मस्त कहानीमैंने अपनी बीच की उंगली मामी की फुद्दी में घुसा दी। मैं महसूस कर रहा था मामी अपनी सिसकियां कंट्रोल कर रही हैं। मामी मेरे लण्ड को बड़े प्रोफेशनल अंदाज में मसल रही थी, और कभी अपने अंगठे की मदद से मेरे लण्ड की टोपी पे मसाज करती, जिसमें मुझे लगता मेरा अभी पानी निकल जायेगा।
गाँव में दाखिल होने तक मस्ती चलती रही। गाँव आया तो हमने अपने हाथ निकाल लिए। हम घर पहुँचे और फ्रेश होकर सब लेटने चले गयें, क्योंकी थकावट सबको ही हो रही थी।
मैं भी लेटते ही सो गया। सुबह मेरी आँख काफी लेट खुली। जब उठा तो तबीयत सुस्त हो रही थी। मैं उठकर नहाया। किचन में देखा तो लंच का टाइम हो रहा था, जो मामी और खाना बना रही थी। छोटी मामी सलाद वगेरा काट रही थी।
मुझे सख़्त भूख लग रही थी। मैंने मामी को कहा- “मुझे बहुत भूख लग रही है..”
मामी ने कहा- “पुत्तर थोड़ी देर और सबर कर फिर खा लेना…”
में बाहर आया और बरामदे में बैठकर टीवी देखने लगा।
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कड़ी_16 – kambikuttan
थोरी देर बाद मुझे मामी ने आकर नाश्ता दिया और हल्की आवाज में कहा- “बेटा आज हम डैरे पे जाएंगे दोनों। तुम्हारे माम भी आज शहर जा रहे हैं…”
मैंने कहा- “ठीक है मामी।
मैं बड़ा खुश हवा की आज मामी जूबिया की भी फुद्दी मिल जायेगी मुझे। नाश्ता करके इधर-उधर घूम फिर के टाइम गुजारा।
जब 12:00 बजे तो मामी ने कहा- “चला बेटा चलें…” तब तक माम भी शहर चले गये थे।
मामी ने घर में कहा- “हम खेतों का चक्कर मारकर आते हैं। क्योंकी आज वहां अली के माम नहीं है..”
फिर मैं और मामी घर से निकल पड़े। गाँव की हद से बाहर निकले तो खेत शुरु हो गये। हम पगडंडी में चले जा रहे थे। इर्द-गिर्द ऊँची-ऊँची फसल उगी हुई थी। मामी मेरे आगे-आगे चल रही थी। मामी के चूतड़ इस वक़्त कयामत टा रहे थे। बहुत हिल रहे थे। मेरी नजर उन पे ही टिकी हुई थी। चलते हुये ही मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था, जो सामने से साफ नजर आ रहा था।
मामी ने पीछे घूमकर मुझे देखा तो मेरी नजर अपनी गाण्ड पे पाकर बहुत खुश हुई, और मेरे लण्ड की तरफ देखा जो एक तंबू बना नजर आ रहा था।
मामी रुक गई। मैं भी उनके पास जाकर रुक गया तो मामी में हाथ बढ़ाकर मेरा लण्ड पकड़ लिया सलवार के ऊपर से ही। क्योंकी वहां किसी के आने का खतरा नहीं था। इसलिए मामी ने बेझिझक मेरा लण्ड पकड़ लिया था और उसको मसल दिया।
मामी ने कहा- “इसको सकून नहीं आ रहा। मेरी गाण्ड देखकर ही ये खड़ा हो गया है…”
मैंने कहा- “मामी आपकी गाण्ड इतनी सेक्सी है क्या बताऊँ… लण्ड तो खड़ा होना ही था..’ कहकर मैं और आगे हवा और मामी के साथ लग गया और अपने हाथ उनके चूतड़ों पे रख दिए। मामी के मोटे-मोटे भारी चूतड़ इस वक़्त मेरे हाथों में थे। मैं उनको दबा रहा था।
मामी ने कहा- “वला बेटा डेरे पे चलते हैं। यहां ठीक नहीं है खड़ा होना…”
हम दोनों डेरे में पहुँच गये। डेरे में एक कमरा बना हवा था। मैं और मामी उसमें दाखिल हो और मामी ने कुण्डी लगा दी। फटाफट हम दोनों ने कपड़े उतार दिए।
मामी ने कहा- “आ जाओ बेटा आज अपनी मामी की गर्मी खतम कर दो। तुम्हारे मामू में तो कुछ नहीं होता अभी… फिर हम दोनों ने झप्पी डाल ली। इस वक्त पूरा नंगे थे हम।
मेरी आत्मा मेरे पिता के शरीर में घुसी – Incest Sex Story kambikuttan