Incest क्या…….ये गलत है?

ममता- अरे, हमारे सैयां बेटाजी, हम अपना सब तुमको दे चुके हैं और साथ में मज़ा लूटना है ना। आआहह ….. थोड़ा देर बस लण्ड को गाँड़ में स्थिर रखो, फिर खूब चोदना। तुम तो लण्ड ऐसे डाले हो कि, गाँड़ से लण्ड डालके मुंह से निकाल दोगे।
जय- ठीक है माँ, पर तुमने ही हमको उकसाया, एक तो तुम्हारी मस्त थुलथुली चूतड़ों को देखकर और दूसरी तुम्हारी गाँड़ की भूरी छेद।
कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद, ममता ने कहा,” हैं अब लगता है, की गाँड़ अभ्यस्त हो गयी है। अब चोदो अपनी माँ की गाँड़ को जितना जी चाहे। अब मज़ा आएगा बेटा सैयांजी।
जय ने ममता की गाँड़ की छेद जिसमें उसका लण्ड ऐसे फंसा था, जैसे गूँथे हुए आंटे में किसीने लकड़ी गाड़ दी हो, पर थूक दिया। गाँड़ की छेद के किनारे गहरे भूरे रंग के थे। जय ने अपनी उंगली से थूक को छेद के चारों ओर पोत दिया। फिर उसने लण्ड को धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा। लण्ड को उसने बमुश्किल आधा इंच ही अंदर बाहर कर रहा था। धीरे धीरे उसने अपनी रफ्तार बढ़ानी शुरू की। उसे अपने लण्ड पर गाँड़ का कसाव मूंग के हलवे की तरह लग रहा था। लण्ड का एहसास, ममता को भी बहुत आनन्ददायक लग रहा था। गाँड़ के अंदर जो नर्व एन्डिंग्स होती है, इसलिए गाँड़ की चुदाई का मज़ा डबल हो रहा था। जय गाँड़ मारने में मस्त, ममता गाँड़ मरवाने में मस्त थी। धीरे धीरे उनकी मस्ती, अब आक्रामक कामुक जोश में बदलने लगी। जय अब आधे से भी ज़्यादा लण्ड अंदर बाहर कर रहा था। ममता भी अपनी गाँड़ पीछे करके लण्ड लेने में कोई कोतुआहि नहीं बरत रही थी। जय एक हाथ से ममता के बाल खींच रहा था, और दूसरे हाथ से उसके चर्बीदार चूतड़ को मसल रहा था। अब पूरी तेज़ी से गाँड़ मराई चल रही थी। ममता की गाँड़ से कुछ ग्रीज़ की तरह तरल पदार्थ रिसने लगा, और जय के लण्ड पर चिपकने लगा। चुकी वो गाँड़ की छेद पहले भी मरवा चुकी थी तो, गाँड़ से बाहर चूने लगी। जय ये सब देख रहा था, उसने सोचा,” क्यों ना अब ममता को उसकी गाँड़ से चूते इस रस को चटवाया जाए।
जय ने ये सोचकर कमर की हरकत रोक दी। फिर दोनों चूतड़ों को फैलाके अपने लण्ड को धीरे धीरे बाहर निकाला। गाँड़ की छेद उसके लण्ड की गोलाई इतनी चौड़ी हो चुकी थी, और लण्ड पर वो पदार्थ ढेर सारा चिपक गया था। गाँड़ के अंदर का हिस्सा गुलाबी रंग का साफ दिख रहा था। लण्ड बाहर निकलने की वजह से गाँड़ के अंदर का हिस्सा ममता की सांस के साथ, ऊपर नीचे हो रहा था। जय ने गाँड़ के अंदर ही थूक दिया। वो ये दृश्य देखकर जैसे मदहोश हो रहा था, तभी ममता ने टोका,” क्या हुआ क्यों निकाल लिया लण्ड बाहर बेटा सैयांजी ?
जय ने उसकी ओर मुस्कुरा के देखा और बोला,” इधर आओ और चूसो इस लण्ड पर लगे अपने गाँड़ की रस को।ममता पीछे घूम गयी और लण्ड को जड़ से पकड़ लिया, फिर जय की आंखों में देखते हुए, अपनी जीभ बाहर निकाली और लण्ड के निचले हिस्से को चाटने लगी। फिर, सुपाड़े को चूसी, फिर लण्ड के दांये बांये और फिर लण्ड के ऊपरी हिस्से पर अपनी जुबान फिराने लगी। जय उसके बालों को संवारते हुए उसकी ओर प्यार से देख रहा था। ममता ने उसकी ओर देखा और कहा,” हमारी गाँड़ मीठी है, बहुत बेटा सैयांजी। और मुस्कुराई।
जय- क्यों ना होगी, तुम हो ही स्वीट, अब पता चला हम गाँड़ क्यों चाट रहे थे।
ममता के मुंह मे लण्ड था, पर हंसी रुक नही पाई। “अब रोज़ चटवाऊंगी और चाटूंगी, लंड से चुदवाने के बाद। राजाजी, ये एक नई चीज पता चली हमको।”
फिर जय ने लण्ड को छुड़ा लिया और बोला, अभी पहले तुम्हारी गाँड़ की चुदाई अधूरी है। तुम अपने बुर को मसलती रहना, तब तुमको और मज़ा आएगा।
फिर जय ने ममता को पीठ के बल अपने सामने लिटा दिया। उसके बाल बिखरे हुए थे। होंठों पर लण्ड चूसने के बाद चमक थी। आंखों में कामुकता की प्यास। चूचियों तनकर पहाड़ सी लग रही थी। जय ने उसके गाँड़ के नीचे तकिया, लगा दिया। और फिर उसकी गाँड़ में लण्ड घुसा दिया। ममता अपनी बुर मसलने लगी और जय उसकी दोनों चूचियों को अपने पंजों की गिरफ्त में ले लिया। अब फिर से घमासान चुदाई शुरू होने वाली थी।
जय ने अब ममता की फिर से गाँड़ मारनी शुरू की।ममता की गाँड़ भी ढीली हो चुकी थी। अब लण्ड के आवागमन में कोई दिक्कत नहीं थी। वो गाँड़ मरवाते हुए अपने बुर के दाने को छेड़ रही थी। जय ने उसकी बुर पर थूक दिया तो ममता उसे पूरे बुर पर मलने लगी।
ममता- आआहह, ऐसे ही आआहह उफ़्फ़फ़ चोदो इसस… हमको। लण्ड चाहे बुर में घुसे या गाँड़ में लड़की मस्त हो ही जाती है।
जय- माँ देखो ना तुम्हारी गाँड़ कैसे लण्ड को अपने अंदर समा रही है।जैसे लण्ड का स्वागत कर रही है, की आओ और हमको फैला दो।
ममता- औरत की गाँड़ चुदने के लिए ही बनी है राजा, ये बात समझ लो। तो क्यों ना स्वागत करे वो। उस पर इतना मस्त लौड़ा, आआहह हहहहहह। चोदो अपनी माँ की गाँड़ को और अपने लण्ड की मोहर लगा दो। उफ़्फ़फ़
जय- तुम फिक्र मत करो माँ, तुम्हारी गाँड़ की तबियत से चुदाई होगी, कोई कमी नहीं रहने दूंगा। अपनी बीवी की हर ख्वाइश पूरी करेंगे। टुंगरी गाँड़ ने पहले से ही लण्ड को जकड़ रखा है, जैसे उसे अंदर खींच रही है, उफ़्फ़फ़। आह हहहहह, ओह्ह।
ममता- मूठ गिरने वाला है क्या, बेटा ?
जय- हाँ, पियोगी । आहहहहहह…
ममता – अंदर ही गिरा दो। हमारा भी होने वाला है।
जय- ठीक है, ये लो।करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद जय ने मूठ अपनी माँ की गाँड़ में निकाल दिया। करीब 5-7 पिचकारी मारते हुए जय चीखता हुआ, ममता के चूचियों पर सर रखकर लेट गया। उधर बुर के मसलने और गाँड़ में मूठ की धाराओं को महसूस करके, ममता भी झड़ गयी। और दोनों उसी तरह लेटे रहे। थोड़ी देर बाद जय का लण्ड धीरे से निकलने लगा, तो ममता ने अपनी गाँड़ में पास परी अपनी पैंटी घुसा ली। और फिर जय को गले से चिपका लिया।
जय जैसे बेहोश था। दोनों चुदाई से थक चुके थे। इसलिए दोनों को नींद ने अपने आगोश में ले लिया।
उधर कंचन को होश आया। उसने अपनी गीली पैंटी उतारी और ब्रा भी। पूर्ण नग्न होने से वो तराशी हुई मूर्ति लग रही थी। अनछुए कोमल यौवनांग किसी मर्द के एहसास के लिए तड़प रहे थे। वो इससे बेखबर थी कि कोई मर्द उसे इस हालात में देख ले तो उसे लड़की से औरत बना देगा। उसकी उम्र शादी के बराबर की हो भी तो चुकी थी। जो वो कहानी पढ़ रही थी, उसे ख्याल आया कि कोई उसका भी ऐसा ही भाई होता, जिसके साथ वो जवानी के मज़े लूटती। वो इस बात से बेखबर थी कि किस्मत ने उसके तार उसके भाई से ही जोड़े हुए हैं, पर उसमें शायद अभी देर थी। क्योंकि अभी तो उसकी माँ ही उसके भाई के साथ अपनी बची खुची जवानी के मज़े ले रही थी।
दूसरी तरफ जय लेटे हुए सोच रहा था, की कैसे ममता को अपने और कविता के रिश्ते के बारे में बताए। फिर उसने सोचा पहले मज़े लिए जाए, फिर सोचेंगे। तब ममता ने अपनी गाँड़ में ठूंसी हुई पैंटी निकाली और गाँड़ के छेद से निकलते जय के मूठ को अपने हाथों में इकट्ठा कर लिया, और बेहिचक पी गयी। जय ये देख बोला,” तुमको पीना था, तो पहले क्यों नही बोली? ममता- हां, पर इस तरह पीने से, मूठ का स्वाद बढ़ गया है। हम बोले थे ना कि तुमको विश्वास नहीं होगा,कि हम कितनी घिनौनी हरकते कर सकते हैं, चुदाई में।”
ये बात सुनके जय का लण्ड फिर कड़क होने लगा।माँ बेटे इस तरह 2 दिन तक उस होटल के कमरे में खूब मज़े किये। ममता और जय दोनों दिन नंगे ही रहे और दोनों सिर्फ खाने और हगने के अलावा कुछ नहीं की। यहां तक कि नहाए भी नहीं, बस चुदाई चुदाई और चुदाई। माम्नोंत और जय के पूरे बदन में लव बाइट्स भरे पड़े थे। दोनों का स्पेशल हनीमून पूरा हो चुका था।
ममता उदास थी, की ये दोनों मधुर दिन इतनी जल्दी खत्म हो गए। और कविता के सामने तो उसको जय को पति नही बल्कि बेटे का रिश्ता निभाना होगा। वो पूरे रास्ते ट्रेन में यही सब सोचकर उदास थी।
जय उधर उमंग में था, की वो कविता से बहुत दिनों बाद मिलेगा। परसों राखी का त्योहार भी था। जय और ममता दिल्ली आते ही उस पवित्र रिश्ते में बंध गए जिसे वो दोनों होटल के कमरे में तार तार कर चुके थे।कहानी जारी रहेगी।अगला अपडेट जल्दी ही।कहानी आपलोगों को कैसी लगी अपने विचार अवश्य दें।थैंक्स mom son story

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