Incest घरेलू चुते और मोटे लंड – Part 3 – Pure Taboo

तीनो फिर से खिलखिलाकर हंसने लगते है. गोलू जो चुपचाप सब सुन रहा था बोल पड़ता है.

गोलू: वो तो ठीक है भाभी. पर जब सांड अपने मोटे सिंग लिए दौड़कर आता है तो लाल कपडे को फाड़ देता है और फिर अपना मोटा सिंग अन्दर भी घुसा देता है.

गोलू की इस बात पर सोनू जोर-जोर से हंसने लगता है. सोनू को हँसता देख गोलू को भी हंसी आ जाती है. उर्मिला, पायल और कम्मो का मुहँ उतर जाता है. पायल अपनी स्कर्ट ठीक करती है और एक चपात गोलू के कंधे पर मारते हुए कहती है.

पायल: चुप कर गोलू….!! बड़ा आया सोनू की तरफदारी करने वाला. कम्मो भी अपने सांड को सफ़ेद कपडा दिखाने वाली थी पर अब कुछ नहीं देखने मिलेगा.

पायल की बात सुनकर गोलू का मुहँ उतर जाता है. वो पीछे घूमकर धीरे से कहता है.

गोलू: अरे वो तो मैं ऐसे ही बोल गया था पायल दीदी. मुझे माफ़ कर दो. (कम्मो की तरफ देखकर) कम्मो दीदी, एक बार दिखा दो ना सफ़ेद कपडा.
कम्मो: तू बहुत बोलता है ना. अब कुछ नहीं देखने को मिलेगा.

गोलू का मुहँ पूरा उतर जाता है और वो आगे देखने लगता है. गोलू की हालत देखकर तीनो फिर से हंसने लगती है. हंसी मज़ाक करते हुए गाड़ी अपनी मंजिल तक पहुँच जाती है. उर्मिला के भाई का बड़ा सा फार्महाउस था जो शहर से दूर था. गाड़ी फार्महाउस में आ कर रूकती है. सभी सामान ले कर निचे उतारते है. फार्महाउस ऊँची दीवार से घीरा हुआ था. आसपास बड़े-बड़े पेड़ थे और जगह काफी सुनसान और हरिभरी थी.

उर्मिला दरवाज़े की घंटी बजाती है तो कोई दरवाज़ा खोलता है. “अरे दीदी, आ गए आप लोग…!!”

पायल और सोनू उस आदमी को देखते है तो उनके होश उड़ जाते है.

पायल: भाभी…!! ये…ये तो आपके सगे भाई राजू भैया है….!
उर्मिला: (हँसते हुए) हाँ पायल, ये मेरा छोटा भाई राजू है.
पायल: पर आपने तो कहा था की वो …जिसके साथ आप रक्षाबंधन में….वो…वो आपका चचेरा भाई था.
उर्मिला: (हँसते हुए) मेरा कोई चचेरा भाई नहीं है. मेरा एक ही भाई है और वो ये है, राजू. कभी-कभी कुछ पत्ते आखरी चाल के लिए छुपा कर रखने पड़ते है.
पायल: (हँसते हुए) आप बड़ी वो हो भाभी…

राजू: अरे आप लोग बाहर ही रहोगे या अन्दर भी आओगे.

सभी अन्दर चले जाते है. फार्महाउस काफी विशाल था जिसमे कई कमरे थे. सभी सामान एक तरफ रख कर हॉल में सोफे पर बैठ जाते है. उर्मिला राजू के पास जाती है.

उर्मिला: इसे तो सभी पहचान ही गए होगे? ये मेरा छोटा भाई है, राजू.
सोनू: हाँ भाभी याद है. आपकी शादी में ही तो मुलाकात हुई थी राजू भैया से.
उर्मिला: हाँ. हम दोनों हर रक्षाबंधन में साथ रहे है. शादी के बाद पिछले रक्षाबंधन में हमने एक दुसरे को बहुत मिस किया था. इस बार हम दोनों फिर से साथ है.

उर्मिला और राजू एक दुसरे को आहें भरते देखने लगते है. कुछ हे क्षण बाद पायल जोर से खांस देती है. पायल की खांसी सुनकर उर्मिला और राजू चौकन्ने हो जाते है.

पायल: लगता है दो बिछड़े भाई-बहन का प्यार उमड़ रहा है.
उर्मिला: क्यूँ? इसमें बुराई ही क्या है? दो भाई-बहन जब सालो बाद मिलते है तो भावुक तो होते ही हैं.
सोनू: हाँ भाभी. और दिल में कई अरमान भी तो होते है ना.
उर्मिला: हाँ हाँ, तू तो रहने ही दे सोनू. तेरे दिल के अरमान मैं अच्छी तरह से जानती हूँ.

उर्मिला की इस बात पर सभी लोग हँस पड़ते है. तभी उन्हें किसी गाड़ी की आवाज़ सुनाई पड़ती है. खिड़की से देखने पर उन्हें छेदी और खुशबू गाड़ी में बैठे दिखाई पड़ते है. उर्मिला दरवाज़ा खोलती है तो दोनों भी अन्दर आ जाते है. उर्मिला दोनों का परिचय राजू से करवाती है. सभी हाल में बैठकर हंसी मजाक करने लगते है. उर्मिला, पायल, कम्मो और खुशबू की आपस में खूब जमने लगती है. दूसरी तरफ राजू, सोनू, गोलू और छेदी भी अच्छी तरह से घुल-मिल जाते है जैसे पुराने यार हों. कुछ ही देर में वहाँ दो गुट बन जाते है. एक गुट – उर्मिला, पायल, कम्मो और खुशबू – यानी बहनों का और दूसरा गुट – राजू, सोनू, गोलू और छेदी – यानी भाइयों का. हंसी मजाक करते हुए ६ बज जाते है.

उर्मिला: अच्छा अब बहुत हंसी मज़ाक हुआ. अब हमे मार्किट जाना है.
सोनू: (उठते हुए) हाँ चलिए भाभी. मैं गाड़ी निकालता हूँ.
उर्मिला: (सोनू को रोकते हुए) आप कहाँ चल दिय सोनू जी? आप बैठिये अपने भाइयों वाले गुट में. ये काम हम बहनों का है.
राजू: क्या हुआ उर्मिला दीदी? कहाँ जा रही है ये बहनों की टोली.
उर्मिला: (अकड़ते हुए) ये बहनों की टोली रक्षाबंधन की शौपिंग करने जा रही है. वहां तुम भाइयों का कोई काम नहीं. ओके गर्ल्स…फॉलो में…!!उर्मिला जान बुझकर मुहँ बनाये, राजू के सामने अपने दूध उठाकर इठलाते हुए जाने लगती है. उसके पीछे सभी लड़कियां अपना सीना उठाये, अपने-अपने भाई को देखकर मुहँ बनाते हुए चल देती है. सोफे पर बैठे सभी भाई अपनी-अपनी बहनों के टॉप में उठे हुए दूध देखकर लंड मसल देते है. उनके जाते ही सभी एक दुसरे को देखकर हँस पड़ते है. रक्षाबंधन कल था पर उस पर रंग अभी से चड़ने लगा था. सारे भाई जानते थे की ये रक्षाबंधन बड़ा ही रंगीला, रसीला और धमाकेदार होने वाला है.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )ऑटो में बैठकर उर्मिला, पायल, कम्मो और खुशबू एक छोटे से बाज़ार में पहुँच जाते है जहाँ छोटी-छोटी दुकानों में बहुत सी औरतें और लडकियां अपने भाइयों के लिए राखी खरीद रहीं थी. ऑटो से उतरकर सभी एक दूकान के पास पहुँच जातीं है. दूकान में बहुत सी रंग-बिरंगी, बड़ी-छोटी राखियाँ और रेशमी धागे लटक रहे थे. सभी एक नज़र आस-पास डालते है तो लडकियां अपने हाथ में राखी ले कर देख रही थी और उनके चेहरे पर हलकी मुस्कान भी थी. उनकी मुस्कान के पीछे का रहस्य समझते ही उर्मिला, पायल और खुशबू एक दुसरे की ओर देखकर मुस्कुरा देती है. कम्मो उनके चेहरे की मुस्कान को देखकर समझने का प्रयत्न करती है पर कुछ समझ नहीं पाती है.

उर्मिला: अच्छा चलो, अब अपने-अपने भाइयों के लिए सभी राखी और रेशमी धागे पसंद कर लो.

सभी राखी और रेशमी धागे देखने में व्यस्थ हो जाते हैं. कम्मो दूकान में टंगी राखियाँ और धागे देखते हुए आस-पास भी नज़र दौड़ा रही थी. तभी उसकी नज़र कुछ दूर खड़ी एक २०-२१ साल की लड़की पर पड़ती है जो किसी १८-१९ साल के लड़के के साथ खड़ी थी और राखियाँ देख रही थी. वो लड़का देखने में उसका छोटा भाई लग रहा था. कम्मो गौर से देखती है तो वो लड़की एक बड़ी सी राखी उठाती है, कुछ सोचती है और फिर दुकानदार से उसका दाम पूछती है. कम्मो उस बड़ी सी राखी को देखती है और जोर-जोर से हँसने लगती है. साथ खड़ी उर्मिला, पायल और खुशबू जब उसे इस तरह से हँसते हुए देखती है तो वो सभी हैरान हो जाती है.

उर्मिला: क्या हुआ री कम्मो? ऐसे क्यूँ हँस रही है?
कम्मो: (अपनी हँसी पर काबू पाते हुए, धीरे से) भाभी, वो पास वाली लड़की को देख रहे हो? वही जो पीले रंग की सलवार में है.
उर्मिला: (देखते हुए) हाँ देख रही हूँ. तो क्या हुआ?
कम्मो: भाभी वो पतला सा लड़का जो उसके साथ खड़ा है वो शायद उसका भाई है.
उर्मिला: हाँ तो होगा उसका भाई. तुझे क्या हुआ?
कम्मो: भाभी, उस लड़की ने अपने भाई के लिए देखिये कितनी बड़ी राखी ली है, और उसके भाई की कलाई देखिये कितनी पतली है.

ये कहकर कम्मो फिर से अपने मुहँ पर हाथ रखे जोर-जोर से हँसने लगती है. उसकी बात सुनकर उर्मिला, पायल और खुशबू एक दुसरे की तरफ देखकर धीरे से मुस्कुरा देते है. उर्मिला कम्मो के कान में धीरे से कहती है.

उर्मिला: (धीमी आवाज़ में) तुझे कैसे पता की वो लड़की उस बड़ी राखी को अपने भाई की पतली कलाई में ही बाँधेगी?
कम्मो: (हँसना बंद कर देती है और आश्चर्य के साथ उर्मिला को देखते हुए) राखी भाई की कलाई पर नहीं तो और कहाँ बाँधते है भाभी?
उर्मिला: होती है कुछ बहने तेरे जैसे बेवकूफ जो रक्षाबंधन जैसे भाई-बहन के पवित्र त्यौहार पर राखी भाइयों की कलाई पर बाँधती है.
कम्मो: (आँखे और भी ज्यादा बड़ी करते हुए) तो फिर राखी कहाँ बाँधनी चाहिए भाभी?
उर्मिला: (धीरे से कम्मो के कान में) भाइयों के लंड पर….!!

उर्मिला की बात सुनकर कम्मो सट्टे में आ जाती है. हालाकीं वो कई सालों से गोलू के साथ रक्षाबंधन का त्यौहार मना रही थी पर लंड पर राखी बाँधना ये वो पहली बार सुन रही थी.

कम्मो: (धीमी आवाज़ में) ये आप क्या कह रहे हो भाभी? भाई के लंड पर भला कोई बहन राखी बाँधती है क्या?
उर्मिला: (धीरे से कम्मो के कान में) क्यूँ? जब बहन दो भाइयों का लंड अपनी बूर और गांड में एक साथ ले सकती है तो लंड पर राखी बाँधने में क्या हर्ज़ है?

उर्मिला की बात सुनकर कम्मो शर्मा जाती है. कम्मो को शर्माता देख सभी हँस पड़ते है.

उर्मिला: चल अब जल्दी से गोलू के मोटे लंड को याद कर और एक अच्छी सी राखी देख.

सभी अपने-अपने भाइयों के लिए राखी और रेशम की डोर खरीद लेते है. दूकान वाले को पैसे दे कर सभी थोडा आगे जाते है. उर्मिला उन्हें एक रेडीमेड कपड़ो की दूकान में ले जाती है. उर्मिला ने पहले से ही सब कुछ सोच रखा था. अपने प्लान के मुताबीक सभी कपडे खरीद लेते है. दूकान से निकलकर सभी कुल्फी लेते है और पास ही एक पेड़ की छाओं में बैठ जाते है. सभी आपस में बातें करने लगती है

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