मैं उठा आँटी की जांघों को पकड़ा और लण्ड के धक्के मारने लगा, और नजर नीचे करके लण्ड को चिकनी फुदी में आते-जाते देख रहा था। वो दृश्य इतना सेक्सी था की मुझे अपने लण्ड में लहरें उठती महसूस हुई। आँटी का जिश्म अकड़ा और फुद्दी से गरम पानी लण्ड पे बहता हुआ बाहर बैंड शीट पे गिरने लगा। मुझे भी अपना लण्ड
खाली होता महसूस हुवा। मैं आँटी पे लेट गया। जिश्म पीने से सराबोर था।
आँटी आँखें बंद किए लेटी हुई थी। फिर आँटी ने आँखें खोली और कहा- “बेटा बड़ी जानदार फुद्दी मारी तुमने..”
मैं अब क्या बताता की मुझे एक माँ बेटी ने ट्रेन्ड कर दिया है। मैंने कहा- “आँटी मुझे भी बड़ा मजा आया
आपकी फुद्दी मारकर ” फिर मैं उठा कपड़े पहने, आँटी से इजाजत ली और घर की तरफ चल पड़ा।
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घर आकर कुछ खास नहीं हुआ। अगले दिन उठा, नाश्ता वगेरा किया और काम लिखनें बैठ गया। क्योंकी काम
बीच में कुछ दिन लिखा भी नहीं गया था। काम लिखकर फारिग हुवा तो किचन में गया पानी पीने।
मी भी किसी काम से आ गई किचेन में। मामी मेरे पास आई और कहा- “बेटा आज बड़ा दिल कर रहा है फुद्दी मरवाने का.” मामी के मुँह से फुद्दी शब्द सुनकर मेरा लण्ड सनसना उठा।
मैंने कहा- “मामी, मेरा भी कल से आपकी फुद्दी लेने को दिल कर रहा है..”
मामी मेरे मुँह में सीधे फुद्दी शब्द सुनकर सैक्सी स्माइल करने लगी। मामी ने एक नजर बाहर देखा और आगे बढ़कर मेरा लण्ड पकड़ लिया। मामी के हाथ में आने के बाद लण्ड तेजी से खड़ा होने लगा। मामी ने लण्ड को 5-6 बार दबाया और छोड़ दिया।
मामी ने कहा- “ये तो पूरा तैयार है बेटा मेरी फुद्दी में जाने के लिये… हाथ लगाना चाहोगे फुद्दी पे?”
मन ही में सिर हिलाया।
मामी किचेन के दरवाजे पे खड़ी हो गई और मुझे कहा- “पीछे से सलवार में हाथ डालकर फुद्दी चेक करो मेरी..”मामी बाहर नजर रख रही थी। मैं आगे बढ़ा और हाथ सलवार में घुसा दिया। चूतड़ों के नीचे से हाथ फुद्दी पे लगाया जो इस वक़्त गीली हो रही थी। मैं मामी की फुद्दी पे हाथ फेरने लगा। लण्ड मेरा झटके मार रहा था सलवार में। मुझे अचानक जोश चढ़ा तो मैं नीचे बैठा और सलवार पीछे से चूतड़ों से नीचे कर दी। मैंने मामी के मोटे चूतड़ हाथों में पकड़े और अपना मुँह आगे करके मामी के नरम चूतड़ों पे होठ लगा दिए अपने।
मुझसे रहा नहीं गया, मामी के नंगे चूतड़ देखकर। मैंने चूतड़ों का नरम गोस्त मुँह में भरा और उसको चूसने लगा और कभी हल्का-हल्का काटने लगा। मामी की सिसकी निकाल गई। बाइ चान्स अभी तक किचेन की तरफ कोई नहीं आया था। मैं बेखौफ मामी के चूतड़ चूस रहा था। मामी अपने चूतड़ों को मेरे मुँह पे दबा रही थी। इस वक़्त उनके जिस्म की गंध मेरे सेक्स में बढ़ोत्तरी कर रही थी।
अचानक मामी आगे हुई, सलवार ठीक की और कहा- “बेटा यहां खतरा है, कोई सुरक्षित जगह देखते हैं। तुम ऐसा करी ऊपर जाओ। मैं आती ह थोड़ी देर में…”
मैं खड़े लण्ड के साथ ऊपर चला गया, और रूम में जाकर इंतजार करने लगा। लेकिन मामी नहीं आई। काफी देर बाद जब मैं नीचे जाने की सोचले लगा तो मुझे सीढ़ियों से आवाज आई। कुछ लम्हों में मामी ऊपर आती दिखाई दी मुझे।
मामी रूम के अंदर आ गई और कुण्डी लगा दी। मुझे झप्पी लगाई और जोर से अपने साथ दबा लिया। मामी में इस वक़्त सेक्स सवार था। फुद्दी की गर्मी उनसे श्ति नहीं हो रही थी। मैंने मामी की चूतड़ पकड़ लिए और मामी को किस करने लगा। मामी के नरम हॉठ किसी मलाई से कम नहीं थे। मामी भी मेरे होठ चूस रही थी। मामी अपनी फुद्दी को मेरे लण्ड में दबा रही थी। मामी ने अपनी सलवार घुटनों तक उतार दी, और मुझे भी इशारा किया। मैंने भी अपनी सलवार नीचे की। मामी मेरे लण्ड को पकड़कर मसलने लगी और अपने होंठ काटने लगी।
मामी ने कहा- “बेटा तुम्हारा लण्ड बहुत गरम लग रहा है मुझे…”
मैंने कहा- “मामी आज तो आप पूरी गरम लग रही हो..” और कमीज में हाथ डालकर मम्मे पकड़ लिए।
मामी ने लण्ड को जोर से दबाया और कहा- “बेटा, बड़ा मजे का लण्ड है तुम्हारा…”
मैंने कहा- “तो आप खा लो फिर इसको..” और हम दोनों मुशकुराए।
मामी ने कहा- “अभी मौका नहीं है, बरना जरन खाती। फिर कभी तुम्हारा लण्ड खाऊँगी..” मामी का मतलब था लण्ड चूसंगी फिर कभी
मामी ने कहा- “अभी मौका नहीं है, बरना जरन खाती। फिर कभी तुम्हारा लण्ड खाऊँगी..” मामी का मतलब था लण्ड चूसंगी फिर कभी।
सलवार उत्तार के मामी चारपाई पे लेट गई। मैंने भी सलवार उतारी और उनकी टांग में बैठ गया। टांगें उठाकर टांगें को आपस में जोड़ दिया मैंने, ता नीचे फुद्दी किसी कुँवारी लड़की की तरह हो गई थी। फुद्दी के होंठ आपस में मिल गये थे। मैंने लण्ड को पकड़े बगैर आगे किया और फुद्दी के छेद पे सेट करके पुश किया तो लण्ड ऊपर को फिसल गया।
मामी सिसक पड़ी। अपना एक हाथ नीचे करके लण्ड पकड़ा और कहा- “अब डाला बेटा…
मैंने जोर लगाया और लण्ड की टोपी अंदर घुस गईं। टांगें जुड़ने की वजह से फुदद्दी टाइट हो गई थी, जिससे मेरा लण्ड फैसकर जा रहा था मामी की चिकनी फुद्दी में। मामी लगातार आहे बाहर रही थी। इस बात लण्ड पूरा अंदर कर दिया था मैंने और अब अपनी गाण्ड हिलाकर में लण्ड आगे-पीछे करने लगा। जब मैं थक गया तो मामी की टांगें खोल दी और मामी के ऊपर लेट गया। अब मैं अच्छी तरह एक लय से लण्ड को तेजी से अंदर बाहर करने लगा। और दो मिनट सेक्स के बाद हम दाना फारिग हो गये, और एक-एक करके नीचे चले गये।
मामी नहाने चले गई और मैं एक चक्कर बाहर का लगाकर घर आ गया। घर आया तो सभी बातें कर रहे थे, तो मैं भी बैठ गया।
गत को खाना खाकर मैं बाहर निकालने लगा तो खाला ने कहा- “रुको बँटा, आज मैं भी तुम्हारे साथ चलती हूँ वाक में। काफी दिन हो गये नहीं की बाक…” फिर खाला में लुबना और बाजी से पूछा लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया।
फिर मैं और खाला बाहर निकल आए घर से। आज कुछ गर्मी ज्यादा ही थी। चलते हुये खाला ने अपना दुपट्टा उतार के वैसे ही गले में लटका लिया। टाइट कमीज में मुझे खाला के मम्म शेप में नजर आ रहे थे। खाला ने मुझे देख लिया की मैं उनके मम्मे देख रहा हैं।
खाला में शरारती मुश्कान के साथ कहा- “क्या देख रहे हो बेटा?”
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मैंने कहा- “खाला, आप बहुत मजर की लग रही हो इस बात, और मेरा दिल कर रहा है आपको यही गली में ही झप्पी लगा लू…”
खाला में हँसते हये कहा- “लगा लो अगर लगा सकते हो?
मैं हैरान हो गया की खाला बड़े आराम से ऐसा कह रही हैं। मैंने कहा- “कोई देख लेगा वरना डाल लेता…’
खाला ने कहा “अंधेरा है, किसने देखना है?”
मैंने सिर हिलाया। गली की नुक्कड़ पे बड़ा सा दरख़्त लगा था। मैंने खाला का हाथ पकड़ा और उस दरख्त के नीचे खड़े हो गये। आगे होकर मैंने खाला को झप्पी लगा ली।
खाला घबरा गई और कहा- “तुमने तो सचमुच झप्पी लगा ली है…”
मैंने कहा- “अपने ही कहा था और मैंने डाल ली झप्पी..”
खाला ने कहा “पहां ठीक नहीं है। आगे चलते हैं, कोई जगह हुई तो वहां डाल लेना झप्पी…”
में खाला के साथ चलता रहा। गाँव के बाहर उसी झोपड़ी के पास चले गये। मैंने कहा- “खाला यहां ठीक है इस वीरान जगह कोई नहीं आउंगा..”