कड़ी_44 – kambikuttan
कुछ देर बाद मैंने और खाला ने सारे कपड़े उतार दिए बस खाला ने अपनी ब्लैक ब्रा नहीं उतारा। ब्रा में से खाला के आधे मम्मे बाहर को निकले हमे थे। इसी जगह मैंने होंठ रखें और नरम गोस्त होठों में भर-भर के चूसने लगा। खाला के मोटे मम्में यहां से नरम और गरम थे।
खाला की सिसकियां निकाल रही थी। इसी दौरान खाला ने मेरा अकड़ा हुआ लण्ड पकड़ लिया जो उनकी जांघ के साथ दबा हुवा था। खाला लण्ड को मसलती और हल्की मूठ मारने लगी। खाला के लण्ड मसलने के अंदाज में मेरे लण्ड में झुरझुरी होने लगी।
अचानक मेरे दिल में खाला की फुद्दी देखने का खयाल आया। मैंने खाला से लण्ड छुड़वाया और उठकर उनकी टांग में बैठ गया टांगें को फैलाकर। जैसे ही टांगें खुली तो खाला की क्लीन शेव्ड फुद्दी मेरी नजरों के सामने आ गई। फुद्दी के होंठ हल्के से खुले हुये थे। लब फूले हुये डबल रोटी की तरह लग रहे थे। फुद्दी अपने ही चिकने पानी से चमक रही थी रोशनी से।
मैंने एक उंगली फुद्दी पे रखी और लबों में दबाकर ऊपर से नीचे तक उंगली फेरी, तो खाला ने मेरा हाथ फुद्दी पे दबा लिया मजे में। मेरे हाथ को फुद्दी का पानी लग चुका था। मैं अब फुद्दी पे हल्के-हल्के उंगली फेर रहा था। नीचे लण्ड झटके मार रहा था। खाला ने लण्ड को झटके खाते देख लिया।
खाला में सेक्सी आवाज में कहा- “देखो जरा अपने लण्ड को, कैसे वो मेरी फुद्दी के लिये तड़प रहा है?” खाला से इतनी सेक्सी बात सुनकर मुझे मजा आया।
मैंने कहा- “खाला तुम्हारी फुद्दी ही ऐसी है की मेरे लण्ड को सकून नहीं मिलता। जब तक तुम्हारी फुद्दी से टच ना हो जाए.”
खाला ने कहा “चलो करो फिर लण्ड को मेरी फुद्दी से टच..”
इतना सुनना था की मैंने लण्ड को जड़ से पकड़ा और लण्ड की टोपी फुद्दी के लबों में फंसाकर ऊपर नीचे फेरने लगा। आधी टोपी फुद्दी में छुप गई थी। खाला ने मेरा हाथ पीछे किया और खुद मेरे हाई लण्ड को पकड़कर अपनी फुद्दी मे मसलने लगी। साथ-साथ खाला की सिसकियां निकलने लगी। खाला का मेरा लण्ड पकड़कर फुद्दी पे रगड़ना मुझे बहुत मजा दे रहा था।
मैंने कहा- “खाला अंदर ले लो मेरा लण्ड। बहुत दिल चाह रहा है तुम्हारी फुदी में लण्ड डाल…”
खाला ने कहा “नहीं बेटा, अभी नहीं। तुम छोटे हा मैं ऐसा नहीं चाहती तुमसे… मैं खाला के ऊपर गिर गया और खाला को चूमते हमें फुद्दी पे लण्ड रगड़ता रहा।
अभी पानी भी नहीं निकला था की रूम का दरवाजा धड़ाधड़ बजा और लुबना की आवाज आई- “अम्मी जल्दी उठो, खाला अंबीन की तबीयत खराब हो गई है। मतलब मेरी फूफो की…”
हम तो पूरा नंगे थे। जल्दी से उठे और आवाज पैदा किए बगैर खाला ने कपड़े पहने और कहा- “बाद में आना, मैं चलती है..” और खाला अपने आपको दरुस्त करतं हमें नीचे चली गई।
शुकर था की रूम लाक था वरना लुबना तो अंदर आ जाती और पकड़े जाना था। कुछ देर बाद मैं भी नीचे आ गया। पता चला फूफों के पेट में ज्यादा दर्द हो गया था। भाई उनको लेकर हास्पिटल गये थे, साथ में अम्मी भी गई थी। फिर सुबह तक सब जागते रहे, जब तक फूफो आ नहीं गई।
आज हमारी वापसी भी थी गुजर नवला की। क्योंकी परसों स्कूल लग जाने थे। सुबह नाश्ता कर के अम्मी और खाला पैकिंग करजें लगे। मामी और मामू ने रात की बस से मुल्तान वापस जाना था।
11-12 बजे तक हम तैयार होकर निकल आए घर से। बस स्टाप में गाड़ी जाने वाली थी गुजरानवाला। हम जाकर गाड़ी में बैठ गये।
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