Incest खाला जमीला – Part 1 – kambikuttan

मैंने थोड़ा अडजस्ट करके लण्ड को उनकी जांघों में डाला तो मामी एक बार हिल गई। लेकिन मुझे कुछ कहा नहीं, और मुझे अजीब नजरों से देखने लगी। मैं अंदर से घबरा भी रहा था। इसी घबराहट में मैंने लण्ड को पीछे कर लिया।

मामी ने कहा- “चला बेटा नीचे चलते हैं. और साथ ही बाहर दरवाजे पे दस्तक हुई।

हम नीचे चले गये तो देखा छोटे माम् आ गये थे अपनी दुकान से। मैं उनमें मिला और टायलेंट चला गया। पेशाब कर के बाहर निकाला तो अंदर से खाला और लुबना निकाल रहे थे, साथ में नानी भी थी। सबने सहन में बैठकर खाना खाया। खाने से फारिग हुये।

बाजी अमीना ने कहा- “चलो बाहर एक चक्कर लगाकर आते हैं खाना हाजाम हो जायेगा…”

फिर मैं, खाला, लुबना और बाजी अमीना बाहर निकल आए। खाला और बाजी अमीना हमसे दो कदम आगे थी। पीछे में और लुबना थे। मैंने लुबना का हाथ पकड़ लिया और लण्ड पे रख दिया। लेकिन लुबना हाथ खींच लिया। मैंने दुबारा जोर लगाया लेकिन वो हाथ पीछे खींच रही थी।

मुझे एक रकीब सूझी। मैंने उसका हाथ छोड़कर अपने हाथ को चलते हमें ही उसकी फुद्दी पे रख दिया। दो सेकंड बाद ही लुबना में मेरा हाथ खींच लिया, और मुश्कुराती हुई आगे चली गई खाला के पास। फिर मैं भी आगे हो गया और खाला के साथ-साथ चलने लगा।

इस वक़्त आसमान सितारों से भरा हवा था। कभी-कभी कुत्तों के भौंकने की आवाज आ रही थी दूर से। आस-पास कीड़े मकोड़ों के चिंगारने की आवाजें आ रही थी। हमने दो-तीन गलियों का चक्कर लगाया और 15-20 मिनट बाद घर आ गयें। मौसम खुशगवार हो गया था। मुझे प्यास लग रही थी तो मैं सीधा किचेन में चला गया, जहां मामी जबिया बर्तन धो रही थी। मैं आगे बढ़कर ग्लास उठाया। इस दौरान में पीछे से मामी के साथ लग गया।

मामी ने पीछे मुड़कर देखा और मुश्करा दी, फिर कहा- “मुझे कहतें, मैं अपने बेटे को पानी पिला देती…”

मैंने कहा- “मामी आपको क्यों कहता? बल्की आप मुझे कहाँ कोई काम, तो में कर देता हैं आपकी हेल्प। आप बहुत काम करती हो का या थकती नहीं आप? सुबह से आप लगी हुई हो..”

मामी बोली- “पुत्तर ये तो घर के काम हैं जो करने ही होते हैं। नहीं करंगे तो खाली रहकर और मोटी हो जाऊँगी…” कहकर मामी हँसी। क्योंकी मामी छत वाली बात को लेकर हँसी थी, तो मैं भी हँस दिया।

मैंने कहा- “मामी आप मोटी भी हो गई तो भी प्यारी लगोगी…’

में किचेन से बाहर आया तो खाला ने कहा- “कहां सोना है, ऊपर या नीचे?”

मेने कहा- “खाला जहां अपने सोना है वहीं में सोऊंगा.”

खाला ने कहा “चलो ठीक है…”

फैसला ये हवा की बरामदे में जानी के साथ खाला और में लेट जायेंगे। छत में लुबना बाजी अमीना और बड़ी मामी और माम्। छोटे मामू और मामी अपने रूम में सोते थे।

थोड़ी देर बाद बिस्तर लगे। मामी लोग ऊपर चले गये, और हम बरामद में लेट गये। 3 चारपाई बिछी हुई थी। नानी पहले ही सो गई थी। लाइट बंद कर दी हई थी सारी। मैंने अपनी चारपाई खाला की चारपाई के करीब कर ली। फिर लेट गया मैं। फन चल रहा था। 11:00 बजे का टाइम था लेकिन नींद मुझे नहीं आ रही थी। खाला भी आ गई थोड़ी देर बाद, और लेट गई मेरी तरफ चेहरा करके। हम बातें करने लगे।

खाला ने कहा “मुबह खेतों में जायेंगे तैयार रहना..”

मैंने हाँ में सिर हिला दिया। मैंने कहा- “खाला कितने दिन रहेंगे हम यहा?”

खाला बोली- दो हफ्ते तो रहेंगे। आगे रहना है तो देखेंगे अगर दिल लगा यहां तो…”मैंने इस दौरान अपना हाथ आगे किया और खाला के गाल पे रख दिया और गाल पे हाथ फेरने लगा।

खाला में मेरे हाथ पे एक चपत लगाई और कहा- “बड़े तेज हो… अब भी तुम्हारा दिल नहीं भरा..”

मैंने कहा- “खाला आपसे मेरा दिल कभी नहीं भरता। आपकी चारपाई पे आ जाऊँ? इधर अकेले मुझसे नहीं लेटा जा रहा…”

खाला बोली- नहीं लेटे रो वहीं। अच्छा नहीं लगता। तुम्हारी मामी बगेरा ने देखा तो वो क्या कहेंगी?”

मैंने कहा- “खाला कुछ नहीं कहेंगी। मैं आपका भांजा ही तो है…”

खाला ने कहा, “अभी रुक जा, थोड़ी देर बाद आ जाना…”

अभी हम बातें कर रहे थे तो मामी अपने रूम से निकली और टायलेट में चली गई। थोड़ी देर बाद वो दुबारा रूम में चली गई। इस बक्त रात का एक बज रहा था। खाला सीधी लेटी हुई थी।

मैंने खाला को हिलाया और कहा- “खाला आपके पास आ जाऊँ? मुझे नींद नहीं आ रही..”

खाला ने कहा, “आ जाओ..” kambikuttan

में उठा खाला, बगल में हुई, और में उनकी चारपाई पे चला गया। मैं खाला की तरफ मुह किया और टांग उनके बाज उनके पेंट के ऊपर रख दी। खाला का एक बाजू मेरे सिर के नीचे था, और मेरे मुँह से खाला का भारी मम्मा लग रहा था। मैंने अपना चेहरा उनके नरम मम्मे पे दबा दिया और पेट पे हाथ फेरने लगा। नीचे मेरा लण्ड भी अकड़ रहा था, जो सीधा खाला की जांघ में घुस रहा था। जैसे-जैसे लण्ड में जान पड़ रही थी मेरा दिल तेज धड़कता जा रहा था।

खाला में कहा “तुमको गमी नहीं लगती लिपटें रहने से?”

मैंने कहा- “नहीं खाला, मुझे तो अच्छा लगता है। आपको लगती है तो बता दो। मैं अलग हो जाता हैं..”

खाला बोली- “नहीं मेरी जान, मुझे क्यों में लगेगा? अपने बेटे को तो मैं सारी रात भी लिपटाए रख सकती हैं…”

और इसके साथ ही खाला ने मेरी तरफ करवट ले लो।

अब मेरा लण्ड सीधा उनकी फुदद्दी के पास छू रहा था। मैंने खाला को कहा- “खाला मुझे अब दिखाए ना अपनी बनियान। अब तो सब सो चुके हैं। दोपहर को देखी नहीं गई अच्छी तरह आपकी बनियान…”

खाला ने इधर-उधर देखकर कमीज ऊपर कर दी अपनी गर्दन तक। मैं अंधेरे में आँखें फाड़े खाला के मोटे मम्में देख रहा था, जो मेरी नजरों के सामने थे। लण्ड झटके खा रहा था जो खाला को भी महसूस हो रहा था, क्योंकी खाला अपनी टाँग हिला रही थी। मैंने अपना एक हाथ आगे किया और उनके मम्मे के ऊपर रख दिया। मम्मे बा में कैद थे।

मैंने खाला से धीरे आवाज में पूछा- “खाला ये क्यों पहनते हैं?”

खाला ने कहा “बेटा पहनने से ये कंट्रोल में रहते हैं..” खाला ने मम्मों का नाम नहीं लिया।

मैं समझ गया वो नाम लेना नहीं चाहती मेरे सामने। मैंने उनका मम्मा दबा दिया।

खाला की आवाज आई- “ना करा बेटा, ऐसे नहीं करते अच्छे मुन्ना.”

मैं चुप रहा। लेकिन हाथ को अब नंगे पेट पै ले आया था। थोड़ी देर वहाँ हाथ रखा। मैं खाला को सीधा किया
और उनके ऊपर लेट गया। लण्ड सीधा फुद्दी के निशाने पे था।

kambikuttan Fantasy अधूरी हसरतों की बेलगाम ख्वाहिशें – fantasy sex

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