खाला उठकर चली गई। मैं काफी देर से लेटा हुआ था। बाहर दरवाजा खटका तो मैं उठकर बाहर गया तो दोस्त थे क्रिकेट खेलने का कह रहे थे। मैं अम्मी को बता के उनके साथ निकाल पड़ा क्रिकेट खेलने। शाम को जब वापस आया घर तो अम्मी किचन में खाना तैयार कर रही थी।
मैंने जाकर पीछे से अम्मी को झप्पी डाल ली, और प्यार से पूछा- “अम्मी जान क्या पका रही हो?” अम्मी ने जब बताया तो मैंने उनको और जोर से दबा लिया अपने साथ।
अम्मी ने कहा, “अब छोड़ भी दो…”
मैंने कहा- “अगर ना छोड़ तो फिर?”
अम्मी ने कहा- “चलो ना छोड़ो। मैं तो तुम्हारी वजह से कह रही थी की थक ना जाओ मुझे जोर से दबाते हये.”
मेरा मुँह उनकी गर्दन के साथ लगा हुआ था। मैंने गर्दन में किस कर दी। ऊपर से अम्मी के मम्मों का व्यू बड़ा सेक्सी लग रहा था। स्किन कलर की बा भी नजर आ रही थी। नीचे से मैंने लण्ड को दूर ही रखा हुवा था। हाथों को अम्मी के पेट के गिर्ट बाँध रखा था। अम्मी के मोटे मम्में आगे को उभरे हये थे। कंधे के ऊपर से देखने से मम्मों की लकीर भी नजर आ रही थी। लकीर देखने से पता चल रहा था अम्मी के दोनों मम्मों के बीच बहुत कम जग थी। ऐसे मम्मों में लण्ड रगड़ने का बहुत मजा आता है। मैंने अम्मी को तब छोड़ा जब छोटा भाई किचेन में आया।
रात का डिनर करके फारिग हुआ तो खाला दुबारा आ गई और मुझसे कहा- “ज़ारा लुबना के साथ जाभो बाजार उसने स्कूल की कुछ चीजें लेनी हैं…
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मैं और लुबना पैदल मार्केट की तरफ चल पड़े जो ज्यादा दूर नहीं थी। रास्ते में मैंने लुबना से कहा- “अब फिर कब दे रही हो अपनी फुदद्दी? बड़ा दिल कर रहा है.”
लुबना ने कहा- “अभी ठहर जाओ दो-तीन महीना एग्जाम में फारिग हो जाऊँ तो फिर। अभी बोई के एग्जाम है.”
मैने चलते हमें अंधेरे का फायदा उठाते हमें लुबना के मम्मे पकड़ लिए, और कहा- “इनको चूसने का दिल कर रहा है…
लुबना ने कहा- “वापसी पे घर जाकर चुसवा दूंगी। अब खुश?” फिर बाजार से होकर जब घर आए तो खाला किचेन में बर्तन धो कर रही थी। लुबना ने मुझे इशारा किया ऊपर चला में आती हैं।
ऊपर उसी स्टोर रूम में हम चले गये, जहां पहले भी हम मिल चुके थे। स्टोर रूम में जाते ही मैंने लुबना की कमीज ऊपर की और ब्रा लुबना ने खुद ऊपर कर लिया। जैसे ही मम्मे नंगे हये मैंने दोनों हाथों से पकड़ लिए। बाया मम्मा मुह में लिया और चूसने लगा। नीचे से खड़ा लण्ड लुबना की फुद्दी के ऊपर छूने लगा। मैंने लुबना का हाथ पकड़कर लण्ड पे रख दिया।
लुबना में बेझिझक लण्ड को मुट्ठी में दबा लिया। लुबना के नरम छोटे हाथ जब लण्ड में लगे तो लण्ड में एक जान सी आ गई।
मम्मे चूसते हुये लुबना के निपल अकड़ गये थे। मैं कभी एक मम्मा चूसता और कभी दूसरा। मेरा दिल ही नहीं भरर रहा था इनसे। दिल कर रहा था चूसता जाऊँ।
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लुबना अब लण्ड की मूठ लगा रही थी। इतने दिन से पानी नहीं निकला था इसलिए जल्द ही मुझे लगा मेरा पानी निकाल जाएगा। फिर ऐसा ही हुआ लुबना के हाथ में ही लण्ड फारिग हो गया। जिसको लुबना ने छोड़ दिया और कहा- “चलो अब नीचे चलते हैं…”
जब मैं नीचे उतरा तो लुबना रूम में चली गईं। खाला किचन में खड़ी काम कर रही थी। उनकी पीठ मेरी तरफ
थी। खाला जे दुपट्टा नहीं लिया हुआ था और बालों का जड़ा बना हुआ था। जिस वजह से पीछे बाहर को निकलें हुये चूतड़ और ऊपर से नंगी गर्दन नजर आ रही थी। मुझे शरारत सूझी। मैंने खाला के भारी चूतड़ों पे चुटकी काट ली।
खाला एकदम पलटी और कहा- “बदतमीज… इरा दिया मुझे तुमने…” और हल्का थप्पड़ मार दिया मेरी कमर पें।
फिर मैं घर आ गया। सोने के लिये लेट गया। मैं अलग रूम में सोता था। दिन इसी तरह से गुजर रहे थे। एग्जाम नजदीक आ रहे थे। फरवरी का महीना चल रहा था। मौसम भी कुछ नार्मल हो रहा था। एक दिन स्कूल से वापस आया तो अम्मी चारपाई पे लेटी हुई थी। कुछ थकी हुई लग रही थी। मैंने पूछा तबीयत का तो पता चला बुखार है।अब्बू से जाकर बाइक ले आया और अम्मी को डाक्टर के पास ले गया। रास्ते में अम्मी मुझसे जकड़कर बैठी थी। उनका गरम जिश्म मुझे अपनी पीठ पे महसूस हो रहा था। अम्मी के नरम मम्मे जब पीठ पे लगे तो लण्ड खड़ा होने लगा। मम्मों का नरम-नरम एहसास मुझे हो रहा था। दिल कर रहा था की अम्मी के मम्मे पकड़कर हाथों से उनकी नर्मी महसूस करूं।
चेक हुआ तो अम्मी को बुखार काफी तेज था। डाक्टर ने पानी की पटियां करने को कहा। जब घर वापस आए तो अम्मी दुबारा लेट गई। मैं पानी और एक कपड़ा ले आया।
अम्मी ने कहा “बेटा तुम रहने दो अपनी खाला को बुला लाओ…”
मजे कहा- “नहीं, आज में ही आपकी खिदमत करूँगा।
अम्मी सीधा लेटी हुई थी चारपाई पे। दुपट्टा उतारा हुवा था और मम्मे आसमान की तरफ बुलंद हुये दिख रहे थे। मैं इस तरह बैठा की मेरे पैर और टांगें अम्मी के पेंट और जांघ की बगल से छू गयें। पानी की पट्टी माथे पर रखते हमें मुझे आगे को झुकना पड़ता था। जिससे अम्मी के मम्मे मुझे और क्लियर नजर आते। अम्मी आँखें बंद किए लेटी हुई थी। इसलिए मैं बेफिकी से उनको देख रहा था।
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