Incest खाला जमीला – Part 1 – kambikuttan

खाला को गुदगुदी हुई तो कहा- “ना करो बेटा गुदगुदी होती है….. मैं हँस दिया और ज्यादा दबाओं डाल दिया वहां और हाथ को फेरने लगा। नीचे से लण्ड पूरा अकड़ा हवा था। मैं थोड़ा आगे हवा और लण्ड खाला के मोटे चूतरों पे लगा। खाला के चूतर बाहर का निकले हुये थे। बर्तन धोते हुये खाला हिल रही थी। नीचे मेरा लण्ड उनसे रगड़ खा रहा था, जो मुझे बहुत मजा दे रहा था। मैं मजे से पागल हो रहा था। खाला ने कुछ नहीं कहा वो लगी रही अपने काम में।

खाला में बर्तन धो लिए थे। अब सुखा कर के टोकरी में रख रही थी। मैं अपने बाजू खाला के बगलों के नीचे से गुजारकर खाला के कंधे पकड़ लिए और उनको गर्दन में किस कर दी। मैं पूरा चिपक गया था खाला से। मेरे बाजू खाला के मम्मों की साइड से दब गये थे। मुझे उनके नरम मम्में अच्छी तरह महसूस हो रहे थे। मैं मजे से पागल हो रहा था और बहुत गरम हो गया था। मैंने नीचे से लण्ड को जोर से खाला के चूतरों में दबाया तो खाला बेचैन हो गई।

खाला ने कहा “चलो शाबाश… अब मुझे छोड़ो, मैं सफाई कर लं रूम की…”

मैंने ना चाहतं हमें भी खाला को छोड़ दिया, और ऊपर लुबना के पास चला गया। देखा तो लुबना काम लिख रही थी। मैं पास जाकर बैठ गया और उससे हा हेलो की। मैंने इर्द-गिर्द देखा तो कोई भी नहीं था। मैंने एक हाथ लुबना के बायें मम्मे पें रख दिया, जो मुश्किल से मेरे हाथ में आ रहा था।

लुबना एकदम चौकी और उसने मेरा हाथ झटक दिया और कहा- “ना करा कोई देख लेगा..”

मैंने कहा- “नहीं देखता, मेरी नजर है इर्द-गिर्द..

लेकिन उसने मुझे हाथ नहीं लगा दिया। मैंने फिर हाथ उसकी जांच पे रख दिया और दबाने लगा। उसने मना नहीं किया। छत पे खाला लोगों में छोटा सा रूम बनाया हुवा था। जिसमें पुराना सामान पड़ा हुवा था।

मजे लुबना को कहा- “चलो स्टोर राम में चलते हैं..”

लुबना ने कहा- “अम्मी आ जायेंगी…

मैंने कहा- “खाला नीचं काम कर रही हैं मैं देख कर आया है.”

बार-बार कहने पे लुबना मानी और हम उठकर स्टोर रूम में चले गये। वहां खड़ा ही हवा जा सकता था लेटने की जगह नहीं थी। वहां जाते ही मैंने लुबना को गले लगा लिया। लण्ड तो पहले से ही अकड़ा हुवा था। मैंने एक हाथ लुबना का अपने लण्ड पे रखा और उसको कहा- “मसलो…” और मैं उसको किस करने लगा उसके नरम गाल पे। मैं पूरा चेहरा पे उसको किस कर रहा था।

नीचे लुबना मेरा लण्ड दबा रही थी। अब लुबना की सिसकियां भी निकाल रह थी। लुबना मुझे रोकी और करा “हाथ बाहर निकाला.” लेकिन मैंने नहीं निकलें बार-बार कहने से वो चुप हो गई। मैं मजे से उसके चूतरों को दबाने लगा और चूतरों की लकीर में उंगली ऊपर से नीचे कर रहा था।

लुबना में अब मुझको जोर से अपने साथ लगा लिया था। मैंने अपना एक हाथ आगे से सलवार में डाल दिया, जो सीधा लुबना की गरम चूत से जा टकराया, जो इस वक़्त गीली हुई पड़ी थी। मैं उसकी फोड़ी पे हाथ फेरने लगा। मुझं हैरत का झटका लगा जब लुबना ने मेरी सलवार में हाथ डालकर मेरा लण्ड पकड़ लिया।

मैं मजे से हवाओं में उड़ने लगा। मेरा जिम मजे से झटके खाने लगा। मैंने अपनी सलवार घुटनों तक नीचे कर दी, और लुबना की भी। फिर मैंने अपने लण्ड में थूक लगाया और लुबना की जांघों में डाल दिया जो सीधा उसकी फुद्दी से रगड़ खा रहा था। लुबना ने मुझे अपनी तरफ खींचा। मैं लण्ड को अंदर-बाहर करने लगा। मेरा दिल कर रहा था लुबना की फुद्दी देख, लेकिन स्टारर म में अंधेरा था।

मैंने लुबना की कमीज ऊपर कर दी बजियर समेत। मैंने उसके मम्मे पकड़ लिये और दबाने लगा। लबना की और जोर से सिसकियां निकल रही थी। मैंने बायें मम्मे का निपल मुह में ले लिया और चूसने लगा। अब लण्ड अंदर-बाहर करने की स्पीड कम हो गई थी। क्योंकी मैं अब थकावट महसूस कर रहा था। ऐसी हालत में खड़े होकर लुबना के निपल अकड़े हये थे और मटर के दानें जितना उसका जिपल था। मैं जोर-जोर से उसके मम्में दबा रहा था।

अचानक लुबना ने मुझे जोर से पकड़ लिया और सारा वजन मुझपर डाल दिया। उसका जिश्म कांप रहा था। लण्ड पे मुझे गरम पानी गिरता हुवा महसूस हुवा। मैं अब रुक गया था क्योंकी लुबना में अपनी टाँगें दीली की हुई थी। फिर वो सीधी हुई और कहा- “अब चलते हैं काफी देर हो गई है.” इस दौरान उसने सलवार भी ऊपर कर ली और कमीज भी ठीक कर ली।

मैंने ना चाहतं हमें भी अपनी सलवार ठीक की। फिर हमने एक जोर की झप्पी लगाई। लुबना में होंठों में एक हल्की किस की और हम बाहर आ गये।

मैं नीचे चला गया और वो अपना काम लिखने बैठ गई दुबारा। नीचे आकर मैंने खाला से इजाजत ली और घर आ गया। मैंने भी बैग उठाया और पढ़ने लगा, काम लिखा। जब में फारिग हवा तब शाम 4:00 बजे का टाइम था। अम्मी किचेन में थी। मैं बाहर गली में निकल आया तो एक दोस्त खड़ा था, उससे गपशप करने लगा। थोड़ी देर बाद दोस्त चला गया। मैं भी घर आ गया। ऐसे ही टाइम गुजरता गया। रात 8:00 बजे का टाइम हवा तो आँटी परवीन आ गईं।

इस वक्त हम छत पे बैठे हुये थे। आँटी मेंरी चारपाई पे आकर बैठ गई। मैं लेटा हुवा था। ठंडी हवा चल रही थी। अब्बू अभी तक नहीं आए थे। आँटी अम्मी से बातें करने लगी। मैंने करवट ली और थोड़ा नीचे हो गया। जिससे ये हवा की मेरा लण्ड औटी के चूतर के बराबर आ गया। बैठने से आँटी के चूतर भी फैल गये थे। मैं थोड़ा आगे हवा, तो मुझे अपनी टांग में आँटी का चूतर लगने लगा।

मैं थोड़ा अडजस्ट हवा और लण्ड को आँटी के चूतर के साथ लगा दिया, और शा ऐसे किया जैसे मैं सो गया हैं। आँटी के चूतर की गमी और नर्मी की वजह से मेरे लण्ड में जान आने लग गई। जो एक मिनट बाद पूरा खड़ा हो गया और लण्ड की नोक आँटी की माटी गाण्ड पे च बने लगी। इतना होने के बावजूद आँटी नार्मल अंदाज में माँ से बातें किए जा रही थी, जैसे कुछ हवा ना हो। kambikuttan

मेरी हिम्मत बढ़ने लगी। मैं लण्ड को और दबाओं दिया, तो उनकी गाण्ड के एक भा में धंस गया था। मैं अब बिल्कुल बगैर हिले लेटा हुवा था और लण्ड झटके मार रहा था। मैं मजे से पागल हो रहा था। जब कुछ देर में नहीं हिला तो आँटी थोड़ा सा हिली और मेरे लण्ड पे दबाओ बढ़ा दिया। मेरा दिल मुह में आ गया जब आँटी में ऐसा किया। मेरा दिल पूरा रफ़्तार से धड़कनें लगा। मैरा जिश्म एक बार कांपा।

आँटी ने कहा- “बेटा चादर ले लो, ऊपर ठंडी हवा चल रही है आपका ठंड ना लग जायेगी… ऐसा औंटी ने मुझे हिलाकर कहा क्योंकी में साता शो किया हवा था।

में उठा और पैरों में पड़ी चादर अपने ऊपर ले ली सीने तक और दुबारा करवट ले ली आँटी की तरफ। मैंने क्या किया की चादर के अंदर से आराम से अपनी सलवार थोड़ी नीचे की और लण्ड बाहर निकाल लिया, जो इस वक़्त अपने पूरा यौवन पें था। मैंने आँटी की कमीज का पल्ल उठाया और लण्ड उनकी गाण्ड पै दबा दिया।

औंटी में एकदम मेरी तरफ देखा। उनको शायद पता चल गया था की मैंने क्या किया है। लेकिन आँटी परवीन खामोश रहीं। मैं ऐसे हीथोड़ी देर मजे लेता रहा। फिर अब्बू आ गये तो अम्मी उठकर नीचे चली गई और आँटी भी उठकर अपनी छत की तरफ चली गई। उठतं हमें आँटी ने एक बार जोर से मेरे लण्ड पे अपनी गाण्ड दबाई थी। मैं बहुत खुश हवा और मजा भी आया।

फिर थोड़ी देर तक अम्मी अब्बू से बातें हुई गाँव जाने की, और मैं बातें करता सो गया मुझं, पता भी ना चला।

मैं सुबह उठा तो नाश्ता करके मैं अपनी पैकिंग करने लगा। कुछ अम्मी ने कर दी। मैं नजदीक मार्केट में गया। एक-दो जरूरी चीजें लेनी थी वो ली। बस ऐसे ही दिन गुजर गया। रात को में 11:00 बजे घर से निकाला। अब्बू भी साथ थे। अम्मी ने मुझे वहां आराम से रहने की ताकीद की थी। मैं छुट्टियों का काम भी साथ में ले लिया, जो वहां जाकर भी करना था क्योंकी वहां हमलोगो का 15-20 दिन रहने का प्रोग्राम था।

मैंने नई कमीज सलवार डाली हुई थी। हम खाला के घर पहुँचे तो वो भी सहन में खड़े थे तैयार।
***** *****

कड़ी 08

अब्बू ने रिक्शा करवाया हवा था लारी अइडे के लिये। हम रिक्शा में बैठे, जो बाहर आ गया हुवा था। अब्बू साथ जा रहे थे लारी अड्डे पे बिठाने। लारी अइडे पहुँचे तो बस तैयार थी। अब्बू ने हमको क्स में बिठाया और क्लीनर को खयाल रखने की ताकीद की और वापस चले गये।

बस में सबसे आखिर में थी हमारी सीटें। हम तीनों वहां जाकर बैठ गये। एक सीट खाली थी वहां अभी कोई नहीं बैठा था। मैं बीच में बैठा था जानबूझ कर। बायें साइड खिड़की के साथ लुबना बैठ गई साथ में फिर खाला बैठ गई।

थोड़ी देर बाद बस चल पड़ी। ड्राइवर ने अंदर की लिइटें बंद कर दी। मैं लुबना की तरफ चेहरा किया और उससे गाँव की बातें करने लगा, और अपने बायें हाथ से उसका हाथ पकड़ लिया। हम दोनों खिड़की से बाहर ही देख रहें थे जी.टी. रोड की लाइटें साइनबोर्ड बगेरा। मैं उसके साथ जाकर बैठा हवा था। थोड़ी देर बाद लुबना ऊँघने लगी और आखीरकार, वो सीट से टेक लगाकर सो गई थी।

हम शहर से बाहर आ गये थे और बस तेजी से जा रही थी अपनी मंजिल की तरफ। बस में तकरबन सभी लोग
सो रहे थे या ऊँघ रहे थे। लेकिन मुझे नींद नहीं थी आ रही थी। मैं खाला की तरफ देखा तो खाला जाग रही थी। मैं खाला की तरफ खिसका और उनसे सटकर बैठ गया और अपना सिर उनके कंधे पे रख दिया।

खाला ने मुझे अपने बाजुओं के अंदर में ले लिया और सिर में किस की मुझे और कहा- “सो जाओ बेटा अभी..”

मैंने अपना दायां बाजू खाला के पीछे से घुमाकर और अपना बाया बाजू खाला के दुपट्टे के नीचे से गुजाकर उनके भारी मम्मों के नीचे पेट पे रख दिया। पीछे से जो बाज डाला था वो मैने खाला के दायें कंधे पे रख दिया

था। मेरा मुँह खाला के बायें मम्मे और कंधे पे था। पोजीशन की आप लोगों को समझ तो आ गई होगी।

मैने खाला के कंधे और मम्मों के बीच में दुपट्टे के ऊपर से ही किस की और खाला को कहा- “मुझं ऐसे ही सुला दें…”

खाला मुश्कुरा दी और कहा- “ऐसे ही क्यों सोना है? आराम से टेक लगाकर सो जाओ…”

मैंने कहा- “नहीं खाला, मुझे ऐसे ही अच्छे से नींद आयेगी आपके साथ लगकर…”

खाला ने कहा “मैं इतनी अच्छी लगती हूँ तुमका?”

मैंने कहा- “हाँ खाला, आप मुझे सबसे ज्यादा अच्छी लगती हो। आप तो मेरी प्यारी खाला हो.” और चेहरा ऊपर करके खाला के गाल में किस कर दी।

खाला थोड़ा शर्मा गई और कहा- “देख तो लिया करो हम कहां बैठे हैं, बस शुरू हो जातें हो तुम… और मुश्कुरा भी रही थी खाला बात करने के साथ मैं भी मुश्कुरा दिया। मुझे शरारत सूझी। मैंने फिर से खाला को गाल पे किस कर दी। खाला ने मेरी तरफ देखा। हम दोनों एक दूसरे को देखते हुये मुश्कुरा दिए।

खाला ने मुझे अपने बाजू से दबाया और कहा- “बहुत शरारती हो गये हो तुम..”

मेरा जो हाथ खाला के दुपट्टे के नीचे उनके पेट पर मम्मों के नीचे था, मैं अब हाथ को उनके पेट पर घुमा रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैं पूरा खाला के साथ चिपका हुवा था। मुझे खाला का नरम गरम जिश्म अच्छी तरह महसूस हो रहा था। मैं बहुत मज़े से खाला से लिपटा हुवा था।

मैंने खाला को कहा- “खाला एक बात कहैं…”

खाला ने कहा “हाँ बोला..”

मैंने कहा- “आप बहुत मुलायम मुलायम सी हैं। दिल करता है आपसे लिपटा ही रहूँ..”

खाला बोली- “ओह्ह… मेरे बेटे को इतनी अच्छी लगती ह मैं उम्म्म्म… आहह.. और खाला में थोड़ा झुक के मेरे गाल में किस कर दिया।

मैंनें कहा- “मुझे बहुत मजा आता है जब आपके पेट में हाथ फेरता है.”
हम खाला भांजा फुसफुसाहट में बात कर रहे थे ताकी काई दूसरा सुने नहीं। लुबना गहरी नींद सो रही थी। मैं खाला के कहा के पास मुँह करके बात कर रहा था और खाला जब जवाब देती थी तो उनको श्रीड़ा झुकना पड़ता था। जिससे उनके मम्मे मुझे अपने हाथ और बाजू में महसूस होते थे। ऐसी हालत में बैठे हमें मेरा लण्ड इस बत पूरा अकड़ा हवा था और झटके पे झटके मार रहा था।

मैं अब बात करते हुये जानबूझ के खाला के कान को अपने होंठों से चू रहा था ताकी खाला भी गरम हो जायें और मुझे रोके नहीं। खाला भी अपने एक हाथ में मुझे थपक रही थी। गाड़ी में सब मो गये थे। सिर्फ बस के एंजिन की गो-गों की आवाज आ रही थी। जी.टी. रोड से भी इस बढ़त कोई-कोई गाड़ी गुजर रही थी। हमको एक घंटा हो गया था च ले हुये।

मैंने खाला से कहा- “खाला मुझे आपके पेट में हाथ रखना है.”

खाला में कहा “नहीं बेटा, कोई देख लेगा घर जाकर लगा लेना.”

मैंने थोड़ा डरकर ये बात कही थी। लेकिन खाला शायद मुझे मुन्ना समझ के सीरियस नहीं ली बात को। जब मैंने देखा खाला ने गुस्सा नहीं किया तो मुझे होसला मिला और में बार-बार कहता रहा तो खाला मान गई।

खाला ने इधर-उधर देखा और मुझसे कहा- “चलो रख लो..”

मैने खाला की बगल से हाथ अंदर डाला और अपना हाथ उनके नंगे पेंट पे रख दिया। खाला का पेंट गरम था और नरम भी बहुत था। जरा सी उंगली दबाओ तो घुस जाती थी।

खाला ने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा- “घुमाओं नहीं, मुझं गुदगुदी होती है…”

लेकिन मैं हाथ छुड़ाकर हाथ घुमा रहा था। मैं हाथ घुमाता नीचे आया तो मेरी उंगली खाला की नाभि में गई। तो खाला में अपना पेंट पीछे को खींचा और फुसफुसाई- “नहीं करो, वरना मैंने हाथ निकाल देना है…”

मैंने हाथ निकाल लिया।

खाला ने कहा “चलो अब सो जाओं, बहुत टाइम हो गया है। मैं भी सोने लगी हूँ..” कहकर खाला में दुपट्टा पकड़ा और मेरे सिर के ऊपर डाल दिया और कहा- “सो जाओं बेटा अभी…”

मेरा हाथ अभी भी खाला के पेंट पे था। जब दुपट्टा मेरे ऊपर दिया तो मेरा चेहरा खाला के बायें भारी मम्म के ऊपर आ गया। मैंने वहां अपना चेहरा दबा दिया। खाला मुझे थपक रही थी। मैंने अपनी बापी टांग उठाई और खाला की मोटी जांघ पे रख दी, तो मेरा लण्ड बगल से उनकी जांघ को छू गया। खाला थोड़ी हिली लेकिन चुप रही। मेरा घुटना खाला की नरम जांघ के ऊपर था। मैं इस वक़्त पूरा सेक्सी मूड में था, दिमाग बेखौफ हो रहा था। मैंने हाथ ऊपर किया तो खाला की ब्रा को छू गया। मैंने वहां उंगली घुमाई और बा के बीच में आया, जहां थोड़ा सा सुराख था। मैंने वहां उंगली घुसाई तो उंगली ऊपर चली गई, और उंगली में मुझे खाला के मम्मे महसूस हुये।

खाला ने मेरा हाथ पकड़ा और बाहर निकाल दिया, और फुसफुसाकर कहा- “ना करी बेटा। मुझे नींद आ रही है, मैंने सोना भी है..”

थाड़ी देर बाद मेरी भी आँख लग गई। क्याकी खाला मुझे थपक रही थी। फिर आँख तब खुला जब बस ने एक जगह स्टाप किया रोड किनारे एक होटल पे ताकी लोग फ्रेश हो जाए।

मुझे खाला ने मुझे उठाया और कहा- “नीचे उत्तरों फ्रेश हो जाओ…

लुबना पहले की जागी हुई थी। मुझे देखकर स्माइल की उसनें। इस वक्त 4:00 बजे का टाइम हो गया था। हम सब नीचे उतरे वाशरूम से फारिग हुये तो खाला ने हमको चिप्स और जूस लेकर दिया। 15-20 मिनट बाद दुबारा हम बस में बैठ गये थे।

लुबना और मैं बस में बैठकर कांप रहे थे और बातें भी कर रहे थे। बस फिर चल पड़ी थी। लुबना में मुझे आँख मारी सबसे नजर बचक्कर। मैं समझ गया ये मस्ती के मूड में है। मैंने अपना हाथ इसकी जांघ में रख दिया

और मसलने लगा। बस में अधेरा था। लुबना में मेरा हाथ पकड़ा और अपनी सलवार में डाल दिया। मैं तो चकित हो गया और चोर नजर से खाला की तरफ देखा की कहीं वो देख ना रही हों।

लेकिन खाला आँखें बंद किए टेक लगाकर बैठी हुई थी। kambikuttan

मेरा जब हाथ सलवार के अंदर गया तो मैंने लुबना की फुद्दी पे रख दिया और वहां उंगली घुमाने लगा। फुद्दी पे हल्के-हल्के बाल थे। अब लुबना की फुद्दी गीली हो रही थी, जिसको मेरा हाथ महसूस कर रहा था। मैं अपनी बीच वाली उंगली उसकी फुद्दी की लकीर में ऊपर नीचे कर रहा था और फुद्दी के छेद में दबाओ भी डाल रहा था। लुबना मजे से आँखें बंद किए अपने होंठों को काट रही थी। मैं इधर-उधर नजर भी रख रहा था, स्पेशली खाला पे नजर थी मेरी।

कुछ देर बाद मैंने उंगली को फुद्दी के छेद में डाला तो दर्द की वजह से लुबना ने आँखें खोली और मेरा हाथ पकड़ लिया और जा में इशारा किया। मेरा अभी उंगली का तिहाई हिस्सा हो गया था अंदर। लेकिन मैंने उंगली दबाये, रखी बाहर नहीं निकली। लुबना सीट पे लेटने के अंदाज में बैठी हुई थी, जिस वजह से उसकी फुद्दी उठी हुई थी और मुझे उंगली करने में आसानी हो रही थी। लुबना जब रिलैक्स हुई तो मैं इतनी उंगली को ही आगे पीछे करने लगा। लुबना में मेरा बाजू पकड़ लिया लेकिन रोका नहीं, शायद उसका भी मजा आने लगा था।

मैं धीरे-धीरे दबाओ डाल रहा था। अब मेरी आधी उंगली उसकी फुद्दी में जा चुकी थी। लुबना ने अपना दायां हाथ आगे किया और मेरी सलवार में हाथ दे दिया और मेरा खड़ा लण्ड अपनी मुट्ठी में ले लिया, और धीमी रफ्तार में मसलने लगी। मेरा मजे से बुरा हाल हो गया था। डर भी लग रहा था, क्योंकी खाला साथ बैठी हुई थी। लेकिन इस डर पे सेक्स का मजा हावी था। मैंने धीरे-धीरे आधी से ज्यादा उंगली उसकी फुदी में डाल दी।

लुबना में अचानक हाथ बाहर निकाला और उसने अपने हाथ पे थूक डाला। मूठी बंद करके हाथ सलवार में दुबारा डाला और लण्ड पे थूक मल दिया और लण्ड को मसलने लगी। इस वक़्त लुबना के थूक में चिकनाहट आ गई थी। आप लोगों में अक्सर नोट किया होगा सेक्स के दौरान भूक कभी-कभी बहुत चिकना हो जाता है। इसीलिए लुबना का हाथ लण्ड पे फिसल रहा था। मैंने अब स्पीड तेज कर दी थी, लुबना की फुददी में उंगली अंदर-बाहर करने की।

कुछ देर बाद लुबना में अपनी टांगें बंद कर ली। मेरी उंगली दब गई लेकिन जैसे तैसे में उगली अंदर-बाहर करता रहा। लुबना की फुद्दी पानी से भरी हुई थी। लुबना खलास हो रही थी। उसने मेरे लण्ड को जार से दबाया हुवा था। मेरी तो जान ही निकल गई क्योंकी इस वक़्त लुबना का नरम हाथ ऐसे ही गरम था जैसे फुद्दी। मुझे ऐसे लगा कि मेरा लण्ड फुद्दी में जकड़ा हवा है। मैं भी मजे की इंतहा पे था।

मैने अपने चूतड़ उठाए और लुबना के हाथ में दबे लण्ड को ऊपर नीचे करने लगा। 4.5 झटके ही लगाये होंगे की मुझे अपनी टौंगों से जान निकलती महसूस हुई। ऐसा लगा की सब कुछ लण्ड के रास्ते निकल रहा है। ये सिर्फ एहसास था लेकिन लण्ड से कुछ निकला नहीं। मैं निटाल होकर पड़ा रहा सीट पें। लुबना ने मेरा हाथ कब निकाला अपनी सलवार से मुझे नहीं पता चला। कुछ देर बाद मुझे होश आया तो लुबना मुझे ही देख रही थी।

लुभबा ने इशारे से पूछा- “क्या हुवा?” और साथ मुश्कुरा रही थी।

मैं भी हल्का सा मुश्कुराया। फिर मैंने खाला को हिलाया तो वो जाग गई उनसे पानी की बोतल माँगी, पानी पिया
और रिलेक्स हवा।
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Incest बदलते रिश्ते – Family Sex kambikuttan

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