में बड़ा खुश हुवा की मामी के जिश्म को हाथ लगाने का मौका मिल रहा है। मैं उठा उनकी चारपाई पे बैठ गया लुबजा की तरफ पीठ करके ताकी उसको कुछ नजर ना आए। में लुबना और मामी बातें भी कर रहे थे साथ साथ। मैंने मामी की टांगें घुटनों के नीचे से दबाना शुरू किया, और धीरे-धीरे ऊपर आ गया उनकी जांघों पें।
मामी एक बार हिली, और कहा- “बेटा यहां से ही दबाओं जरा जोर से। यही से दख रही हैं.”
मेरे हाथों में खाला की दायी जांघ थी जो अच्छी खासी मोटी थी। मुझे अपने हाथों में मामी की गरम जांघ का स्पर्श महसूस हो रहा था। नीचे सलवार में मेरा लण्ड खड़ा हो गया था। मैं एक टांग नीचे और एक टांग उठाकर मोड़कर बैठा हवा था। जो टांग नीचे थी वो मामी की तरफ थी। मामी ने अपना हाथ मेरी जांघ पे रख दिया। थोड़ी देर बाद मामी मुझे शाबाश दे देती। मेरे हाथ मामी की फुद्दी से कुछ इंच ही दूर था। मेरी उंगली मामी की जांघ के अंदरूनी भाग में छू रही थी। मुझे बहुत मजा आ रहा था। मामी को जांघ इस वक़्त मेरे हाथों में थी।
कुछ देर बाद मामी ने कहा- “बेटा दूसरी टांग भी दबा दो..”
मैं थोड़ा आगे को झुक के मामी की बायीं जांघ दबाने लगा। मेरा लण्ड हल्का सा मामी की दायीं जांघ से टकरा रहा था। मेरा इस बढ़त मजे से बुरा हाल था। मामी ने कुछ देर बाद अपनी टांग थोड़ी हिलाई जिस वजह से मेरा लण्ड अब अच्छी तरह उनकी जांघ में च भने लगा, और मैं जानबूझ के उनकी फुद्दी के पास जांघ को दबाजे लगा।
मामी ने कहा- “बेटा जब थक जाओ ता बस कर देना ” और मुझे अजीब स्माइल से देखती रही।
मेरा डर भी कम हो रहा था, मैंने अब अपना लण्ड थोड़ा ऊँचा किया और उनकी जांघ के ऊपर कर दिया। अब ऊपरी सतह पे लण्ड रगड़ रहा था। लण्ड झटके भी मार रहा था, जो मामी को साफ पता चल रहा था, लेकिन वो कुछ कह नहीं रही थी।
लुबना सो चुकी थी। उसने दूसरी तरफ मुँह किया हुवा था।
मामी ने कहा- “बेटा लुबना तो सो गई है.”
मेरा दिल तेजी से धड़का क्योंकी मामी ने ये बात कही इस अंदाज में थी जैसे हमने कुछ करना हो। मैंने हाँ में मिर हिलाया, और नीची आवाज में मामी से कहा- “यही लेट जाऊँ आपके साथ?
मामी ने भी नीची आवाज में कहा- “हौं बेटा लेट जा ना..” अब हम नीची आवाज में बात कर रहे थे।
मेरी अपनी गाण्ड का छेद खल बंद हो रहा था इस वक़्त। मामी के साथ जिस पोजीशन में था मैं, ऐसे लग रहा था जैसे कोई तूफान आने वाला हो। मुझे मामी के बात करने का अंदाज इतना सेक्सी लग रहा था की क्या बताऊँ आपको।

मामी ने अपना हाथ दापी जांघ पे रखा और उसकी उंगली मेरे लण्ड को टच हई।
मैंने कहा- “मामी आप मोटी इतनी हो चारपाई पे जगह काम है। मैं कैसे लेट्गा?”
मामी ने कहा- “बेटा में लिटा लूंगी तुमको, चाहे तुमको अपने ऊपर क्यों ना लिटाना पड़े। आखीर कार, मेरे सबसे प्यारे भान्जे हो…” और अब मामी की आधी उंगली मेरे लण्ड पर थी।
मैं अब उनकी उंगली में लण्ड दबाने लगा।
मामी ने कहा- “बेटा क्या हवा, बेचैन लग रहे हो। खैर तो है?”
मैंने मामी की तरफ देखा तो मामी मुझे सेक्सी नजरों से देख रही थी। इसी दौरान मामी ने मेरा लण्ड एक बार हल्का सा दबाया तो मेरी सिसकी निकल गईं। मामी के होंठों में शरारती मुश्कुराहट आ गई। मुझे भी शरारत सूझी। मैंने मामी की जांघ को जोर से दबा दिया।
मामी ने कहा- “ना करो बेटा दर्द होता है… मामी का हाथ अभी भी मेरे लण्ड के ऊपर रखा हवा था।
मैंने मामी को कहा- “मामी जगह दो, मैंने लेटना है..”
मामी ने करवट लो मेरी तरफ और जगह दी। मैं भी मामी की तरफ मुँह करके लेट गया। जगह कम थी इसलिए मामी से जुड़ गया। मुझे अब कोई डर नहीं था लग रहा था। मैंने खाला को झप्पी लगा ली। नीचे से लण्ड को प्रेशर दिया उनकी फुद्दी पें। मामी ने टांगें खोली और लण्ड सीधा घुसता चला गया। मुझे लण्ड पे मामी की सलवार गाली-गोली लगी। मैं मजे से पागल हो गया की मामी की फुद्दी गीली हो गई है मेरी वजह से। मेरे अंदर सेक्स की लहर उठी और मामी को किस करने लगा उनके होंठों पे। मामी के होंठों आम औरतों से मोटे थे जो बहुत अच्छे लगते थे उनके चेहरे पे। मैंने एक हाथ मामी के मम्मे पर रख दिया और उसको दबाने लगा। मामी भी इस बात आँखें बंद किए मुझे किस कर रही थी।
मेरा लण्ड फटा जा रहा था। मामी ने मेरे लण्ड को जांघों में दबाया हवा था फुद्दी के ऊपर। अचानक मामी में मुझे अपने ऊपर कर लिया। टांगें खोलकर मुझे अपनी टांग में फंसा लिया। मेरा लण्ड उनकी फुद्दी से लगा और सिर मेरा उनके मम्मों तक जा रहा था। मैं मामी को अब धक्के मार रहा था फुद्दी पे। मामी आँखें बंद किए आहे भर रही थी।
अचानक चारपाई चरचराई और एक तरफ का पावा टूट गया। आवाज हुई तो लुबना भी हिली। मैं फटाफट अपने बिस्तर पे पहुँचा, और जोर से पूछा- “मामी किया हुबा?
इतनी देर में लुबना भी उठ गई भि शोर की वजह से।
कड़ी_13 – kambikuttan
मामी ने कहा- “बेटा पावा टूट गया है…’
लुबना हँस पड़ी फिर हम तीनों हँस पड़े। मामी ने अंदर से दूसरी चारपाई निकाली और लेट गई। दुबारा मामी के पास जाना खतरनाक था। इसलिए मैं लेटा रहा और फिर सो गया।
सुबह आँख अपने टाइम पे खुली। मैंह हाथ धोकर नाश्ता दिया मुझे खाला ने। मैं नाश्ता करने लगा। नाश्ते से फारिग हवा और मैं बाहर निकाल आया। दरवाजे में खड़े होकर टाइम गुजारा कुछ इधर-उधर देखते। फिर मैं अंदर आ गया। नानी के रूम में गया। खाला वहां अकेली थी और बैग में से कपड़े निकाल रही थी। मैंने पीछे से जाकर उनको झप्पी लगा ली।
खाला ने मुड़कर मुझे देखा और कहा- “मेरी तो जान ही निकाल दी तुमनें… देख लिया करो। ऐसे ही चिमट जाते हो, काई देखेंगा तो क्या कहेगा?”
मैंने कहा- “कोई कुछ नहीं कहेगा..” और खाला को किस कर ली। नीचे से खाला की मोटी और बाहर को निकाली हुई गाण्ड में दबाओं डाला। लेकिन खाला ने कुछ नहीं कहा मुझे। मुझे अपनी जांघों पे खाला के नरम चूतड़ महसूस हो रहे थे। मैंने अच्छी तरह वहां लण्ड को रगड़ा और खाला से मस्ती करता रहा।
फिर में बाहर आ गया। किताबें पकड़ी और लिखने बैठ गया। जब सारे मुन्ना आ गये तो बाजी मेरे पास पड़ी चयर में आकर बैठ गईं। बाजी को देखते मुझे रात को वारदात याद आ गई की बाजी ने कैसे चुदवाया उस झोपड़ी में। मुझे अचानक एक आइडिया आया।
मने कापी पे लिखा- “बाजी रात को मजा आया आपको झोपड़ी में?” साथ ही बाजी को मैंने कहा- “बाजी जरा देखना मैंने ठीक लिखा काम?”
बाजी ने कापी पकड़ी और जब कापी पे नजर गई तो मुझे बाजी के तोते उड़ते नजर आए चेहरे पे। लेकिन जल्द कंट्रोल किया उन्होंने और मेरी तरफ देखा। बाजी मुझे सीरियस नजरों से घर रही थी। एक बार तो मैं भी अंदर में डर गया कि कहीं बाजी मुझे फैटी हो ना लगा दें। लेकिन अचानक बाजी के चेहरा में स्माइल नजर आई मुझे।
बाजी ने कहा- “अच्छा तो तुम जासूसी करते रहे मेरी?”
मैंने कहा- “बाजी टाइम बड़ा हो गया था। मैं ऐसे ही देखने उस तरफ आ गया था। आप मुझे पहले बता देती। मैं कौन सा बताना था किसी को। ऐसे मेरी जगह कोई और आ जाता तो फिर?”
बाजी ने कहा- “चलो अब तो पता चल गया ना तेरे को। अब ध्यान रखना अगर वहां जाऊँगी तो?” और हँस दी।
में भी मुश्कुराता हुवा दुबारा काम लिखने लगा। थोड़ी देर बाद मुझे अपनी टांग पे बाजी का पैर लगा। मैंने इग्नोर किया। लेकिन अब पैर धीरे-धीरे मेरी जांघ के ऊपर आ रहा था। मेरे लण्ड में सरसराहट होने लगी। क्योंकी मैं समझ गया था बाजी क्या कर रही हैं। झाले में बुक और कापी लेकर बैठा था। आगे बैंग था सो काफी जगह थी। बाजी ने किताबें के नीचे से धीरे से पैर मेरे लण्ड पे रख दिया जो इस वक़्त खड़ा हो चुका था।
मैंने ऊपर नजर की। बाजी को देखा। बाजी मुझे सेक्सी स्माइल से देख रही थी। मैंने इधर-उधर देखा सब करचे काम कर रहे थे। वो थे भी छोटे थे। घर वाले अंदर थे। बाजी अच्छी तरह मेरे लण्ड पे पैर रगड़ रही थी। मेरा दिल कर रहा था बाजी मेरा लण्ड हाथ में पकड़कर दबायें। बाजी इप्रेस हो रही थी क्योंकी उन्होंने पैर से अंदाजा
कर लिया था की मेरा लण्ड कैसा है?
फिर एक मुन्ना उठा और बाजी के पास आया। बाजी ने पैर निकाल लिया। मैं थोड़ी देर और काम लिखा और उठ गया। बैग अंदर रखा। बरांडे में खाला और दाना मामियां बैठी बातें कर रही थी। मैं मामी के साथ चारपाई में बैठ गया और उनकी बातें सुनने लगा।
खाला ने कहा “पट लिया मेरे बेटे ने?”
मैंने कहा- “जी खाला…”मामी ने कहा- “मेरा पुत्तर तो बहुत अच्छा है। सबका खयाल रखता है..” और नजर बचाकर मुझे आँख मार दी। बगल से मुझे गले लगाया और चूमा।
खाला ने कहा “वाह… बड़ा प्यार है मामी भान्जे में… सब हँस दिए।
ऐसे ही बातें हई। फिर लंच का टाइम हो गया।
लंच करके फारिग हुये तो बाजी ने कहा- “मैं सहेली के घर जा रही हूँ लुबना के साथ..”
मामी ने इजाजत दे दी। फिर मुझसे कहा- “जाओं बँटा इनको छोड़ आओ…”
में बाजी लोगों को छोड़कर घर आया तो सब अपने-अपने रूम में जा चुके थे आराम करने। मामी मुझे टायलेट से निकलती नजर आई। मामी जब हाथ धो रही थी मैं पास गया और मामी को कहा- “मामी झाप्पी लगाने को दिल कर रहा आपको..
मामी ने कहा- “यहां कहा लगाओगे झप्पी?”
मैंने कहा- “बैठक में चलते हैं, सब सो रहे होंगे…”
फिर मैं और मामी बैठक में आ आ गये धड़कते दिल के साथ। मेरा दिल मचले जा रहा था तन्हाई में मामी में मिलने से। बैठक में जाकर मैंने मामी को झप्पी डाल ली। मामी ने भी बाजू डाल दिए मेरी कमर में। पहले मैं और मामी एक दूसरे को देखते रहे। फिर मैंने मामी को गाल पे किस की। मामी ने मुझे दो-तीन किस की। मैंने हिम्मत करते हुये मामी के होंठों पे किस की। मामी ने मुझे की। फिर मैंने मामी के मोटे होंठ अपने होंठों में लिए और चूसने लगा। मामी के होंठ बहुत नरम मुलायम थे। मामी पूरा साथ दे रही थी मेरा। नीचे मेरा लण्ड सहत होकर उनकी फुद्दी पे चुभ रहा था।
किस करते-करतं मैंने मामी के दोनों मम्मे पकड़ लिए, और दबाने लगा। मामी के मम्में बड़े साइज के थे जो मेरे दो हाथों में भी ना आते। मैं मजे से उनको किस कर रहा था और मम्मे दबा रहा था। मुझको कोई होश नहीं था इर्द-गिर्द का। अचानक मुझे अपनी सलवार में मामी का हाथ घुसता महसूस हवा, जो सीधा लण्ड पे गया। मामी ने मुठी बनाकर मेरा अकड़ा हवा लण्ड पकड़ लिया, जो इस वक़्त उनके हाथ में पूरा आ रहा था। मामी उसको दबाने लगी। मेरा मजे से बुरा हाल हो गया। kambikuttan
सेक्स के जोश में मैंने मामी की कमीज में हाथ डाला और बा ऊपर करके नंगे मम्मे पकड़ लिए मामी के। उफफ्फ… क्या नरम और गरम मम्मे थे मामी के। निपल इस बात टाइट हो रहे थे, जो मेरी हथेली में चुभ रहे थे मुझे। में जोर-जोर से मामी के मम्मे दबाने लगा। नीचे मामी मेरे लण्ड को मसल रही थी। मैंने फिर मामी की कमीज ऊपर की गले तक। और उनका बाउन निपल मुझे नजर आया। मम्में अपने पूरा यौवन पे थे मामी के। मेरी आँखें जम गई उनके मम्मों पे।
मामी ने कहा- “देखते ही रहोगे या चूमोगें भी?”
मैं आगे बढ़ा और एक निपल मुह में लेकर मम्मा चूसने लगा मामी का। साथ-साथ दबा भी रहा था।
मामी लण्ड दबाने के साथ मेरे टटें भी हाथ में पकड़कर उनको धीरे-धीरे दबा रही थी। जिससे मेरा लण्ड झटके खाने लगता था। मैंने अपना एक हाथ नीचें किया और मामी की सलवार में घुसा दिया। सीधा हाथ फुद्दी पे गया जो इस बात पानी से लाबालब भरी हुई थी। जैसे ही फुद्दी पे मेरा हाथ लगा, मामी की सिसकियां बुलंद हो गई। मामी की फुद्दी क्लीन शेव्ड थी। एक भी बाल नहीं था इस वक़्त उनकी फुद्दी पे। मैं उनकी फुद्दी की लकार में उंगली फेर रहा था।
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