मैं भी फिर मुश्कुरा दिया। रात तक बातें होती रही। दोनों माम् भी आ गये हुये थे। लेकिन बड़े माम को खेतों पे वापस जाना था। क्योकी आज रात पानी की बारी थी उनकी खेतों पे। इसलिए फैसला हबा की में आज ऊपर लेट्गा मामी जूबिया और लुबना के साथ। बाजी अमीना और खाला नीचे दादी के पास। छोटे माम और मामी राबी को आलरेडी रूम में सोना था उनको।
जब खाना खाकर फारिग हमें तो बाजी अमीना ने कहा- “चलो बाहर टहलकर आयें…”
खाला ने तो मना कर दिया और लबना ने भी।
बाजी ने कहा- “अली, चलो तुम और मैं चलते हैं…
मैंने कहा- “ठीक है..”
हम घर से बाहर निकल आए। बाहर गलियों में अंधेरा था। अभी हम गली को नुक्कड़ पे पहुँचे तो सामने से एक लड़का आ रहा था। जब करीब आया तो हमको देखकर रुक गया, और बाजी में हाय हेला की और कुछ इशारे भी किए बाजी को। जो मुझे तो समझ में नहीं आई लेकिन बाजी समझ गई। वो लड़का निकल गया आगें, और हम भी चल पड़े।
मैंने बाजी से पूछा, “ये कौन था?”
बाजी ने कहा- “मेरी दोस्त का भाई है…”
मैंने हाँ में सिर हिलाया। गाँव के आखीर में पहुँचें जहां से आगे फसलें शुरू होती थी।
वहां बाजी अचानक रुकी और कहा- “अली तुम रुको एक मिनट… मुझे बहुत तेज पेशाब आया है मैं करके आई.”
और बाजी एक तरफ चल दी।
वहां कुछ दूर एक झोपरी टाइप कच्चा कमरा बना हवा था। बाजी उस तरफ गई। अंधेरा बहुत था मुझे इर भी लग रहा था इतने अधेरे में अकेला खड़ा रहकर। जब कुछ देर तक बाजी नहीं आई तो मैं उस तरफ चल दिया झोपड़ी की तरफ, क्योंकी अब तक उनको आ जाना चाहिए था। मैं अभी झोपड़ी से 10-12 कदम दूर ही था की मुझे झोपड़ी से कुछ आवाजें आने लगी। मेरे कान खड़े हो गये की यहां कौन है बाजी के इलावा और? मैं करीब गया उस कमरे के। दरवाजा दूसरी तरफ था लेकिन पीछे से दो-तीन जगह सुराख थे बड़े-बड़े। मैंने वहां से अंदर देखा तो मेरा दिल उछलकर गले में आ गया, दिल 100 की स्पीड से धड़कने लग। क्योंकी दृश्य ही ऐसा था।
अंदर बाजी दीवार के साथ घोड़ी बनी हुई थी। उनकी सलवार घुटनों तक नीचे थी और एक लड़का पीछे खड़ा उनकी फुदी मार रहा था। मुझे हल्का-हल्का सा नजर आ रहा था, वो भी चाँद की रोशनी की वजह से। लड़के ने अपने हाथ बाजी की कमीज में डाले हमें थे, और शायद उनके मम्मे पकड़े ही थे। मैं हैरान परेशान बाजी का चुदता हुवा देखता रहा। मैं समझ गया ये पहले भी यहां मिलते रहते होंगे। यहां तो दिन में भी कोई नहीं आता होगा, क्योंकी वीरन सी जगह थी। मुझे होश तब आया जब उन दोनों की सिसकियों की आवाज तेज हो गई।
बाजी ने कहा- “जल्दी कर लो पार, बाहर अली खड़ा है, वो कहीं आ ही ना जाए.”
इसके साथ है लड़के ने लण्ड बाहर निकाला और अपना पानी गिराने लगा। इस दौरान लड़के का चेहरा मुझं बगल से दिखा और में पहचान गया क्योंकी ये वहीं लड़का था जो वहां हमें गली की नुक्कड़ पे मिला था। मैं फटाफट निकला वहां से और तेज-तेज चलता अपनी जगह पै पहुँच गया। मंरा रंग उड़ा हबा था। लेकिन अंधेरे की वजह से पता नहीं चल सकता था किसी को।
बाजी आई और कहा- “चला चलते हैं..”
मैंने कहा- “बहुत देर लगा दी। मुझे यहां डर लग रहा था..”
बाजी ने कहा- “वो झाड़ियों में दुपट्टा फंस गया था निकलने में टाइम लगा..”
मैंने दिल में सोचा- “हाँ मुझे पता है क्या कहाँ से निकाला है.” हम घर आ गये। तब तक में रिलैक्स हो चुका था काफी हद तक
बाजी बहुत चहक रही थी। वो आते ही टायलेट गई थी। मैं समझ गया अपनी सफाई करने गई हैं। फिर मेरे पास
आई और धीरे से कहा- “आज तो तुम्हारी मौज है ऊपर ही साना है तुमने…”
मैं अंजान बनकर पूछा- “कैसी मौजा.”बाजी बोली- “लुबना के साथ कर लेना जो करना होगा..’
मैंने कहा- “मामी होती हैं वहां। में तो नहीं करूंगा..”
बाजी बोली- “कल तो फिर कर लिया था तुमने… तब तो तुम्हारे मामू भी ऊपर थे.”
मैं हकलाया और कहा- “वो तो बस ऐसे ही हो गया था.’
बाजी मुश्कुराती हुई उठकर अंदर चली गईं। मैं सहन में बैठा आज की वारदात के बारे में सोचता रहा, जो बाजी ने की थी बाहर। मैं अब समझ रहा था बाजी इतनी फुदकती क्यों है? क्योंकी वो लण्ड ले चुकी थी अब उसकी झिझक दूर हो गई हुई थी।
खैर, मैं उठा और किचन में गया। वहां मामी जबिया बर्तन धो रही थी। मैं उनके पास गया और कहा- “मामी आज मैंने भी ऊपर सोना है आपके साथ…’
मामी ने कहा- “मेरे साथ तो नहीं। हौं अलग चारपाई पे सोना है तुमनें…” और हँस दी।
मैं भी शमिंदा सा हँस दिया, और कहा- “मेरा वा मतलब नहीं था। मैं भी यही कह रहा था मतलब साना तो अलग ही है…”
मामी बोली- बेटा, मैं भी वैसे ही कह रही थी। बेशक मेरे साथ सो जाना तुम..”
मैं खुश हो गया और पीछे से मामी को झप्पी लगाकर गाल पे किस कर दी और नीचे से लण्ड को उनकी भारी चूतड़ों में टिका दिया। किस करके अलग हवा और कहा- “मामी फिर तो मैं आपके साथ ही साऊँगा “.”
मामी बोली- “अच्छा सो जाना बेटा… लेकिन लुबना पहले सा जाए फिर तुम आ जाना मेरी चारपाई …”
मैंने कहा- “ठीक है मामी..” और पीछे होते हुये मैंने मामी की मोटी और नरम गाण्ड पे चुटकी काट दी।
मामी आगे हई और कहा- “बहत शैतान हो गये हो तुम। तुम्हारा इलाज करना पड़ेगा…”
मैं हँसता हुवा बाहर निकल आया। बाहर सहन में खाला बैठी हुई थी और कोई भी नहीं था। खाला को अकेला देखकर लण्ड ने अंगड़ाई ली। मेरा दिल किया खाला को झप्पी लगाऊँ, लेकिन जगह नहीं थी वहां। मुझे अचानक एक खयाल आया। बैठक सहन से कुछ दूर बाहर गेट के साथ थी।
मैं खाला के पास गया और उनको कहा- “खाला एक मिनट बैठक में आना आप मेरे साथ..”
खाला ने कहा, “क्यों वहां क्या है?”
मैंने कहा- “खाला आओ तो सही, फिर बताता हूँ आपको… मैंने नजर भी रखी हुई थी इधर-उधर। kambikuttan
मैंने खाला का हाथ पकड़ा उनको उठाया, तो खाला मेरे साथ चल पड़ी। खाला में भी एक बार पूरा घर पे नजर डाली, शायद उनको आइडिया हो गया था। हम दोनों बैठक में चले गये लाइट आफ ही रहने दी। दरवाजे के साथ ही खड़े हो गये। मैं आगे बढ़ा और खाला को बाहों में ले लिया, और उनको एक किस कर दी गाल पे। लण्ड मेरा पहले ही खड़ा हो चुका था उत्तेजना के मारे। जो इस वक़्त खाला की जांघों में दबा हवा था।
खाला ने कहा, “ये काम था क्या?”
मैंने कहा- “हाँ खाला, यही काम था..”
खाला ने कहा “बड़े तेज हो तुम वैसे। इस बात किसी को भी नहीं पता हम यहां हैं..” और खाला ने मुझे अपने बाजू में दबा लिया।मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था जैसे कुछ होने वाला हो। मैंने हिम्मत करके खाला के होठों पे किस कर दी। फिर खाला ने मुझे भी की। मेरी हिम्मत बढ़ी में खाला के होंठों को चूसने लगा, और हाथ नीचे ले गया खाला के नरम चूतर पकड़ लिए। मैंने मुँह हटाया और कहा- “खाला ये बहुत नरम हैं आपके..”
खाला ने कहा- “बेशर्म… ऐसी बात नहीं करतंसाथ ही मुझे उनके हँसने की आवाज आईं- “चला वहां में हाथ हटाओ..”
मैंने कहा- “नहीं खाला, मुझे अच्छा लग रहा है यहां आपको हाथ लगाकर…”
खाला ने कहा “देख लो बेटा, तुम मुझसे नाजायज चीजें भी मनवा रहे हो। मैं सिर्फ तुम्हारे प्यार में मान जाती है। लेकिन ये किसी को बताना नहीं, जो तुम करते हो मेरे साथ..”
मैंने कहा- “नहीं बताता खाला। मैं आपका भला कैसे बदनाम कर सकता है.”
खाला चुप हो गई। मैं दुबारा खाला को किस करने लगा खाला भी जवाब दे रही थी। नीचे मैं खाला की पूरी गाण्ड पे हाथ फेरने लगा। आगे मेरा लण्ड उनकी जांघों पे रगड़ खा रहा था।
फिर खाला ने कहा- “चलो अब चलते हैं कोई आ ना जाए इस तरफ?” खाला ने बाहर देखा पहले। किसी को ना पाकर बाहर चली गई। मैं भी पीछे-पीछे बाहर आ गया।
कुछ देर बातों में गुजारा और सब सोने के लिये उठाने लगे। मैं ऊपर चला गया पहले हो।
लुबना ऊपर आई उसने मुझे कहा “अली आज प्लीज… कुछ ना करना। मामी पास ही हैं। उनको पता चल जायेगा.”
मैंने कहा- “ठीक है मेरी जान … जैसे तुम चाहो..”
लुबना ने मुझे किस की और बिस्तर बिछाने लगी। मैं बीच में लेट गया चारपाई पे। लुबना सीदियों के साथ और आखीर में मामी की चारपाई थी। फिर मामी ऊपर आई और दुपट्टा उतारा और लेट गई चारपाई पे।
मामी ने मुझसे कहा- “बेटा टोंगे दबा दो, बहुत दुख रही हैं.”
में बड़ा खुश हुवा की मामी के जिश्म को हाथ लगाने का मौका मिल रहा है। मैं उठा उनकी चारपाई पे बैठ गया लुबजा की तरफ पीठ करके ताकी उसको कुछ नजर ना आए। में लुबना और मामी बातें भी कर रहे थे साथ साथ। मैंने मामी की टांगें घुटनों के नीचे से दबाना शुरू किया, और धीरे-धीरे ऊपर आ गया उनकी जांघों पें।
मामी एक बार हिली, और कहा- “बेटा यहां से ही दबाओं जरा जोर से। यही से दख रही हैं.”