Incest खाला जमीला – Part 1 – kambikuttan

मैं जब किचन में गया तो नरेन बाजी पशी से सराबोर थी क्योंकी एप्रिल का महीना जा रहा था। नरेन ने बारीक लान का सूट पहना हुवा था, दुपट्टा नहीं था लिया हुवा था। टाइट कमीज़ में नरेन बाजी के 34″ इंच के मम्मे नजर आ रहे थे। नरेन ने मुझसे बैग लिया और साइड में शेल्फ में रख दिया। मुझसे हालचाल पूछा। इस दौरान उसने मझे शरबत का उलास बनाकर दिया जो मैं गटागट पी गया।

बाजी नरेन मुझसे मजाक बहुत करती थी। मुझे गुदगुदी बहुत करती थी। आज भी ऐसा ही हुवा लेकिन साथ ही कुछ नया भी हुवा। जब वो मुझे गुदगुदी करने झुकी तो गला खुला होने की वजह से मुझे उसके मम्मे नजर आ गये। बाजी मुझे गुदगुदी करने लगी, मैं उनको पीछे धक्केलने लगा, उनको कमर से पकड़कर। लेकिन फिर परवीन ने मुझे अपने साथ चिपटा लिया और मेरी कमर पे गुदगुदी करने लगी। मेरे हाथ झूल रहे थे जो बाजी नरेन की गाण्ड के साइड से छूने लगा, और आगे मेरा लण्ड उसकी जांघों पे लग रहा था, जो अभी सोया हुवा था। लेकिन जो कुछ हो रहा था उससे मेरे लण्ड में जान पड़ती जा रही थी।

मैं बाजी के चूतरों के साइड से ही पकड़कर उनका पीछे करने लगा। लेकिन जोर से नहीं बस आराम से। क्योंकी मुझे अब मजा आने लगा था। मैं गुदगुदी बर्दाश्त कर रहा था। इधर मेरा लण्ड खड़ा होकर बाजी नरेन की जांघों पें दबने लगा था। जब बाजी को मेरा लण्ड महसूस हुवा तो उन्होंने किसी तरह अडजस्ट करके मंरा लण्ड अपनी चिकनी जांघों में अडजस्ट कर लिया।

जब मेरा लण्ड को ज्यादा गर्मी मिली तो एक बार में कांप हो गया। लेकिन बाजी मुझे ऐसे हिला रही थी जिससे मेरा लण्ड उनकी जांघों में आगे-पीछे हाने लगा, और मेरे हाथों का दबाओ बाजी की नरम गाण्ड में पड़ गया जो बगल को ज्यादा निकली हुई थी। इस दौरान अचानक बाजी का पैर मेरे पैर में आया और मेरी चीख निकाल गई।

बाहर से आँटी की आवाज आई- “क्या हुवा?”

इतना सुनना था की बाजी ने मुझे अलग किया और फटाफट अपने आपको सेट किया और आवाज लगाई- “कुछ नहीं अम्मी… अली इर गया था लाल बैग को देखकर…” फिर मेरी तरफ मुश्करा के देखने लगी।

मैं भी आगे से हँसने लगा। फिर मैं वहां से निकाल आया। आँटी परवीन ने मुझे प्यार दिया और स्माइल दी मुद्दों और सीधा घर जाने की ताकीद की।

अपने घर पहुँचा तो शाम हो चुकी थी।

अम्मी ने पूछा- “इतनी देर कहाँ लगा दी?”

मैंने बताया- “परवीन आँटी ने एक काम के लिये भेजा था…” kambikuttan

अम्मी चुप हो गई क्योंकी आँटी की अम्मी के साथ बहुत अच्छी बनती थी। करना झिड़कियां जरूर पड़ती अम्मी में लेट घर आने पें। फिर खाना खाकर मैं पढ़ने लगा। पढ़ते-पढ़ते 10:00 बज गये। मैं उठा और सोने के लिये लेंट गया।

हमारे घर में दो कमरे, खुला सहन, बैंठक और दो वाशरूम थे। एक बैठक के साथ था जो बैठक के अंदर से भी खुलता था और बाहर से मेनगेट के पास से भी दरवाजा था। एक वाशरूम किचेन के साथ बना हबा था। हमारी छत के साथ परवीन आँटी की छत मिलती थी। गर्मियों में हमलोग जब ऊपर सोते थे तो परवीन आँटी लोग भी ऊपर सोती थी तो अम्मी वहां उनसे गपशप कर लेती थी।

सुबह उठा, अम्मी ने नाश्ता करवाया। पूनिफार्म पहना और खाला के घर पहुँच गया। वहां पहुंचा तो लुबना नजर नहीं आई। खाला में पूर्ण जो उस वक़्त किचेन में बर्तन धो रही थी।

खाला ने कहा “वो कपड़े बदल रही है रूम में…”

खालू अभी सो रहे थे। मैं आगे बढ़ा और खाला को पीछे से झप्पी डाल ली और बाजू उनके पेट पे रख दिया।
मेरी धार्मिक माँ – maa bete ki chudai

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