बिस्तर पर ममता बिल्कुल नंगी लेटी थी। उसे विश्वास ही नही हो रहा था कि अपने बेटे के साथ इस अवस्था में चिपकी हुई है। हालांकि वो इस खेल की पुरानी खिलाड़ी थी पर बेटे के सामने शर्म से आंखे बंद हो रही थी या फिर उसकी तरफ नहीं देख रही थी। जय ने इस बात को समझ लिया। उसने ममता के माथे को चूमा और उसके गालों को सहलाते हुए कहा,” तुमको शर्म आ रहा है, है ना?
ममता,” हहम्मम,। ममता दूसरी ओर देखते हुए बोली।
जय- शशिकांत जब तुमको चोदता है, तब शर्म आती है?
ममता ने उसकी ओर चौंकते हुए देखा,” तुम्हें किसने कहा?
जय- ये सब बातें छुपती नहीं है, हमारी भोली माँ। कभी ना कभी तो पता चल ही जाता है। ममता हम चाहते तो कल रात ही तुमको ये सब बताकर तुमको ब्लैकमेल कर सकते थे और चोदते तुमको। पर हम चाहते हैं कि जब तुम हमसे चुदो तो खुलकर चुदवाओ। तुमने तो हमको पागल कर दिया है माँ। और उसने ममता के होंठों का रसास्वादन शुरू कर दिया। ममता ने उसको रोका नहीं।
थोड़ी देर बाद ममता साँस उखड़ने की वजह से उससे अलग हुई। फिर ममता ने जय की ओर देखा और मुस्कुराते हुए बोली कि,” शर्म तो औरत का गहना होता है। इसी शर्म को जब हम औरतें बंद कमरों में धीरे धीरे उतारती हैं तभी मर्दों को मज़ा आता है। हमारा ये गहना तुमने उतार दिया।
जय- माँ….
ममता – माँ नहीं ममता कहो। बिस्तर में जो औरत नंगी पड़ी हो तो वो माँ नहीं होती। अभी हम तुम्हारी माँ नहीं बल्कि एक औरत हैं।
जय- ठीक है ममता। पर इस वक़्त हम खुद को रोक नहीं पा रहें हैं। हमको वो जगह देखना है जहां से हम पैदा हुए थे। जय ने उसकी जांघों को सहलाते हुए कहा। जय उसकी जांघों के पास आ गया। उसकी जाँघे थोड़ी थुलथुली थी। एक दम चिकनी और गोरी। जय जांघों को चूम रहा था और ममता गुदगुदी की वजह से हंस रही थी। फिर जय ने ममता की जांघों को अलग किया और जांघों के अंदरूनी हिस्से को चूमते हुए उसकी बुर को छुआ। ममता सिहर उठी। ममता की बुर पर बेहद हल्के बाल थे जिससे ये पता चलता था कि उसने चार पांच दिन पहले ही बाल काटे थे। बुर की फाँके मोटी और गहरी सावली थी। बुर की पत्तियां बाहर की ओर निकली थी। उससे काफी लसलसा पारदर्शी चिपचिपा पदार्थ निकल रहा था, जो उसकी बुर को चिकना बना रहा था और ममता की कामुकता का प्रमाण था। जय को उसकी खुशबू अपने नथुनों को सुगंधित करती हुई महसूस हुआ। जय ने अपने हाथों में लगे ममता के बुर के रस को चाटा। ममता उसे देख मुस्कुराई और बोली,” यहीं से पैदा हुए थे तुम, देख लो।
जय उसकी टांगों के बीच आ गया था और उसने उसके बुर को चूम लिया। जय ने बुर की फाँकों को अलग किया अंदर गुलाबी सा दिखने लगा। बुर के पत्तियों के बीच बुर से निकला चिपचिपा पदार्थ लाड़ की तरह लटक रहा था।जय ने जीभ से उसको मुंह मे ले लिया। फिर ममता के बुर को अच्छे से चाटने लगा। पहले तो उसने चाटकर पूरे बुर के रस को चूस लिया, बल्कि यूँ कहें कि बुर की जीभ से सफाई की। ममता को ऐसा आनंद पहली बार मिला था, क्योंकि शशिकांत ने कभी बुर को चूसा नहीं था। ममता को ऐसा असीम सुख का अनुभव खुद अपने बेटे से मिल रहा था। ममता अपने दोनों हाथों से खुद को सहला रही थी। जय ममता के बुर के दाने को मुंह मे रखके चूसता कभी जीभ बुर में घुसाके चोदने लगता। बुर के अंदर का भी स्वाद ले रहा था। बुर अगर सूखने लगती तो उस पर थूक देता और फिर चाटने लगता। ममता की सीत्कारें उस कमरे में गूंजने लगी। ममता को बुर चुसवाने में असीम आनंद मिल रहा था।जय ने ममता के बुर के किसी हिस्से को नहीं छोड़ा। ममता छटपटाने लगी। उसको अब लण्ड की जरूरत थी। उसने जय को बोला,” बुर में अब लण्ड चाहिए बेटा। हमको अब बहुत बेचैनी हो रही है। दो ना लण्ड।
जय ने ममता को तड़पते हुए देखा तो बोला,” माँ ओह्ह सॉरी ममता तुमको लण्ड चाहिए ना। अपने बेटे का लण्ड लोगी? बोलो
ममता- हाँ जय हमको लंड चाहिए। दे दो प्लीज।
जय ने ममता से कहा,” ऐसे नहीं मिलेगा लण्ड समझी। इसके लिए तुमको हमको खुश करना पड़ेगा। जय ममता की बुर को छेड़ते हुए बोला।
ममता बोली तड़पाओ मत बस हमको चोदो ना। बुर में लण्ड घुसाके।
जय- ऐसे नहीं तुमको भी कुछ करना होगा।
ममता- हम सब करेंगे, पर तुम अभी बस चोद दो। ममता बिन पानी की मछली की तरह तड़पते हुए बोली।
जय- नहीं ऐसे नहीं पहले हमको भी तो मज़ा आना चाहिए।
ममता- बोलो क्या करूं? तुम जीते हम हारे।
जय- ये हुई ना बात। बिस्तर से उतरो और कुतिया बन जाओ।
ममता ने वैसा ही किया और जय उसके सामने लण्ड लहराते हुए खड़ा हो गया । फिर ममता को लण्ड चूसने का इशारा किया और बोला,” बिना हाथ लगाए चूसना है तुमको। ममता बिल्कुल एक पालतू कुतिया की तरह चूसने के लिए आगे बढ़ी। ममता जय के लण्ड को चूमने लगी। उस लण्ड की भूखी माँ ने अपने बेटे के साथ वो काम कर रही थी जो उसने उसके बाप के साथ किया था। जय ममता के चेहरे पर लण्ड रगड़ने लगा और ममता अपना मुंह खोले हुए जीभ लटकाई हुई थी। कुछ देर तक यूँ करने के बाद ममता ने अपना काम शुरू किया और उसके लण्ड को चूसने लगी। जय उसके मुँह में लण्ड घुसाकर बाकी सब ममता पर छोड़ दिया। ममता चुदाई के खेल की अनुभवी खिलाड़ी थी इसलिए उसने अपने अनुभव का फायदा उठाते हुए बहुत शानदार तरीके से लण्ड चूस रही थी। जैसा कि जय ने बोला था, बिना हाथ लगाए वो अपने मुँह का उपयोग कर रही थी।
जय- माँ क्या लण्ड चूस रही हो तुम। मज़ा आ रहा है। उफ़्फ़ तुम जैसी औरत को हमारी माँ नहीं बल्कि बीवी होनी चाहिए। ओहह….
ममता ने उसकी ओर देखा और लण्ड को और जोर जोर से चूसने लगी। ममता जय के लण्ड को अपने थूक से सरोबार कर चुकी थी। जीभ से उसके सुपाड़े को चूसती, चाटती थी। फिर वापिस मुंह में ले लेती।
जय ने एक हल्की शरारत शुरू की। ममता के मुंह से लण्ड खींच लिया और धीरे धीरे पीछे हटने लगा। ममता कुतिया की तरह लण्ड की चाह में आगे बढ़ने लगी। उसका मुंह खुला हुआ था। जैसे ही वो लण्ड के करीब पहुंचती जय और पीछे हट जाता। ममता और आगे बढ़ती जय की ओर कामुक नज़रों से देखते हुए। जय बोला,” लण्ड के लिए तुम कितनी तड़प रही हो ममता। सच कहा है किसीने की हर औरत के अंदर एक रंडी जरूर होती है। आओ ले लो इस लण्ड को मुँह में और अपनी प्यास मिटाओ।
ममता,” आआहह तुम हमको ऐसे तड़पा रहे हो अपने लण्ड के लिए। मत भूलो की इस लण्ड को हम पैदा किये हैं। और अब कुतिया बनके उसको चूस रहे हैं। लण्ड की भूख बहुत तड़पाती है। सीधी साधी औरत भी कुतिया बन जाती है।जय ने हंसते हुए ममता को एक गोल चक्कड़ लगवा दिया ऐसा करके। ममता जब दोनों हाथ और घुटनों पर चलती तो उसके चूतड़ मस्ती से हिल रहे थे। ममता ने आखिर जय के लण्ड को दबोच लिया किसी जंगली बिल्ली की तरह और जय को बिस्तर पर बैठा दिया। और उसके लौड़े को कसके चूसने लगी। वो कभी जय के लण्ड को गीला करने जे लिए उसपर थूकती और फिर चूसने लगती।
जय- शर्म को पूरी तरीके से हटाने के लिए आंखों में आंखे डालकर चूसो।
ममता उसकी ओर देखकर लण्ड चूसने लगी। दोनों की नजरें मिली। जय ने देखा कि ममता के आंखों में अब वासना पूरी तरह उफान मार रही है। जय ने ममता को खींचकर ऊपर अपनी गोद में बैठा लिया। ममता ने उसकी आँखों मे देखते हुए उसके लण्ड को अपनी गाँड़ से मसलने लगी। ममता और जय एक दूसरे को बाँहों में कसे हुए थे। जय ने ममता को चुम्मा लेना शुरू कर दिया। और ममता उसके चेहरे को पकड़के अपने होंठ चुसवा रही थी। मुंह के अंदर दोनों एक दूसरे की जीभ को लड़ा रहे थे। ममता की बुर से पानी लगातार चू रहा था।
ममता ने चुम्मी तोड़कर कहा,” अब डाल दो ना।
जय- क्या?
ममता- तुम्हारा हमारे अंदर।
जय- क्या हमारा तुम्हारे अंदर, खुलकर कहो शर्माओ मत।
ममता- अपना लण्ड हमारी बुर में।
जय – ये हुई ना बात तुम्हारे मुंह से ये सब सुनके कितना मज़ा आ रहा है। लण्ड को पकड़ो और बुर में घुसा लो। और हम बन जाएंगे……
ममता- मादरचोद। ममता ने ये बोलकर जय के लण्ड को अपनी बुर में घुसाने लगी। जय का लण्ड बड़ा और मोटा तगड़ा था पर ममता की चुदी चुदाई बुर ने उसको आराम से अपने अंदर ले लिया। दोनों के मुंह से आआहहह…… निकली। इसी पल का दोनों को इंतज़ार था। जय ने ममता को कमर से पकड़ रखा था और ममता जय को कंधों से। ममता अपनी कमर हिलाते हुए, जय के लण्ड पर हौले हौले उछलने लगी, जिससे उसकी चुच्चियाँ भी हिल रही थी। जय के चेहरे को उसने अपनी चूचियों के बीच रख लिया। क्या दृश्य था। माँ अपने बेटे के गोद मे बैठके चुदवा रही थी। जय ने ममता की बांयी चुच्ची को मुँह में लेकर चूसने लगा। और अपने उंगलियों से उसकी गाँड़ की दरार में रगड़ने लगा। ममता बिल्कुल खुलके मस्ती में चुदवा रही थी। पूरे कमरे में दोनों की आआहह ओह्ह सीत्कारें गूंज रही थी। दोनों माँ बेटा चुदाई का भरपूर आनंद ले रहे थे। ममता अब तेजी से उछल रही थी। जब वो उछलती और बैठती थी तो भारी भरकम चूतड़ जय की जांघों से टकराती हुई चपटी हो जाती और थप थप की आवाज़ होती थी। जय बारी बारी से दोनों चूचियों को चूस रहा था। ममता उसके सर को पकड़ी हुई बोली,” पी ले बेटा खूब चूस अपनी माँ की चुच्चियों को। तेरे लिए ही हैं। बचपन में खूब चूसता था। बहुत दूध पिलाए हैं, तुमको। आज अपनी माँ के दूध की ताकत दिखाओ हमको। हम देखना चाहते हैं कि हमारे दूध ने तुम्हारे अंदर कितनी मर्दानगी भरी है। आज हमको ये एहसास करवाओ की तुम्हारे अंदर हमारा दूध खून बनके दौड़ रहा है, जो तुम्हारे लण्ड को कड़क किये हुए है। इस लण्ड को हमारे इतना अंदर घुसा दो की ये हमारे दिल से कभी निकले ना। सच दुनिया में केवल दो जात हैं, मर्द और औरत बस। बाकी सब ढकोसला है। रिश्ते नाते सब यहां आके बनते हैं। इन रिश्तों के बंधन खोलके आओ हम तुम खुलके साँस ले। हमारी बुर से निकलकर उसी बुर को चोदने का मज़ा कुछ और ही है, है ना? आआहह….. और चुदवाने का भी। जय ने उसके चूतड़ों पर एक थप्पड़ मारा और बोला,” तुम सच कह रही हो माँ। तुम माँ बनने से पहले एक औरत थी, हो और रहोगी। क्या मज़ा आ रहा है तुमको चोदने में? आखिर हर माँ बेटे में ये रिश्ता थोड़े ही कायम होता है। औरत की गर्मी हमेशा मर्द को पिघला देती है, भले ही वो उसकी माँ क्यों ना हो। हमारे लिए तुम कामरूपी देवी हो। हम इन रिश्ते के बंधन को इन बंद कमरों में उतार फेंकेंगे।”जय ने ममता को गोद से उठाके बिस्तर पर पटक दिया और उसके ऊपर चढ़ गया और लण्ड घुसा दिया। ममता के मुंह से आआहह निकल गयी। फिर जय बोला,” अब हम तुमको तुम्हारे दूध की ताकत दिखाते हैं। आज तुमको अपने बेटे पर नाज़ होगा, की तुमने एक हट्टा कट्टा मर्द पैदा किया है।”
जय ममता को तेजी से चोदने लगा। पूरे कमरे में दोनों की आवाज़ें गूंज रही थी।
ममता अपने पैरों की कैंची बना ली थी जय के कमर पर और जय ममता को चूमते हुए चोद रहा था। ममता को वो इस तरह करीब पांच मिनट तक उसने चोदा। ममता भी कमर उछाल कर उसका साथ दे रही थी। तभी ममता बोली, ” जय आआहह हमारा छूटने वाला है, आआहह….. और ज़ोर से आआहह और ज़ोर से चोदो। चोदो अपनी माँ को।
जय- आहहहहह…. हाँ हमारा भी निकलने वाला है। उफ़्फ़फ़…. हम चाहते हैं कि ये कभी खत्म ना हो पर अब रुका नहीं जा रहा है। बुर में ही गिरा दे।
ममता- गिरा दो आआहह।
दोनों के दूसरे को कसके पकड़े हुए थे। जय धक्के मार रहा था। तभी दोनों की चीखभरी आवाज़ गूंजी और दोनों झड़ गए। ममता को अपने बुर में मूठ की धार महसूस हुई। जय ममता पर निढाल हो गया। ममता उसे बाँहों में भरे हुए थी। दोनों करीब 10 मिनट यूँही पड़े रहे। फिर जय ममता के बगल में लेट गया। ममता उससे चिपक गयी और जय ने उसे बाँहों में भर लिया।
ममता की ओर देखा तो ममता उसके लण्ड को सहला रही थी। ममता फिर जय की बाँहों से निकलने की कोशिश करने लगी। जय ने पूछा, ” क्या हुआ?
ममता,” बाथरूम जाना है, मूतने के लिए।
जय ने उसे जाने दिया और ममता उठकर नंगी ही बाथरूम की ओर चल दी। जय को विश्वास नही हो रहा था कि अभी अभी उसने अपनी माँ को चोदा है।
ममता बाथरूम में मूतने बैठी और उसके दिमाग में भी यही सब चल रहा था। पहले तो बुर से जय का वीर्य निकला फिर मूत की पीली धार। ममता जब बाथरूम से आई तो जय ने बोला,” माँ ज़रा पानी देना प्यास लग रही है।
ममता ने गिलास में पानी लाके जय को दिया। जय ने पानी पी लिया फिर ममता ने पानी पिया। ममता बिस्तर पर आ गयी तो जय ने उसे खुद से चिपका लिया। ममता उससे चिपकी हुई बोली,” ये बात सिर्फ हम दोनों के बीच ही रहेगी ना।
जय,” बिल्कुल। तुमको मज़ा आया ना?
ममता- हहम्मम, बहुत। लेकिन हम सोच रहे थे कि…..
जय- बोलो बोलो
ममता- हमको पता होता कि तुम इतना बढ़िया चोदते हो तो तुमसे कब की चुद जाती। एक विधवा औरत की जरूरत अगर घर मे पूरी हो जाये, तो बाहर बदनामी का डर नही होगा।
जय- हम तो तुम पर कबसे नज़रे रखे हुए थे, पर मौका आज मिला। हम तुम्हारी हर जरूरत पूरी करेंगे।
ममता- तुमको शशि बाबू की बात किसने बताई।
जय- वो छोड़ो वो जरूरी नहीं है। पर हम चाहते हैं कि आज के बाद तुम उसके पास नहीं जाओगी। तुमको अब हमारी बनके रहना है। अबसे तुम हमारी मिल्कियत हो।ममता- तुम नहीं बताना चाहते हो तो हम दबाव नहीं देंगे। औरत पर कभी भरोसा नहीं किया जाता। ये सच है कि अब हम तुम्हारे हैं। पर हर मर्द को चाहिए कि वो औरत को हमेशा काबू में रखे। तुमको हमारी हर जरूरत का ध्यान रखना होगा और अपना दावा हम पर मज़बूत रखना होगा। वरना जैसे शशि बाबू ने अभी अभी हम पर अपना हक खोया वैसे ही तुम ना कहीं खो देना। हम जो बोल रहे हैं ध्यान से सुन रहे हो ना।
जय- तुम्हारी बातें बहुत जटिल हैं, पर हम कुछ कुछ समझ रहे हैं।
ममता- इस दुनिया मे शुरू से ही मर्द ने औरत को दबाया है क्यों हम बताते हैं। औरत नदी की तरह होती है, जिसे अपनी सीमाओं में रहना चाहिए। अगर सीमा के बाहर गयी तो बर्बादी लाती है। तुम मर्द जात हमेशा से हम औरतों की सीमाएं यानी मर्यादाएं निर्धारित करते आये हो। और यही होना चाहिए। हम औरतों को मर्दों के बनाये नियम मानने चाहिए। उनका हक है हम पर। मर्दों का काम कठिन है, क्योंकि तुम लोगों को हमारे मन की बात पढ़नी होती है। हम बहुत चीज़ें मन मे रखती हैं और उम्मीद करती हैं कि ये पूरे हो जाये। जैसे कि आज की बात ले लो। ये हमारे मन में था पर पूरा तुमको करना पड़ा।इसलिए हमारी कुछ जरूरतें हम बता नही पाते। इनको पढना तुम्हारा काम है और पूरा करना भी।
जय- तुम ये कह रही हो कि हमको तुम पर काबू रखना होगा। एक औरत के तौर पर हम तुमको हमेशा अपनी सीमाओं में रखें। अगर तुम गलती करोगी तो हम क्या करेंगे? तुमको मारेंगे।
ममता- हाँ, क्यों नहीं औरतों को हमेशा माथे पर चढ़ाओगे तो गड़बड़ हो जाएगी। जब भी तुमको लगे कि औरत अपनी औकात भूल रही है, तो वो भी जायज है। ये आजकल की लड़कियां ये सब नही जानती समझती हैं।
जय- तुम तो बेहद पुराने खयाल की बाते कर रही हो माँ। अब जमाना बदल गया है।
ममता- औरत के लिए जमाना कभी नही बदलता। ये बातें तुमको सब नही बताएंगे। हम चाहते हैं कि तुम एक अच्छे घरवाले बनो ताकि जब तुम्हारी शादी हो तो घर और घरवाली दोनों पर तुम्हारा नियंत्रण रहे।
जय- हम फिलहाल शादी के मूड में नही हैं।
ममता ने जय की ओर देखा और बोली कोई बात नहीं पर अब सो जाओ कल हमारी गाड़ी है। कल दिल्ली जाना है। और वो पलट के सो गई।
सुबह करीब आठ बजे उसकी आंख खुली। वो इस वक़्त भी नंगी ही थी। ममता ने देखा जय सो रहा था। खजुराहो में आज उनका आखरी दिन था। ममता जय को उठाने के लिए सोची पर उसने पहले खुद फ्रेश होने की सोची।
जय वैसे ही सोता हुआ छोड़ वो बाथरूम चली गयी। जब वो टट्टी कर चुकी तब नहाने चली गयी।
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