अपडेट ४१:
‘भैया मेरे….राखी के बंधन को निभानाssss…., भैया मेरे….छोटी बहन को न भुलानाssss……., देखो ये वादा निभाना, निभानाsssss…..भैया मेरे….राखी के बंधन को निभानाssss……!!’
सुबह के ८ बज रहे थे. ये सुबह भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और प्यार की, मतलब रक्षाबंधन की थी. आस-पास के घरों से रक्षाबंधन के गीत की मधुर आवाज़ यहाँ तक आ रही थी. ऊपर वाले बड़े से बेडरूम में सारी बहने तैयार हो रही थी. उर्मिला, पायल और खुशबू ने रक्षाबंधन के लिए जो कपडे लिए थे वो बिस्तर पर रखे हुए थे. वहीँ पास बैठी कम्मो एक-एक हाथ में दो अलग-अलग कपडे लिए कुछ सोच रही थी. कुछ देर सोचने के बाद वो उर्मिला के पास दोंनो कपड़ो को ले कर पहुँच जाती है.
कम्मो: भाभी…!! मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है. आप बताइए ना मैं कौनसी ड्रेस पहनू?
उर्मिला: (आईने में देखकर बाल बनाते हुए) अपने लिए खुद ही पसंद की थी तो अब इतना क्या सोच रही है?
कम्मो: पता नहीं भाभी. एक बार आप देखिये ना….
उर्मिला: (उसकी तरफ घूमकर) अच्छा ला, दिखा कौनसे कपडे है.
उर्मिला कम्मो के हाथों से कपड़ों को लेती है और ध्यान से देखने लगती है. कुछ देर गौर से देखने के बाद कहती है.
उर्मिला: तू आज ये कपडे पहनेगी?
कम्मो: (बड़ी-बड़ी आँखों से) हाँ भाभी…क्या हुआ?
उर्मिला: (आँखे ऊपर चडाकर लम्बी सांस छोड़ते हुए) तू भी ना कम्मो…!! रक्षाबंधन के दिन बहने क्या ऐसे कपडे पहना करती है?
कम्मो: हाँ भाभी. मैं तो रक्षाबंधन के दिन ऐसे ही कपडे पहनती हूँ.
उर्मिला: वो इसलिए कम्मो क्यूंकि तू रक्षाबंधन अपने घर में सबके सामने मनाती है. यहाँ पर घर का कोई भी नहीं है. सिर्फ हम चार बहने और हमारे भाई हैं. यहाँ पर ऐसे कपडे नहीं चलेंगे.
कम्मो: (आश्चर्य से) वो क्यूँ भाभी?
उर्मिला: अब तुझे समझाने के वक़्त नहीं है मेरे पास. (खुशबू की तरफ घूमकर) खुशबू….!!
खुशबू: जी भाभी…?
उर्मिला: तेरे पास कम्मो महारानी के लिए कोई अच्छी सी डीप कट और बिना बाहं वाली चोली है?
खुशबू: (मुस्कुराते हुए) हाँ भाभी, है ना. बैकलेस वाली चलेगी ना?
उर्मिला: (खुश होते हुए) दौड़ेगी खुशबू रानी…ला दे मुझे….!
खुशबू अपने बैग से एक चोली निकालकर उर्मिला को देती है. उर्मिला उस चोली को देखकर खुश हो जाती है और फिर कम्मो को देते हुए कहती है.
उर्मिला: ये ले…ये पहन…
कम्मो: पर भाभी….ये…? ऐसे कपडे तो मैं कभी रक्षाबंधन के दिन नहीं पहनती हूँ.
खुशबू: (हँसते हुए) अरे पहन ले कम्मो. कम से कम तुझे ये तो पहनने मिल रहा है, अगर अभी मैं भैया के साथ अपने घर पर होती तो शायद कुछ भी नहीं पहनने मिलता मुझे.
खुसबू की इस बात पर सभी जोर-जोर से हंसने लगते है. उर्मिला कम्मो के सर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहती है…
उर्मिला: पहन ले कम्मो….! वैसे भी बाद में तो सब उतरने ही वाला है.
इस बात पर तो सभी लडकियां खिलखिला कर हँसने लगती है. फिर सभी अपने-अपने कपडे पहनने लगती है तो उर्मिला उन्हें याद दिलाती है.
उर्मिला: याद हैं न सबको? ब्रा और पैन्टी कोई नहीं पहनेगा…..
पायल, खुशबू और कम्मो एक दुसरे की तरफ देखकर मुस्कुरा देती है और फिर एक साथ जवाब देती है, “हाँ भाभी…याद है…!!”
सभी बहने लहंगा और चोली पहन लेती है जो उन्होंने बाज़ार में पसंद किया था. शुक्र था की खुशबू की दी हुई चोली कम्मो को बिलकुल फिट आई थी और क्यूँ न आती. दोनों की चुचियाँ जो एक जैसी बड़ी-बड़ी थी. उर्मिला की नज़र पायल पर पड़ती है. उसकी चोली का डिजाईन और बनावट देखकर उर्मिला का मन प्रसन्न हो जाता है. वो पायल के पास जाती है और उसके सर पर हाथ रखते हुए कहती है.
उर्मिला: बहुत प्यारी लग रही है तू पायल. तेरी चोली तो कयामत ढा देगी. आज तो सोनू की खैर नहीं.
पायल: (शर्माते हुए) थैंक यू भाभी…!!
तभी खुशबू भी वहां आ जाती है और उर्मिला की चोली देखकर ताना मारते हुए कहती है.
खुशबू: पायल की चोली तो क़यामत ढा ही देगी भाभी, पर आज आपको क्या हुआ है?
उर्मिला: (मुहँ बनाते हुए) मुझे..? मुझे कुछ क्यूँ होने लगा..?
खुशबू: ये आपकी चोली बार-बार फिसली क्यूँ जा रही है भाभी?
उर्मिला: (शर्माकर अपनी चोली ठीक करते हुए) कहाँ फिसल रही है? कुछ भी बोलती है तू….
खुशबू की बात सुनकर अब पायल भी मैदान में कूद पड़ती है. उर्मिला भाभी को छेड़ने का उसके लिए ये अच्छा मौका था.
पायल: ओये-होय भाभी…!! आपके गालों पर ये लाली कैसी? (उर्मिला की चोली की डोर पकड़ते हुए) और ये तो देखो जरा…इतने भारी दूध का बोझ इस छोटी सी चोली पर और सबका बोझ इस अकेली पतली सी डोर पर. कहीं राजू भैया ने डोर की गाँठ छु भी दी तो चोली एक ही झटके में ज़मीन पर होगी.पायल की बात सुनकर खुशबू, कम्मो और पायल हंसने लगती है. अब तो उर्मिला के गालो की लाली का रंग और भी गहरा हो जाता है. गालो का ऐसा लाल रंग तो शायद उसकी सुहागरात में भी नहीं हुआ होगा. शर्माकर उर्मिला अपना चेहरा दोनों हाथो से छुपा लेती है. वो उर्मिला जो सबके सामने नेतागिरी करते फिरती थी, आज शर्म से लाल हुए जा रही थी. रक्षाबंधन का दिन और अपने छोटे भाई से डेढ़ साल बाद मिलना उर्मिला को अपनी जवानी के दिनों में फिर एक बार ले आया था. उर्मिला हाथ हटाती है और चेहरे पर शर्म और हलकी सी मुस्कान लिए कहती है.
उर्मिला: तुम सब मिलकर मुझे छेड़ रहे हो ना? भगवान करे आज तुम्हारे भाई तुम्हे पटक-पटक कर चोदे.
खुशबू: आप तो हमे बद्दुआ देते-देते दुआ दे गई भाभी…..! (सभी हंसने लगती है)
पायल: और यही दुआ भाभी भगवान से अपने लिए रात भर मांग रही थी.
सभी फिर से हंसने लगती है. उर्मिला भी शर्मा कर हँसती है फिर अपने आप पर काबू पाते हुए कहती है.
उर्मिला: अच्छा चलो, बहुत हो गया हंसी-मजाक. अब जल्दी से तैयारी करो.
सभी लडकियां अपने-अपने काम में लग जाती है. यहाँ बहने तैयारी में लगी थी वहाँ सभी भाई धोती और कुरता पहन कर ड्राइंग रूम में आ चुके थे. सभी सोफे पर बैठ जाते है. राजू घड़ी की और देखता है.
राजू: बड़ी देर लगा दी इन लोगो ने.
सोनू: हाँ राजू भैया. लडकियां तो तैयार होने में देर लगाती ही है ना.
छेदी: अब आज के दिन इतना भी क्या तैयार होना? कुछ देर बाद तो सब कुछ उतरना ही है.
छेदी की बात पर सभी लड़के हँसने लगते है.
राजू: गोलू और सोनू का तो घर से बाहर ऐसा पहला रक्षाबंधन होगा ना?
सोनू: हाँ भैया. अब तक तो घर में ही दीदी के साथ रक्षाबंधन मनाया है.
गोलू: हाँ भैया, मैंने भी.
छेदी: अरे सूखे रक्षाबंधन में क्या मजा है भाई. असली मजा तो तब है जब भाई-बहन रक्षाबंधन के दिन घरवालों की नज़रों से बच के अकेले में रक्षाबंधन मनाये.
राजू: ये बात आपने बिलकुल ठीक कही है छेदी भैया. रक्षाबंधन के दिन जब बहने सज-धज कर भाइयों के सामने आती है तो उनकी जवानी पुरे जोश में होती है.
गोलू: सच छेदी भैया?
छेदी: और नहीं तो क्या. रक्षाबंधन के दिन जितनी गर्मी भाइयों के लंड में नहीं होती है उस से ज्यादा गर्मी बहनों की बूर में होती है. बहनों का बस चले तो रक्षाबंधन के दिन नंगी ही हाथ में राखी की थाल लिए भाइयों के सामने आ जाये.
सोनू: राजू भैया…! आपने तो उर्मिला भाभी के साथ ऐसा रक्षाबंधन बहुत बार मनाया होगा ना?
राजू: बहुत बार मनाया है. पर जब से दीदी की शादी हुई है तब से रक्षाबंधन के दिन दीदी को याद करके दिन भर हिलाता ही रहता था. सुबह से शाम तक न जाने कितनी बार दीदी की याद में पानी निकाल देता था.
सोनू: राजू भैया…! उर्मिला भाभी भी रक्षाबंधन के दिन पूरे जोश में रहती थी क्या?
राजू: अरे पूछ मत सोनू. रक्षाबंधन के दिन उर्मिला दीदी तो पागल हो जाती थी. एक बार माँ और बाबूजी घर पर ही थे. दीदी राखी बाँधने के बहाने मुझे अपने कमरे में ले गई. पीछे-पीछे माँ भी आ गई. दीदी ने किसी बहाने से माँ को कुछ लाने भेजा और माँ के जाते ही मेरा लंड मुहँ में भर लिया. दीदी इतने जोश में थी की लग रहा था मेरा लंड खा ही जाएगी. माँ आ रही थी और उर्मिला दीदी थी की मेरा लंड अपने मुहँ में भरे जा रही थी. मैं दीदी को मन कर रहा था और उन्हें अलग करने की कोशिश कर रहा था पर दीदी इतने जोश में थी की मेरा लंड मुहँ से निकाल हे नहीं रही थी. वो तो मैंने एन वक़्त पर दीदी कर सर पकड़ कर अलग कर दिया वरना उस दिन तो हम पकडे ही जाते.
गोलू: तो राजू भैया उस दिन आप उर्मिला भाभी की चुदाई नहीं कर पाए?
राजू: उर्मिला दीदी बिना चुदवाये मानने वाली थी क्या? अपनी सहेली के घर जाने के बहाने मुझे पास के जंगल में ले गई और नंगी हो कर करीब २ घंटे ‘भैया, भैया’ चिल्लाते हुए अच्छे से चुदी तब जा कर दीदी को ठंडक पहुंची.
छेदी: ये बात तो बिलकुल सच है की रक्षाबंधन के दिन बहने भाइयों के लंड के लिए पगला जाती है. जब तक बहने अपने भाइयों से पटक-पटक के ‘भैया-भैया’ चिल्लाते हुए अच्छे से चुदवा नहीं लेती, उनका रक्षाबंधन पूरा नहीं होता.
ये सारी बातें करते हुए भाइयों के लंड धोती में तन्ना गए थे. सोनू और गोलू तो २-३ बार धोती पर से अपने लंड को मसल भी चुके थे. बातों का दौर चल रहा था की अचानक सभी को क़दमों की आहट सुनाई देती है. सभी भाई एक साथ सीढ़ी की ओर देखते है तो उनकी नज़र बहनों पर पड़ती है जो सज-धज कर, हाथ में पूजा की थाल लिए, मुस्कुराते हुए धीरे-धीरे सीढ़ियों से उतर रही थी. सभी अपनी-अपनी बहनों को देखकर भोंचक्के रह जाते है. सभी बहने घागरा और बिना बाहं वाली चोली में क़यामत ढा रही थी.
राजू गौर से उर्मिला को देखता है जो सबसे आगे थी. गोरे बदन पर पीले रंग की घागरा-चोली खिल के दिख रही थी. बड़े-बड़े दूध पर कसी हुई छोटी सी चोली जो एक पतली सी डोर के सहारे पीठ पर बंधी हुई थी. चोली का गला इतना गहरा था की उर्मिला के दूधों के बीच के गहराई साफ़ दिखाई दे रही थी. घगरा कमर के थोडा निचे बंधा होने से उर्मिला की गहरी नाभि भी साफ़ दिख रही थी. आँखों में काजल, माथे पर सोने का टीका, कानो में सोने का झुमका और गले में सोने का हार उर्मिला की सुन्दरता पर चार चाँद लगा रहे थे. सीढ़ियों से उतारते हुए उर्मिला ने जब अपने लाल लिपस्टिक वाले ओंठों को दांतों तले दबा दिया तो राजू की ‘आह्ह्ह..!!’ निकल गई.
सोनू भी पायल को मंत्रमुग्ध होकर देखे जा रहा था जो उर्मिला के पीछे सीढ़ियों से उतर रही थी. पायल ने लाल रंग का घागरा-चोली पहन रखा था. बिना बाहं वाली चोली पायल के बड़े-बड़े दूध पर कसी हुई थी और चोली के दोनों बड़े-बड़े कटोरे पतली सी डोर से पीठ पर बंधे हुए थे. चोली का निचला हिस्सा भी एक डोर से पीठ पर कसा हुआ था. बिना ब्रा की चोली पहने पायल जैसे एक कदम सीढ़ी पर निचे रखती, चोली में बंधे उसके दूध उच्छल जाते. दूध जैसे ही उच्छल कर निचे आते, चोली के गहरे गले से दूध के बीच के गहराई साफ़ दिख जाती. अपनी दीदी का ये रूप देखकर सोनू का लंड धोती में झटके खाने लगा था.
पायल के पीछे खुशबू चली आ रही थी. खुशबू को देखकर छेदी के मुहँ से पानी टपकने लगा था. हरे रंग का घागरा-चोली पहने खुशबू चली आ रही थी. गहरे गले की बिना बाहं वाली बेकलेस चोली क़यामत ढा रही थी. खुशबू अपने भैया की कमजोरी अच्छे से जानती थी. जैसे ही उसकी नज़र छेदी पर पड़ी वो एक हाथ से घागरा संभालने का नाटक करते हुए आगे झुक गई. बड़े-बड़े दूध के बीच के गहराई पर जैसे ही छेदी की नज़र पड़ी, उसने धोती पर से अपना लंड मसल दिया.
कम्मो अपनी ही मस्ती में सबसे पीछे चली आ रही थी. गुलाबी रंग के घागरा-चोली में कम्मो किसी अप्सरा की तरह दिख रही थी. उसकी चोली भी खुशबू की तरह गहरे गले, बिना बाहं वाली और बेकलेस थी. कम्मो के बड़े-बड़े दूध बिना ब्रा के चोली में किसी तरह समां रहे थे. मस्ती में सीढ़ियों से उतरती कम्मो के हर कदम पर उसके दूध उच्छलते हुए दाँये-बाँये हो रहे थे जिसे देखकर गोलू भी उच्छल पड़ा.
धीरे-धीरे मुस्कुराते हुए सारी बहने निचे आ जाती है. हाथ में पूजा की थाल लिए, चुतड हिलाती हुई सभी बहने भाइयों के पास आने लगती है. छेदी की नज़र खुशबू की हिलती हुई चौड़ी चुतड पर पड़ती है तो वो उसे छेड़ते हुए गाना गाने लगता है.
छेदी: (खुशबू की हिलती हुई चुतड देखते हुए) तौबा ये मतवाली चाल, झुक जाए फूलों की डाल…..
छेदी को गाता देख राजू, सोनू और गोलू भी अपनी-अपनी बहनों की चूतड़ों को देखते हुए छेदी के साथ गाने लगते है.
सभी भाई एक साथ : तौबा ये मतवाली चाल, झुक जाए फूलों की डाल…..चाँद और सूरज आकर माँगें तुझसे रँग-ए-जमाल….हसीना ! तेरी मिसालssssss कहाँsssss…!
भाइयों को चूतड़ों को घूरते हुए गाता देख, सभी बहने भी मस्ती में अपनी चूतड़ों को झटका देते हुए हिलाकर चलने लगती है. सारे भाई एक लम्बे से सोफे पर एक-साथ बैठे हुए थे. बहने चलते हुए उनके सामने थोड़ी दूर पर जा कर खड़ी हो जाती है. एक नजर अपने-अपने भाइयों को देखकर सभी एक दुसरे की तरफ देखकर मुस्कुरा देती है. सभी बहनों का आपस में आँखों ही आँखों में इशारा होता है. एक हाथ से सभी पूजा की थाल उठाये अपने भाइयों को देखते हुए, कमर हिलाते हुए एक साथ रक्षाबंधन का गीत गाने लगती है.