मन खाला का हाथ पकड़ा और झोपड़ी में दाखिल हो गये। आज अंधेरा था खाला का बस साया ही नजर आ रहा
था। अंदर जाकर मैंने खाला को झप्पी डाल ली, और बाज़ उनकी कमर में डाल लिये।
खाला में कहा “यहां तो कोई भी नहीं आ सकता..”
मैंने कहा- “ही खाला, इस टाइम इधर कोई नहीं आयेंगा…” कहकर मैंने खाला को होंठो पे किस की और अपनी जुबान उनके होंठों पे फेरी। नीचे मेरा लण्ड खड़ा हो रहा था, जो खाला की फुद्दी को सीधा टच कर रहा था।
खाला ने अपने होंठ टीले किए। ये इशारा था खाला की तरफ से होठ चूस लो या अपनी जुबान मेरे मुँह में डाल दो। मैंने पहले खाला के होंठ चूसे और फिर जुबान अंदर दाखिल की खाला के मुँह में। जैसे ही जुबान अंदर गई, खाला में जुबान चूसनी शुरू कर दी।
इस वक़्त हम दोनों के जिश्म भट्ठी बने हये थे। लण्ड जो इस बात पूरा टाइट था उसको मैं रगड़ने लगा फुद्दी पे। जिसको खाला भी एंजाम कर रही थी। कभी कभार वो बीच में अपनी फुद्दी मेरे लण्ड पे दबा देती लेकिन ऐसे की मुझे पता ना चले। लेकिन मुझे एहसास हो जाता था।
मैंने कहा- “खाला मुझे आपका दूध पीना है. और साथ ही कमीज पकड़कर ऊपर करने लगा। जिसको खाला ने पकड़कर गर्दन तक कर लिया।
मैंने ब्रा ऊपर किया और खाला के मम्मे जो उछल के बाहर आए उनको हाथों में पकड़ लिया। खाला के मम्मे इस वक़्त मुझे इतहाई नरम लग रहे थे। निपल हाई थे। मैं आगे हुआ और एक मम्मा अपने मुँह में डाल लिया
और चूसने लगा। मैं चूमते हो साथ में बातें भी कर रहा था।
मैंने कहा- “खाला आपके दूध तो बहुत मजे के हैं। दिल करता चूसता ही हैं.”
खाला सेक्सी आवाज में फुसफुसाईं- “बेटा ये तुम्हारे ही हैं। जैसे मर्जी मजे लो इनसै?”
मैंने कहा- “खाला आपके दूध दिन करता पीता रहूँ…
खाला की सिसकी निकली। खाला ने कहा- “बेटा चूस लो जितने चूसने हैं। तुम्हारी खाला के दूध तुम्हारे ही हैं…”
अभी हम दोनों पूरा गरम हो गये थे। शायद इस वीरान जगह का असर था, जो खाला भी आज पहले से ज्यादा हाट लग रही थी।
खाला ने कहा “एक बात बताऊँ बेटा? किसी को बताना नहीं…”
मैंने कहा- “जी खाला बतायें.” मैंने मम्मे चूसते हुये कहा।
खाला ने कहा “इन दूध को मम्मे कहते हैं। इनसे दूध निकलता है जब मुन्ना पैदा हो ता है…”
मेरे अंदर मजे की लहर दौड़ी खाला की ये बात सुनकर। मैंने कहा- “खाला आपके मम्मे इतने बड़े क्यों है?” और चूसते हमें मैं मम्मे दबा रहा था। नीचे खाला और मैं लण्ड फुद्दी रगड़ रहे थे।
खाला ने कहा “बेटा शादी के बाद हो जाते हैं बड़े। तुम्हारे अंकल भी इनको चूसते और दबातें हैं इसलिए.”
सेक्स मेरे दिमाग पे नशे की तरह चढ़ चुका था। मैं अब अम्मी को सेक्सी नजरों से देख रहा था, जिसका अम्मी को भी बखूबी अंदाजा हो रहा था।
अम्मी ने पूछा- “क्या हुवा बेटा, ठीक तो हो ना?”
मैंने कहा- “जी अम्मी जान बहुत अच्छा है मैं। आपसे झप्पी लगाकर भला मुझे कुछ हो सकता है?” और इसके साथ ही मैंने अपना जिश्म हिलाया जिससे मेरा लण्ड एक बार उनकी जांघों से रगड़ खा गया।
मैं अब अम्मी के चेहरा पे अपना हाथ फेरने लगा और होंठों पे उंगली फेर देता। जिसको अम्मी भी बड़ा एंजाय कर रही थी। फिर मैं अम्मी के होंठों के किनारों को चूमने लगा, और अम्मी भी मुझे अपने साथ दबाने लगी। अम्मी के होंठ फड़काने लगे थे।
कुछ देर बाद अम्मी ने कहा- “चलो बैटा नीचे चलते हैं। काफी टाइम हो गया है और मैं अब ठीक हैं…”
फिर हम दोनों नीचे आ गये। ठंड ज्यादा हो गई थी। इसलिए सबके लिये चाय बनी। जो सबने पी ली। मैं कजनों के साथ बैठ गया। जहां हमने सोजा था वहां गम में बैठे मंगफली खाते हये बातें कर रहे थे। रात के दो बजे सोने के लिये लेट गयें। मैं भी जल्द सो गया क्योंकी थका हुआ था।
सुबह वालिमा था। जब में उठा तो 9:00 बज रहे थे। फ्रेश होकर नाश्ता किया और घर वालों के साथ बालिमा की तैयारी में लग गये। खाने का इंतजाम साथ के हो खाली प्लाट में तंबू बगैरा लगाकर किया गया था। वहीं डेंग पक रही थी। मुझे भी वहां काम पे लगा दिया गया, गास्त साफ करने में।
खैर, इसी तरह टाइम गुजरता रहा और वालिमा भी हो गया। कोई खास बात नहीं हुई। भाभी और कजन चले गये भाभी के घर। अगले दिन हमको मकलावा लेने जाना था। आज कुछ मेहमान भी कम हो गये थे। इसलिए आज रात अपने घर में ही सोना था खाला के साथ ही। हमारे रूम वाली दूसरी औरतें जा चुकी थी। आज हमें अकेले सोना था अपने रूम में।
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रात का खाना खाकर फारिग हो गये तो अब औरतें बैठी बातें कर रही थी। आधे मेहमान जा चुके थे।
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