Incest खाला जमीला – Part 1 – kambikuttan

मैं चुप रहा। लेकिन हाथ को अब नंगे पेट पै ले आया था। थोड़ी देर वहाँ हाथ रखा। मैं खाला को सीधा किया
और उनके ऊपर लेट गया। लण्ड सीधा फुद्दी के निशाने पे था।

खाला ने कहा “क्या हुवा बेटा, ऐसे क्यों लेटे हो?”

मजे कहा- “खाला इस तरह आपसे अच्छी तरह चिपक जाऊँगा..”

खाला मुश्कुरा दी। मैंने खाला को गाल पे किस की और उनके होंठ पे भी अपने होंठ रगड़े। फिर अपने दोनों हाथ खाला के मम्मों पा रख दिये लेकिन दबाए नहीं। मुझे अचानक जोश आया। पता नहीं कैसे खुद-ब-खुद मेरा निचला हिस्सा हिला और लण्ड खाला की जांघों को चीरता डूबा घुस गया।

खाला ने मुझे वहीं रोक दिया और हिलने नहीं दिया। मुझे लण्ड पे खाला की फुद्दी की गर्मी महसूस हो रही थी, क्योंकी उनकी फुद्दी पे बारीक कपड़े की सलवार ही थी। मेरा दिल कर रहा था लण्ड अंदर-बाहर करू, लेकिन खाला में ऊपर हाथ रखा हवा था। मेरा लण्ड फटा जा रहा था। कुछ देर बाद खाला ने मुझे नीचे होने को कहा, तो मेरा मुँह बन गया और नीचे उतर के अपनी चार पाई में आ गया। लेकिन खाला ने मुझे गोका नहीं। खाला में करवट ली, दूसरी तरफ मुँह कर लिया। मुझसे कोई बात नहीं की। मेरा मूड सख्त आफ हो गया था। लेकिन मेरा लण्ड अभी भी खड़ा था वो बैंठने का नाम नहीं था ले रहा था।

खाला सो गई थी अब, क्योंकी उनकी सांसों से पता चल रहा था मुझे। लेकिन लण्ड में मुझे परेशान किया हवा था। मैंने फिर एक फैसला किया और चार पाई से आराम से उठा ताकी चारपाई के चिखने की आवाज ना निकले। मैं छत पे चला गया। मुझं लुबना की तलाश थी, वही इस वक़्त मेरे लण्ड को सुकून दे सकती थी।

ऊपर सब सो रहे थे। सीदियों के साथ है लुबना की चारपाई थी। जहां लुबना सोई नजर आईं। मैं आगे बढ़ा और लुबना को हिलाया तो वो उठ गई। मैंने होंठ में उंगली रखकर उसको चुप रहने का इशारा किया। और इशारे से उसको उठने का कहा की रूम में आओ मेरे साथ। लेकिन वो मान नहीं हो रही थी। मैं आगे बढ़ा और उसकी चारपाई में बैठ गया। मुझे बिल्कुल डर नहीं लग रहा था क्योंकी इस वक़्त दिमाग पे लण्ड ही सवार था।

थोड़ी देर बाद लुबना उठ गई और उसके साथ में पेटियों वाले रकम में चला गया, क्योंकी वहीं मेरा देखा भाला था। रूम में जाकर दरवाजा बंद कर दिया अब खिड़की से बस चाँद की रोशनी आ रही थी। जिस वजह से मुझे लुबना धुंधली सी नजर आ रही थी। मैं आगे बढ़ा और लुबना को गले लगा लिया। उसके 32″ इंच के मम्मे मेरी छाती में दब गये। ला उसको किस करने लगा गालों पे, गर्दन पे और हाथों से उसके चूतड़ मसलने लगा, जो बहुत नरम थे।

कुछ देर बाद लुबना भी जवाब देने लगी। उसने मेरे होठ को अपने होंठा में लिया और चूसने लगी। चूसना उसका भी बस नार्मल ही आता था, लेकिन मुझसे बहरहाल अच्छा चूस रही थी। मुझे भी अंदाजा हो गया की वो कैसे चूस रही है। मैं भी अब उसको वही जवाब देने लगा। इस वक़्त हमारे जिश्म भट्टी बने हुये थे। मैंने सलवार में हाथ डाले और उसके नंगी चूतड़ों को मसलने लगा और चूतड़ों की लकीर में गहराई तक उंगली फेरने लगा। मेरी उंगली को लुबना की गाण्ड का सुराख महसूस हो रहा था।

लुबना की अब सिसकियां निकालने लगी थी, मुझे उसने जोर से पकड़ा हवा था। फिर उसने अपना मुँह हटाया और मेरी सलवार घुटनों तक नीचे कर दी। कमीज में पहले ही नीचे उतार कर आया था। मेरा लण्ड झटके से बाहर हवा में लहराया, जिसको लुबना ने अपनी मुट्ठी में दबा लिया और उसको मसलने लगी।मैंजे लुबना को फुसफुसाया- “तुम अपनी सलवार उत्तारो, मैं भी उतारता है.”

लुबना नहीं मानी की कोई आ गया तो घर बाहर हो जायेगी।

मैंने उसकी गीली फुद्दी में उंगली फेरी और थोड़ी सी फुद्दी में डाली, और उसको दुबारा कहा- “प्लीज जानू उतारो ना सलवार…”

लुबना अब पूरा गरम हो गई थी उसने अपनी सलवार उतारी। मैंने भी अपनी सलवार उतार ली।

नीचे से अब हम दोनों नंगे हो गये थे। लुबना की कमीज पकड़कर ऊपर गले तक कर दी और वहीं गले में फैंमा दी। मैं आगे हवा और लण्ड को उसकी जांघों में घुसाया, जहां लुबना की गरम और गीली फुद्दी मेरे लण्ड को लगी। फिर दोनों हाथों से उसकी बा हटाकर उसके मम्मे पकड़ लिए। जो इस बात मेरे हाथों में आ रहे थे। जिपल टाइट थे जो इस वक़्त मेरी हथेली में चुभ रहे थे। मैंने अपना चेहरा नीचे किया और बायें मम्मे का निपल मुँह में ले लिया और चूसने लगा।

लुबना ने जीचे अपनी टांग बंद की, और हिलने लगी। जिससे मेरा लण्ड अंदर-बाहर हो रहा था। इस बात मेरा लण्ड भी उसके चिकनें पानी की वजह से गीला हो गया था और आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। मैं मजे से पागल हो रहा था और मेरी टांगें कांप रही थी। एक तो सेक्स का नशा और ऊपर से पकड़े जाने का भी डर था। क्योंकी माम मामी के सिर में ही तो हम मक्स कर रहे थे। लुबना के नरम मम्मे पकड़कर बहुत मजा आ रहा था। मैं साथ-साथ उनको दबा भी रहा था। अब में भी लण्ड को अंदर-बाहर कर रहा था। फिर थोड़ी देर बाद मैंने लुबना को गम में रखे एक लकड़ी के टेबल पे लेटने को कहा जो आम टेबलों से ऊँचा था।

लबजा को उसके ऊपर लिटाया। उसकी गाण्ड को टेबल के किनारे तक रखा और उसकी टांगें उठा ली। मैं आगे हुवा और लण्ड में थूक लगाया और लुबना की चिकनी फुद्दी के ऊपर फेरने लगा।

लुबना के कहा- “अंदर नहीं करना अली प्लीज… बहुत दर्द होगा और माम मामी भी बाहर हैं..”

मेरा लण्ड भी चुकी थोड़ा बड़ा था इस उम्र के लड़कों से। लेकिन मेरा दिल कर रहा था अब लण्ड अंदर डाल दूं। मैंने बहुत कोशिश की लुबना मान जाए, लेकिन वो डर रही थी। मैं भी फिर खामोश हवा और अपनी उंगली उसकी फुद्दी में डाल दी, जो धीरे-धीरे सारी अंदर कर दी और उंगली को हिला लगा। लुबना में भी हाथ बढ़ाकर मेरा लण्ड पकड़ लिया और उसकी मूठ लगाने लगी। टेबल पे मेरा हाथ एक कपड़े से टकराया तो देखा वो चादर थी। मैंने लुबना को छोड़ा और चादर नीचे बिछा दी। फिर लुबना को उस पे लेटने को कहा। जब वो लेट गई तो में भी उसके ऊपर लेट गया। लेकिन इससे पहले मैं टेर सारा थूक लण्ड में लगाना नहीं भुला।

मैंनें लण्ड को लुबना के जांघों में अडजस्ट किया और उसकी टाँगें बंद कर दी बगल से दबाकर। फिर लुबना और मैं पूरा लेट गये। मैं अब लण्ड को ऊपर नीचे कर रहा था। लुबना ने मेरा चहरा पकड़ा और किस करने लगी। लुबना भी अब चरम पे थी। मेरा हाल भी कुछ ऐसा ही था। kambikuttan

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अचानक लुबना के जिश्म ने झटका खाया और मुझे लण्ड में गरम-गरम कतरे गिरते हुये महसूस हुमें। इसके साथ ही मेरे जिश्म को भी झटके लगे, तो उसकी जांघों में मेरा लण्ड झटके खाने लगा। मुझे अपनी जान निकलती हई महसूस हो रही थी लण्ड के रास्ते। कुछ सेकंड बाद लुबना ने मुझे हटाया। मैं उठा और सलवार पहन ली। लुब्बना भी उठी और सलवार पहनकर बाहर चली गईं, और मुझे ताकीद करके गई 5 मिनट बाद आना तुम।

लुबना बाहर जाकर अपनी चारपाई पे लेट गईं। मैंने जाली वाली खिड़की से बाहर देखा और सब कुछ ठीक था। मैंने चादर उठाई और तह करकं वहीं टेबल पे रख दी, और बाहर निकल आया। दरवाजा बंद किया और वे आवाज चलता सीढ़ियां उत्तर गया और नीचे आकर लेट गया। फिर बहुत गहरी नींद आई मुझको, और सुबह 8:00 बजे खाला में उठाया की नाश्ता कर लो।

मैं चूंकी खाला से नाराज था। इसलिए उनको देखे बगैर उठा, वाशरूम गया, नहाकर फ्रेश हवा, नाश्ता किया। तब तक 10:00 बजने वाले थे।

बाजी अमीना मेरे पास आई और कहा- “किताबें ले आओ, अपना काम कर लो। मुन्ना आने वाले हैं। तुम भी साथ ही लिख लेना अपना काम। लुबना भी कर लेगी अपना काम।

मैंने हाँ में सिर हिलाया। मैं उठा अंदर से अपनी किताबें ले आया, और जहां बाजी चयर रखकर बैठी थी, वहीं पास बैठ गया। जमीन पे दरी बिछाई हई थी। मैंने किताबें निकली और काम लिखने लगा। थोड़ी देर बाद सारे मुन्ना जमा हो गये और बाजी भी चंपर पे बैठ गई। बाजी के पैर मुझसे एक फूट की दूरी पे थे। बहुत साफ सुथरे पैर थे उनके। नाटूनों पे में पोलिश लगाई हई थी उन्होंने।

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