दोपहर का खाना खाकर मैं खाला की तरफ गया। क्योंकी सुबह वा कहकर गई थी कुछ सामान लाकर देना था उनको बाजार से। खाला के घर गया तो खाला ने गले लगाकर मुझे प्यार किया और कहा “आ गया मेरा शोना। पेपर्स ठीक हुये?”
मैंने कहा- “जी खाला अच्छे हो गये…”
लुबना भी मुझे नजर आ गई। वो भी अब फी थी। फिर खाला और मैं बाजार चले गये सामान लाने। वहां काफी टाइम लगा। शाम होने वाली थी जब खाला के घर पहुंचे।
लुबना ने खाला को बताया- “कल बाजी जोया और साजिद भाई अपनी वाइफ फरजाना के साथ आएंगे..”
मैंने पूछा- “तुमहें किसने बताया?”
उसने कहा- “तुम्हारी अम्मी में पता चला। मैं गई थी तुम्हारे घर…”
में बड़ा खुश हुआ की चलो अब बाजी जोया को दोबारा चोदने का मौका मिलेगा।
खाला किचेन में जा चुकी थी। मैं और लुबना सहन में बैठे हये थे। मैंने लुबना की जांघ पे हाथ फेरा और पूछा “क्रिया प्रोग्राम है अभी?”
लबजा ने कहा- “किस चीज का प्रोग्राम?”
मैंने कहा- “सेक्स करने का प्रोग्राम। मेग़ बहुत दिल कर रहा है जान..”
लुबना मुश्कुराई और कहा- “अभी नहीं। जब मेरा मूड होगा तुमको बता दूंगी.”
:
:
मैंने कहा- “बहुत तेज हो गई तुम और नखड़े भी दिखा रही हो…”
लुबना के चेहरा पे शरारती मुश्कान थी। कहा- “जो मज़ी समझ लो में तो अपनी मर्जी से करंगी..”
कुछ देर बाद में घर आ गया। देखा तो अम्मी कपड़े प्रेस कर रही थी जो सुबह पहनने थे। रूम में काई जहीं था मैंने जाते ही अम्मी को पीछे से झप्पी लगा ली। अम्मी के नरम और मोटे चूतड़ मुझे अपने सामने पे महसूस । हये। उफफ्फ… इतना मजा आया अम्मी की नरम गाण्ड का महसूस करके क्या बताऊँ। हाथ मैंने अम्मी के पेट में बांध लिए।
अम्मी मुश्कुराई और कहा- “किया बात है बेटा, क्यों इतना लाड़ कर रहे हा मुझे?”मैंने अम्मी को और अपने साथ लगाते हुये कहा- “अम्मी मुझे आपस प्यार हो गया है, इसलिए आपको छोड़ने का दिल नहीं करता..” बातों के साथ-साथ मैंने अपना काम भी जारी रखा हुआ था। ऊपर से अम्मी के मम्मों की लाइन साफ नजर आ रही थी और नीचे पहना हुवा बा भी महसूस हो रहा था।
अम्मी ने कहा “बेटा अभी सफाई भी करनी है। तुमने मेरी हेल्प करनी है। कल मेहमान आ जाने हैं.”
मैंने कहा- “ठीक है अम्मी जान… और मैं अम्मी को गर्दन पे किस करने लगा, और नरम गोस्त को मुँह में भर लेता था।
अम्मी ने कहा “बस काटना नहीं, वरना निशान पड़द जायेंगा..”
मैंने कहा- “अम्मी आप इस उम्र में भी बड़ा स्मार्ट हो, एक लड़की की तरह। मुझे बहुत पसन्द है आपका जिशम…” मैंने जानबूझ के जिशम शब्द काहीस्तेमाल किया।
अम्मी मुश्कुराई और कहा- “ओहो किया बात है, बड़ा गौर करते हो मुझ पे”
मैंने कहा- “आप मेरी अम्मी हो और ऊपर से मैं आपको प्यार भी करता हैं, तो फिर आप पे गौर ता करंगा ही ना?”
अम्मी मुश्कुराई और कहा- “मेरा बेटा भी बहुत प्यारा है..” इसके साथ ही अम्मी ने अपना चेहरा पीछे करके मुझे चमा।
इससे ये हुआ की अम्मी के चूतड़ मेरे लण्ड से अच्छी तरह रगड़ खा गये। ऐसा होने से लण्ड ने एक झटका लिया जो सीधा अम्मी के चूतड़ा पे लगा। अम्मी दोबारा सीधा होकर कपड़े प्रेस करने लगी।
मैंने अम्मी के पेंट पे हाथ फेर के कहा- “देखो अम्मी आपका पेंट कितना मुलायम है। दिल करता है पकड़कर मसल दू..” और मेने पेट को हाथों से दबाकर और हाथ में पकड़कर मसला भी।
अम्मी ने कहा “लगता है, मेरे बेटे को मेरा पूरा जिस्म ही पसन्द है?”
मैंने कहा- “जी अम्मी… सिर से पैर तक आप मुझे पसन्द हो। मेरा दिल करता है की आपके पूरा जिस्म में
आपको चूम लूं…”
अम्मी- “अच्छा बेटा जी ये बात है? अगर मैं कह की तुम चूम सकते हो मेरा पूरा जिश्म तो फिर?”
मैं पहले तो हैरान हुवा फिर कहा- “तो मैं चूम लूंगा अपनी पसन्द का जिस्म…”
अम्मी- “चलो जब मोका मिला तो फिर चम लेना..”
मैं- “मैं अभी चूम लेता हैं। मेरा अभी बहुत दिल कर रहा है आपका चूमने का..” सेक्स और मजे से इस वक़्त मेगा बुरा हाल था, ऊपर से सेक्सी बातें। मैंने इरते-डरते अपने कांपते हाथ अम्मी जांघों पे रख दिए और कहा- “ये देखो अम्मी, यहां से आपका जिश्म कितना हेल्दी है। लेकिन बहुत अच्छा लगता है ये..”
अम्मी- “हाँ बेटा, यहां से वाकई में हेल्दी है और देखो पीछे से भी मेरा जिश्म कितना भारी है। है ना?”
मैंने हाथ जांघों से उठाए और अम्मी के चूतड़ों में रख दिए। दोनों चूतड़ मेरे हाथों में थे। मैंने चूतड़ों पे हाथ फेर के और एक बार दबाकर कहा- “हाँ अम्मी, यहां से आपका जिशम अच्छा खासा भारी है। लेकिन ये आपके स्मार्ट जिश्म के साथ सूट करता है.” इस दौरान मैं अम्मी के मोटे चूतड़ों पे हाथ फेरता रहा।
अम्मी- “बस बेटा, यहां से मुझे लगता है में ज्यादा मोटी हैं..”
मैं- “नहीं अम्मी, मुझे तो बहुत अच्छी लगती हो आप यहां से भी… और इसके साथ ही अम्मी के गरम चूतड़ दबा दिए मैंने।
अम्मी- “बड़ा अच्छा दबा रहे हो बेटा यहां से तुम। मुझे बहुत अच्छा लग रहा है..”
मैं तो मैं दबा देता हैं आपको और यहां से।
अम्मी- हाँ चला जब तक यहां खड़ी हैं दबा दा। थकावट उतर जायेगा।
मैं अब बिना डर खौफ के अम्मी के चूतड़ों को दबाने लगा। मैंने सोचा भी नहीं था अम्मी के चूतड़ दबाऊँगा। मैंने अब ये किया की अपनी उंगलियां चूतड़ों के अंदराजी तरफ घुसा दिया, जिससे उंगली गाण्ड की लाइन में ऊपर नीचे होने लगी। क्योंकी में दबा जो रहा था।
कुछ देर बाद अम्मी फारिग हुई तो मैंने अम्मी को छोड़ दिया।
अम्मी- बेटा अब सफाई वगैरा कर लें।
में “जी ठीक है अम्मी..” फिर हम सफाई करने लगे और इस दौरान कुछ खास नहीं हुआ।
kambikuttan sex story