कड़ी_46 – kambikuttan
मैं और खाला रूम से बाहर आ गये और मैं सहन में बैठ गया टीवी देखने लगा। खाला किचेन में जस बनाने लगी मरे लिए। कुछ देर बाद लुबना भी आ गई। जूस पीतं हमें उससे गप-शप भी हुई। वो अपनी स्टडी को लेकर बहुत सीरियस हो रही थी। लुबना उठकर अंदर चली गई।
खाला सब्जी लेकर मेरे पास आ गईं। वहां चारपाई पे बैठी सब्जी काटने लगी। मैं चेयर पे बैठा था अब मैंने अपनी टांगें उठाकर चारपाई पे रख दी खाला के पास।
खाला ने दुपट्टा नहीं लिया हुवा था। मम्मे उनके आगे को निकले हमें थे। गला खुला था, जहां से आधे मम्मे नजर आ रहे थे। मैंने पैर खाला की जांघ की बगल से टच किया तो, खाला ने मेरी तरफ देखा।
मैंने धीरे आवाज में कहा- “खाला तुम्हारे मम्मे बड़े सेक्सी लग रहे हैं। देखो ज़ारा ऊपर से तुम्हारे मम्मों की लकीर नजर आ रही है।
खाला ने सेक्सी नजरों से मेरी तरफ देखा और मुश्कुरा दी। फिर बातों के दौरान मैं जांघ पे मालिश करने के अंदाज में पैरा का फेर रहा था। अभी हम बातें कर रहे थे तो मोहल्ली की एक औरत आकर खाला के पास बैठ गई और मैं घर आ गया।
घर आया तो अम्मी लेटी हुई थी। मैंने उनकी तबीयत का पूछा। उनके पास बैठ गया बेड पै और उनका बाजू दबाने लगा।
अम्मी ने कहा “हाँ बेटा अब कुछ बेहतर है पहले से, बस जरा कमजोरी हो गई है.”
मैंने अम्मी को एक ग्लास गरम दध का पिलाया।
अम्मी ने कहा, “बड़ी खिदमत कर रहे हो मेरी। पहले तो कभी नहीं इतना खयाल किया मेरा…”
मैंने कहा- “अम्मी पहले मुझे एहसास नहीं था। अब मुझे एहसास हुआ है..” अब मैं अम्मी को कैसे बताता की मुझे एहसास किस वजह से हुवा है? .
अम्मी मुश्कुराई और बाह फैलाई। में इशारा था आओ मेरे गले लग जाओ। अम्मी लेटी हुई थी। मैं अम्मी के ऊपर झुक गया तो अम्मी ने मुझे अपनी बाहों में ले लिया और सीने से लगा लिया। अम्मी ने मुझे गाल में किस की और कहा- “मेरा बेटा तो बहुत अच्छा है। मेरा खयाल भी रखता है..”
मुझे अम्मी के मम्मे अच्छी तरह महसूस हो रहे थे। मैंने भी अम्मी को उनके नरम गालों पे किस की और फिर जुबान फेर दी।
अम्मी मुश्कुराई और कहा- “बाज नहीं आओगे?”
मैंने कहा- “अपने कहा था कर लिया करो। मुझे अच्छा लगता है इसलिए ऐसा कर लेता हूँ.”
मैं जानबूझ के अम्मी के ऊपर झुका रहा। अम्मी ने मेरा सिर ऊपर किया और मुझे देखने लगी। मैं भी अम्मी को देखने लगा। अम्मी ने अपने होठ किस करने के स्टाइल में इकट्ठे किए। ये किस करने का स्टाइल था उनका। मैंने भी उनकी नकल उत्तरते हय सेम उनकी तरह किया।
अम्मी मुश्कुराई और कहा- “बड़े तेज हो तुम हो…” और एक चपत लगाई मुझे।
अम्मी का चेहरा कुछ-कुछ गरम था। मेरे हाथ उनके गालों से छू रहे थे, और मेरे बाजू अम्मी के मम्मों के ऊपर से छू रहे थे। में अपनी उंगलियां अम्मी के गालों में फेरने लगा। मेरा लण्ड इस बात सेक्सी मस्टीतियों की वजह से पूरा हाई हो गया था। जिसको मैंने अपनी टांगों में दबा लिया हुआ था।
अम्मी ने कहा, “बेटा आज खाजा बाहर से लें आजा। कल फिर में पका लंगी…
मैंने हाँ में सिर हिलाया, और वहां से उठ गया। शाम का अंधेरा फैल रहा था। मैं छत पे बैठा स्टडी कर रहा था। तो साथ वाली छत पे नरेन आ गईं। वो कपड़े उतार रही थी। हमारी नजरें आपस में मिली। काफी दिनों बाद उससे टकराब हुवा था।
नरेन ने मुश्कुरा के मुझे देखा, फिर दीवार के पास आई- “अली कहां गुम रहते हो? नजर ही नहीं आते…
मैंने कहा- “तुम नहीं नजर आती। मैं तो दो-तीन बार आया तुम्हारे घर.”
नरेन पहले से निखरी हुई लग रही थी। मेरी नजर उसके मम्मों 4 पड़ी तो नरेन का पता चल गया। उसने मुझे शरारती स्माइल से देखा और में भी मुश्कुरा दिया।
नरेन ने कहा- “किया बात है तुम्हारी नजरें बहुत आवारा हो रही है?’
मैंने भी मुश्कुराते हुये कहा “सामने जब चीज ही ऐसी नजर आ जाये तो नजर का क्या कसूर है?”
नरेन ने कहा- “कभी चक्कर लगाओ घर में। अब मैं घर पे ही होती हैं…”
मैंने कहा- ठीक है।कुछ देर बाद मैं उठकर नीचे आ गया। अंधेरा होने लगा था अभी। नीचे आया तो अम्मी ने कहा- “जाओं कुछ लें आओं खाने के लिये..” फिर मैंने अम्मी से पैसे लिए और बाजार चला गया। बाइक पे जा रहा था। अभी गली में ही था एक औरत ने मुझे हाथ देकर रोका।
पास जाकर रोका तो देखा वो मेरे दोस्त की अम्मी थी। 45 साल के करीब उम्र थी इनकी। नाम इसका सरिया था। मैं इनका आँटी कहकर बुलाता था। और सरिया आँटी भी मुझे अपने बेटे की तरह प्यार करती थी।
मैंने कहा- “जी आँटी किया बात है?”
आँटी ने कहा- “कहां जा रहे हो?”
मैंने कहा- “बाजार जा रहा हैं खाना लेने..
आँटी ने कहा- “मुझे भी ले चलो। मुझे भी वहां बाजार में एक काम है..”
मैंने कहा- जी आँटी।
बाजार में एक दुकान पे आँटी ने रोकने का कहा। आँटी ने कहा- “तुम खाना ले आओ मैं तब तक यहां हैं.”
में करीब के एक होटेल से खाना पैक करवा के जब उस दुकान पे गया, तो एंटर होते हय मैंने देखा औंटी एक ब्लैक बा को उलट-पलट के देख रही थी। औंटी ने मुझे देखा तो जल्दी से दुकान वाले को कुछ कहा। ब्रा दुकानदार को पकड़ा दिया था। आँटी शायद मुझे देखकर घबरा गई थी। दुकानदार बा पैक करके आँटी को पकड़ा दिया था।
में और ऑटी वापस आए। उनके घर के आगे बाइक रोक दी। ऑटो ने उतरते हो मेरा शुक्रिया अदा किया और अंदर चली गई।
गत का खाना खाकर फ्री हुआ तो अम्मी मेडिसिन खाकर लेट गई बैंड पे, और मुझे भी कहा “लेट जाना तुम भी यहां… मैंने हाँ में सिर हिलाया और बाहर आ गया।
घर से बाहर निकला तो दोस्त खड़े थे। उनसे गपशप की। टाइम का पता भी नहीं चला। देखा तो 10:00 बजने बाले थे। मुझं अम्मी का खयाल आया तो फटाफट घर आ गया। अम्मी के गम में गया तो रूम में जीरा वाट का बल ब रोशन था। अम्मी की आँखें बंद थी। में उनके बराबर में लेट गया तो अम्मी ने आँखें खोली।
मैंने कहा- “अम्मी दबा दूं आपको, अगर जिस्म दर्द कर रहा है तो?”
अम्मी ने कहा “नहीं बेटा मैं ठीक है…”
में अम्मी के बाज़ पे हाथ फेरने लगा। अम्मी का जिस्म मुझे गरम-गरम महसूस हुआ। मैंने पूछा- “आपका जिश्म गरम लग रहा है…”
अम्मी ने कहा “बुखार नहीं है। कंबल में लेटी हुई हूँ कब से तो जिश्म गरम हो गया है..”
मैंने कहा- “मुझे तो बुखार लग रहा है..”
अम्मी ने कहा “लो तुम भी आ जाओं कंबल में। तुमको फिर पता चल जायेगा..”
मुझे और क्या चाहिए था? मैं अम्मी के कंबल में घुस गया। अम्मी सीधा लेटी हुई थी। मैं करवट लेकर अम्मी की तरफ मुँह करके लेट गया, और एक बाजू उनके पेट में रख दिया।
कुछ देर बाद अम्मी ने कहा- “हाँ अब बताओ..”
मैंने कहा- “जी अम्मी वाकई ऐसा ही है.” मैं अब हाथ को अम्मी के पेंट पे फेरने लगा था। पेट नरम और गरम महसूस हो रहा था।
अम्मी ने कहा “ना करो बैटा, गुदगुदी होती है…” कहकर अम्मी ने मेरा बाजू पकड़कर गर्दन के ऊपर कर लिया।
मेरा बाज अब अम्मी के नंगे सीने पे छू रहा था। यहां की नरम स्किन मुझे बहुत मजा देने लगी। ऐसे ही करते हमे कब नींद आई पता ही नहीं चला। ऐसे ही दिन गुजरते रहे। कुछ खास नहीं हुआ। एग्जाम पास आ गये थे। मैंने भी अब स्टडी में फोकस कर लिया था।
फिर वो दिन भी आया मैं एग्जाम से फारिग हो गया। अब मैं रिलेक्स महसूस कर रहा था। अब स्कूल से 10 15 दिन की छुटियां थी। लास्ट पेपर देकर मैं घर आया तो मैंने अम्मी से कहा “अब बाजी जोया और साजिद भाई को कहा आ जयें यहां दाक्त पं.”
अम्मी ने कहा- “अच्छा रात को फोन करती हैं उनको… फिर अम्मी ने पूछा- “पेपर ठीक हयं तुम्हारे?”
मैं- “जी अम्मी ठीक हुये हैं.”
दोपहर का खाना खाकर मैं खाला की तरफ गया। क्योंकी सुबह वा कहकर गई थी कुछ सामान लाकर देना था उनको बाजार से। खाला के घर गया तो खाला ने गले लगाकर मुझे प्यार किया और कहा “आ गया मेरा शोना। पेपर्स ठीक हुये?”
मैंने कहा- “जी खाला अच्छे हो गये…”
लुबना भी मुझे नजर आ गई। वो भी अब फी थी। फिर खाला और मैं बाजार चले गये सामान लाने। वहां काफी टाइम लगा। शाम होने वाली थी जब खाला के घर पहुंचे।
दोस्तों कैसे लगी घरेलू चुदाई की कहानी और भी फ़ैमिली सेक्स स्टोरी के लिए पढ़ते रहिए इंडीसेक्स्टोरीज़