Incest खाला जमीला – Part 1 – kambikuttan

हम दोनों पीछे बैठे थे। हमारे आगे माम और खाला बैठे हुये थे, जिस वजह से हम पे किसी की नजर नहीं पड़ती जब तक कोई गौर से ना देखता। मैंने भी अपना हाथ उनकी नरम जांघ में रखा और कहा- “काटू मैं?” मुझे उनकी जांघ का गरम स्पर्श अपने हाथ पै महसूस हो रहा था।

उन्होंने इशारे से कहा- “ना काट नहीं..”

मैंने उनकी जांघ का गोस्त पकड़ा और कहा- “काटने लागा है में…”

उन्होंने फिर कहा- “ना काट नहीं..”

मैंने कहा- “दुबारा मुझे कटोगी?”

बाजी ने इशारे से कहा- “नहीं काटूंगी…”

मैं फिर हाथ नार्मल अंदाज में कर लिया, लेकिन हाथ उनकी मोटी जांघ में ही रहने दिया। बाजी का एक हाथ अभी भी मेरे हाथ में था। मैं बाजी का हाथ दबाने लगा। बाजी ने मेरी तरफ देखा लेकिन बोली कुछ नहीं। थोड़ी देर ऐसा ही चलता रहा। फिर बाजी को मामी जोबिया ने आवाज लगाई तो बाजी उठकर चली गई। किचेन का काम था उनको।

मैं आगे जाकर बैठ गया मामू के पास। माम मुझसे बातें करने लग गये। मामी जोबिया और बाजी किचेन में थी। मामी रूबी चारपाई पे बैठी सब्जी काट रही थी। बातों में टाइम का पता ही नहीं चला और शाम का टाइम हो गया, हल्का-हल्का अंधेरा छाने लगा। मैं उठा और छत पे चला गया। बाँड्री वाल के साथ खड़ा बाहर का नजारा कर रहा था, दूर दूर तक खेत नजर आ रहे थे।

थोड़ी देर बाद मुझे आहट सुनाई दी सीदियों की तरफ से। जब देखा तो मामी जूबिया ऊपर आ रही थी। सीदियों के साथ दीवार बनी हुई थी, जिसमें सुराख थे जिनसे मुझे नजर आई। बायें तरफ सीटियां थी। सीढ़ियां चढ़कर दागी और से छत शुरू होती थी। पीछे दो रूम थे और आगे काफी खाली जगह थी, और बाँड्री वाल के आखीर पे बाथरूम बना हुवा था। छत की दीवारें इतनी ऊँची थी की मेरे सीने तक आ रही थी।

मामी ऊपर आई और पहले रूम में चली गई। मामी को देखकर मेरा दिल उथल-पुथल होने लगा। सुबह जबसे मैं आया था और जब भी मामी को अपने सामने देखता तो दिल तेजी से धड़कता था। ऐसे लगता था जैसे अभी मामी की फुद्दी मिल जायेगी मुझे। इस वक़्त भी यही हवा जब मामी ऊपर आई। जब रूम खुला तो देखा वहां दो पेंटियां और दो संदक पड़े हैं। kambikuttan

मामी ने मुझे आवाज लगाई और कहा- “इधर आओ बेटा, पेटी से बिस्तर निकाले…”

मैं अंदर गया। बल्ब रोशन था।

मामी ने कहा- “पेटी का ढक्कन पकड़कर रखना मैं बिस्तर निकालती है..”

मामी अच्छी खासी सेहतमंद थी। कद सामान्य था। मामी जूबिया पेंटी में झुक के बिस्तर निकाल रही थी। जब झुकती तो उनकी गाण्ड का नजारा बहुत अच्छा लगता मुझे। मेरा मुह मामी की गाण्ड की तरफ था। मामी थोड़ा पीछे हई बिस्तर निकालने के लिये तो उनके भारी चूतर मुझसे टकराए। लेकिन मेरा लण्ड सोया हवा था। मामी को कोई फर्क नहीं पड़ा। 5-7 सेकेंड तक उनके चूतड़ मुझसे लगे रहे। जब लण्ड सिर उठाने लगा तो वो आगे हो गई हई थी। बिस्तर निकालकर हम रूम से बाहर निकल आए।

मामी नीचे जाने लगी तो मैंने उनको आवाज दी और कहा- “मामी मेरे पास थोड़ी देर खड़े हो जाओ, मैं बोर हो रहा हूँ…
मामी मुश्कुराई और मेरे पास चली आई। बगल से हग करके मुझे चूमा और कहा- “ला बेटा मैं आ गई…”

छत पे अब अंधेरा काफी हो गया था। कोई दूसरा हमको सरसरी नजर से नहीं देख सकता था। मुझे मामी का बाया मम्मा अपने बाजू पं महसूस हो रहा था। मैंने कहा- “मामी आप बहुत अच्छी लगती हो मुझे…”

मामी ने कहा- “अहह…. मक्खन लगा रहे हो मुझे…”

मैंने कहा- “नहीं मामी, आप वाकई बहुत अच्छी हैं और प्यारी भी..’)

मामी मुश्कुराई और मुझे जोर में अपने साथ लगाया- “ओहह… मेरा मुन्ना मुझे इतना पसन्द करता है.”

मैंने ही में सिर हिलाया और मामी की तरफ मुड़ गया। अब हम आमने सामने थे। मैं आगे बढ़ा और मामी के चिकने गाल में किस कर दी और मामी की गर्दन में बाजू डाल लिए। इतने करीब होने से मुझं मामी के जिश्म की महक महसूस हो रही थी, जो सीधा मेरे लण्ड पे असर कर रही थी जो अब धीरे-धीरे सिर उठा रहा था।

मैंने पूछा- “मामी क्या पकाया है?”

मामी ने कहा- “बिरयानी बनाई है.”

मैंने कहा- “मामी सुबह आलू वाले पराठे पकाना, मुझे बहुत पसन्द हैं..”

मामी ने कहा- “ठीक है बेटा। पका दूंगी अपने सोने से पुत्तर के लिये..”

में मामी के और करीब हो गया और उनको झप्पी डाल ली। मेरे हाथ अब उनकी कमर पे थे। मैंने कहा- “मामी आप माटी हो गई हो पहले से.”

मामी बोली- “हाँ पत्तर, उमर के साथ-साथ अब यही होगा..”

मैंने कहा- “मामी आप तो अब भी जवान लगती हो। मुझे तो लड़कियों से ज्यादा आप खूबसूरत लग रही हो..”

मामी मुश्कुराई और कहा- “तुमको तो अच्छी लगेगी ही। आखीरकार तुम्हारी प्यारी सी मामी हूँ..’

हम दोनों हस दिए।

मामी ने कहा- “पुत्तर अब चलते हैं, काफी टाइम हो गया है.”

मैंने कहा- “मामी जाते हैं बस 5 मिनट और..

मामी ने कहा- “5 मिनट से क्या हो जायेगा?”

में आगे हवा और उनका किस की और कहा- “ये होगा..”

कहकर मैंने 3-4 और किस कर दी उनको। नीचे से लण्ड को आगे किया जो सीधा उनकी फुद्दी के ऊपर लगा। मामी की टाँग खुली हुई थी। मैंने थोड़ा अडजस्ट करके लण्ड को उनकी जांघों में डाला तो मामी एक बार हिल गई। लेकिन मुझे कुछ कहा नहीं, और मुझे अजीब नजरों से देखने लगी। मैं अंदर से घबरा भी रहा था। इसी घबराहट में मैंने लण्ड को पीछे कर लिया।
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