुस्कुरा रही थी।  दोनों उसके सामने अपना मुंह खोलके इंतज़ार करने लगी। जय उन दोनों को देख हंसा फिर बोला,” दोनों चिपकी रही तो पिलाने में आसानी होगी।” जय के लण्ड से मूत की धार फूट पड़ी। जय उन दोनों के मुंह पर मूत की पीली धार बरसाने लगा। दोनों औरतें चेहरे पर गरम मूत की धार के एहसास से ” ऊऊऊ” बोल उठी। जय,” बताओ कैसा लग रहा है दीदी?
कविता अपने चेहरे से मुंह मे गिरते पेशाब का स्वाद लेते हुए बोली,” खट्टा और खारा है, नमकीन है। अभी तो इतना अच्छा नहीं लग रहा है। पीते पीते आदत लग जायेगा। मूठ भी तो पीते पीते ही अच्छा लगता है।” बोलते बोलते उसे उबकाई आ गयी। जय उसे देखकर हँसने लगा।वो खुद भी मुस्कुराई। उसकी आँखों में पानी आ गया था। लेकिन फिर दुबारा हिम्मत करके पेशाब की पीली धार के नीचे आ गयी। जय ने उसे अपने पेशाब से माथे से लेकर घुटनों तक भिगो दिया। उसकी सख्त जवान चुच्चियाँ तन कर खड़ी थी। बाल गीले हो चुके थे। उसके खुले मुंह से पेशाब भरकर तेजी से चू रहा था। दूसरी ओर ममता घुटनों पर बैठी अपनी बारी का इंतज़ार कर रही थी। कविता के बदन से छींटे उड़कर उससे टकरा रही थी। तभी जय ने पेशाब की धार ममता के गोरे मुखड़े पर मारी। उसकी आंखें अनायास बंद हो गयी और पूरे चेहरे  पर जय का बदबूदार पेशाब फैल गया। तभी कविता ने जय का लण्ड पकड़ लिया, जो अब तक वो पकड़े था। उसने जय का हाथ हटा दिया जैसे कह रही हो कि आप क्यों तकलीफ करते हैं। और खुद उसकी आँखों में देखकर लण्ड को ऊपर नीचे करके ममता को भिगोने लगी। ममता हिम्मत करके करीब एक डेढ़ कप पेशाब पी गयी होगी। इस बार भी उसे कई बार उबकाई आई लेकिन वो बेचारी डटी रही। जय उन दोनों को इस स्थिति में देख बहुत संतुष्ट था। दोनों ने बहुत ही अभूतपूर्व प्रयास किया था। कविता – कैसा है माँ, इसका स्वाद?
ममता- बिल्कुल वैसा जैसा तुमने कहा। बारिश में भीगी हुई कच्ची फुआर की खुशबू है। बचपन से लेकर आजतक ऐसा ही पेशाब करता है ये। बचपन में भी हमको गीला कर देता था, अब बड़ा होकर तो नहलायेगा अपने मूत से।” बोलकर वो हंस पड़ी। जय और कविता भी हसने लगे।
जय- तुम दोनों को इसकी आदत लगाने के लिए बियर पीनी चाहिए। बियर का स्वाद बिल्कुल अच्छा नहीं होता।”
ममता- तुम कबसे बियर पीने लगा? तुम तो दारू हाथ नहीं लगाते?
जय- हम आज भी दारू नहीं पीते हैं, माँ। वो तो दोस्तों ने एक बार पिलाया था। हमको बहुत खराब लगा था।”
कविता- फिर ठीक है, हमलोग आज ही बियर पियेंगे देखते हैं, कैसा लगता है।”
ममता- लेकिन जय तुम मत पीना, दारू बेहद खराब चीज़ है।
कविता- अरे मां, बियर में दारू उतना नहीं होता है। उसे पीने में कोई खतरा नहीं है।”
ममता- ना एक ही बेटा है हमको वो भी ये सब करेगा। ना ना।
कविता- बेटा तुम्हारा अब हम दोनों का पति है, माँ। तुम कब तक इसको समझाती रहोगी। ये बड़ा हो चुका है। सही गलत समझता है।”
ममता- ठीक है पहले हम पियेंगे, तभी जय पियेगा।”
कविता- सब साथ में पियेंगे, ये हमारा फैसला है भूलना मत हम तुमसे बड़े हैं। हम जय की पहली बीवी हैं और तुम दूसरी।
जय उन दोनों को देख मुस्कुराया। अब तीनों बाथरूम में भीग चुके थे। पूरे कमरे में पेशाब की महक आ रही थी। जय ने फैसला लिया कि अभी उन तीनों को नहा लेना चाहिए। जय ने शावर ऑन किया और तीनों उसमें भीगने लगे। जय उन दोनों को बांहों में भर चुका था। इस वक़्त वो शाहरुख और कविता और ममता करिश्मा और माधुरी लग रही थी, बिल्कुल दिल तो पागल है जैसे। दोनों उससे चिपकी हुई थी।

जय को वो दोनों रगड़कर नहला रही थी। दोनों का साया उनसे गीला होकर चिपक गया था। उनकी गाँड़ उनकी जांघ सबका उभार साफ पता चल रहा था। गाँड़ की दरार में साया घुस गया था। जय उनको हर संभव जगह स्पर्श कर रहा था। कभी उनकी चुच्चियों को दबाता तो कभी गाँड़ को। जब उन्होंने जय को नहला दिया तो फिर दोनों ने एक दूजे को पकड़ लिया और एक दूसरे को रगड़ने लगी। तभी अचानक दोनों चुम्मा में उलझ पड़ी। उफ्फ क्या दृश्य था। दो औरतें जिनकी चुच्चियाँ नंगी थी, साया घुटनो तक उठा हुआ था और गीला होकर बदन से चिपक गया था। पूरे बदन से पानी चू रहा था। और दोनों चुम्बन करते हुए जय को कनखियों से देख रही थी। जय का लण्ड ये देख खड़ा हो गया। ममता और कविता भी कामुक हो चुकी थी। जय के लण्ड को पकड़कर कविता हिलाने लगी। उसने शावर बंद कर दिया और दोनों को टॉवल दे दिया। ममता ने टॉवल से जय को पोछा फिर कविता को। कविता ने ममता को पोछा। दोनों ने अपना साया बाथरूम में ही खोल दिया। अपनी कमर हिलाकर साया को नीचे सरकाया। वो धडाक से नीचे गिर गया।

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