कमरे के अंदर गोल्डन पीले रंग की एल ई डी लाइट चारों ओर जल रही थी। पूरा कमरा फूलों से सजा हुआ था। अन्दर कमरे में किंग साइज बिस्तर लगा हुआ था। पूरा बिस्तर गुलाब की पंखुड़ियों से सजा हुआ था। पलंग के हर ओर फूलों का गुलदस्ता लगा हुआ था। कमरे में बेहद आकर्षक सुगंधित इत्र की खुशबू माहौल को बेहद मनमोहक बना रही थी। जय ने देखा कि उसकी माँ ममता और बहन कविता दोनों उसकी दुल्हन बन उस सेज पर उसका बेसब्री से इंतज़ार कर रही हैं। आज इसी सेज पर एक बेटा अपनी माँ और बहन के साथ सुहागरात मनाने वाला था। जय को आता देख ममता और कविता दोनों बिस्तर से उतर गई, और जय की ओर चल दी। दोनों अपना लहँगा उठाये चल रही थी। पैरों में पायल होने की वजह से दोनों के चलने पर छम छम कर आवाज़ आ रही थी। दोनों के पैरों में मेहन्दी लगी हुई थी, और नाखून लाल रंग की नेल पोलिस से रंगे थे। दोनों उसके नज़दीक आई और फिर उसके पैरों में गिर गयी। दोनों ने उसके पैर पकड़ उसके चरणों को चूम लिया। कविता- आज हम दोनों को अपना करके, आपने हमको खूब मान दिया है। और हम चाहते हैं कि, आप हम दोनों को अपने चरणों में स्थान दें, ताकि आपकी खूब सेवा करें तन मन और धन से।
ममता- आपकी अर्धांगिनी हैं हम दोनों। आप ही हमको पूरा करेंगे। हम दोनों आपकी हर छोटी छोटी बात का ख्याल रखेंगी। ताकि आपका ख्याल रखने में हम चूक ना जाएं। ये जीवन हमारा अब आपके इन कदमों में न्योछावर है।
जय- तुम दोनों को क्या हो गया है? हम चाहते हैं कि, हमारे बीच वही रिश्ता रहे, जो शादी के पहले था। तुम दोनों हमारी माँ बहन रह कर हमारा बिस्तर में बीवी की तरह ख्याल रखो। पहले तो ये आप आप बोलना बंद करो। तुम दोनों चाहो तो घर के बाहर हमको आप आप बोल सकती हो। पर घर के अंदर तुम दोनों हमारी दीदी और माँ हो, और बिस्तर पर भी वही बनी रहोगी। तुम दोनों की जगह हमारे पैरों में नहीं हमारे दिल में है।” जय ने ममता और कविता को उठाकर कहा।
ममता- ठीक है, जय हम तुम्हारी माँ ही बनकर तुम्हारे साथ रहेंगे और कविता भी तुम्हारी बहन बनकर ही रहेगी। पर तुम नाराज़ मत हो हमसे।” दोनों कविता और ममता जय को अपने साथ बिस्तर पर ले गयी। जय की ओर गिलास बढ़ाकर कविता बोली,” ये लो जय दूध पी लो। आज की रात पत्नियां अपने पति को दूध पिलाकर करती हैं। तुम्हारे लिए माँ ने स्पेशल केसर का दूध बनाया है।”
जय बिस्तर पर बीच में बैठा था, पीछे मसलन लगी थी। ममता और कविता दोनों उसके आजू बाजू बैठी थी। दोनों माँ बेटी अपने हाथ में दूध का गिलास पकड़े हुए थी। दोनों जय से चिपककर बारी बारी से जय को दूध पिला रही थी। जय कभी ममता के गिलास से तो कभी कविता के हाथ से दूध पी रहा था।
जय दोनों को कमर से पकड़ कर बोला,” अच्छा, ये बताओ तुम दोनों को एक साथ शादी का विचार कैसे आया? और मामा को कैसे पटाया? माया मौसी कैसे और कब यहां आई? वो कैसे मान गयी? ये सब कैसे हुआ?
कविता- शांत हो जाओ, इतने सवाल एक साथ करोगे तो हम जवाब कैसे देंगे।
ममता- ये बताओ हम दोनों कैसी लग रहीं हैं? अपनी बीवियों की कुछ तारीफ भी करो आज की रात।
जय- तुम दोनों तो एक दम लॉलीपाप लग रही हो। एक दम रसगुल्ला। दोनों का आज खूब रस चूसेंगे। ये बताओ कि तुम तो पहले कविता दीदी के सामने नंगी नहीं होना चाहती थी। पर अब उसके साथ सुहागरात मनाओगी। ये कैसे हुआ? जय दूध का एक घूंट लेकर बोला। अब तक वो दूध आधा पी चुका था। ममता और कविता ने गिलास को टेबल पर रख दिया और उसके और नज़दीक आ गयी। दोनों एक साथ बोली,” अभी हम सब बताएंगे, तुम बस मज़े लो।” फिर दोनों माँ बेटी एक दूसरे के होंठों को चूमने लगी।दोनों बहुत ही कामुक अंदाज़ में एक दूसरे को पकड़कर चूम रही थी। कभी जीभ चूसती तो कभी होंठों को। दोनों ने तिरछी नज़रों से जय को देखा, जय उनको देखके आधा हिल गया। क्या सीन था, जो उसने ब्लू फिल्मों में देखा था। सामूहिक चुदाई से पहले लड़कियां एक दूसरे को किस करती हैं। यहां उसकी माँ और बहन एक दूसरे के साथ कर रही थी। जय ने उनको रोका नहीं, बल्कि उनकी चुनरी को उतार दिया और बिस्तर के नीचे फेंक दिया। दोनों अब सिर्फ लहँगा और चोली में थी। दोनों एक दूसरे को कसके पकड़ सहला रही थी। ममता और कविता ने किस करते हुए, एक दूसरे के चोली के धागे खोल दिये। चोली पीछे से पूरी बैकलेस थी, और उन दोनों ने ब्रा नहीं पहनी थी। जय ने उन दोनों के बाल खोल दिये। थोड़ी देर बाद उनकी किस टूटी और जय के गाल पर किस करके बोली,” अच्छा लगा।”
जय- बहुत अच्छा।
कविता- माँ और हम लेस्बियन हो गए हैं। हम दोनों के यहां से जाने के बाद माँ के पीरियड्स, तीसरे दिन रुके। हम दोनों एक साथ सोती थी। और हम सोचे कि ये माँ और हमारे बीच दूरियां मिटाने का एक सुनहरा मौका है। अगर हम दोनों को तुम्हारी बीवी बनना है, तो पहले हम दोनों को एक दूसरे को स्वीकारना पड़ेगा। और उस दिन हम दोनों तुम्हारी बातें कर रहे थे। हम माँ की मालिश कर रहे थे। और फिर…….
उस दिन……( फ्लैशबैक)
ममता- कविता ज़रा कमर पर मालिश कर दो।” ममता बिस्तर पर पेट के बल लेटी हुई थी। और साड़ी जांघों तक उठी हुई थी। कविता उसकी तेल मालिश कर रही थी। कविता लेग्गिंग्स और टॉप में थी। वो मालिश करने लगी।
ममता- कविता, तुम दोनों की शादी कैसे कराएं ये सोच रहे हैं? सत्य को कैसे मनाए कुछ समझ नही आ रहा है? वैसे तुम्हारी और जय की जोड़ी एक दम कमाल लगेगी।
कविता- हहम्मम्म माँ, इस उम्र में भी तुम कितनी जवान दिखती हो। तुम्हारी कमर, अभी भी बहुत सही है। तुम्हारी जवानी अभी भी खिल रही है। इसलिए तो जय तुम पर लट्टू हो गया।” कविता उसके तारीफों के पुल बांध रही थी। फिर बोली,” तुम हमारे और जय के लिए कैसे मान गयी माँ? क्योंकि उसी दिन हम दोनों एक दूसरे से लड़ रही थी और शुरू में इसके लिए तैयार नहीं थी? और कोई भी औरत अपने मर्द के साथ दूसरी औरत नहीं देख सकती चाहे वो कोई भी हो यानी उसकी बेटी ही क्यों ना हो?
ममता लेटे लेटे ही उसकी ओर मुंह घुमाके बोली- तुम और जय हमारी औलाद हो। हमको तुम दोनों की चिंता लगी रहती थी। तेरी शादी की तो सबसे ज्यादा। हम और सत्य एक दो लड़के भी देखने की सोच रहे थे। फिर तुम दोनों का कांड सामने आ गया। उस दिन हम बहुत गुस्सा में थे। लेकिन फिर हम ठंढा दिमाग से सोचे कि, तुम्हारा हमारे बाद अगर कोई सबसे ज्यादा ख्याल रख सकता है, तो वो है जय। और अगर जबरदस्ती तुम्हारी शादी कहीं और कर देते, तो ना तुम खुश रहती, ना जय और हम ही खुश रहते। ऊपर से हमारी जवानी ढलने में समय कहां है। हम अपने हिस्सा का खूब मजा करते, पर जय का प्यास अधूरा रह जाता। उसे तुम जैसी जवान बीवी भी चाहिए जो उम्र भर उसका साथ निभाये और उसको बेइंतेहा प्यार करे। वो प्यार हम तुम्हारे आंख में देखे। इसलिए अपनी बेटी को अपनी सौतन बनाने का फैसला कर लिया।”कविता कमर पर मालिस करते हुए बोली – माँ, तुम बहुत प्यारी हो। लेकिन ये बात तुमने हमसे क्यों छुपाई कि हम शशिकांत की औलाद हैं?
ममता- ये बात जानकर तुम दोनों को कोई खुशी तो नही हुई आज भी। वैसे भी अब इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता। वो उस वक़्त के हालात ऐसे थे, की ये सब करना पड़ा। हो तो तुम तीनो हमारे बच्चे ना!
कविता ममता की साड़ी उसके जांघों से ऊपर उठायी और चूतड़ों तक ले गयी, पर चूतड़ बाहर नहीं निकले बस जाँघे नंगी हुई। कविता जांघों को छूते हुए बोली,” माँ जांघ पर भी मालिस कर देते हैं।”
ममता- हाँ हाँ कर दो। आज महीना खत्म हुआ है। अच्छा लगेगा।
कविता तेल लगाके मालिश करने लगी। अचानक कविता को ऐसा लगा कि वो ममता की नंगी कमर और जांघ देखकर उत्तेजित हो रही है। उसने अपनी बुर से पानी चूता हुआ महसूस किया। कविता मालिश करते हुए, ममता की ओर देख रही थी। ममता की आँखे बंद थी। कविता ये सोच रही थी, की वो अपनी माँ को भी देखकर उत्तेजित हो रही थी। चुदाई किये हुए चार दिन बीत गए थे। ममता तभी पलटकर पीठ के बल लेट गयी। और अपनी साड़ी उठाकर सामने से जांघों को नंगा कर दिया। उसकी पीली कच्छी नीचे से दिखने लगी। ममता अपने दोनों हाथ ऊपर की ओर मोड़कर लेटी थी। कविता ने देखा कि ममता की पैंटी आगे से गीली थी। इसका मतलब ममता भी उत्तेजित है। कविता ने उसकी जांघों की मालिस चालू रखी। कविता ने देखा कि ये मौका है, अपनी काम पिपासा को शांत करने का। उसने ममता से कहा,” माँ, इस साड़ी और साया को खोल दो, नहीं तो तेल लग जायेगा तो खराब हो जाएगा।”
ममता जैसे इसी का इंतज़ार कर रही हो- ठीक कह रही हो।” और लेटे लेटे ही अपनी साड़ी खोल दी और साया का नारा खोल अलग कर दी। कमर से लेकर नीचे तक ममता अब सिर्फ कच्छी में थी। कविता ने देखा उसकी पूरी कच्छी गीली हो चुकी थी। कविता अब बार बार मालिस के बहाने उसकी बुर पैंटी के ऊपर से ही छू ले रही थी। जब जब वो ऐसा करती, ममता की हल्की सिसकी निकल जाती, और बुर से रस चूने लगता। उधर कविता का भी यही हाल था। उसकी बुर से भी अब रस खूब रिस रहा था। ममता की छाती उत्तेजना से ऊपर नीचे हो रही थी। चूचियाँ लगातार उठक बैठक कर रही थी। काम की आग में दोनों जल रही थी, पर माँ बेटी का रिश्ता उनके बीच झिझक बनके खड़ा था। कविता ने सोचा कि इस झिझक को तोड़ने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा। कविता ने ममता की पैंटी पर ऊपर से हाथ रखा और बुर दबाते हुए बोली,” जय की याद आ रही है, माँ।” कविता झुककर ममता के चेहरे के पास आई। ममता ने उसकी ओर देखा,” हाँ, कविता तेरे भाई ने पता नहीं क्या जादू कर दिया है। ये जिस्म की प्यास बड़ी कमबख्त चीज़ है। देखो तुम्हारी माँ कैसे जल रही है।”
कविता उसकी आँखों मे देखकर बोली,” हम भी उस आग में अभी जल रहे हैं माँ। क्यों ना हम दोनों एक दूसरे के साथ आज की रात…….”
इतना कहना था कि ममता ने कविता को पकड़के होंठो पर चूम लिया। दोनों लंबा चुम्मा लेने लगे।( आज का दिन) तभी जय बोला,” अरे तुम दोनों चूमती रहोगी एक दूसरे को या आगे भी कुछ बताओगी।” ममता और कविता एक दूसरे के बाल पकड़े, होंठो से होंठो को मिलाए चूम रही थी। उन्होंने किस करते हुए तिरछी नज़रों से जय की ओर देखा। फिर मुस्कुराई। कविता बोली,” सॉरी हम दोनों उस दिन में डूब गए। फिर आगे सुनो…..
(फ्लैशबैक)
दोनों एक दूसरे के ऊपर चढ़ गई थी। किस करते हुए कब वो दोनों जंगली बिल्लियां बन गयी, पता ही नहीं चला।दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूमे जा रही थी। ममता ने कविता की टॉप उतार दी। वो उसके चूचियों की क्लीवेज के ऊपर चूम रही थी। कविता ममता की चूचियाँ दबा रही थी। उसने भी ममता के ब्लाउज के बटन खोल दिये। दोनों उठके बैठ गयी। और एक दूसरे की ब्रा उतार दी। दोनों ऊपर से बिल्कुल नंगी हो चली थी।कविता अपनी लेग्गिंग्स और कच्छी उतार फेंकी। और ममता के मुंह मे अपनी चुच्ची दे दी। ममता के जांघों पर वो इस वक़्त बैठी थी। ममता उसकी चुच्चियों को चूमते हुए, उसके चूचक चूस रही थी। कविता ममता के सर को पकड़े उसे अपनी चुच्ची पर दबा रही थी। दोनों की सांसें अब तेज़ चल रही थी। क्या दृश्य था, जिस माँ ने अपनी बेटी को दूध पिलाया था, वो बेटी आज अपनी माँ को अपनी चुच्ची चुसवा रही थी। कविता ममता की बुर को लगातार छेड़ रही थी। ममता ने भी अपनी गीली कच्छी उतार दी। दोनों माँ बेटी अब नंगी थी। ममता को कविता को देखकर उसकी जवानी याद आ गयी। वो बिल्कुल ममता पर जो गयी थी। वही बाल, वैसे ही आंखे, वही चेहरा, वही चुच्चियाँ, वही कमर, वैसे ही चूतड़, वही जाँघे। सच पूछो तो इस वक़्त ममता कविता के साथ नहीं अपने 21 साल पुराने जिस्म के साथ काम क्रीड़ा कर रही थी। ममता बारी बारी से उसकी चुच्चियाँ चूस रही थी।कविता की आँहें तेज हो रही थी। तब ममता ने कविता को लिटा दिया और उसके ऊपर आ गयी। उसके गालों को चूमा, फिर उसके रसीले होंठों को चूमने लगी। कविता अपनी माँ को गालों से पकड़के भरपूर सहयोग दे रही थी। दोनों की चुच्चियाँ एक दूसरे की चुच्चियों से दबी हुई थी।ममता की चूचियाँ कविता के मुकाबले भारी और बड़ी थी। उनके निप्पल आपस में रगड़ खा रहे थे। दोनों जानबूझकर एक दूसरे की चुच्चियों पर दबाव बना रहे थे। जिससे दोनों को असीम आनंद मिल रहा था। ममता उसको चूमते हुए नीचे की ओर बढ़ी, और उसकी चूचियों को दबाते हुए चूसने लगी।कविता के मुंह से सीत्कारें उठने लगी। ऊहहहहह, आआहहहहहहह, ऊऊईई कमरे में चारों ओर आवाज़ें गूंज रही थी। थोड़ी देर उसकी चुच्चियाँ चूसने के बाद, ममता उसके पेट को चूमते हुए, उसकी बुर पर पहुंची, जहाँ उसकी बेटी की बुर हल्की झाँटों से ढकी हुई थी। ममता ने देखा, वहां कविता ने छिदाई करवा रही थी। उसने इशारों से कविता से पूछा,” ये क्या है? कविता बोली,” आपके बेटे ने करवाया है।” और हंस दी। ममता को ये बहुत आकर्षक लगा। वो कविता की बुर को चूसने लगी।उसकी बुर तो पहले से ही काफी गीली थी। ममता की लपलपाती जीभ, उसके बुर पर एहसास होते ही और ज्यादा रस गिराने लगी। ममता ने ये खेल पहले भी माया के साथ खेला था, तो वो इस खेल की पुरानी खिलाड़ी थी। वो कविता की बुर में उंगलियां घुसाकर अंदर बाहर करने लगी।कविता अपने बुर के ऊपरी हिस्से को गोल गोल घुमाते हुए सहला रही थी। दूसरे हाथ से ममता के सर को पकड़े हुए थी। ममता कभी उसके बुर को हाथों से रगड़ती, कभी अपनी जीभ से उसके खट्टे नमकीन बुर के रस को चाटती। उसके बुर में एक एक करके अपनी दो उंगलियां घुसा देती और ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करते हुए, हिलाती। बुर पर चिकनाई कम होती तो थूक देती थी। कविता तो जैसे सातवें आसमान पर थी। उसे कुछ अलग आनंद आ रहा था। एक पुरुष और एक स्त्री के हमबिस्तर होने का अपना अलग आनंद है ये उसे आज पता चल गया था। थोड़ी ही देर में वो जोरों से झड़ गयी। उसके बुर से ढेर सारा पानी निकला, जो बिस्तर को गीला कर गया। ममता ने उसकी ओर देखा, तो कविता अपनी पीठ बिस्तर से उचकाए, आहें भर रही थी। ममता का चेहरा उसके बुर के रस से भीग चुका था। वो उसके करीब आई और उसको चूमने लगी। कविता अपने होंठ पर उसके बुर के रस को महसूस कर रही थी। हालांकि, वो बुर के रस के स्वाद से परिचित थी। पर किसी औरत के होंठों से पहली बार चख रही थी। दोनों ने एक लंबा पैशनेट किस किया। कविता और ममता किस करते हुए बिस्तर पर बैठे हुए थे। माम्बत की जाँघे कविता की जांघों के ऊपर थे। दोनों की टांगे एक दूसरे की पीठ की ओर थी। अब कविता की बारी थी। दोनों की चुच्चियाँ आपस में टकरा रही थी। दोनों मुस्कुराते हुए अपनी चुच्चियाँ पकड़के निप्पल से निप्पल लड़ा रही थी। ये एक बेहद काम्यक नज़ारा था। कविता ने फिर ममता के चेहरे को हाथों से सहलाया और उसके मुंह में उंगली घुसा दी। ममता वो कामुक अंदाज़ में चूसने लगी। कविता ने खुद अपनी माँ के चूचियों को हाथों से तौला। उसे वो बेहद आकर्षक लग रहे थे। उससे रहा नही गया, तो बिना देर किए, वो उसको चूसने लगी। ममता अब कामुकता से लबरेज़ भूल गयी थी, की कविता उसकी बेटी है। दोनों अपनी प्यास बुझाने में लीन थी। थोड़ी देर बाद कविता ममता की चुच्चियों को चूसने के बाद, उसको बिस्तर पर लिटा चुकी थी। ममता बिस्तर पर पेट के बल लेटी थी। कविता उसकी पीठ चूमते हुए, उसके कमर की ओर बढ़ी। उसकी कमर को चूमते हुए, कविता ममता की गाँड़ की दरार तक जा पहुंची। कविता ने फिर महसूस किया कि क्यों मर्द औरतों की गाँड़ के पीछे पड़े रहते हैं। औरतों की गाँड़ दर असल मर्दों को न्योता देती है। जिसकी गाँड़ जितनी सुडौल उतना बढ़िया आमंत्रण। ममता की गाँड़ इसका उत्कृष्ट उदाहरण थी। कविता ममता के चूतड़ों को चूम रही थी। वो उनको हटाकर अंदर के हिस्से को भी जीभ से चाट रही थी। कविता थूक कर उसकी गाँड़ को गीला कर दिया। और अपने हाथों से मल दी। वो गाँड़ चाटने लगी। तभी उसके नथुनों में बुर की रस की सौंधी सी कामुक खुश्बू टकराई। वो ममता के बुर से चूते रस की थी। कविता खुद को रोक ना सकी। वो ममता के बुर को चाटने लगी। वो किसी कुत्ती की तरह, जो बहते पानी को चाटती रहती है, बिल्कुल वैसे ही चाट रही थी। ममता उसके सर को पकड़के अपनी बुर पर दबा रही थी। इस तरह कुछ देर बुर चटवाने के बाद, ममता पलटी और कविता को बुर की ओर फिर ले आई। कविता अब अपनी जन्मस्थली को पहली बार सामने से देख रही थी। ममता की बुर आज भी गुलाब की पंखुड़ियों सी थी। बेहद आकर्षक और लज़ीज़। उसकी बुर से चूता रस थूक समान लसलसा था। और कविता के थूक की वजह से और चमकदार हो उठा था। कविता उसकी बुर को फैलाई और अपनी जीभ उसमें घुसा दी। ममता चिहुंक उठी।mom son story
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