बहुत ही बढ़िया अपडेट..ममता-आआहहहहहह क्या मस्त हो रहे हैं हम। ऊफ़्फ़फ़फ़ आज तो दिनभर पेलवाएंगे। इतने दिन बाद मौका मिला है, लण्ड का स्वाद चखने का। हमने मज़बूरी में ये रिश्ता जोरा था, पर अब तो इसमें बहुत मज़ा आता है। देवरजी, हमको अपने पास ही रख लो ना। आपकी दासी बनके रहेंगे। mom son story
आआहह चोदिये अपनी भाभी को । ऊऊईईईईईईईई….. ऊफ़्फ़फ़फ़
शशि- अरे हम तो तुमको अपने पास ही रखना चाहते हैं। पर हमारी मज़बूरी तुमको पता ही है भौजी। तुम्हरे जैसी औरत को कौन नही रखना चाहेगा। तुम जिस दिन से ब्याहके ई घर में आई हो ना, तभे से तुमको चोदना चाहते थे।
शशि ने ममता को पकड़के बिस्तर पर पटक दिया, और खुद उसके ऊपर चढ़ गया। शशि का शरीर अब हल्का थुलथुला हो चुका था, पर बाहें अभी भी मजबूत थी। उसके नीचे वो पूरी दब गई।
शशि- आज भी तुम उतने खूबसूरत हो जितनी, पहले दिन भैय्या के साथे ब्याह करके आयी थी।
ममता- सच बोल रहे हो देवरजी।
शशि- और नहीं तो का? अपनी बच्ची के कसम खाते हैं। भौजी आज गाँड़ मरवाओगी?
ममता हँसके – उम्म देवरजी, क्यों नहीं।
ममता ने पूछा- कैसे मारोगे? खड़े होके या लेटकर ?
शशि बगल से सरसों तेल की शीशी लेते हुए बोला- तुम कुत्ती बन जाओ।
ममता उठके कुत्ती बन गयी और अपनी पीठ झुकाके गाँड़ बाहर निकाल ली।
शशि ने पहले उसकी गाँड़ की भूरी सिंकुड़ी छेद पर थूका और फिर ढेर सारा सरसों तेल मल दिया। ममता मस्ती में तेल मलवा रही थी। फिर शशि ने एक उंगली ममता की गाँड़ में डाली, उसके मुंह से ऊऊ………… निकल गया। ममता अपने होंठ दांतो से दबाए पीछे मुड़के शशि को कामुक दृष्टि से देख रही थी। शशि ने फिर दूसरी उंगली और धीरे से तीसरी उंगली घुसा दी। ममता पहले भी गाँड़ मरवा चुकी थी,इसलिए उसकी गाँड़ के अंदर का हल्का गुलाबी मांस दिखने लगा।
शशि ने फिर उंगलियां उसकी गाँड़ में आगे पीछे की, ममता बस आहें भर एहि थी। फिर जब उसने देखा कि गाँड़ लण्ड लेने लायक हो चुकी है। तब उसने अपने लण्ड पर तेल लगाया, जो कि पहले से ही ममता की बुर के रस की वजह से चिकना हो चुका था। उसने ममता को संभलने का मौका ही नही दिया और उसके गाँड़ के छेद पर लण्ड सटाकर घुसाने लगा। ममता हाँलाकि, इस अनुभव से परिचित थी, पर फिर भी लण्ड का सुपाड़ा घुसने से चिहुंक उठी। आआआआ ….. ऊउईईईईईईई दददेवववरररजीजीजी……
शशि ने उसकी परवाह किये बिना अपना प्रयास चालू रखा। ममता की कमर पकड़के लण्ड को धीरे धीरे उसकी गाँड़ में पूरा उतार दिया। अनुभवी ममता का दर्द भी जल्दी ही मस्ती में बदलने लगा। देखते देखते उसकी गाँड़ शशि के लण्ड को अपनी मांसल गहराइयों में उतार चुकी थी। उसके लण्ड के चारों ओर ममता के गाँड़ की ऐसी घेराबंदी थी कि हल्की सी भी जगह नही बची थी, लण्ड और गाँड़ की छेद की गोलाई के बीच। गाँड़ की सिकुरन सीधी हो गयी थी।
शशि कुछ देर तक लण्ड को बस घुसाके छोड़ दिया था। ममता अब पूरी मस्ती में आ चुकी थी, वो धीरे धीरे कमर हिला रही थी। शशि ने ममता को देखा तो जैसे वो अपनी आंखों से धक्कों की भीख मांग रही थी। शशि ने धीरे धीरे से धक्का मारना शुरू किया, और फिर स्पीड बढ़ाने लगा। ममता को हल्का दर्द हुआ पर कब वो दर्द मस्ती में बदल गया उसे पता ही नहीं चला। अब शशि उसे बहुत बुरी तरह चोद रहा था। कमरे में ममता की सिसकारियां और आँहें गूंज रही थी। शशि गाँड़ मारते हुए उसके चुतरो पर थप्पड़ भी लगा रहा था। ममता – आह ओह्ह, ऊउईईई हहम्मम्म बस ऐसी ही आवाज़ें निकाल रही थी। शशि भी आआहह, उफ़्फ़फ़फ़फ़फ़ कर रहा था। इसी तरह ये चुदाई कुछ 15 मिनट चली, फिर शशि ने ममता की गाँड़ में ही अपना मूठ निकाल दिया। अपनी गाँड़ में गरम लावा महसूस करके ममता की बुर ने भी पानी छोड़ दिया। ममता अपनी चुदी हुई गाँड़ से शशि के लण्ड का पानी निकलता महसूस कर रही थी। उसकी गाँड़ की छेद इस वक़्त कोई दो से ढाई इंच चौड़ी दिख रही थी। वो पूरी तरह फैलकर ढीली हो गयी थी। पर थोड़ी देर में फिर पुरानी स्थिति में आ गयी। शशि ममता के ऊपर लेटा था, और ममता पीठ के बल लेटी हुई थी।
ममता- ले लिए ना भौजी की गाँड़?
शशि- हाँ, भौजी बहुत मज़ा आया।
ममता- क्यों, माया नहीं देती है क्या?
शशि- जो मज़ा तुममें है वो तुम्हरि बहन माया में नहीं है। उसने तो कभी हमको प्यार ही नहीं दिया। ये तो तुमको भी पता है, भौजी।
ममता उसके गाल को सहलाते हुए बोली- हाँ, याद है आज भी हमको, आपके भैया माया के स्कूल में ही थे। और वो दोनों एक दूसरे को चाहते थे। उन्होंने ससुरजी को उसका हाथ मांगने भेजा था, पर बाबूजी ने कहा कि पहले बड़ी बेटी की शादी करेंगे तब ही छोटी बेटी की। आपके बाबूजी को हम ज़्यादा पसंद आये। उन्होंने हमारी और आपके भैया का ब्याह तय कर दिया, उनकी हिम्मत नहीं थी ससुरजी के खिलाफ जाने की। आप भी तो आये थे, हमको देखने। पर ब्याह के बाद हमको पता चला कि आप हमको पसंद करते थे। ब्याह करके आये तब आपके भैया हमसे दूर ही रहते थे।बाद में उनके दूर रहने का कारण समझ मे आया था।
शशि- ढाई साल बाद में बाबूजी और तुम्हारे पिताजी ने माया और हमारा ब्याह कर दिया, क्योंकि हम तो तभी बस लफुवागिरी करते थे, पढ़ते कहा थे। कॉलेज भी महीने में एक बार जाते थे। बाबूजी ने सोचा कि माया टीचर है ही तो घर मे आमदनी आती रहेगी। माया हमारी बीवी बनके आ गयी। तुम दोनों बहन एक ही घर मे बहु बनके आ गयी।
ममता- हाँ देवरजी, हम दोनों बहनें एक ही ससुराल में आकर खुश थी। माया ने हमारी शादी के बाद आपके भैया को भुला दिया था। और आपको अपना जीवनसाथी बनाया।
शशि- पर हमको नहीं लगता कि वो आज भी हमको चाहती है। और बाद में जो कुछ भी हुआ उसके बाद तो घर का माहौल ही बदल गया था।
ममता- हाँ, ठीक कहा आपने। ससुरजी चल बसे और अकेली सासु माँ बची थी। तीन साल हो चुके थे, हमारी शादी को पर बच्चा नहीं हो पा रहा था।
सासु माँ दिन रात हमको ताने मारती थी। एक दिन जब कोई नहीं था, तब हम फूट फूटकर रो रहे थे, की माया स्कूल से आई। उसने हमसे पूरी बात पूछी। हम सब बता दिए कि, उसके जीजाजी और आपके भैया का मूठ बहुत कम निकलता है, जिससे हमको बच्चा नहीं हो रहा था। माया हमारे दर्द को समझी और आपके भैया को बुलाकर सारी बातें पूछी। उन्होंने शर्म से कबूल किया पर अपनी माँ को नहीं बता पा रहे थे। माया ने डॉक्टर की रिपोर्ट भी पढ़ी थी।
तब आप पटना गए हुए थे, सासु माँ को लेके डॉक्टर से दिखाने।
हम और माया बहुत सोच रहे थे, की क्या किया जाए?
जब आप वापिस आये अगले दिन, तो माया और हमने ये बात आपकी माँ को बता दी। सासु माँ गंभीर हो गयी। पर उन्होंने रात को सबको बुलाया।
शशि- उस रात माँ के साथ हम और भैया के अलावे तुम दोनों बहनें भी थी। माँ ने बहुत ही गंभीर फैसला सुनाया था, जिससे तुम्हारे और हमारे रिश्ते की शुरुवात हुई। माँ ने ये बात घर के बाहर जाने नहीं देने का हम सबसे वचन लिया। फिर, माया और भैया की सहमति से, तुमको हमारे साथ सोने के लिए कहा। तुम्हारा सारा सामान भैया के कमरे से हमारे और माया के कमरे में लाया गया। माया शुरू में थोड़ा नाराज़ हुई, पर समझ गयी थी। वो भी नही चाहती थी, की अमर भैया की इज़्ज़त बाहर उछले, आखिर कभी प्यार किया था उसको। फिर हमको तुम दोनों बहन मिल गयी थी। बाद में तुमने हमारे बच्चों को जन्म दिया। माया ने कभी माँ ना बनने का फैसला किया। और उसने तुमसे तुम्हारी दूसरी बेटी, कंचन को मांगकर अपनी बेटी की तरह पाला।
ममता- वो आपको बहुत प्यार करती है। पर आपने हमे ऐसे घर से निकाला, वो समझ नहीं आया।
शशि- लोगों को शक था कि कविता और जय मेरे बच्चे हैं, उन्हें और तुमको निकालके सबका शक दूर किया। पर तुम्हे अपने पास बुलाते रहते है ना।
पिछली बार तुम बाबूजी के नाम जो मंदिर बनवाये हैं, उस बहाने से आई थी।
ममता- हाँ, उसके बाद तो आपके कमरे में हम दोनों बहनें रहने लगी, वापिस ही नही गयी। हम दोनों बहनों को पहले दियादनी, फिर सौतन बना दिया। ममता हंसकर बोली।
शशि- हमपर तो क्या गुजरी है क्या बताएं, दो जिगड़ के टुकड़े ले गयी हो। उनदोनों की तस्वीर लायी हो भौजी।
ममता- हाँ, लायी हूँ।
तभी बाहर से माया की आवाज़ गूँजी- दीदी, आते ही शुरू हो गयी क्या? दरवाज़ा खोलो। ममता ने नंगी ही दरवाज़ा उठके खोला, और माया को अंदर खींच ली। दरवाज़ा बंद कर दिया।दोस्तों यहां से 2 महिला पात्र इस कहानी में बढ़ रहे हैं। माया उम्र 43 साल
बिल्कुल अपनी बड़ी बहन ममता की तरह ही शरीर से धनी है।
36 की चुच्चियाँ और 38 की गाँड़।
अपनी कामुकता को हरदम छुपाये रखती है। ये उसी स्कूल में शिक्षक है जिसमे अमरकांत पढाते थे।
दूसरी कंचन- उम्र 23 साल
अभी तक ग्रेजुएशन नहीं की है। बस अपनी सहेलियों संग खेलती रहती है। भगवान ने उसे 32 की चुच्चियाँ और 28 की कमर, साथ मे 36 की गाँड़ से नवाजा है। दिखने में बिल्कुल कविता के जैसी है, बस ऊंचाई में उससे लंबी है। उसकी आंखें बिल्कुल सहालग थी। होंठ एक दम पतले थे।माया जब अंदर घुसी, तो सामने ममता नग्नावस्था में खड़ी मुस्कुरा रही थी। ममता इस वक़्त काम की देवी लग रही थी। चुदने के बाद उसके बाल बिखरे हुए थे, जो लहराते हुए उसकी मस्ती भरी चुदाई की कहानी कह रहे थे। उसके चेहरे पर चुुुदने की थकान के साथ खुशी भी मिली हुई थी। आंखों में एक अजीब सी नशीली लहर दौड़ रही थी। गालों पर शशिकांत के काटने के निशान थे, आंखों का काजल उसके गालों पर बिखर चुका था। होंठों से लिपस्टिक पूरी तरह गायब हो चुका था। चूसे जाने की वजह से हल्के सूज चुके थे। बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था। उसकी 60 किलो वजनी शरीर मे कमर, जांघें, बाहें, टांगों, चूतड़ों पर अच्छी खासी चर्बी जमा थी, पर वो उसे बदसूरत या बेढंगा बनाने की बजाए उसको एक बेहद खूबसूरत सेक्सी देसी बिहारी औरत बना रही थी। उसने आभूषण के नाम पर दोनों कानों में छोटी बाली पहन रखी थी।
माया- दीदी कुछ देर रुक तो जाती, आते ही शुरू कर दी देवर के साथ मस्ती।
ममता- क्या करें, जब साल भर लौड़ा नहीं मिलता, तो समझ नहीं आता माया की क्या सही समय है। तुमको क्या है, देवरजी तो यहीं रहते हैं, खूब चुदवाती होगी। जब तुमको नही मिलेगा तो, पता चलेगा।
माया- हमको तो तुमको देखके तुम्हारी चुदने की प्यास साफ दिख रही है। शुरू की मजबूरी में, अब पूरा मज़ा ले रही हो।
ममता- तुम भी आओ ना, देवरजी के साथ तीनों मस्ती करेंगे। बड़ा मजा आएगा। हम जब साथ रहते थे, तो कई बार कितनी मस्ती की हुई है।
माया- दीदी, अभी नही कंचन आ गयी तो, छी छी क्या सोचेगी।
ममता- शर्मा क्यों रही हो बेकार में, तेरी दीदी नंगी खड़ी है कि नहीं तेरे सामने। चल आना।
माया- दीदी तुम भी ना, बस……….
शशि- ममता भौजी रहने दो उ नहीं आना चाहती तो, वैसे भी हमको अब निकलना है। कुछ काम से पटना जाना है।
ममता- आपको क्या हुआ? बोले थे ना कि आज का पूरा दिन हमलोग साथ रहेंगे।
शशि- हाँ, पर कुच्छो जरूरी काम आ गया है। परसों से छुट्टी हो जाएगी ना।
माया- कहां जा रहे हैं, सुबह भी बिना खाये निकल गए थे। कुछ खा लीजिये। खाना बन गया होगा। हम खाना निकालके लाते हैं।
शशि- हमको नहीं खाना है। तुम दोनों बहन खाओ, हम शाम तक आएंगे।
अपने कुर्ते के बटन लगाते हुए बोला। उसने उठके घड़ी बांधी, चश्मा लगाया। और ममता की साड़ी फर्श से उठाके उसके नंगे शरीर को ढक दिया। शशि घर के बाहर लगी रॉयल एनफील्ड को लेके निकल गया।
ममता को कुछ अजीब सा लगा। शायद माया और शशि के बीच मे कुछ झगड़ा हुआ है। ममता ने माया को पूछा,” क्या बात है माया, देवरजी से झगड़ा हुआ है क्या? वो इतने उखड़ क्यों गए?
माया- नहीं, दीदी कुछ नहीं हुआ है। सब ठीक है। तुम तो जानती हो इनको कभी कभी अचानक से खिसिया जाते हैं।
ममता अपनी कच्छी और ब्रा पहने बिना, साया ( पेटीकोट) को बांध ली और ब्लाउज पहनते हुए बोली- नहीं कुछ तो बात हुई है, सच बताओ ना। फिर उसके करीब आयी तो देखा कि माया के गाल पर थप्पड़ के निशान थे। उसके मुंह से अनायास ही अचंभे से निकला,” ये क्या हुआ है, मारा देवरजी ने तुझे?
माया- छोड़ो ना दीदी, पति पत्नी के बीच ये सब तो होता रहता है ना। पति हैं, हमको दो थप्पड़ मारा तो क्या हो गया। कुछ नहीं आओ, हम खाना लगाते हैं।
ममता- नहीं, देवरजी तो ऐसे नहीं हैं। वो तो काफी शांत स्वभाव के हैं। क्या बात हुई है बताओ? तुम नहीं बताओगी तो हम देवरजी से पूछेंगे।
माया की आंखों में आंसू आ गए थे। वो अपने आँचल से जब तक उसे पोछती तब तक ममता ने उसे गले लगा लिया,” चुप हो जा, माया चुप ऐसे क्यों रो रही है। हम हैं ना तेरी दीदी। बता क्या बात हुई है।
माया ने बोलना शुरू किया,” वो…..वो…सिसक…वो कल ऐसा हुआ कि, हमको पता चला कि इन्होंने, …..
कंचन की आवाज़ गूँजी, वो अपने सहेलियों के साथ घर के पीछे वाली गली से आ रही थी। माया चुप हो गयी। उसने अपने आंशु पोछे और बोली,” दीदी कंचन आ गयी, हम बाद में बताते हैं।
कंचन की सहेलियां उसे घर के सामने छोड़कर चली गयी। कंचन आयी उसे पता नहीं था कि उसकी मौसी जो असल मे उसकी माँ थी आयी है और अपने कमरे में चली गयी। माया और ममता दोनों कमरे से बाहर निकलकर रसोई में चली गयी। ममता ने अपनी साड़ी पहन ली, कमरे से जब वो बाहर निकली तो उसे देखके कोई नहीं कह सकता था कि अभी अभी इसकी गाँड़ चुदाई हुई है। वो बिल्कुल शरीफ परिवार की महिला लग रही थी।
mom son story – Incest घरेलू चुते और मोटे लंड – Part 1 – Pure Taboo