Incest खाला जमीला – Part 2 – kambikuttan

सुबह नाश्ता करके फारिग हुबा तो अब्बू आज बाइक मुझे दे गये। क्योंकी सामान वगैरा लाना था खाने पीने का। अम्मी छोटे भाई को खाला की तरफ छोड़कर आईं और फिर मैं और अम्मी बाइक में बाजार की तरफ चले गये। अम्मी ने मुझे पेट पे हाथ रखकर पकड़ा हुआ था, जिससे उनके मोटे और गुदाज मम्मे मेरी पीठ पे महसूस हो रहे थे।

बाजार से खरीदारी करके हम घर वापस आ गये। अम्मी किचेन में बिजी ह गई। खाला और लुबना भी इधर आ गई अम्मी की हेल्प करवाने के लिये। खाला कोई चीज लाने रूम में आई तो मैंने खाला को देखा। खाला में ब्लैक सूट पहना हुवा था और पाजामा तंग था, जिससे खाला की जांघ और चूतड़ बड़ा सेक्सी नजारा दे रहे थे।

मैं खड़ा हुआ और खाला के पास आ गया और खाला को झप्पी डाल ली। कई दिनों से पानी नहीं निकला था इसलिए मुझे खाला से झप्पी डालकर बड़ा मजा आया। उनका गुराज जिश्म मुझे महसूस होने लगा।

खाला- “बैटा छोड़ दो कोई आ ना जाए और वहां काम भी है किचन में…”

अली- “खाला बहुत दिल कर रहा है सेक्स करने को। बहुत दिन हो गये मैंने पानी नहीं निकाला। देखो कितना टाइट हो रहा है मेरा लण्ड… और खाला का हाथ पकड़कर मैंने लण्ड पे रख दिया।

फिर खाला ने लण्ड को दबाया और मुझे किस की। खाला के हाथ से लण्ड दबवा कर मुझे बहुत मजा आ रहा था। लण्ड बार-बार झटके मार रहा था।

खाला- “बेटा जैसे है मोका मिला हम करेंगे संक्स और तुमको पूरा मजा भी दूंगी। बस सबर करो अभी। मेरा अपना भी बहुत दिल कर रहा है तुमसे सेक्स करने को..” खाला ने अपना हाथ मेरी सलवार में डाल दिया और मेरे टट्टे पकड़कर उनसे मसाज करने लगी। जिससे मुझे बहुत मजा आ रहा था।

मैं- “खाला जादू है तुम्हारे हाथों में। उफफ्फ… ऐसे ही करती रहो तुम..”

खाला बहुत तेजी से लण्ड और टट्टों में हाथ फेर रही थी। उधर में खाला के गदाज चूतड़ अपने हाथों में भर-भर के दबा रहा था। फिर मैंने खाला की सलवार में हाथ डालकर खाला के नंगे और गरम चूतड़ हाथों में भर लिए। खाला की सिसकियां भी निकल रही थी बार-बार। मैं पूरा नशे में खाला के चूतड़ दबा रहा था।

मैं- “खाला बहुत मोटें और नरम हैं तुम्हारे चूतड़। दिल करता है इनको कहा जाऊँ..” और इसके साथ ही मैंने खाला के चूतड़ों की लाइन में उंगली घुसाकर गाण्ड के सुराख पे उंगली को फेरने लगा।

खाला का सुराख मजे से खुल बंद होने लगा। खाला मजे से पागल होतें हमें लण्ड को जोर से पकड़कर मसलने लगी। मैं अब जानबूझ के मजा लेने के लिये सेक्सी गुफ्तगू करने लगा था खाला से। क्योंकी खाला भी पूरा जवाब देती थी।खाला सिसकियां लेती हई- “हाँ बेटा, मुझे पता है की तुमका मेरे चूतड़ बड़े पसन्द है। हर वक़्त इनके पीछे पड़े रहते हो। मुझे पता है मेरी फुदद्दी के साथ तुम मेरी गाण्ड मारने का भी शौक रखते हो। है ना?”

में- “ही खाला तुम्हारे मोटे और बड़े चूतड़ मेरी कमजोरी हैं। दिल करता है अभी इन में लण्ड डाल दू अपना.

खाला- “ता डाल लो बेटा। लेकिन अंदर नहीं करना, बस ऊपर ऊपर से कर ला…”

मैं तो पागल ही हो गया खाला की बात सुनकर। फिर खाला ने अपने चूतड़ मेरी तरफ किए। सलवार पहले ही नीचे थी। मैंने अपनी भी सलवार नीचे की और लण्ड पे थूक मल के खाला के बाहर को निकले हमें चूतड़ों में लण्ड फैंसा दिया।

खाला- “बेटा मेरे चूतड़ों में भी थूक लगा लो, फिर ज्यादा मजा आएगा.. खाला की बात सुनकर मेरे अंदर एक मजे की लहर दौड़ गई।

मैं- “खाला मेरा मुँह सूखा हो गया है। तुम अपना थूक मेरे हाथ पै डालो…”

खाला में ऐसा ही किया। मैंने लण्ड बाहर निकाला और हाथ को चूतड़ों में घुसाकर अच्छी तरह उंगलियों से गाण्ड के अंदर तक थूक मल दिया। जिससे खाला के चूतड़ अंदरूनी बगल पे चिकने हो गये। मैंने लण्ड को दुबारा पकड़ा और चूतड़ों में घुसा दिया और लण्ड को आगे-पीछे करने लगा। ऊपर से खाला के मम्मे पकड़ लिए। खाला थोड़ा सा झुक गई थी, जिससे लण्ड अच्छी तरह सेंट हो गया उनके चूतड़ों में।

गुदाज चूतड़ों में लण्ड ऐसे अंदर-बाहर हो रहा था, जैसे मैं एक फुददी मार रहा हूँ। मुझे इतना ही मजा आ रहा था। खाला के चूतड़ों में गर्मी भी एक फुद्दी जितनी महसूस हो रही थी। मजे से मेरा बुरा हाल हो रहा था। मेरी और खाला की साँस तेज हो रही थी।

खाला- बेटा जल्दी कर लो, काई आ ना जाए। वरना सारा मजा खराब हो जायेगा।

अभी ये अल्फ़ाज खाला के मुँह में ही थे की किचेन से अम्मी की आवाज आई। खाला को बुला रही थी। खाला ने फटाफट मुझे छोड़ा और सलवार ऊपर कर लो। मैं भी डर गया था की शुकर है अम्मी अंदर नहीं आ गई। लेकिन
मजा खराब होने का दुख भी था। डर की वजह से लण्ड ऐसे सिकुड़ गया था जैसे अभी कुछ किया हो ना हो। मैंने भी कपड़े सेट किए और बाहर आ गया।

अम्मी ने एक-दो काम कहे, वो भी कर दिया।

दोपहर 3:00 बजे होंगे जब मेहमान आ गये। साजिद भाई, भाभी फरजाना और बाजी जोया और उनका बैंबी ये 4 लोग आए थे। सब बहुत खुशी से मिले।

बाजी जोया ने मुझे गले लगाया और मेरे कान में फुसफुसाई- “मैं आ गई अली तुम्हारी जान…”

मजे भी उनका वेलकम कहा। भाभी से हाथ मिलाया। वो भी मुश्कुराई मुझे देखकर।

मैंने भी मुश्कुराते हुये कहा- “भाभी तुम पहले से खूबसूरत हो गई हो… और ये सच भी था। भाभी का जिश्म पहले से भर गया था। मम्मे और चूतड़ों का फैलाओं बढ़ गया था।

भाभी मुश्कुराते हये- “ओहो तो ये बात है? देवर को अपनी भाभी पसन्द आ गई है..

मैं हँसते हुये- “जी भाभी तुम हो ही ऐसी, पसन्द तो आना ही था। वैसे मुझे हैरानी और खुशी हुई भाभी मुझसे पहले से फेंक होकर मिली। शायद मैं छोटा है इसलिए..’ बहरहाल मिलकर हाल पूछ के सब अंदर आ गये।

अम्मी और लुबना पास बैठ गये मेहमानों के। खाला किचन में चली गई इनके लिये मशरुब लेने।

मैं भी किचन में चला गया, और खाला के पास होकर उनको धीरे आबाज में कहा- “खाला आज तो सारा मजा खराब हो गया। कसम से बहुत मजा आ रहा था आज..”

खाला मुश्कुराते हुय- “तुमको मजे की पड़ी हुई है। मुझे अभी भी डर लग रहा है अगर बाजी को पता चल जाता तो? मतलब तेरी अम्मी को?”

खाला पानी लेकर मेहमानों को सर्व करने लगी। मैं भी वहां बैठ गया और गप-शप में हिस्सा लेने लगा।

में- “बाजी, तुम लोगों ने ज्यादा दिन रहना है एक-दो दिन बाद कोई नहीं जाने देना..”

भाई साजिद- “पार, मैं तो कल वापस चला जाऊँगा मुझे काम है। हाँ तुम्हारी भाभी और बाजी यही रहेंगी। जब तक इनका मूड हुआ रुक जायें…”

मैं मजाक में- “चलो ठीक है भाई आपकी खैर है, बाकी तो रुक जायें ना। क्यों भाभी क्या खयाल है?”

भाभी- ही क्यों नहीं। हम कुछ दिन रुकेंगे तुम्हारा शहर देखेंगे। घुमाना हमको।

kambikuttan – मेरा बेटा ऐसा नही है compleet

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