शाम को उठा और रात तक कुछ खास नहीं हुवा। खाना खाकर मैं बाहर निकाल गया और ज़ारा के घर की तरफ चल पड़ा। उनके घर पे पहुँचा तो बैठक का दरवाजा खुला हुआ था। मैं अंदर दाखिल हो गया और ज़ारा का इतंजार करने लगा। आज घर पे ज़ारा के अम्मी अब्बू भी थे, लेकिन मैं फिर भी आ गया ज़ारा से मिलने के लिये इसके घर, सिर्फ नई फुदद्दी के चक्कर में।
कुछ देर बाद ज़ारा अंदर आई। उसने लाइट जला दी। राशनी हई तो मेरी नजर जारा पे पड़ी। आज उसने ब्लैक कमीज सलवार पहनी हुई थी। वो मेरी तरफ बढ़ी। मैंने उसको झप्पी लगा ली और हम किस करने लगे। ज़ारा पूर जोशीले अंदाज में मुझे किस कर रही थी। मैंने उसकी जुबान चूसी और उसने मेरी। उसकी जुबान चूसने का स्टाइल बहुत सेक्सी था, ऐसा लग रहा था जैसे लण्ड चूस रही हो।
कुछ देर बाद ज़ारा और मैंने अपनी सलवार नीचे कर ली। उसने मेरा लण्ड पकड़ा और में उसकी गरम फुद्दी पे हाथ फेरने लगा, और जल्द ही उसकी फुद्दी में उंगली डालने लगा। ये क्या इसकी भी फुद्दी खुली हुई थी। बहनचोद इस गाँव की लड़कियां पहले ही फुद्दी खुलवा चुकी हैं।
मैंने उससे पूछा- “पहले किससे सेक्स किया हुआ है?”
ज़ारा बोली- “अपने मंगेतर से…”
मैंने पूछा- “कितनी बार?”
जारा बोली- “5-6 बार उसने मारी फुद्दी मारी है। लेकिन अब वो दुबई चला गया है। एक साल बाद आयेगा और हमारी शादी होगी…”
मैं समझ गया की लण्ड की तलब उसको मुझ तक खींच लाई थी। मैं उसकी फुदद्दी में उंगली कर रहा था। ज़ारा की फुद्दी पूरा सफाचट थी। शायद आज ही उसने साफ की थी। ज़ारा मेरे लण्ड को दबा रही थी।
मैंने कहा- “चला सेक्स करते हैं। काई आ ना जाए तुम्हारे घर से..”
जारा तैयार हो गई, अपनी सलवार उत्तार के वो सोफे पे लेट गई। मैं अपनी सलवार उतारने लगा और ध्यान जारा की चमकती फुदद्दी पे था। ज़ारा की जांघे फूली हुई थी और चिकनी थी जैसे उस पे तेल लगा हो। मैं भी सलवार उतार के जारा के पास गया। ज़ारा ने अपनी टांगें उठाकर बगल में फैला ली, तो उसकी फुद्दी खुलकर मेरे सामने आ गई।
मैं अभी उसकी टांगों में बैठा ही था की बैठक दरवाजा खटका घर की तरफ वाला। मेरे तो टटें शांत हो गये। जारा बिजली की सी तेजी से उठी सलवार पहन रही थी।
तभी ज़ारा की अम्मी की आवाज आई- “बेटा तुम्हारे अब्बू बुला रहे हैं…”
मैंने फटाफट सलवार पहनी और सोफे के पीछे छुप गया। खौफ से मेरी हालत मरने वाली हो गई थी। लण्ड ऐसा हो गया था जैसे पूरी जिंदगी उठा ही ना हो।
ज़ारा दरवाजा खोलकर बाहर चली गई और मुझे रुकने का इशारा कर गईं। लेकिन उसके बाहर निकलते ही मैं उठा और बढ़कर दरवाजे से निकलता हुआ गली में आ गया, और अपने घर की तरफ चल पड़ा। शुकर कर रहा था बाल-बाल बचा मैं। अब जैसे ही खतरे से बाहर निकला तो लण्ड फिर अकड़ने लगा था। लेकिन किसी ना किसी तरह लण्ड को संभालते में घर पहुंच गया।
घर में दाखिल हुवा ता बाजी ने पूछा- “क्या बात है, आज कल काफी देर टहलकर आते हो? खैर ता है?”
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में अंदर से मुश्कुराया और कहा- “हाँ तुम्हारी सहेली की फुद्दी पे टहलकर आता है..” और मैं ऐसा सिर्फ सोच सकता था कह नहीं सकता था बाजी को। खैर, मैंने बाजी को टाल दिया और अंदर चला गया।
आज मौसम खराब था। इसलिए सबने आज अपने रूम में ही सोना था। मैंने खाला के साथ नानी वाले रूम में ही सोना था। आज मेरा खाला के साथ मूड था, रात को मस्ती करने का। क्योंकी लण्ड मुझे अभी भी बेचैन कर रहा था। सब बैठे टीवी देख रहे थे और मैं चाह रहा था की फटाफट टाइम गजरे और सब अपने रूम में चलें।
***** *****सभी बरामदे में बैठे हये थे। टीवी लगा हुआ था, लेकिन देख काई नहीं रहा था सभी गप्पें मार रहे थे। 10:00 बज चुके थे, लेकिन लगता था जैसे अभी किसी के साने का मूड नहीं है। शायद मौसम ठंडा था इसलिए सब एंजाय कर रहे थे।
सब का मूड बन गया चाय पीने का। बड़ी मामी उठी तो किचेन में चली गई चाय बनाने। मेरे लण्ड ने अंगड़ाई ली और कहा- “चलो मामी के पास किचन में..’ में भी फिर पानी पीने के बहाने उठा और सीधा किचन में गया।
मामी मुझे देखकर खुश हो गईं। सहन में अंधेरा था, बस किचेन में रोशनी थी। मैं आगे बढ़ा और मामी को पीछे से झप्पी डाल ली, और गर्दन में किस की मामी को। मेरा लण्ड मामी के चूतड़ों में दब गया। लण्ड चूतड़ों की गर्मी पाकर खड़ा हो रहा था।
मैंने मामी के बाजू के नीचे से अपने हाथ गुजारे और मम्मे पकड़ लिए। मामी ने इस वक्त बा नहीं पहना हुआ
था। मैंने पूग- “मामी बा नहीं पहना आपने?”
मामी ने कहा- “बेटा, रात को उतार के सोती हूँ मैं..” और मामी भी अब अपने चूतड़ मेरे लण्ड पे रगड़ रही थी को अचानक लेट चली गई। हर चीज अंधेरे में डूब गईं।
मन मोके का फायदा उठाया और हाथ मामी की कमीज में डालकर नंगे मम्मे पकड़ लिए। मम्मे दबाने लगा और बीच में मामी के निपल भी मरोड़ देता था। मामी ने अपना एक हाथ पीछे किया और मेरा लण्ड पकड़ लिया उसको एक बार दबाया और अपने चूतड़ों की लाइन में फिट करके गाण्ड लण्ड पे दबा दी।
मेरा लण्ड सीधा मामी की गाण्ड में घुस गया। मम्मे दबातें हये मैं में हाथ नीचं लाया और बगल में सलवार में घुसा दिए, और मामी की मोटी-मोटी जांघों पे हाथ फेरने लगा। मामी की जांघ इस कदर चिकनी थी की मेरे हाथ फिसल रहे थे, और लण्ड झटके मार रहा था मामी के चूतड़ों में।
इतनी देर में अंदर से आवाज पड़ी. “चाय ले आओ..”
मैं पीछे हो गया मामी फटाफट चाय कपों में डालने लगी। मैंने एक ट्रे उठाई, अंदर चला गया। मामी भी पीछे से आ गईं। मोमबत्ती जलाई हई थी वहां। सब चाय पीने लगे। मैं बाजी अमीना के पास बैठ गया और अपना एक हाथ उनके चूतड़ों पे रख दिया, और बाजी की गाण्ड चेक करने लगा। वहां अंधेरा था। बाजी में अपना एक हाथ मेरी जांघ में रख दिया था।
मैंने बाजी की सलवार में पीछे से हाथ डाला। बाजी थोड़ा सा ऊपर उठ गई, जब मेरा हाथ उनके चूतड़ों के नीचे दबा तो वा बैठ गई। मुझे अपने हाथ पे बाजी के चूतड़ों का नरम-नरम और गरम सा एहसास हो रहा था। मैं अपनी उंगली हिलाकर उनकी गाण्ड का मजा ले रहा था।
इधर बाजी मेरे लण्ड के करीब पहुँच गई थी। उसकी उंगलियां अब मेरे लण्ड पे रेंग रही थी। जब पूरा हाथ लण्ड पे पहुँच गया तो उन्होंने लण्ड को मुट्ठी में दबा लिया। मेरा अकड़ा हुआ लण्ड उनकी मुट्ठी में था जिसको वो धीरे-धीरे हिला रही थी। मैंने एक टांग ऊपर रखी हुई थी, जिस वजह से मेरे लण्ड का ओला बन गया था सबसे। क्योंकी हम दोनों सबसे बगल बैठे हमें थे।
सब चाय पी चुके थे। मैंने हाथ निकाल लिया, तो मुझे खाला ने कहा- “चलो बेटा अब आ जाओं रूम में..”
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लुबना बाजी अमीना के साथ चली गई। नानी पहले ही सो चुकी थी रूम में। रूम में पूरा अंधेरा था, बल्की पो घर में अधेरा था। लाइट शायर ट्रान्सफार्मर से खराब हो गई थी।
मैं और खाला अपनी-अपनी चारपाई में आकर लेट गये। चारपाई हमारी जड़ी हई थी। कुछ देर बाद मैंने अंधेरे में हाथ आगे किया जा खाला की गाण्ड से टकराया। खाला ने अपना हाथ पीछे किया और मेरे हाथ में अपना हाथ रखा, और धीमी आवाज में पूछा- “क्या हुवा बेटा?”
मैंने कहा- “कुछ नहीं..”
खाला मेरे हाथ को सहलाने लगी।
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