Incest क्या…….ये गलत है?

फिर अचानक दोनों की नजरें मिली, एक सेकंड को दोनों बिल्कुल खामोश थी, और अगले ही पल दोनों की हंसी छूट गयी। दोनों एक दूसरे को पकड़कर हंस रही थी। तभी कविता की नज़र ममता के गर्दन पर बनी लव बाईट पर पड़ी। वो हंसते हुए ममता को दिखाई तो ममता ने भी उसके गालों पर, वैसा ही निशान दिखाया। दोनों फिर हंसी। दो सौतन का ऐसा मेल शायद ही किसीने देखा होगा। आखिर में दोनों शांत हुई, और कविता ने ममता की ओर देखकर कहा,” हम दोनों अब माँ बेटी से सहेलियां बन चुकी हैं, फिर भी कल रात हम दोनों को शर्म आ रही थी। जबकि दोनों पहले सब कुछ खुल्लम खुल्ला कर रही थी। हम दोनों ने ही जय को अपना माना है, फिर भी। ऐसा क्यों??
ममता- क्योंकि, सहेलियां तो हम बाद में बनी, पहले तो हम दोनों माँ बेटी थी। और इस रिश्ते को हम दोनों चाहकर भी भुला नहीं सकते। तुम्हें भले ही हमारे सामने कुछ नहीं महसूस होता, पर हमको तुम्हारे सामने किसी से चुदवाते हुए शर्म तो आएगी ही।
कविता- माँ, ऐसा नहीं है हमको भी थोड़ा शर्म आ रहा था। जय के जादू ने हम दोनों को करीब तो ले आया, पर उसकी बीवी बनकर भी एक बिस्तर पर सोना शर्मनाक लगता है।
ममता- ये सोचकर तो हम शर्म से गड़ रहे थे, की हम माँ बेटी घर के मर्द की ही दुल्हन बन, एक साथ उसी मर्द जे साथ सुहागरात मना रहे थे। पर जब रात में चुदाई का नशा, चढ़ा था तो चुदाई के अलावा कुछ सूझ ही नहीं रहा था। बस लण्ड की प्यास लगी थी।कविता- सछि बोली हो तुम माँ, बिल्कुल जब लण्ड की प्यास लगती है, तो औरत को काबू करना आसान हो जाता है। उस वक़्त मर्द हमसे कुछ भी करवाते हैं। और हम भी काम पिपासी हो, सब भूल कुछ भी करने को तत्पर हो जाती हैं।
ममता- इसमें हमारा दोष नहीं है। हम औरतों को भगवान ने बनाया ही है कि, हमने, शर्म का गहना शुरू से पहना हुआ है। और मर्दों को ज़ोर जबरदस्ती कर इस गहने को उतारने में बड़ा मजा आता है। ये तब ही उतरता है, जब बुर को लण्ड का स्वाद मिल जाए। हम तो इसको खूब समझते हैं, पर अब तुम भी समझ जाओगी।
कविता- माँ, जय ने घर में ही एक मिनी जिम खोला है। जिसमे ट्रेडमिल, एब्स से संबंधित एक दो उपकरण है। हम दोनों के फिट रहने के लिए। तुमको अभी वजन गिराना होगा और हमको भी। फिटनेस बहुत ज़रूरी है।
दोनों इसी तरह गप्पें मारती रही। तब तक 12: 30 हो चुके थे। जय अभी तक सोया था। आखिर में दोनों एक साथ, अंदर जाकर जय को उठाने का फैसला किया। कविता और ममता दोनों, बिस्तर पर चढ़ गई और जय के कानों के पास आकर बोली,” आई लव यू, उठिए ना।” जय ने उन दोनों की आवाज़ जैसे सपने में सुनी हो, वैसे सोचकर नींद में ही मुस्कुराया। पर तभी दोनों ने जय के आज बाजू जय की ओर करवट लेकर लेट गयी और उसके गालों पर चुम्मा देने लगी। जय आखिरकार उठ गया। अपनी दो नई खूबसूरत बीवियों को देख वो, मुस्कुराया और उनको अपनी बाहों में भर लिया। फिर ममता बोली,” जय, उठो हम दोनों को भूख लगी है, जल्दी उठो अपनी बीवियों को इस तरह भूखा नहीं रखते। जब तक तुम नहीं खाओगे, तब तक हम दोनों नहीं खाएंगे। इसलिए जल्दी तैयार हो जाओ।
जय- अच्छा ठीक है। हम जाते हैं, पर तुम दोनों ऐसे भूखी ना रहो। कुछ खा लो।
कविता- ये नहीं हो सकता, हमने तुम्हारी बात रखी, अब तुम हम दोनों को अपना धर्म निभाने दो।
जय- ठीक है, फिर हम तुरंत गए और आये।”
वो बिस्तर पर नंगा ही खड़ा हो गया। ममता और कविता वो देख हसने लगी। जय अपना लौड़ा कमर की चाल से हिला रहा था। जय उन दोनों को देख, मुस्कुरा रहा था।
कविता- जाओ ना जल्दी।
ममता- रात को जो हुआ काफी नहीं था, क्या?
जय- ये तो शुरुवात है, अभी तो ये सिलसिला लंबा चलेगा।” जय ने बोलकर कविता के मुंह पर अपना लण्ड चिपका दिया। ममता उठकर वहाँ से जाने लगी तो जय ने उसका हाथ थाम लिया और जबरदस्ती बैठा दिया। अब तक कविता के मुंह में उसने अपना लण्ड घुसा दिया था। कविता ने जय के लण्ड, को समा लिया। जय वहीं उसके मुंह को चोदने लगा। कविता लण्ड को उसके सुपाडे को अपनी जीभ से सहला रही थी। थोड़ा सा चूसने के बाद कविता बोली,” ये इतनी जल्दी शांत नहीं होगा। तुम जल्दी से बाथरूम से आओ, फिर हम देखते हैं।” जय एक बार बोलने पर ही समझ गया कि कविता सच बोल रही है और, जय फ्लाइंग किस देकर चला गया। दोनों ममता और कविता बाहर खाना लगाने लगी। जय आधे घंटे में नहाकर बाहर आया। उसने एक तौलिया ही लपेटा था। जय सीधा टेबल पर पहुंचा, जहां खाना लगा था। ममता और कविता दोनों उसके पास खड़ी थी, और उसको खाना पड़ोस रही थी। दोनों ने पहला निवाला जय को बारी बारी से बड़े प्यार से खिलाया। जय दोनों के ओर देख मुस्कुराते हुए खाना खाने लगा। जय को हाथ जूठा करने की जरूरत ही नहीं थी।
ममता- कल से बाहर का खाना नहीं मंगवाएँगे। हम दोनों हैं, ही घर का खाना ही चलेगा। तुम्हारी सेहत के लिए ठीक रहेगा।
कविता- तुम ठीक बोलती हो, माँ जब हम दोनों हैं ही तो खाना बाहर से क्यों मंगाना।
जय- हमको तो कोई भी खाना चलेगा, पर तुम दोनों के हाथ का बना हो तो हमको और क्या चाहिए।
ममता- शादी के बाद दो दो पत्नियां होते हुए आप बाहर का खाना खाएं, ये तो हमारी लिए शर्म की बात है।जय- माँ, ये बात बोलके तुम दिल जीत ली हो। ज़रा पास आओ हमारे क़रीब।” ममता उसके चेहरे के पास आई। जय ने उसके गालों को पकड़के होंठ पर होंठ चिपका दिए। दोनों चुम्बन में लीन थे। कविता ये देख मुस्कुरा रही थी। ममता उस चुम्बन का आनंद ले रही थी, जय के मुँह से खाने का स्वाद उसके मुंह में उतर आया। जय ने ममता को खींचकर अपने गोद मे बिठा लिया। कविता वहीं खड़ी थी।
कविता- जय पहले खाना खा लो, बाद में माँ के होंठों का रस चूस लेना।
ममता ये सुन शर्मा गयी और जय के होंठों से खुद को छुड़ाया। वो जय के गोद से उठना चाहती थी। पर जय उसकी नंगी कमर को जोर से पकड़े थे। ममता उसके कानों में बोली,” जाने दो ना, छोड़ो हमको।” जय ने उसको खुद से और चिपका लिया और बोला,” नहीं जानेमन, इतना आसानी से नहीं छोड़ेंगे, तुमको।” ममता ने अपना सर उसके कंधों पर झुका लिया।
कविता- हम तो खाने जा रहे हैं। जय तुम अपनी इस बीवी के साथ थोड़ा समय बिताओ।” जय – तुम कहाँ जा रही हो, कविता दीदी? तुममें और माँ में अब कोई फर्क है क्या? तुम भी बीवी हो और माँ भी। तुम भी हमारे गोद में बैठो, यहाँ हमारी जांघ पर। वैसे मज़ा तो तब आएगा, जब तुम दोनों नंगी होकर इन जांघों पर बैठोगी।”
कविता- ओहहो, ये बात है। तो ठीक है हम भी बैठ जाते हैं, पर अभी नंगी करोगे हमको तो चोदे बिना कहां रह पाओगे। और अभी तुमको ताक़त की जरूरत है, ताकि रात में जो मर्ज़ी आये वो करो। हम दोनों भी भूखी हैं।” कविता उसकी दूसरी जांघ पर चूतड़ टिकाते हुए बोली।
जय- मानना पड़ेगा कि तुम बहुत दूर का सोचती हो, जान। चलो हम तो बहुत खा चुके, तुम दोनों भी, ऐसे ही बैठ के खाओ। तुम दोनों को ऐसे बैठाके खिलाने से देखो ना लण्ड कितना कड़क हो गया है।
ममता- ये तो कल रात से हम दोनों की इतनी खबर ले चुका है। अब भी इसका मन नहीं भरा क्या?
जय- आये हाये माँ, तुम दोनों जैसी खूबसूरत औरतें हो, तब ये कहां शांत होगा। अभी तो पता नहीं कितना दिन ये ऐसे ही रहेगा।” और ज़ोर से हंसा।
ममता और कविता उसी तरह जय के गोद में बैठ खाना खाने लगी। बीच बीच में जय उनकी अधनंगी पीठ सहलाता, तो कभी उनकी पल्लू में छिपी नाभि को छेड़ता। जय के साथ वो दोनों भी फुल मस्ती कर रही थी। इसी तरह छेड़ छाड़ करते हुए, तीनों खाना खत्म किये। दोनों उठकर किचन में चली गयी। जय ने दोनों की लचकती गाँड़ को देख, एक लंबी सांस ली और मन मे कुछ सोचकर मुस्कुराया। शायद, वो ये सोच रहा था कि, कब रात होगी और वो इनको नंगा करके मज़े लेगा। वो अपने कमरे में चला गया, वहां उसने हनीमून के लिए कुछ लोकेशन अपने लैपटॉप पर चेक किये। वो काफी देर, चेक करता रहा, पर उसे कुछ समझ में नहीं आया। वो उन दोनों के इंतज़ार में था। पर दोनों अब तक नहीं आयी थी। वो बाहर, निकलकर देखा तो दोनों, दूसरे कमरे में लेटी थी। दोनों आपस में कुछ बातें कर रही थी। तभी जय वहां आकर बोला,” यहां क्या कर रही हो तुम दोनों, चलो अपने कमरे में। वहां आराम करना।”
ममता बिस्तर से उठी और उसको कमरे से बाहर निकाल दी। दरवाज़ा बंद कर ली। जय अवाक सा रह गया,” ये क्या है? ऐसा क्यों??
ममता- तुम्हारे पास रहेंगे, तो हम आराम नहीं कर पाएंगे। तुम सोने ही नहीं दोगे। इसलिए हम अभी से शाम के सात बजे तक आराम करेंगे। फिर हम दोनों तुम्हारे पास आएंगे। रात भर फिर तो हम तीनों को जागना ही है।”
कविता- हां, जय तब तक तुम भी आराम करो। रात को मिलते हैं।
जय- पर,…. हम तो तुम दोनों को हनीमून डेस्टिनेशन चुनने बुला रहे हैं।
कविता- तुम उसकी फिक्र मत करो, हम वो सब सोच चुके हैं। जाओ आराम करो। और हां, तुम्हारे लिए औषधि वाला दूध रखा हुआ है। वो पी लेना।
जय का तो जैसे खड़े लण्ड पर धोखा हो गया। आखिर वो उन दोनों को अपने साथ सुलाना चाहता था। वो मन मसोस कर रह गया, और वापिस अपने कमरे में चला गया। जय ने मन में सोचा कि अब रात का इंतज़ार करने के अलावे और कोई चारा नहीं हैं।ममता बिस्तर पर आकर, कविता के पास लेट गयी।
कविता- अरे हमारी सौतन माँ, एक बात बताओ, तुमने शेर को भूखा छोड़ दिया है। वो तो बाहर पागल हो रहा होगा। पता नहीं रात को हम दोनों का क्या हाल करेगा??
ममता- शेर जितना तड़पेगा, उतना ही शिद्दत से हम दोनों हिरणियों का शिकार करेगा। ऐसा शेर का शिकार होने में बहुत मज़ा आएगा। तुम इस बात को रात में समझ जाओगी। वो औषधि वाला दूध पीकर वो, और भी मस्त और मतवाला हो जाएगा। फिर देखना, रात को कितना मज़ा आएगा। वो हम दोनों को चैन से साँस तक नहीं लेने देगा। और आज तो दूध भी ज़्यादा पियेगा, उसमें वो औषधि भी ज़्यादा मिली हुई है।
कविता- मगर शेर कहीं ज़्यादा खूंखार हो गया तो, हम दोनों की हालत खराब कर देगा। हम कोमल हिरणियां उसके शिकार के दौरान घायल ना हो जाये।”
ममता- घायल हो गए, तो समझो हमारा मकसद पूरा हो गया। हमारे शेर में दम है, तभी तो ऐसा होगा। तुम बस तैयार रहना, बाकी हम हैं ना।
दोनों इसी तरह बातें करते हुए सो गए। उधर जय दो तीन गिलास दूध पी गया। दूध पीने के घंटे भर के अंदर उसका लण्ड खड़ा हो गया। और अभी रात होने में चार घंटे बाकी थे। पर उसने अपने लण्ड को हाथ नहीं लगाया। वो मन में सोचने लगा, कि ममता और कविता को आज रात बहुत बेरहमी से चोदेगा। वो सोने की कोशिश करने लगा, पर सो नहीं पा रहा था। पर किसी तरह थोड़ी देर में उसे नींद आ गयी। जब उसकी नींद खुली, तो उसने देखा कि लण्ड अभी भी कड़क है। अभी शाम के 6 बजे थे। मतलब अभी एक घंटा बाकी था। वो अब बहुत तेज़ तड़प रहा था। किसी तरह उसने 45 मिनट काटे, पर अब उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। वो उन दोनों के कमरे के बाहर खड़ा हो गया, और अंदर की बातें सुनने लगा। अंदर कमरे में चहल पहल हो रही थी। जैसे दोनों तैयार हो रही थी। अंदर से कभी, हंसी की आवाज़ गूंजती तो कभी, जल्दी जल्दी करने का शोर सुनाई देता था। जय ने बहुत कोशिश की पर उसको कुछ समझ में नहीं आ रहा था, की अंदर क्या चल रहा है। घड़ी में सात बजे, फिर साढ़े सात और अंततः रात के आठ बजे दरवाज़ा खुला। जय अब तक एक सिर्फ टी शर्ट और हाफ पैंट में था। जिसमे लम्बा तंबू बना हुआ था। mom son story

दरवाज़ा खुला तो अंदर से ममता और कविता देवियों की तरह बाहर आई। ममता ने गुलाबी और कविता ने लाल सारी पहनी हुई थी। दोनों के ब्लाउज पीछे से पूरे खुले थे, और सिर्फ धागे थे। वो आज भी किसी दुल्हन की ही तरह सजी हुई थी। बाहर आई तो अचानक से बिजली चली गयी। ममता और कविता साथ में खड़े थे। दोनों इस तरह बिजली कटने से घबरा गए थे। तभी जय की कड़क आवाज़ गूंजी,” तुम दोनों ने आज दिनभर हमको बहुत तड़पाया है, और आज रात तुम दोनों को इसके लिए सज़ा देंगे हम। दोनों सीधे कमरे में चले आओ।”
ममता और कविता एक दूसरे की ओर देखी फिर एक दूसरे का हाथ पकड़ कमरे की ओर चल दी। जैसे ही दोनों कमरे में आई, तो देखा कमरे में चारों ओर खुशबूदार मोमबत्तियां जल रही थी। चारों ओर रोशनी हो रही थी, पर मोमबत्ती की रोशनी जैसे पूरा अंधेरा नहीं मिटाती वैसे ही थोड़ा सा अंधेरा भी था। जय लेकिन दिख नहीं रहा था। दोनों बिस्तर के करीब जा पहुंची, तभी कमरे का दरवाजा बंद हो गया। दोनों ने पलट के देखा तो जय वहां एक बॉक्सर में ही खड़ा था। एक बड़ा सा तंबू उसमें बना हुआ था। वो फिर दो कदम आगे बढ़ा, और कविता को अपने पास आने का इशारा किया। कविता किसी कंप्यूटरीकृत रोबोट की तरह उसके पास गई।

कहानी जारी रहेगी। mom son story धोबन और उसका बेटा

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