कड़ी_15 – kambikuttan
हम घर पहुँचे बाजी सीधा टायलेट गई, और मैं सहन में बैठ गया खाला के पास। छोटी मामी ने चाय सर्व की
सबको। सभी चाय पीते हो बातें करते रहे। संछेप में मैं जल्दी सो गया। बन्योंकी लण्ड का सकून था अभी।
सुबह में उठ भी जल्दी गया। में बाहर निकल गया टहलने। जब वापस आया तो खाला भी उठ चुकी थी।
खाला ने कहा “बड़ी बात है तुम उठ गये आज इतनी सुबह..”
में मुश्कुरा के रह गया। मैंने खाला को कहा- “नाश्ता ला दें..”
खाला ने कहा “जूबिया बना रही है बस थोड़ी देर सबर कर लो..”
मैं चुप हो गया। कुछ देर बाद मामी ने नाश्ता दिया।
नाश्ता करके मैं उठने लगा तो मामी ने कहा- “बेटा तैयार रहना आज हम लोगों को शहर घूमने जाना है..”
मैं बड़ा खुश हुवा की चलो एंजाय होगा वहां, और कुछ मस्ती भी हो जायेगी। बाजी अमीना और लुबना भी बड़ी खुश हई। प्लान में बना की छोटे माम ने हमको लेकर जाना था। साथ में छोटी मामी, बड़ी मामी, खाला, में, लुबना और बाजी ने जाना था। डिनर भी रात को बाहर करना था।
इसलिये सभी उत्तेजित नजर आ रहे थे। शाम तक तैयारियां चलती रही। छोटी मामी चूड़ीदार पाजामी में इस बत भरपूर सेक्सी लग रही थी। लंबी टौंगें उनकी लुक को बढ़ा रही थी।
बड़ी मामी ने ब्लैक सूट पहना हुवा था जो गहरी गर्दन का था, कमीज टाइट थी। पीछे से देखने से मम्मे और चूतर अलग ही नजर आ रहे थे। कमर छोटी लग रही थी। जिम एकदम पूरा शेष में नजर आ रहा था। मामी के चूतड़ों की धिरकन साफ नजर आ रही थी जब वो चलती।
खाला जमीला भी इस बात कयामत ढा रही थी लाल कमीज और सफेद सलवार में। खाला इस वक़्त सेक्स बाम्ब बनी नजर आ रही थी। 3:00 बजे मामू भी आ गये दुकान बंद कर के। बड़े माम घर आ गये ताकी वो नानी के पास रह सकें।
हम 4:00 बजे घर से निकले। एक घंटा पार्क तक जाने में लगा। जब पार्क में एंटर हुये तब धूप की शिद्दत बहुत थोड़ी रह गई थी। पार्क में इस वक़्त काफी लोग थे, लेकिन भीड़ नहीं था। सबसे पहले हमने पार्क का एक चक्कर लगाया। मैं खाला के साथ-साथ चल रहा था। मामी जूबिया, बाजी और लुबना सबसे आगे उसके बाद माम और मामी, फिर मैं और खाला थोड़े-थोड़े फासले में हम आगे-पीछे चल रहे थे।
मैंने खाला का हाथ पकड़ रखा था। मैं बड़ा एंजाप कर रहा था। इस बात खाला के साथ पार्क में घूमाता हवा। खाला भी बड़ी खुश नजर आ रही थी। हम सब एक झूले के पास पहुँचे, जो गोल चक्कर में घुमाता था और साथ-साथ ऊपर नीचे भी होता था। माम में । टिकटें ले लिए। बड़ी मामी नहीं बैंठी, क्योंकी उनको चक्कर आ जाते थे।
मैं और खाला साथ बैठ गये। खाला थोड़ा घबराई हुई थी, बोली- “बेटा मुझे तो डर लग रहा है…”
मैंने कहा- “खाला, मैं हूँ ना आपके साथ। आप नहीं घबराओ..”
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