Incest क्या…….ये गलत है?

कविता आंखों से इशारा करते हुए पूछी,” क्या हुआ? क्या बोल रही थी माँ?
जय- वो सुबह तक नहीं आएगी।
कविता- ओह्ह, तो फिर वो मामाजी के यहां आज रात रुकेगी।
जय कविता के होंठों को छूकर बोला,” तुम तो आज की रात का फायदा उठाओगी ना?
कविता- इस रक्षाबंधन के दिन बहन भाई के साथ सुहागरात मनाएगी।” उसकी आँखों मे एक शैतानी प्यास और होंठों पर नटखट हंसी थी। वो जय को लिटाकर फिर उसके ऊपर चढ़ गई। और चादर ओढ़ ली। उस रात दोनों ने 4 से 5 बार चुदाई की। और सुबह 5 बजे सोए। दोनों एक दूसरे की बाहों में नंगे ही सोए थे। कविता की सुबह जब आंख खुली, तो बाहर से तेज धूप आ रही थी। उसने आंख मलते हुए घड़ी देखी तो 10 बज चुके थे। उसका पूरा बदन टूट रहा था। वो उठी पर चल नही पा रही थी। किसी तरह दीवार पकड़ते हुए बाथरूम पहुंचना चाहती थी। तभी वो गिर पड़ी और साथ मे कुर्सी भी गिर पड़ी। जय की नींद गिरने की आवाज़ से खुल गयी। जकय ने कविता को पड़े हुए देखा, तो उठकर कविता को सहकर देकर उठाया। पर वो ठीक से चल नही पा रही थी। जय ने ये देखा तो कविता को अपनी गोद मे उठा लिया, जैसे फिल्मों में हीरो हीरोइन को उठा लेता है। जय,” बहुत दर्द हो रहा है क्या कविता दीदी? कविता उसके गालों को सहला कर बोली,” नहीं, ये तो कल रात जो तुमने हमको जी भरके प्यार किया है ना उसी का असर है। ये दर्द बहुत मीठा है। इसकी आदत पड़ जाएगी।” और उसको चूम ली। जय फिर उसको बाथरूम तक ले गया, और गोद से उताड़ दिया।वो बाथरूम के अंदर चली गयी। खुद को आईने में देखा। उसके गर्दन और गालों पर लव बाइट्स थे। फिर उसने पूरे शरीर मे कई जगह जय के काटने के निशान पाए। चूतड़, पेट, कमर, चुच्ची सब जगह। वो ये देख, मुस्कुराई। उसकी बुर और गाँड़ चुद चुदकर दुख रही थी। वो हिम्मत जुटाकर फ्रेश होने लगी। तभी घर की घंटी बजी। ये और कोई नही ममता थी। कविता बाथरूम में थी, तो उसने सुना नही। जय ने एक तौलिया पहन लिया और दरवाज़ा खोला, सामने ममता थी। वो एक सेकंड के लिए अवाक रह गया, उसने सोचा ही नहीं, की ममता हो सकती है। फिर खुदको संभालते हुए बोला,” मामाजी कहां है?
ममता- वो तो हमको नीचे छोड़ के चला गया। कविता ऑफिस गयी क्या?
जय- पता नहीं, शायद बाथरूम में है। क्यों?
ममता उसको गले लगाके बोली,” जब वो सामने नहीं तो, हम तुम्हारी माँ नहीं, बल्कि पत्नी हैं।” और जय को चूमने लगी।
जय – दरवाज़ा तो बंद कर लो।”ममता- तुमको दरवाज़ा का पड़ा है, थोड़ा हमारा चेहरा को देखो, हमारे प्यासे होंठ, मुरझाई आंखें, जो तुम्हारे प्यार के लिए तड़प रहे हैं। और ममता जय के सीने को किस करते हुए नीचे आने लगी, और उसका तौलिया उतारने लगी। तभी जय ने ममता को बोला,” फिर तो हमको अपनी पत्नी की प्यास बुझानी होगी। चलो हमारे कमरे में।” मैन ही मन वो किसी तरह माम्यत को हॉल से कमरे में ले जाना चाहता था। ममता के होंठों को किस करते हुए, अपने कमरे में ले गया। वहां ममता का पल्लू, ब्लाउज और ब्रा तुरंत फर्श पर गिर गए। जय ममता को बेतहाशा चूम रहा था। और ममता भी छोटे समय मे मज़े ले लेना चाहती थी। क्या कहने इस घरके की जय की बहन छुड़ाकर बक़तरूम में थी, और जय अब अपनी माँ को प्यार कर रहा था। ममता जय के खड़े लण्ड को तौलिए के ऊपर से सहला रही थी। ममता बिना देर किए, घुटनो पर बैठ गयी, और तौलिया हटा दी। जय का लण्ड खड़ा था, पर उसपर राखी बंधी देख ममता आश्चर्य में पड़ गयी। वो जय की ओर प्रश्नवाचक दृष्टि से देखते हुए कुछ बोलने ही वाली थी कि, बाथरूम का दरवाजा खुला और कविता नंगी ही बाहर आ गयी। कविता ने महसूस किया कि जय अपने कमरे में कुछ कर रहा है। वो वहीं नंगी पहुंच गई, क्योंकि उसे पकता नहीं था, की ममता आ चुकी है और वो अभी उस कमरे में जय का लण्ड चूस रही है। कविता कमरे में घुसी, तो ममता जय का लण्ड पकड़ खुद अधनंगी हुई घुटनो पर बैठी है। जय पूरा नंगा, कविता पूरी नंगी और ममता अधनंगी। ममता और कविता ने अपनी आंखें हाथों से ढक ली। दोनों के मुंह से एक चीख निकल गयी।अब आगे क्या होगा? कैसे ये रिश्ता आगे बढ़ेगा? देखते हैं आगे।

कहानी जारी रहेगी।अपने विचार अवश्य दें।थैंक्स विदाउट रूल्स फैमिली लव अनलिमिटेड

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