ममता की बात सुन जय,” हमारे अंदर चोदने की ललक और बढ़ गयी है। तुम्हारी ये बात सुनकर। हम तुम्हारे प्यास को जानते हैं। तुम जल्दी से संतुष्ट होने वाली नहीं हो। और नाही तुम्हारी बेटी। दोनों बिस्तर पर चुद्दक्कड़ रंडियां बन जाती हो।और आज तो दोनों साथ में हो,इसलिए तुमलोगों ने ऐसा किया है ना।”
ममता- हहम्मम्म, हाँ बेटा सैयांजी। इरादा कुछ ऐसा ही था।
जय- तो देख क्या रही हो, लण्ड पर वापस चढ़ जाओ और अपनी नारीत्व का नग्न नाच फिर शुरू करो।
कविता दरवाज़े पर आते ही बोली,” लण्ड पर चढ़ कर नाचने की अब हमारी बारी है।हम और माँ बारी बारी से चुदायेंगे।”
ममता मुस्कुरा उठी,” देखा, बेटा सैयांजी दो बीवियों के फायदा। इस लण्ड पर चढ़ने को कोई ना कोई तैयार ही रहेगी। माँ के बाद बेटी की बारी।
कविता बिस्तर पर चढ़ आयी थी। वो जय के लण्ड पर थूक की मालिस कर रही थी।
जय- माँ, तुम चुदाई की सबसे अनुभवी खिलाड़ी हो। लेकिन तुम्हारी बेटी, तुमसे कम नहीं है। ब्लू फिल्मों की तरह खूब चुदवाती है, और तुम भी पारंपरिक चुदाई से आगे बढ़ो, और आजकल जिस तरह से चुदाई की जाती है वैसे करो। जाकर अपनी बेटी के बुर से अंदर बाहर होते लण्ड को जीभ से चाटो। ताकि बुर का सौंधा नमकीन पानी, तुम्हारे मुंह में समाए। और थोड़ी भी हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए।
ममता- ठीक है, हम समझ रहे हैं, तुम जो कहना चाहते हो। यही ना कि अब हमको तुम्हारी तरह गंदी, और घिनौनी चुदाई करनी पड़ेगी।” वो उसके माथे को चूम कर बोली,” हम तुमको अब खुश करने के लिए, हर हद पार कर देंगे।”
कविता- माँ, इसी में तो मज़ा है, आ जाओ और भाई के लण्ड की सवारी करने में अपनी बेटी की मदद करो।ममता नीचे खिसकते हुए गयी। और कविता के हाथों से लण्ड लेकर, उसको जय के लण्ड पर बैठने का इशारा किया। कविता दोनों पैर जय के कमर के अगल बगल रख बैठने लगी। वो अपने दोनों हाथों से चिकनी चूतड़ को हिला रही थी। कविता जब नीचे आआई, तो ममता ने अपने मुंह से थूक निकालकर, उसके बुर पर मला। फिर बुर को एडजस्ट की, लण्ड के सामने और ममता ने लण्ड खड़ा रखा था। कविता के नीचे आते ही लण्ड उसके बुर में समाने लगा, जैसे माखन पर गरम चाकू हो।कविता और जय दोनों के मुंह से आआहह निकली। ममता अब कविता के पीठ से चिपक गयी। अपनी चुच्चियाँ उसकी पीठ में गराने लगी। कविता की चुच्चियों को पकड़कर सहला रही थी। कविता और ममता माँ बेटी अब कम सेक्स पार्टनर ज्यादा लग रही थी। दोनों आपस में चुम्मा ले रही थी।
कविता चूमने के बाद अलग होते हुए बोली,” माँ, हम ठीक से चुदवा रहे हैं ना? हम कुछ गलत तो नहीं कर रहे हैं, देखो चूचियाँ पूरी तनी हुई है, बुर एक दम भीगा है, मन में चुदने की प्यास है और बुर में भाई का लौड़ा भी है। तुम भी ऐसे ही चुदवाई होगी ना, अपने पहले सुहागरात में। हम तुम्हारी परंपरा आगे बढ़ा रहे हैं। आखिर तुमसे ये चुदवाने की कला विरासत में जो मिली है।”mom son story
ममता अपनी बेटी को ज्ञान देते हुए बोली,” कविता, ये हमेशा से ही औरतों का कर्तव्य रहा है, कि बिस्तर में रंडी का स्वभाव अपनाए। एक औरत को जीवन में सब किरदार, निभाने होते हैं, पत्नी का, माँ का, बहन का, बेटी का और बिस्तर में वेश्या का। हर पत्नी पति की वेश्या होती है। और वेश्या का काम, अपने मर्द को खुश करना होता है।बिस्तर में उनकी नाज़ायज़ मांग भी पूरी की जाती है,ताकि वो तुम्हारे बदन का भोग करके, संतुष्ट हो जाये। इस वक़्त तुम और हम एक वेश्या के किरदार में है। अगर हम दोनों बिस्तर पर, जय का पूरा ध्यान रखेंगे, तो ही ये हमारी हर ज़रूरत पूरी करेगा। हम चाहते हैं, तुम इस बात को ध्यान में रखो। और खुदको, समर्पित कर दो।तुम जब भी चुदवाती हो, तुम्हारे अंदर हम खुद को देखते हैं। अपनी जवानी की झलक मिलती है। वही चुच्चियों को हिलना, वही गाँड़ का थिरकना, बुर से बहता लसलसा पानी और चेहरे पर चुदने की प्रबल इच्छा। तुम वाकई, किसी भी मर्द को खुश कर सकती हो।” ममता उसकी उछलती चुच्चियों को भींचते हुए ज्ञान दे रही थी। एक माँ, अपनी बेटी को चुदाई का प्रैक्टिकल क्लास दे रही थी।
जय- वाह, रे रंडी बहुत अच्छा ज्ञान दे रही हो, अपनी बेटी को। तुम जैसी महान माँ, हो तो घर में बेटी को रंडी की ट्रेनिंग फ्री में मिलेगी। चलो अब लण्ड चाटो, और अपनी बेटी के बुर का स्वाद चखो।”
ममता हंसी, कविता कामुकता की वजह से सिर्फ मुस्कुराई। ममता झुककर सीधा, बुर से अंदर बाहर होते, उसके रस से भीगे चमकते लण्ड पर, अपनी जीभ फेरने लगी। वो ने के टांगों के बीच लेटी थी, कविता लण्ड पर सवारी कर रही थी। बेटी बुर में लण्ड घुसाए कूद रही थी, और माँ उसके बुर के रस को बेटे के लण्ड पर से साफ कर रही थी। ममता की आंखे, दोनों के यौनांगों, के एक दम करीब थी। जय का आंड़ जामुन की तरह लटका था, और लण्ड कविता के बुर में घुसकर गायब हो जाता था, फिर उछलने से आधा दिखता था। कविता की बुर जैसे लण्ड को चारों तरफ से पकड़के सिकंजा कसे हुए थी। ममता, कविता के चूतड़ पकड़के, उसकी उछलने में मदद कर रही थी। लण्ड के निचले हिस्से, की फूली हुई नली और नसें, उसके जीभ के संपर्क में आकर और लण्ड की फड़कन बढ़ा रही थी। कविता की बुर का निचला हिस्सा, जिधर गाँड़ होता है, उस हिस्से से गजब की महक आ रही थी। कविता के बुर का रस, लण्ड और बुर की गर्मी से, कामुक गंध में बदल कर ममता के नाक में घुस रही थी। कविता के गाँड़ और बुर के बीच का हिस्सा कोई आधा इंच का गहरा साँवला रंग का था। ममता उस हिस्से को जीभ से चाटने लगी और जय के आंड़ को सहला रही थी। ममता चाटते हुए बीच में थूक लगा देती।
कविता के चूतड़ों से जय के लण्ड के बांए और दांये, बुर के रस और थूक के मिश्रण से बने गीली पदार्थ के धागे जुड़ गए थे। पूरे कमरे में थप थप की मधुर आवाज़ें गूंज रही थी, जो कविता के चूतड़ों के प्रहार से उत्पन्न हो रही थी। कमरे की निर्जीव चीज़े, भी जैसे इस मनोरम दृश्य को देख रही थी। तभी कविता के तेजी से चूतड़ उछालने की वजह से लण्ड बाहर आ गया और ममता के गालों से टकराया। कविता हंसने लगी और बोली,” माँ, देखो ना लण्ड नाराज़ तो नहीं है, बाहर भाग गया।”
ममता- रुक जा मना के वापस भेजते हैं।” ममता ने जय के लण्ड को पकड़ा, वो बहुत ज्यादे, गीला था। उस पर बुर का रस बहुत ज्यादे लगा हुआ था। लण्ड को छूने से एक दम चिपचिपा सा महसूस हो रहा था। ममता लण्ड को अपने मुंह में घुसा ली और जीभ से चाटने लगी। उसे जय के लण्ड से निकले रस और कविता के बुर के रस से बना, ये बेहद गीला, चिपचिपा मिश्रण बहुत भा रहा था। जैसे ममता कोई चासनी चाट रही हो। कविता अपनी माँ, को ये करते हुए देख रही थी। जय ने भी ममता के इस हरकत को देखा तो अपने तलवे से ही उसकी पीठ थपथपाई। ममता जय के लण्ड को अपने पूरे चेहरे पर मल रही थी। फिर सुपाडे पर थूक का बड़ा लौंदा, चुआ दिया और उसे पूरे लण्ड पर मल दिया। ममता ने ऐसा दो तीन बार थूका, और लण्ड वापस कविता के बुर में ठेल दी। कविता बेहद कामुक अंदाज़ में अपने एक हाथ से गाँड़ सहला रही थी, और दूसरे हाथ की बड़ी उंगली मुंह में घुसाए थी। वो फिरसे उछलने लगी। जय ने उसके चूतड़ों पर अब तक 20 25 तमाचे लगा दिए थे। कविता हर थप्पड़ पड़ने पर जोर की आआहहहहहह भरती थी। उसके आंखों में उस दर्द से कामुक तरंगे उठती थी, जो उसके कामुक चेहरे को और अधिक काम पिपासी बना देती थी। हर थप्पड़ पर गाँड़ में थिरकन होती थी। तभी, जय कविता को अपनी बांहों में कसके पकड़ लिया। और अपनी कमर नीचे से ही बहुत तेजी में उछाल कर ताबड़तोड़ चोदने लगा।कविता की कामुक आँहें और तेज हो गयी और धीरे धीरे वो आँहें कामोन्माद से भरी चीखों में तब्दील हो गयी। कविता बहुत तेजी से झड़ी और लण्ड खुद ही बह आ गया। कविता के बुर से पानी की धारा बह निकली। ये उसके जीवन का सबसे बड़ा झड़ना था। वो जय के शिकंजे में फड़फड़ा रही थी। जय उसके चुच्ची पर काट रहा था। वो पूरा पसीना पसीना हो गया था। शायद वो भी झड़ना चाहता था। कविता अब तक दो बार झड़ी थी। और होश थोड़े देर के लिए सुन्न पर गए थे। ममता ने कविता को जय से अलग किया और खुद लण्ड को बुर में ले ली। कविता बाजू में लेट गयी। जय इस वक़्त बहुत ही उत्तेजित था। उसने ममता को बिस्तर पर पटक दिया, और खुद उसके पीछे करवट होकर लेट गया। ममता की टांग उठा कर, अपना लण्ड उसके बुर में पेल दिया। एक हाथ से उसके काली जुल्फों को कसके पकड़े हुए था, जिससे ममता उसकी आँखों में देख रही थी। दूसरे हाथ से उसकी टांग उठाये हुया था।ममता अपना दाहिना हाथ पीछे की ओर उसके सर पर रखे थी। और उसकी आँखों में, आंख डालकर आहें भरते हुए, पेलवा रही थी। नीचे बुर पर तगड़े शॉट्स, और बाल खिंचने से उत्पन्न दर्द होने के बावजूद उसकी आँहें और सीत्कारें बढ़ती ही जा रही थी। जय तो जैसे रुकना ही नहीं चाहता था। वो ताबड़तोड़ ममता के बुर को चोदे जा रहा था।
जय- आआहह, आह, आह, क्या चीज़ हो तुम ! तुम्हारी पेलाई करने में बड़ा मजा आ रहा है।
ममता- आ…आ….आ आआ ….. हहम्मम्म हह हह…. तुम जैसा आदमी मिले तो पेलवाने में और मज़ा आता है। चोदो हमको, देखो हम तुम्हारी माँ हैं, अपनी माँ को चोदो। देखो हमको कितना मज़ा आ रहा है। आआहह…. आईई….जय ममता के बाल को और खींचता है, ममता का मुंह खुल जाता है। जय उसके खुले मुंह में थूक देता है। जय,” घोंट जाओ।” ममता वो घोंट गयी,जैसे वो कोई प्रसाद हो। ममता अपनी जीभ बाहर निकालकर मुंह खोल रखी थी,तभी वो फिरसे थूक देता है, वो उसे भी घोंट लेती है।
कविता जय की पीठ सहला रही थी। जय का चेहरा लाल हो चुका था, पसीने से तीनों, ऐसी कमरे में भी बेहाल थे। ममता दो बार चुद चुकी थी, पर फिर भी जय की ताबड़तोड़ चुदाई से खुद पर काबू रख नहीं पाई। कामुकता से ओत प्रोत होकर बुर की बांध खोल दी। उधर जय चिंघाड़ते हुए, झड़ने लगा, ममता भी अपने बुर को सहलाते हुए झड़ गयी। कविता ने लण्ड से मूठ निकलने से तुरंत पहले, बुर से लण्ड निकालकर अपने मुंह में रख ली। जय ने करीब 10 12 झटकों में सारा मूठ, कविता के मुंह में निकाल दिया। उधर ममता भी बहुत तेज़ झड़ी। उसके बुर से भी काफी रस चू कर बिस्तर पर फैल गया। ममता अपनी बुर पर अपनी हथेली पटक रही थी। जय बिस्तर पर निढाल हो गया। वो पिछले दो घंटों से अपनी माँ बहन को बारी बारी से तीन तीन बार चोद चुका था। वो पलंग के किनारे लगे ऊंचे हिस्से पर पीठ के बल बैठ गया। उसका लण्ड अभी भी फड़क रहा था। कविता घुटनो पर बैठी, दोनों हाथ आगे रख, जय को देख मुस्कुराई। ममता उठी और कविता के पास ठीक वैसे ही बैठ गयी, जैसे कि वो। कविता ने फिर अपना मुंह खोला, और जय को उसका मुठ दिखाया। कविता का मुंह उसके सफेद गर्म रस से भरा हुआ था। कविता ने फिर ममता के चेहरे को झुकाया और अपना मुंह उसके खुले मुंह के सामने ले आई। जय ने ममता के चेहरे को गौड़ से देखा जैसे वो कह रही थी, की जल्दी से ये मूठ, हमको दे दो। कविता ने फिर धीरे धीरे मूठ उसके मुंह में दे दिया। सारा मूठ मुंह में लेने के बाद, ममता जय की ओर देखी और फिर मुंह खोलकर उसे दिखाई। इसके बाद मुंह मे उसे चारों ओर घुमाया और कविता के मुंह में आधा दे दी। दोनों माँ बेटी ने आधा आधा मुंह में लेकर उसको मुँह में चलाया। उसके बाद दोनों उसको बेहिचक घोंट गयी। फिर दोनों आपस में किस की। दोनों तिरछी नज़रों से जय को देख एक दूसरे की जीभ चाट रही थी।जय ने फिर कविता को अपने करीब आने का इशारा किया, और कविता पालतू कुतिया की तरह उसके पास पंजों और घुटनों के बल चलकर पहुंच गई। जय उसके होंठों को खूब चूमने लगा और कविता अधरों को अपने गिरफ्त में लेकर खूब चूसा। फिर ममता भी उसके इशारे पर उसके पास आई और खुद ही उसके चेहरे को पकड़कर होंठों को चूमने लगी। जय बारी बारी से दोनों को चूम रहा था। ममता और कविता उसके सीने को सहलाकर अपनी अपनी चुच्चियाँ उसके बदन पर रगड़ रही थी। जय थोड़ा थका सा था। उसने ममता की आंखों में देखा, जिसमें अब बेटे के तौर पर उसके लिए, प्यार काम था, और पति के तौर पर ज्यादा था। जय ने उन दोनों के चूतड़ों को दोनों हाथों से थामा, और सहला रहा था। उनकी गाँड़ की दरार में उंगलियां रगड़ रहा था, और दोनों चूतड़ उठाकर उसका सहयोग कर रही थी,ताकि उसका हाथ और अंदर तक पहुंचे।
कविता- भाई, लगता है तुम थक गए हो? सोना भैया, माँ को चोदने में ज़्यादा मज़ा आया या हमको?
जय- अरे मादरचोद, तुम जैसी दो बीवियां एक साथ चोदेंगे तो थकेंगे ना, दोनों बहुत गरम, चुदैल रंडियां हो।
ममता हंसते हुए बोली,” अब तो आदत बना लो बेटा सैयांजी, अभी तो चुदाई पूरी कहाँ हुई है। अभी तो रात बाकी है, देखो अभी तो ढाई ही बजे हैं। ये लो दूध पी लो, ताक़त आएगा।
जय ममता के बुर को दबोच लिया, ममता चिहुंक उठी। जय बोला,” हमारा भी मन नहीं भरा है। तुम दोनों को जब तक मन भर चोद ना लें तब तक सोएंगे नहीं। चलो दूध पिलाओ ना रानी अपने हाथों से।ममता गिलास उठा ली, जो बिस्तर से लगे मेज़ पर रखा था और उसकी ओर घूमकर दूध पिलाने लगी। कविता उन दोनों को देख रही थी। ममता उसकी आँखों में आंखे डालकर दूध पिला रही थी, और जय भी बिना पालक झपकाए ममता को देख रहा था। जय ने फिर ग्लास हटाने का इशारा किया। उसके ऊपरी होंठ पर दूध लगा हुआ था,होंठों से दूध टपक रहा था। ममता उसके होंठों को चूमने लगी।दोनों अलग हुए, तो जय ने ममता के हाथ से ग्लास ले लिया और घूंट भर लिया। और ममता के खुले मुंह में गिराने लगा। ममता सब पी गयी। कुछ देर बाद जय ने कविता के साथ भी यही किया। दोनों बेबाक हो चुकी थी। लेकिन जय को थोड़ा, आराम चाहिए था इसलिए उसने, कविता से पूछा,” तो तुमलोगों ने मामा और मौसी को कैसे मना लिया?
ये सुनकर दोनों हसने लगी, फिर ज़ोर के ठहाके लगाई। दोनों पांच मिनट तक हंसती ही रही। फिर कविता बोली,” माँ, ये तुम ही बताओ ना। ज़्यादा मज़ा आएगा।
ममता- अच्छा, ठीक है। तो सुनो हम दोनों उस रात एक दूसरे के साथ ही सो गए। ये जाने बगैर की आगे हमारा क्या होगा? दो दिन बाद जब सत्य के आफिस जाने के बाद, हम और कविता घर की सफाई कर रहे थे। हमारी नज़र एक सूटकेस पर पड़ी ( ये वही सूटकेस था, जिसे ममता पहले भी देखी थी)। हम उसको खोले तो, उसमें एक डायरी और एक पुरानी चिट्ठी थी। कहते हैं कि जिस चीज़ को चाहो, तो कभी कभी वो खुद ही तुम्हारे पास चली आती है। उस चिट्ठी में, सत्य ने माया के नाम चिट्ठी लिखी थी। वो माया को बहुत प्यार करता था, उसे अपनी प्रेमिका बनाना चाहता था। पर कभी उसकी हिम्मत नहीं हुई वो चिट्ठी, देने की। उसमें उसने एक घटना का भी जिक्र किया था, जब माया की तबियत खराब हुई थी, तो कैसे उसने उसके लिए मन्नतें मांगी थी। ये चिट्ठी उसने बारहवीं, पास करने पर लिखी थी। जब माया और हम, माँ के देहांत के बाद गए थे। हम कविता को ये चिट्ठी दिखाए और हम दोनों सोच लिए, कि अब सत्य को मनाना आसान हो जाएगा। और उस दिन जब वो घर आया तो…..
mom son story – दोस्त की माँ compleet