शशि- ठीक है मिस कॉल देते हैं। उसने मिस कॉल दिया तो माया चुपके से कोई 5 मिनट बाद कमरे में आ गयी। उसने दरवाज़ा बंद कर दिया। इस वक़्त वो नाइटी में थी। ममता के इशारे पर उसने पहले अपनी नाइटी उतारी अंदर उसने ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी, और इसीलिए बिल्कुल नंगी हो गयी, आकर सीधा शशि के पैरों में गिरी। माया माफी मांग रही थी।
शशि- उठो माया, हमारे पास आओ।
माया- पहले हमको माफ कीजिये तब।” सुबकते हुए बोली। माया जो कि दिन में स्कूल टीचर होती है, जिसको सब माया मैडम कहके बुलाते हैं। इस वक़्त किसी भिखारी की तरह भीख मांग रही थी।
शशि- अरे माफ किये आओ ना। तुम हमारी धर्मपत्नी हो, हमने गलती की थी, तुमको मारके।
माया उठकर उसकी दूसरी जांघ पर बैठ गयी, और उसके गाल सहलाते हुए बोली- आप कभी गलत नहीं हो सकते। आप हमसे माफी क्यों मांग रहे हैं।
दोनों बहनें, शशि की जांघ पर नंगी बैठी थी। शशि दोनों को कमर से पकड़ रखा था।
माया- ये लीजिये, चखना खाइये। आप माफी मांगेंगे ना तो हम आपको खिलाते रहेंगे।
शशि- माया, ममता तुम दोनों एक ही मर्द के साथ रहना कैसा लगता है।
ममता- जैसा आपको दो सगी बहनों को सौतन बनाने में आता है। और तीनों ज़ोर से हँसे।
शशि- तो तुम दोनों क्या करने वाली हो ?
माया और ममता दोनों एक साथ बोली- हम दोनों आपको खुश करेंगे।
फिर दोनों ममता और माया ने गोद से उताड़ गयी। ममता ने एक बेहद गंदा भोजपुरी गाना अपने मोबाइल पर लगा दिया, जिसके बोल थे,” बुरिया करे लस लस ऐ जीजा”। फिर दोनों बहनों ने अपने बचपन मे सीखा हुआ नृत्य करने लगी। दोनों बिल्कुल नंगी होने की वजह से चुचियाँ और चूतड़ हिल रहे थे। लगभग दोनों जुड़वा लग रही थी। दोनों की ऊंचाई, बदन का डील डॉल एक सा ही था। दोनों बहुत ही गंदी हरकत कर रही थी, नाचने के क्रम में। इस वक़्त दोनों किसी रंडियों से कम नही लग रही थी। दोनों के बाल खुले हुए थे। माया के माथे में सिंदूर था, बाल काले घने थे, जिस वजह से मांग में लगा सिंदूर बहुत सेक्सी लग रहा था। वो गले में सोने का मंगलसूत्र काली मोतियों में पिरोए धागे से गूँथी हुई पहने थी, पैरों में चांदी के पायल सज रही थी। कानों में सोने के छोटे आकार के टॉप थे। हाथों में केवल चार चार कांच की चूड़ियाँ थी। पैर की उंगलियों में चांदी की ही बिछिया पहनी थी। एक शादी शुदा औरत का पूर्ण नग्न अवतार लग रही थी। गाँव मे रहने के बावजूद वो खुद को बहुत मेन्टेन रखती थी। उम्र की वजह से अपनी बहन की तरह उसकी कमर, जांघों, बाहों पर चर्बी जमा हो गयी थी। अपने पेट को उसने निकलने नहीं दिया था, पर चिकने और भारी चूतड़ काफी बाहर आ चुके थे। जाँघे बिल्कुल गोरी, बाल ना होने की वजह से एक दम मुलायम और चिकनी थी। उसकी चुच्चियाँ थोड़ी झूल गयी थी, पर अभी भी काफी तनी थी। पर इस उम्र में औरत इसकी वजह से और खूबसूरत हो जाती है। दोनों का चेहरा तो वैसे ही बहुत खूबसूरत था। माया की गाँड़ और चुचियाँ सब ममता के तरह ज़ेरॉक्स थे। वही आकर वही साइज। शशि उन दोनों के नाच में मस्त होकर 5 6 पेग पी गया। फिर वो भी उठकर आ गया उनके बीच में। दोनों बहनों ने मिलकर सबसे पहले उसका पजामा उतारा फिर उसका कुर्ता। उसके गंजी और जांघिये समेत सारे कपड़े उतार दिए और उसको नंगा कर दिया। ममता और माया दोनों घुटने पर बैठ गयी।
शशि- तुम दोनों बहनों का नाम इतिहास में लिखा जाएगा, की दोनों एक ही मर्द के साथ चुदति हो और खुश भी रहती हो। वैसे तुम दोनों ये गाना ही क्यों चलाई।
माया- आप हमारे राजा हैं और राजा की कई रानियां होती हैं। आप की किस्मत में तो सिर्फ हम दो बहनें हैं। और ये गाना इसलिए क्योंकि आप दीदी के जीजा भी हैं और दीदी को चोदते हैं तो हमारे जीजा भी हुए। इसलिए ये वाला गाना।
ममता और माया शशि का लौड़ा एक साथ चुसने लगी। दोनों उसके लण्ड पर पहले खूब थूक लगाई और फिर उसके लण्ड को चूमने लगी। कभी माया उसके शिश्न को चूसती तो ममता लण्ड के पिछले हिस्से को। कभी ममता आंड को चूसने लगती। शशि काफी नशे में था। शराब ने तो जो नशा किया वो किया ही सामने दो शबाब भी कमाल का नशा कर रही थी। दोनों खूब मज़े से शशि का काला लौड़ा चूस रही थी।
ममता और माया बेशर्मों की तरह शशि की आंखों में देखकर हंसते हुए लण्ड चूस रही थी। दोनों लण्ड चूसने में एक दूसरे की मदद कर रही थी। जब ममता चूसने लगती, तो माया शशि का लण्ड पकड़के उसके मुंह में घुसाने लगती, और वैसा ही ममता करती, जब माया चूसती। लण्ड के दोनों साइड दोनों ने अपनी जीभ चिपका कर लण्ड को रगड़ना चालू किया। दोनों लण्ड चाटते चाटते एक दूसरे के लटके जीभ से जीभ टकराने लगी। दोनों बहनें और भी कामुक हो उठी। लण्ड को छोड़कर एक दूसरे की जीभ से जीभ जानबूझकर टकराने लगी और चार पांच बार ऐसा करके, एक दूसरे को चुम्मा लेने लगी। शशि ने ये देखकर दोनों के मुंह पर थूक दिया। दोनों बहनों ने उसकी ओर देखादोनों बहनों ने उसकी ओर देखा और चुम्बन के दौरान ही मुस्कुराई। फिर एक दूसरे के चेहरे को चाटकर साफ कर दिया। बहुत ही कामुक दृश्य था वो। दोनों फिर लण्ड चूसने में व्यस्त हो गयी।शशि खड़ा होकर लण्ड चुसवाने का आनंद ले रहा था।
वो तीनो अपने मे मशगूल थे, इस बात से अनजान की कोई और भी उनकी हरकतों को देख रहा है।
तभी दोनों उठी और शशि को बिस्तर पर लिटा दिया। दोनों उसके दोनों तरफ लेट गयी और अपनी चुच्चियों को उसके चेहरे पर लटका दी। ममता एक हाथ से उसके सर को सहलाते हुए, अपनी चुच्ची उसके मुंह मे दे दी और दूसरी तरफ माया अपनी 36 साइज की चुच्चियों के चूचक उसके मुंह में रगड़ते हुए लण्ड को हाथों से हिला रही थी। माया की बांयी और ममता की दांयी जांघ शशिकांत के जांघों पर जमी हुई थी।
शशि दोनों की नंगी पीठ सहलाते हुए, ममता की चुचियों को पी रहा था।
ममता- देवरजी, हम दोनों बहनें आपको अच्छे से खुश कर रहीं हैं ना?
शशि ने नसीली आंखों से उसकी ओर देखकर हां में सर हिलाया।
तभी हिलाते हिलाते नशे की वजह से शशि को खुद पर काबू नहीं रहा और आआहह करते हुए उसके लण्ड से मूठ चूने लगा।
“ममता दीदी, लण्ड से मूठ निकल गया, देखो ना।” माया बोली
दोनों ने एक दूसरे का मुंह देखी, और लण्ड की ओर झपटी। दोनों कुतिया की तरह, भोज खत्म होने पर जो जूठे पत्तल को बेसब्री से चाटती हैं, वैसे ही मूठ को चाटने लगी। पल भर में ही सारा मूठ चाट गयी।
दोनों ने शशि की तरफ देखा तो वो खर्राटे मारकर सो चुका था। माया के हाथ पर लगा मूठ, ममता चाट गयी, और ममता के गालों से चिपका मूठ माया चट कर गयी।
माया- दीदी ये तो सो गए अब क्या करेंगे, बुर में तो अभी आग लगनी शुरू हुई है।
ममता- तू चिंता मत कर, हम दोनों हैं ना। अभी खूब मस्ती करेंगे।
माया- अब इनसे भी नहीं हो पाता है, उम्र भी 52 हो गयी है। दारू पीने के बाद तो कुछ कर ही नहीं पाते। इन मर्दों को क्या पता, की औरतों की चुदने की प्यास उम्र के साथ बढ़ती ही जाती है। और इन लोगों का एंटीना तभी ढीला हो जाता है।
ममता- चल हम और तुम इस एंटीना को छोड़, अपने हाथों को एंटीना बनाते हैं। और खुद अपना चैनल चलाते हैं।
दोनों एक दूसरे को चुम्मा लेने लगी, बैठे बैठे ही। कब उन दोनों का चुम्मा जंगली हो गया पता ही नहीं चला। एक दूसरे को बिल्लियों की तरह नोचने लगी। एक दम जंगली बिल्लियां लग रही थी। ममता उसके ऊपर लेट गयी और माया ममता चूतड़ों पर थप्पड़ मार रही थी। दोनों ने चुम्बन जारी रखते हुए एक दूसरे की बुर में उंगलियां घुसा रखी थी, और तेजी से उंगलियां हिला रही थी। थोड़ी देर में दोनों झड़ गयी और फिर लेट गयी।
माया- ऐसा करके कब तक हम काम चलाएंगे। हमारा सेक्स जीवन खत्म हो गया है। अब इस उम्र में कौन मिलेगा हम लोगों को?
ममता- घबराओ मत जो भी होगा, ठीक ही होगा। शायद अब हमारे नसीब में कोई नहीं हैं। हमें एक दूसरे का सहारा बनना पड़ेगा। अब कौन देगा हमारा साथ, ये ही तो थे बस।
“हम हैं ना। तुम बेफिक्र रहो।”
ममता- तुमने कुछ सुना माया। माया- नहीं तो! क्यों
ममता- हमको लगा हम किसीका आवाज़ सुने।
“हम हैं ना। तुम बेफिक्र रहो।” जय बोला ” आज तुम आराम करो, खाना बाहर से मंगवा लेते हैं।” कविता को सोफे पर बैठाके बोला। जय और कविता खाना खाके बिस्तर पर लेट गए। कविता उसके बगल में ही चिपकी हुई लेटी थी। जय अपने मोबाइल पर तस्वीरें देख रहा था। उसमें उसकी माँ ममता की तस्वीर भी थी, जिसपर उसकी आंखें टिकी हुई थी। ममता का चेहरा बहुत चुदासी लग रहा था। जय ने उसको देखकर कहा- क्या दिखती है, हमारी माँ, तुम बिल्कुल उसकी परछाई हो, दीदी।
कविता- ये हमारी तारीफ है या माँ की ?
जय- तुम दोनों की।
कविता आँखे खोली, और जय की आंखों में कुछ देर देखकर बोली,” जय, हम तुमसे कुछ पूछें, बुरा तो नहीं मानोगे ना ?
जय- बिल्कुल नहीं, पूछो ना।
कविता- इस समय जो हम तुम्हारी आँखों मे देख रहे हैं, वो एक बेटे का प्यार नहीं, बल्कि किसी आशिक़ का अपनी माशूका के लिए होता है। क्या ये सच है, कि तुम माँ को बेटे की तरह नहीं बल्कि औरत के तरह चाहते हो? क्या …..
जय- इसके आगे सवाल मत करना, दीदी। तुम शायद सुन नहीं पाओगी। जय ने कविता के होंठों पर उंगली रखते हुए कहा।
कविता- हम अब सब सुन सकते हैं, हमको कोई अचम्भा या आश्चर्य नहीं होगा अगर तुम कह दो की तुम माँ को चाहते हो ! क्योंकि तुम कहो ना कहो तुम्हारी आंखे सब बता रही हैं।
जय कविता को खुद से अलग करके उठ गया और खिड़की के पास जाकर खड़ा हो गया, वो दरअसल कविता से कहने में झिझक रहा था, कि कहीं कविता बुरा ना मान जाए। अभी अभी तो उनकी प्रेम कहानी शुरू हुई थी।कविता उसके पीछे से आकर उसको बांहों में पकड़ लेती हैं, और उसके दिल की बात समझ चुकी थी। उसके पीठ पर सर रखके उसको बोलती है,” जानू, हम तुमको हमेशा खुश देखना चाहते हैं, तुम खुश रहोगे तभी हमको अच्छा लगेगा। और अब तो हम तुमको अपने पर अधिकार दे चुके हैं, और तुम पर भी अगर हमारा थोड़ा सा हक़ है, तो प्लीज बता दो। दीदी ना सही बीवी समझ के बता दो।
जय- इतना आसान नहीं है ये कहना, पता नहीं तुम क्या सोचोगी। अभी अभी तुम्हारा और हमारा संबंध बना है। तीन दिन पहले तक तुम सिर्फ हमारी बहन थी, पर अब बीवी बनना चाहती हो। हाँ, तुमको हक़ है कि हमारे बारे में सब जानो, पर कोई भी औरत अपने पति/ प्रेमी के साथ दूसरी औरत बर्दाश्त नहीं करती। हाँ हम ममता को प्यार करते हैं। भले ही हम उसके बेटे हैं पर वो हमको बहुत पसंद है। माँ जब सामने होती है, तो लगता है जैसे उसको देखते रहें। इस उम्र में भी कितनी खूबसूरत है। उसको जब देखते हैं तब मन करता है कि उसको हमेशा के लिए अपना बना लें। उसके अंदर एक अजीब सा आकर्षण है, जो हमको उसकी ओर खींचता है। ममता और तुमको हम एक समान चाहते हैं। तुम दोनों ही हमारी अंदर की दबी वासना को बाहर लाती हो। बाहर की औरतें हम पर कोई खास आकर्षण नही डालती। जब घर में तुम दोनों जैसी कामुक औरतें हो तो कोई बाहर की औरतों को देखे भी क्यों।
हम दरअसल तुम दोनों को अपनाना चाहते हैं, तुम दोनों को अपनी बीवी बनाना चाहते हैं। अब चाहे तुम जो भी सोचो, पर सच ये है कि हम यही चाहते हैं, कि माँ और तुम हमेशा के लिए हमारी बनकर रहो।
जय ये सब कहके मुड़ा नहीं, उसकी हिम्मत हुई नहीं। कविता उसके सामने घूमके आई, उसकी आँखों में जय ने देखा, तो वो बोली,” तुम माँ को इतना चाहते हो? ये तो हमको पता ही नही था। हमसे पहले माँ का हक़ है। तुमने तो आज, माँ बेटे, भाई बहन के रिश्ते की परिभाषा ही बदल दी। हम तुमको अपने ऊपर पूरा हक दे चुके हैं, और अब माँ पर भी एक बेटी के तौर पर छूट देते हैं। भले अंजाम जो भी हो, हम तुम्हारा भरपूर साथ देंगे। अगर हम भाई बहन के रिश्ते को नया नाम दे सकते हैं, तो माँ बेटे के बीच भी ये बीज बोया जा सकता है। आज तुमने ये बात बोलकर हमको पत्नी से भी ऊंचा दर्जा दे दिया। हमारा रिश्ता इस सच्चाई की बुनियाद पर और मजबूत होगा। अगर हमको और माँ को तुम्हारी बनना है, तो हम दोनों को मिलकर ये करना होगा। हम तुम्हारे साथ हैं जय।
जय ने कविता को देखा, कविता को ये पूरा एहसास था कि वो क्या बोल रही है। कविता की इन बातों को सुनकर जय ने उसे गोद में उठा लिया, और बोला,” तुम जैसी दीदी मिले तो हर भाई खुश रहेगा। आज तुमको हम अपनी दीदी से बीवी बनाएंगे।” जय ने उसकी मांग में भरने को सिंदूर ढूंढने लगा। पर घर में सिंदूर नहीं मिला। जय बड़ी बेसब्री से ढूंढ रहा था। कविता हंसने लगी, फिर उसको रुकने बोली। उसने ड्रेसिंग टेबल से रेड लिपस्टिक निकाली और जय को देकर बोली,” ये लो, इसीसे भर दो हमारी मांग, ताकि तुम्हारी पहली सुहागन हम बने। और अपनी आंखे बंद कर ली।
जय उसके करीब आकर उसकी मांग लिपस्टिक के गाढ़े लसलसे पदार्थ से भर दी। जैसे चारों ओर सहनाइयाँ बजने लगी। बाहर अचानक से तेज बारिश शुरू हो गयी। हवाएं चलने से खिड़कियां खुल गयी। जैसे प्रकृति भी इस मनोरम दृश्य को देखना चाहती हो कि जब एक बहन अपने भाई की बीवी बनती है तो कैसा लगता है।
कविता ने फिर आंखे खोली और जय के पैरों को झुककर छुवा। जय ने उसे उठाया, तो कविता शर्म से उसकी ओर देख नहीं रही थी। जय ने उसकी ठुड्ढी पकड़के उसके चेहरे को देखा,” अब तुम हमारी बीवी भी हो गयी दीदी। हमको डर लगता था कि कहीं तुम माँ के बारे में हमारे खयाल जानकर हमको छोड़ ना दो। तुम्हारी शादी भी किसी औरसे होते हम देख नहीं पाते। आज अभी से तुम बस हमारी हो।
कविता- आजसे हम आपकी पत्नी होने का गौरव तो उठाएंगे पर अपनी मांग ऐसे ही रखेंगे। हमारी असली शादी उस दिन होगी जब आप माँ को अपनी बना लेंगे, और आपकी उनकी शादी हो जाये। जब माँ और आप एक दूसरे को अपना लेंगे, तब हम अपने रिश्ते की असलियत बताकर उनकी बहू और सौतन बन जाएंगे।
जय- ठीक है, पर ये आप आप क्या लगा रखा है?
कविता- अब हम आपको आप ही बुलाएंगे। अब आप पति हो गए हैं हमारे।
जय- क्या बात है हमारी बिहारी संस्कारी दुल्हन।
तभी ममता का फोन जय के मोबाइल पर आया। जय ने मोबाइल उठाया और कविता को मोबाइल दिखाकर बोला, ” देखो तुम्हारी सौतन का फोन है।”
कविता,” नहीं अभी तो ये हमारी सास हैं।
ममता ने फोन पर बताया कि वो परसों सुबह पहुंच जाएगी। जय और कविता ये सुनकर खुश हुए और योजना बनाने लगे की अब कैसे ममता को जय के प्यार में गिराना है।
उस रात कविता और जय ने कसम खायी की जब तक जय ममता को चोद ना ले, वो दोनों भी चुदाई नहीं करेंगे। अगले हफ्ते जय के फाइनल ईयर के पेपर भी थे, इस वजह से भी ये इरादा किया गया।