मामी लण्ड दबाने के साथ मेरे टटें भी हाथ में पकड़कर उनको धीरे-धीरे दबा रही थी। जिससे मेरा लण्ड झटके खाने लगता था। मैंने अपना एक हाथ नीचें किया और मामी की सलवार में घुसा दिया। सीधा हाथ फुद्दी पे गया जो इस बात पानी से लाबालब भरी हुई थी। जैसे ही फुद्दी पे मेरा हाथ लगा, मामी की सिसकियां बुलंद हो गई। मामी की फुद्दी क्लीन शेव्ड थी। एक भी बाल नहीं था इस वक़्त उनकी फुद्दी पे। मैं उनकी फुद्दी की लकार में उंगली फेर रहा था।
मुझे मामी की फुद्दी के हॉट मोटे-मोटे लगे और अंदर को मुड़े हरे थे। मैंने अपनी बड़ी उंगली उनकी फुद्दी में डाल दी और तेजी से अंदर-बाहर करने लगा। मामी आँखें बंद किए सिसकियां कंट्रोल कर रही थी, क्योंकी में देख रहा था होंठ उन्होंने दबाए हुये थे अपने दांतों में।
मामी ने कहा- “बेटा जल्दी कर लो जो करना है। टाइम काफी हो गया है.’
मैं चुप रहा। मामी ही फिर आगे बढ़ी, और सोफे के पास चली गई। वहां जाकर बैठ गई और मुझे इशारे से पास बुलाया। मैं गया तो मामी में मरी सलवार घुटनों तक नीचे कर दी। और मेरा तना हुवा लण्ड एक हाथ में पकड़ा और उसकी मूठ मारने लगी। दूसरे हाथ से मेरे टट्टे सहलाने लगी। मजे की इंतेहा से मेरी आँखें बंद हो गई, और मैं गाण्ड को दबाकर लण्ड को आगे करने लगा।
फिर मामी ने लण्ड को छोड़ा और अपनी सलवार उतार दी, और सोफे में लेट गई। अपनी टांग उठा ली और मुझे कहा- “इधर आओ बेटा.”
मैं उनकी टांगें में बैठ गया और लण्ड को हाथ में पकड़कर उनकी चिकनी गीली फुद्दी पे लण्ड रगड़ने लगा ताकी उनके पानी से लण्ड गीला हो तो अंदर डालू। चार-पाँच बार ऐसा करके जब देखा की मेरा लण्ड गीला हो गया है,
तो गौर से मामी की फुददी देखने लगा जो साइज में बड़ी और होंठ मोटे थे उसके। मामी की चिकनी जांघों के बीच उनकी फुद्दी अपना नजारा दिखा रही थी मुझे।
मैंने सुराख पे लण्ड सेट किया और लण्ड को पुश किया अंदर की तरफ। मेरा लण्ड आसानी से अंदर चला गया। मामी की फुद्दी अंदर से जलती हई भटठी का मंजर पेश कर रही थी। अचानक बाहर का दरवाजा जोर-जोर से खड़का। हम दोनों के रंग उड़ गये।
मामी ने मुझे पीछे को जल्दी से धक्का दिया और कहा- “अंदर चले जाओ जल्दी करो..”
मैंने सलवार ऊपर की और खड़े लण्ड के साथ अंदर चला गया। बरामदे में चारपाई पे लेट गया और साता बन गया। दिल में आने वाले को गालियां निकालने लगा। मुझे कदमों की आवाज सुनाई दी बाहर की तरफ से, और पता चला बाजी और लुबना आई हैं। दिल में इनको गाली दी- “बहनचोद अभी आना था इनको। पाँच मिनट लेट आ जाती, तो मेरा तो काम बन जाता..”
इसी तरह सोचते-सोचते मेरी आँख लग जाती है। शाम 6:00 बजे उठा मैं।
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####शाम को जब उठा मुँह हाथ धोकर फ्रेश हुवा। इस बक्त सब लोग सहन में बैठे गप्पें मार रहे थे। लेकिन खाला ऊपर छत पे थी। मैं भी ऊपर चला गया। खाला टहल रही थी।
खाला ने मुझे देखा और कहा- “उठ गया मेरा बेटा..”
मैंने कहा- “जी खाला। इस बात आपके सामने ही हैं..”
खाला मुश्कुराई. “ही मुझं नजर आ रहा है तुम सामने ही हो…
फिर हम चारपाई पे बैठ गये।
खाला ने पूछा- “बोर तो नहीं हुये यहां आकर? हुये हो तो बता दो हम जल्दी चले जाते हैं.”
मैंने कहा- “नहीं खाला, दिल लगा है यहां। मैं ठीक है। मैं तो यहां आकर गुजरीवाला से भी ज्यादा एंजाय कर रहा है.” और खाला को आँख मार दी।
खाला हँसी और मुझे चपत लगाई. “बदतमीज हो तुम। यहां आकर तुम तेज हो गये हो, वहां ठीक थे तुम… ऐसे बातें करते शाम का अंधेरा गहरा होने लगा।
मैंने खाला को कहा- “उधर बाँड्री वाल के पास जाते हैं, और बाहर खेत देखते हैं..”
फिर मैं और खाला उठे, बौंड्री वाल के पास खड़े हो गये। में खाला से सटकर खड़ा हो गया था। हम बाहर का नजारा कर रहे थे। किसान अपने घरों को वापस आ रहे थे। थोड़ी देर बाद अंधेरा ज्यादा हो गया तो मैंने बगन से खाला को झप्पी लगाया, और खाला से लाड़ करने लगा।
खाला ने मुझे रोका भी की कोई देख लेगा।
मैंने कहा- “अंधेरा है, किसी को नजर नहीं आता… फिर मैं झप्पी लगाए घूमा और खाला के पीछे आ गया।
अब पोजीशन में थी। खाला दीवार पे बाजू रखें थोड़ा झुकी हुई थी। उनकी मोटी गाण्ड बाहर को निकली हुई थी। मेरा लण्ड उनकी गाण्ड में घुस गया, जो अभी नीम जान था। खाला चुपचाप खड़ी रही। आगे मैंने खाला के पेट पे हाथ रख दिया।
Incest ये प्यास है कि बुझती ही नही – Pure Taboo Story kambikuttan