Incest क्या…….ये गलत है?

ममता के खूबसूरत चेहरे को जय बड़े गौर से देख रहा था। ममता शायद कुछ कहना चाह रही थी, पर कह नहीं पा रही थी। जय ने उसकी आँखों में गौर से देखा और ममता को बिस्तर पर ले गया। ममता को नंगी अपनी गोद में बिठा लिया। ममता के बाल सवारते हुए बोला,” माँ तुमको अगर कुछ कहना है तो कहो ? mom son story
ममता,” क्या?
जय- तुम्हारे मन में कुछ बात है, जो तुम कह नहीं पा रही हो। हम चाहते हैं कि तुम खुलकर कहो।
ममता- ऐसा कुछ नहीं है, हम तुमको पा लिए और क्या चाहिए?
जय- हम जो तुम्हारी आँखों में साफ साफ पढ़ रहे हैं, तुम हमसे बेबाक होकर कहो।
ममता- ऐसा कुछ नहीं है जय।
जय- फिर कोई बात नहीं है तुम तैयार हो जाओ हमें निकलना है।
ममता ने घड़ी देखी गाड़ी का टाइम होने जा रहा था। ममता तैयार होने लगी। उसने एक कॉटन की साड़ी पहनी। जय ने कुर्ता पायजामा पहना। ममता उसको देखके बोली,” तुम कुर्ता पायजामा क्यों पहन रहे हो? आज कुछ खास है क्या?
जय- हहम्मम, खास दिन तो है ही आज। और मुस्कुरा दिया। ममता भी मुस्कुरा उठी।
थोड़ी देर में दोनों समान लेकर होटल छोड़ टैक्सी में निकल गए। ममता और जय चिपक कर बैठे थे। ममता ने देखा कि गाड़ी का टाइम हो गया पर स्टेशन नहीं आया। ममता बोली- जय गाड़ी छूट जाएगी, हम लेट हो जाएंगे।
जय- हम स्टेशन नहीं जा रहे हैं, माँ।
ममता- क्या? फिर हम कहा जा रहे हैं।
जय- वो सामने देखो।
ममता- मंदिर?? पर क्यों? यहाँ तो हम घूम चुके हैं।
जय- तुम आओ तो तुमको पता चल जाएगा। और ममता का हाथ पकड़के उसको मंदिर के पास ले आया। फिर जय एक आदमी से बात करने लगा। ममता कोनकी कोई बात नहीं सुनाई पड़ी। पहले जय ने उसको कुछ बाते बताई फिर उसने जय को कुछ बताया। ममता सिर्फ इतना सुन पाई की 2500 लगेगा भैया, जो उस आदमी ने बोला।
फिर वो आदमी एक छोटे लड़के को अपने पास बुलाया और उसको स्थानीय भाषा में धीरे से कुछ बोला। वो लड़का चला गया। ममता बस सब कुछ देखती जा रही थी। फिर वो आदमी जय को अपने पीछे आने को कहा। जय ममता का हाथ पकड़के उसको अपने साथ ले जाने लगा। दोनों उसके पीछे चलते हुए एक दूसरे रास्ते से मंदिर में के अंदर पहुंच गए। ममता उन मूर्तियों को फिरसे देख रही थी। जय ने ममता को तब होश में लाया जब वो ममता के सामने घुटनो पर बैठ गया और बोला,” वैसे तो रिश्ते में तुम हमारी माँ हो जिस रिश्ते को तुमने बहुत जिम्मेदारी से निभाया है। पर आज हम एक और जिम्मेदारी और रिश्ते का बोझ तुम पर डालना चाहते हैं और हम जानते हैं कि तुम उसको बखूबी निभाओगी।
उस आदमी ने उसे एक मंगलसूत्र दिया जो कि सोने की थी। जय ने ममता को दिखाते हुए उससे पूछा,”क्या तुम हमारी पत्नी बनोगी, क्या तुम हमसे शादी करोगी ममता?ममता की आँखे नम हो गयी, जो बात वो जय से होटल के कमरे में नहीं कह पाई। वो उसके बेटे ने कह डाला। ममता की आंखों में प्यार और स्नेह झलक रहा था। वो कुछ बोली नहीं बस हाँ में सर हिलाया।जय ने पहले ममता को मंगलसूत्र पहना दिया। फिर उसकी मांग में सिंदूर भरा। फिर फूल माला जो वो बच्चा लेकर आया था उसके गले में डाल दिया।
ममता ने भी फूल माला जय के गले में डाली और फिर परंपरा के हिसाब से उसने जय के पाँव छुए। जय ने उसको आशिर्वाद दिया,” सदा सुहागन रहो। ममता की आंखों से खुशी के आंसू जय के पैरों पर गिरे। जय ने ममता को उठाया और बोला,” क्यों रो रही हो? तुम खुश नहीं हो क्या?
ममता के मुंह से अचानक निकला,” हम बहुत खुश हैं कि आपने एक विधवा को स्वीकारा।” और मुस्कुराई।
तब तक पंडितजी आये और उन दोनों को प्रसाद दिया। दोनों ने उनके पैर छुए। पंडितजी बोले,” बेटा अपनी पत्नी का ध्यान रखना, तुमसे उम्र में बड़ी हैं, इसलिए इनकी इज्जत करना। फिर ममता की ओर मुड़कर बोले,” तुमको इस उम्र में विधवा से फिर से सुहागन बनने का मौका मिला है, बेटी। ये मौका सबको नहीं मिलता है। अपने पति का पूरा सम्मान करना, उसकी सेवा करना। ऐसे लोग कम होते हैं जो इस उम्र में औरतों को अपनाते हैं। ये तुम्हारे लिए देवता हैं। इनका पूरा ध्यान रखना।”
ममता- पंडितजी, हम पूरा कोशिश करेंगे कि हम अछि पत्नी बने। चुकी आप बोले हैं कि ये हमारे देवता हैं तो हम इनका चरणामृत पीना चाहते हैं। हमको एक लोटा पानी मिलेगा क्या?
पंडितजी अवाक रह गए और बोले- बिल्कुल सती की तरह हो तुम बेटी, ऐसी नारी तो अब होती नहीं। ठीक है ये लो। पंडितजी ने थाली से लोटा दे दिया।
जय- ये क्या कर रही हो ममता?
पंडितजी- इसकी इच्छा है इसे रोको मत बेटा। तुम भाग्यशाली हो जो तुम्हे ऐसी पत्नी मिली है।
ममता जय के चरणों के करीब बैठ गयी और लोटा से पानी डालकर उसके पैरों को अपने हाथों से धोया। फिर उसके चरणों में मत्था टेका और चुल्लू में चरणामृत लेकर पी गयी और अपनी मांग में भी लगाया। जय ने उसे उठाया और बोला,” तुम्हारी जगह यहां है।” और गले से लगा लिया।
कुदरत का अद्भुत खेल था, जो कुछ घंटे पहले इसी मंदिर में माँ के पैर छू रहा था, अब वही माँ उसकी पत्नी बनके उसके पैर छू रही थी।
जय ने फिर उन सबको दान दक्षिणा दिया और दोनों नवविवाहित जोड़े की तरह मंदिर से निकलकर बाहर चले गए। जय ने ममता को कार में बिठाया। फिर दोनों एक दूसरे होटल की ओर चल दिये। टैक्सी होटल के सामने रुकी, ममता और जय उतर गए। जय ने टैक्सी को रवाना किया। फिर दोनों अंदर गए और जय ने रिसेप्शन पर हनीमून स्वीट बुक किया।
जय ने नाम पर मिस्टर एंड मिसेस झा बताया। थोड़े ही देर बाद दोनों उस कमरे में थे।
रूम में पहुंचते ही जय सोफे पर लुढ़क गया। ममता को अपने भाग्य पर भरोसा नहीं हो रहा था। ममता बिस्तर पर बैठी थ, क्योंकि वो कमरे में पहले आ चुकी थी। पर जैसे ही जय आया, ममता खड़ी हो गयी। और उसके बगल में बैठ गयी। ममता- आप थक गए हैं, लाइये हम आपकी थकान दूर कर देते हैं। आप ये पानी लीजिए। ममता ने गिलास बढाके कहा।
जय ने ममता के हाथों से गिलास ले लिया और उसको वहीं टेबल पर रख दिया। फिर ममता को अपने गोद में बिठा लिया। फिर उसके होंठों को चूमकर बोला,” हमारी प्यास तो इन रसीले होंठो से बुझेगी, माँ। ममता मुस्कुराई और उसकी आँखों में कामुक नज़रों से देखते हुए बोली,” अब तो सब आपका है, जो मन चाहे कीजिये।”
जय,” आये हाय हमारी जान तुम्हारे साथ अभी बहुत कुछ करना है। पर तुम ये आप आप क्यों बोल रही हो, हम तुम्हारे बेटे हैं ना। तुम हमको अभी जय ही बोलोगी जब तक हम तुमको ऐसे करने के लिए नहीं कहेंगे।”ममता- नहीं अब हम आपको ऐसे नहीं बुलाया सकते। अब आप हमारे बेटे नहीं बल्कि पति हैं। हम ऐसा नहीं कर सकते।
जय- ममता इस रिश्ते में बने रहकर तुमको चोदने का मज़ा अलग ही है।” जय धीरे से बुदबुदाते हुए” यही बात कविता से कहा था।”
ममता- क्या कुछ कहा आपने?
जय- वही कह रहा था कि तुम बिस्तर पर चुदते हुए अभी माँ बनके चुदो। फिर वो मौका भी आएगा जब तुम हमारे लिए करवा चौथ भी करोगी यानी तुम दुनिया के सामने हमारी पत्नी बनोगी।”
ममता- ठीक है बेटा, जैसा तुम कहो। पर हम तुम्हारी पत्नी होने का सब धर्म निभाएंगे।
जय- तुम मंदिर में बिल्कुल भावुक हो चुकी थी माँ। हमारे पैर छूवे और उसको धोकर चरणामृत पी। तुम बहुत अच्छी पत्नी बनोगी। हम तुमसे शादी इस पवित्र मंदिर में करना चाहते थे, क्योंकि यहाँ की सुंदर कामुक चुदाई की मुद्रा में अश्लील मूर्तियां देखकर तुम्हारे उपर की पवित्र साफ सुथरी विधवा स्त्री के अंदर से एक कामुक अप्सरा को चुदक्कड़ रंडी की तरह बाहर निकालना चाहते थे। माँ तुम एक मस्त औरत हो और जो कल अपना रूप तुमने दिखाया वैसी तो हमने कभी कल्पना भी नहीं कि थी।” जय ने ममता के कमर पर जोर से चिकोटी काट ली।
ममता चिहुंक उठी,” आउच….., फिर बोली,” अभी तो शुरुवात है जय हम तुमको अपना ऐसा रूप दिखाएंगे की तुमको विश्वास ही नहीं होगा कि तुम्हारी माँ ऐसी गंदी और घिनौनी हरकते भी कर सकती है। अब तक तुमने हममें एक संस्कारी पवित्र माँ को देखा है, पर अब हमको अपनी पत्नी के रूप में एक मदमस्त कामुक औरत के रूप में देखोगे।”
जय- माँ जब तुम ऐसी बातें करती हो तो हमको बड़ा मजा आ रहा है। औरत को अपने मर्द के सामने ऐसे ही रहना चाहिए। कोई पर्दा नहीं।
ममता- यही बात हम तुमसे कहना चाहते हैं, तुम हमसे कभी कुछ नहीं छुपाना और हमसे खुलकर बताना।
जय ने ममता को खुदसे एक दम से चिपका लिया और उसके चेहरे को दोनों हाथों में ले लिया। फिर बोला,” माँ तुम अबसे हमारी अर्धांगनी हो और अपने अंग से कुछ छुपता है क्या? ममता ने उसके चेहरे को अपने चुच्ची पर रख सीने से लगा लिया। थोड़ी देर दोनों इसी अवस्था में बने रहे फिर जय ममता के साड़ी के अंदर पीछे से हाथ घुसा दिया। ममता की गाँड़ की दरार में उंगली रगड़ रहा था। ममता की साड़ी उठकर घुटनो तक आ चुकी थी।
ममता- बहुत भूख लगी होगी आपको ना, सुबह से कुछ खाया नहीं है। कुछ मंगा लीजिए।
जय- फिर तुम आप बोल रही हो माँ?
ममता- आज हमारी शादी हुई है, आज हमको ये अधिकार दीजिए ना प्लीज, राजाजी। ममता बिल्कुल भीख मांगते हुए बोली।
जय- ठीक है आज के लिए ही। पर भूख तो तुमको भी लगी होगी।
ममता- आप मंगा लीजिए जो खाना हो।
जय- ठीक है। फिर जय ने सोफ़े के बगल में रखे फोन से रूम सर्विस में कॉल करके खाना आर्डर किया।
ममता- कितनी देर में खाना आएगा?
जय- माँ कोई 45 मिनट लगेंगे। तब तक हम बातें करेंगे।
ममता- क्या बातें करें जी?
जय- हमारे बारे में माँ।
ममता- आप हम पर कबसे नज़र रखे हुए थे? ममता मुस्कुराते हुए पूछी।जय- जब से हम व्यस्क हुए हैं। तुम्हारे इस रूप ने हमको मुग्ध कर दिया था। ये सुंदर चेहरा, ये काले घुंघराले बाल, ये संभाले ना संभलने वाले तुम्हारे उभार, तुम्हारी चाल। सर से लेकर पैर तक तुम एक अप्सरा सी लगती हो। ऐसा नहीं है कि हम तुमको एक बेटे के तौर पर प्यार नहीं करते थे, पर जब भी हम तुमको गौर से देखते थे तो तुम्हारे अंदर एक प्यासी औरत की झलक मिलती थी। हम भी सिर्फ ब्लू फिल्मों से मन बहलाते थे। कितनी बार तुमको सपने में बेतहाशा चोदे हैं, तुमको ब्लू फिल्मों की हीरोइन समझ के तुम्हारी पैंटी में मूठ मारे हैं। कई बार तुम्हारी मैली पैंटी को सूंघकर मज़े लिए हैं। तुमको जब भी देखते थे तो मन होता था कि काश तुम हमारी पत्नी होती। तुम जैसी औरत को विधवा देख दिल जलता था हमारा। मुहल्ले की सारी औरतें फुल मेक अप करती थी, पर तुम सिवाय काजल के कुछ नहीं लगती थी। तुम्हारी सूनी मांग देख हमको बहुत गुस्सा आता था। पर इस कमी को हम आज दूर कर दिए हैं। तुम अबसे सब कुछ करोगी, सिंदूर लगाओगी, बिंदी भी, लिपस्टिक, रूज़, मंगलसूत्र, हाथों में चूड़ियां, पैरों में पायल और बिछिया जो भी चीज़े शादी शुदा औरतें करती हैं।”
ममता- इतना चाहते हैं आप हमको। हम कितने भाग्यशाली हैं कि अपनी कोख से इतना अच्छा बेटा पैदा किये और फिर अब उसी बेटे की पत्नी बन गए। आप जैसे लोग कम ही पैदा होते हैं। हमको माफ कर दीजिए कि हम आपके प्यार को इतनी देर से स्वीकारे, बेटा सैयांजी। आप ब्लू फिल्में देखकर खूब मूठ बर्बाद किये हैं, अब वो सब बर्बाद नहीं होगा। अब उसका एक एक बूंद हमारे तीनो छेद के माध्यम से हमारे अंदर जाएगा। हम अब एक शादी शुदा औरत की तरह रहेंगे आपसे वादा करते हैं।
जय- माँ हम तुमसे एक सवाल पूछना चाहते हैं। तुम्हारे मासिक बंद हो चुके हैं या चालू हैं?
ममता- अभी 5 दिन पहले हमारा मासिक हुआ था।
जय- मतलब अभी हो रहे हैं। आमतौर पर औरतों की मासिक बन्द हो जाती है, पर तुम्हारी अभी चालू है।
ममता- हाँ, चालू तो है पर आप टेंशन ना लो अभी 12- 15 दिन नहीं होगा।
जय- अरे हम उसके लिए नहीं बोल रहे थे।
ममता- फिर।
जय- अगर ये चालू रहे तो, तुम माँ बन सकती हो। क्या तुम अपने बच्चे के बच्चे की माँ बनोगी?
ममता- हर पत्नी का धर्म होता है कि अपने पति को बाप बनाये। ये तो सौभाग्य की बात है बेटा सैयांजी। आपने हमारे मुँह की बात छीन ली।
जय- हमको तुमसे यही उम्मीद थी, माँ की तुम हाँ ही कहोगी।पर उसके लिए तुमको चोदना होगा।
ममता ने उसके लण्ड पर हाथ रखके, कहा, ” हम कब मना किये हैं बेटा सैयांजी।”
जय ने उसको गोद में लिए ही खड़ा हो गया। ममता के पैर जय की कमर पर कैंची बने हुए थे, जय ममता के चूतड़ों को कसके पकड़ा हुआ था। जय,” तेरी चुदाई अभी होगी।” और ममता को बिस्तर पर ले गया। ममता को बिस्तर पर लिटा दिया। जय ममता की साड़ी उतारने लगा तो ममता कहाँ पीछे हटने वाली थी। वो उसकी मदद करते हुए खुद अपनी ब्लाउज और ब्रा उतार फेंकी। उधर जय ने उसकी साड़ी उतार दी थी। और पेटीकोट को भी झटके के साथ उतार कर फेंक दिया। ममता ने खुद अपनी पैंटी उतार दी जय ने उसके हाथों से ले लिया और सूंघने लगा। ममता ने उसका पायजामा उतार दिया। और उसकी चड्डी को उसके घुटनों तक ले आयी।जय ने अपना कुर्ता और बनियान भी निकाल दिया। ममता,” क्या मस्त लण्ड है बेटा सैयांजी आपका।”जय- तुम्हारी बुर भी काफी गीली हो चुकी है साली छिनाल की बच्ची। तेरी बुर से तो ऐसा लग रहा है, नदी की धारा फूटी हो। चल अपनी उंगलियों से अपनी बुर का पानी हमको चटवाओ।” ममता ने बिना झिझिके अपना हाथ बुर पर रखा और बुर का पानी अपने हथेली पर लगाकर जय के मुंह के सामने रख दिया जिसे जय जीभ निकालकर चाटने लगा। ममता बुर से बार बार पानी अपने हाथ में लगाके जय को चटवा रही थी।
ममता,” बचपन में इन्ही हाथों से खाना खिलाया था आपको, अब बुर का रस चटवा रही हूँ। अच्छा लग रहा है इन लम्हों को जीना।
जय ममता के चुच्चियों को सहला रहा था और दबा भी रहा था।” ममता कितनी नमकीन बुर है तुम्हारी, लगता है उम्र के साथ साथ और नमकीन हो रही है। तुम्हारे बुर में क्या जादू है? जितना इसको चखो उतनी प्यास बढा देती है।” और जय ने ममता को अपनी ओर खींच लिया,और उसकी बुर को मुंह में भर लिया। बुर का नमकीन स्वाद उसकी जीभ पर छा गया। ममता ने अपनी उंगलियों से बुर की दोनों फाँकों को फैला दिया था। ममता बोली,” ये हुई ना बात राजाजी, आपने तो नदी की धारा में ही मुंह लगा दिया। यही है मर्दों का तरीका। आआहह…….……..आ… आ। चाटो बेटा सैयांजी अपनी जन्मस्थली अपनी जीभ से रगड़ रगड़ के चाटो। ऊईई…..मम्म…. उम्म्महह…हहम्मम अपनी माँ की बुर चूसना सबको नसीब नहीं होता है।”
जय बुर के एक एक हिस्से को जीभ से छेड़ते हुए, कभी उपर कभी नीचे, कभी बुर के भीतर घुसेड़ रहा था। जय खूब कस कसके बुर को चाट और चूस रहा था। ममता अपनी दोनों घुटने मुड़े हुए थे और अपनी गाँड़ उछाल उछाल कर बुर अपने बेटे से चुसवा रही थी। ममता की अधेड़ चुच्चियाँ उसकी चढ़ती उतरती साँसों के साथ ऊपर नीचे हो रही थी। उसकी चुच्चियाँ वासना और कामानंद से कड़क हो गयी थी जैसे किसी पर्वत श्रृंखला की दो चोटियाँ हो। उन दोनों पहाड़ियों के बीच की घाटी से ममता का कामोन्मादित चेहरा साफ नजर आ रहा था। उसकी आंखें अनायास आनंद से बंद हो जाती तो, कभी खुलकर अपने बेटे को बुर चूसते हुए निहारती। कभी मुंह खोलकर जोर से सीत्कारें भर्ती तो कभी कसके चूसे जाने पर अपने होंठों को दांतों से काटती। जय जब अपने दांतों से बुर के दाने को छेड़ता तो माथे पर शिकन आ जाती पर वो, उस मीठे दर्द को उफ़्फ़फ़…. आउच.. आआहह करके झेल जाती। बुर चुसवाते चुसवाते ममता का शरीर अकड़ने लगा।
ममता- उममहः जय …..आआहह…. बहुत अच्छा लग रहा है। आईईईई….. कहकर वो शांत हो गयी। जय बुर को अभी भी चूस रहा था। ममता बस थकी हुई मुस्कान दे रही थी।
जय फिर बोला,” माँ तुमको मज़ा आया ना? खूब बुर से रस चुवाई हो।
ममता- खूब मजा आया है। अब आपका लण्ड चूसना है हमको।
जय- लण्ड तुमको मिलेगा पर हम तुम्हारे मुँह को चोदेंगे।” जय ने इशारा किया, तो ममता पैर मोड़कर जैसे नमाज़ में बैठते हैं, वैसे बैठ गयी। फिर जय बिस्तर पर खड़ा हो गया। ममता के आँखों के सामने जय का लण्ड मूसल सा खक़द था। जय,” पहले तुम इसको गीला करो और खेलो इसके साथ फिर हम तुम्हारे सुंदर मुंह को चोदेंगे। दिखाओ अपना रंडिपन।” ये बोलकर उसने ममता के खुले बालों को कसके पकड़ लिया और खींच कर उसके खुले मुंह में लण्ड पेल दिया। ममता उसके लण्ड को हौले से चूसने लगी, वो जय के आंड को सहला रही थी। जय अपनी माँ को लण्ड चूसते हुए देख और उत्तेजित होने लगा। उसने ममता के बालों को कसके खींचा, और बोला,” साली रंडी, आंखों में आंखे डालकर चूसो। ताकि तुमको एहसास हो कि किसका लण्ड चूस रही हो, अपने सगे बेटे का।”

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