कड़ी_45 – kambikuttan
गाड़ी जब चल पड़ी तो में अम्मी के साथ जाकर बैठ गया। अम्मी का नरम गरम जिस्म मुझसे छुने लगा। जिस्म छूने से ही मुझे इतना मजा आया की मेरा लण्ड खड़ा होने लगा। अम्मी के कंधे पे सिर रखकर बायें बाजू अम्मी के पेट के ऊपर रख दिया। थोड़ी देर बाद मैं पेट पे हाथ फेरने लगा।
अम्मी ने कहा “ना करी बेटा ऐसे। लोग पास बैठे हैं..”
मैं फिर भी बाज ना आया तो अम्मी ने अपना दुपट्टा मेरे बाज़ में डाल दिया। अम्मी के ऐसा करने से लण्ड ने एक झटका मारा। मैं अब पेट पर हाथ को दबाकर फेर रहा था। पेट की नर्मी का एहसास मुझे हाथों पे हो रहा था। मेरा दिल चाह रहा था हाथ कमीज में डाल दूं। लेकिन इर की बजह से ऐसा नहीं कर सका। सर कंधे पे था तो मैंने अम्मी की गर्दन प किस कर दी और कहा- “आई लोव यू मोम…”
अम्मी ने मेरे गाल पे हाथ फेरा और मुश्कुराते हुये कहा- “लाब यू टू बेटा..”
जब मैंने देखा अम्मी ने बुरा नहीं मान तो में धीरे-धीरे अम्मी की गर्दन में किस करता रहा। जब अपने शहर पहुँचे तो मैं सीधा होकर बैठ गया। बस से निकलकर रिक्शा में बैठकर हम घर की तरफ चल पड़े। खाला और हमारा घर एक ही गली में था। खाला अपने घर और हम अपने घर आ गये।
कुछ देर बाद औटी परवीन भी आई मिलने जो हमारी हमसाई थी। अम्मी उनसे बातें करने लगी। मैं अपने स्कूल की चीजें सेट करने लगा रूम में जाकर। आँटी परवीन जा चुकी थी। अम्मी घर की सफाई कर रही थी। सफाई करते-करते अम्मी के मम्में कई बार नजर आए। मेरा दिल कर रहा था किसी तरह अम्मी के मम्मे पकड़ लं।
अगले दिन सोकर उठा। आज आखिरी दिन था छुट्टी का, कल से स्कूल शुरू हो जाना था। अम्मी ने नाश्ता करवाया और फिर में दोस्तों से मिलने चला गया। जब वापस आ रहा था तो आँटी परवीन भी मुझे नजर आई कुछ सामान उठाया हुवा था। मैंने उनसे सामान पकड़ा और उनके साथ घर चला गया।
घर में छोटी आयशा थी। बाकी बाजी नरेन और सकीना घर में नहीं थी शायद कहीं बाहर निकली हुई थी। औंटी ने सामान किचेन में रखने को कहा और खुद भी वहां आ गई। सामान रखकर मैंने आँटी को झप्पी डाल ली,
और उनकी मोटी गाण्ड को दबाने लगा।
आँटी ने कहा- “बहुत दिन लगा दिए आने में तुमने बेटा। मैं तो उदास हो गई थी तुम्हारे बगैर..” कहकर आँटी मुझे किस करने लगी।
औंटी का भारी जिस्म मेरी बाहों में था। आँटी के मम्मे और चूतर अच्छे खासे बड़े-बड़े थे। मेरे हाथ उनके भारी चूतड़ों पे चल रहे थे। लण्ड टाइट होकर आगे उनसे टच हुआ तो आँटी ने लण्ड को पकड़ लिया। जैसे ही लण्ड उनके हाथ में आया आँटी ने कहा- “ये तो पहले से बड़ा लग रहा है..”
मैंने कहा- “अब इसका पानी भी निकलता है औटी जी..”
आँटी परवीन बड़ा खुश हुई, और मुझे जोर से अपने साथ लगा लिया।
मैंने कहा- “औंटी बड़ा दिल कर रहा है तुम्हारी फुद्दी लेने को…”
औटी ने कहा- “अभी नहीं, मोका देखकर करेंगे सेक्स। अभी नरेन आने वाली होगी…”
कुछ देर बाद मैं घर आ गया। अम्मी ने दो-तीन काम मेरे जिम्में लगा दिये। उनसे फारिग हुआ तो दोपहर होने का आ गई थी। मैं थक भी गया था। में चारपाई पे लेट गया और अम्मी सब्जी काट रही थी मेरे पास बैठी हये। बाहर खटका हुवा तो देखा खाला आई हुई थी। वो अम्मी के पास बैठ गई आकर।
कल से जब हम आए हमें थे में दुबारा अब मिल रहा था खाला से। मेरी और खाला की बार-बार नजरें टकरा रही थी। बड़ा मजा आ रहा था खाला से आँख मटक्का करके।
मैं इस तरह लेंटा था की मेरी तरफ अम्मी की पीठ थी और खाला मेरे सामने थी। मैंने खाला को इशारा किया अपने लण्ड की तरफ, और इशारे में कहा- “दिल कर रहा है.”