मैंने कहा- “अंधेरा है, किसी को नजर नहीं आता… फिर मैं झप्पी लगाए घूमा और खाला के पीछे आ गया।
अब पोजीशन में थी। खाला दीवार पे बाजू रखें थोड़ा झुकी हुई थी। उनकी मोटी गाण्ड बाहर को निकली हुई थी। मेरा लण्ड उनकी गाण्ड में घुस गया, जो अभी नीम जान था। खाला चुपचाप खड़ी रही। आगे मैंने खाला के पेट पे हाथ रख दिया।
खाला ने कहा “तुम्हारा दिल नहीं भरता क्या? हर वक्त मुझसे चिपके रहते हो। अब मुझे भी तुमने आदत डाल दी हुई है। जब तक मुझसे चिपको ना मुझे भी चैन नहीं आता.”
मुझे सुनकर जोश आया। मैंने नीचे से लण्ड आगे को दबा दिया जो सीधा उनके चूतड़ों की लकीर में फंस गया था। मैंने खाला को कहा- “खाला कमीज में हाथ डाल लं, आपके पेट को हाथ लगाना है?”
खाला ने धीरे आवाज में कहा- “डाल लो, लेकिन कोई शरारत नहीं करनी..”
मैंने कमीज में हाथ डाला और उनके नंगे पेंट को सहलाने लगा। खाला का जिश्म कांप रहा था और मेरा भी। खाला ने अपनी गाण्ड पीछे कर ली हुई थी। अब खाला आधी घोड़ी की पोजीशन में आ गई हुई थी। मैंने मोका गनीमत जाना और थोड़ा पीछे होकर अपनी सलवार नीचे की थोड़ी सी, जिससे सिर्फ लण्ड ही नंगा हो। फिर खाला की कमीज पकड़कर पीछे से बगल में कर दी, और लण्ड का अब उनके चूतड़ों में दबा दिया। जो सीधा उनके गरम और भारी चूतड़ों के बीच फंस गया। खाला की सिसकी निकाल गई।
में जोश से उनके पेट का नरम गोस्त हाथ में पकड़कर मसल रहा था, जैसे मम्मे मसलते हैं। मैंने खाला को फुसफुसाकर कहा- “खाला आपकी बनियान में हाथ रख लूं। दिल कर रहा है?”
खाला चुप रही। मैं हिम्मत करके हाथ अंदर किए जो उनकी ब्रा से टकराए।
मैंने उनके मम्मे पकड़ लिए ब्रा के ऊपर से ही, और कहा- “खाला आओ तो यहां से बहुत गरम हो… मम्में दबाकर उनको बताया कि यहां से।
खाला ने कहा “बेटा बनियान में दबे जो होते हैं इसलिए। ऊपर से गर्मी भी है ना?
मैंने कहा- “तो आप ना पहना करो ये बनियान…”
खाला बोली- “बेटा जरुरी है पहनना, वरना यहां से जिश्म खराब हो जाता है..”
हम ये बातें फुसफुसाहट के अंदाज में कर रहे थे।
खाला ने कहा “बेटा इसका बनियान नहीं कहते, बल्की कुछ और नाम है इसका..”
मैंने पूछा- “क्या नाम है?”
खाला बोली- “बताना नहीं किसी को…”
मैंने कहा- “ठीक है खाला..”
खाला ने कहा, “इसको जिपर कहते हैं। शार्टकट में ब्रा बोलते हैं….”
मैं समझ गया। मैंने कहा- “खाला आप बहुत अच्छी हो, मुझे सब बता देती हो… इसके साथ ही नीचे से घस्सा लगाया। मेरा लण्ड इस बात लोहे की रोड की तरह सख्त होकर उनकी गाण्ड में धंसा हवा था। ऊपर से मैं मम्में दबा रहा था। मैंने खाला को कहा0 “बा ऊपर करें ना… मुझे आपके मम्मे पे हाथ लगाना है..”
खाला ने कहा “नहीं बेटा, अभी नहीं फिर कभी। अभी यहां जगह नहीं ठीक है..”मैं चुप हो गया। जब मैंने लण्ड पकड़कर खाला की गाण्ड में ऊपर से नीचे किया तो खाला सीधी हो गई। और कहा- “चलो बेटा टाइम काफी हो गया, नीचे चलते हैं…” इस दौरान खाला ने अपनी कमीज सेट कर ली।
मैं ना चाहते हमें भी खाला के साथ नीचे आ गया। रात का खाना बस तैपार था। थोड़ी देर में खाना लग गया। सबने मिलकर खाया।
खाने के बाद बाजी अमीना ने कहा- “अम्मी सालन एक प्लेट में डाल दें, मैं अपनी दोस्त को दे आऊँ और टहल भी आएंगे मैं और अली…”
मामी ने सालन प्लेट में डाला। मैंने पकड़ लिया। हम दोनों बाहर निकाल आए घर से। गाँव के आखीर पे था बाजी की सहेली का घर। उसी तरफ वो झोपड़ी भी थी। बाजी की सहेली के घर सालन पकड़ाया। बाजी की दोस्त ने ही दरवाजा खोला था। उसका नाम ज़ारा था, जिम उसका हेल्दी था, कद दरमियाना, रंग गोरा चिट्टा था उसका। बाजी से दो साल छोटी ही थी। मुझे उसने गौर से देखा और मैंने भी उसको ऊपर से नीचे तक देखा। मुझे उसकी आँखों में अजीब सी चमक नजर आई। kambikuttan
दो मिनट उन्होंने बात की। बाजी में उससे इजाजत ली और हम निकल आए वहां से, और उस वीरान जगह पहुँच गये, जहां झोपड़ी थी। उस जगह पहुँचकर बाजी में मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा- “अली, तुम्हारा दिल कर रहा है मेरी लेने का?”
में हैरान हो गया की बाजी में मुझे खुद कहा है। मुझे लगा बाजी मुझे रिश्वत के तौर पे अपनी फुद्दी दे रही हैं। में चुप खड़ा रहा।
बाजी ने दुबारा पूछा और कहा- “जल्दी बताओ वर जा लेट हो जायेंगे..”
मैंने धीरे आवाज में ही की। बाजी में मेरा हाथ पकड़ा और झोपड़ी नुमा कमरे की तरफ चल दी। जब झोपड़ी में दाखिल हुये हम तो बाजी ने मुझे गले लगा लिया, और मुझे बाजी की तेज धड़कन अपने सीने में महसूस हुई। मैंने भी बाजी का झप्पी लगा ली, और उनको किस करने लगा।
मुझे पता था टाइम कम है हमारे पास। इसलिए मैंने एक बाजी की फुद्दी पे हाथ रख दिया सलवार के ऊपर से ही। जो इस वक्त गीली हुई पड़ी थी। मैं समझ गया बाजी रास्ते में ही गरम हो गई थी। शायद पहले से सोचा हुवा था उन्होंने मुझसे आज चुदवाने का। बाजी में अपना दुपट्टा उत्तरा और नीचे कच्ची जमीन पे बिछा दिया
और अपनी सलवार उतार के उस पे लेट गई और मुझे भी सलवार उतारकर नीचे आने कहा।
मैंने सलवार उतारी और खड़े लण्ड के साथ उनकी टांगों में बैठ गया।
बाजी ने अपनी टाँग बायें दायें फैला ली और मुझसे कहा- “डाला अली अंदर जल्दी से कोई आ ना जाए?”
मैं आगे हुबा और लण्ड पे थूक लगाया और उनकी फुद्दी पे लण्ड रखा। लेकिन अंधेरा होने की वजह से मुझे मुश्किल हो रही थी। जो शायद बाजी को भी समझ लग गईं। क्योंकी मैंने पहले कभी फुद्दी मारी नहीं थी। बाजी ने अपने एक हाथ से मेरा लण्ड पकड़ा और फुद्दी के सुराख पे रखा, और मुझसे कहा अब पुश करो। मैंने लण्ड को जोर दिया तो लण्ड फैंसता हवा सारा अंदर चला गया। बाजी की फुद्दी आलरेडी खुली हुई थी। लेकिन फिर भी इतनी टाइट थी की लण्ड फैस के गया था।
बाजी की सिसकियां निकलने लगी। मैं अब घुटनों पे बजन डालकर लण्ड को आगे-पीछे करने लगा। फुद्दी की गरमी इतनी ज्यादा थी की मुझे लग रहा था मेरा लण्ड अभी पिघल जाएगा फुद्दी के अंदर। मुझे बाजी ने अपने ऊपर गिरा लिया और किस करने लगी। मैं अपने दोनों हाथों से बाजी की बगल से उनके चूतड़ दबा रहा था, जो मुझे बहुत मजा दे रहे थे। बाजी की जिल्द चिकनी थी। मेरे हाथ उनके चूतड़ों पे फिसल रहे थे। नीचे से जोर जोर से मैं धक्के लगा रहा था।
थोड़ी देर बाद है बाजी ने चूत को अंदर से दबा लिया, साथ ही मेरे लण्ड पे भी दबाओं आया। इतनी टाइट पकड़ थी की मेरे लिए मुश्किल हो गया लण्ड आगे-पीछे करना। फिर मुझे लण्ड में गरम पानी का एहसास हुवा जिसने जादू का काम किया। मेरा लण्ड भी फूलने फूलने लगा। मुझे लगा मेरा भी निकलने वाला है। जिसको बाजी ने महसूम कर लिया। उसने हाथ में मेरा लण्ड पकड़कर बाहर निकाला और लण्ड को जबरदस्त अंदाज में मूठ मारने लगी। बाजी के मूठ मारने का अंदाज किसी फुददी के स्वाद से कम स्वाद नहीं था। मुझे भी अपने लण्ड से जान निकलती महसूस हुई।
बाजी ने कहा- “तुम्हारा पानी नहीं निकलता?”
मैंने कहा- “नहीं बाजी..” फिर हमने कपड़े पहने और घर की तरफ चल दिए।
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