वहाँ स्टेशन पर उर्मिला की बात सुनकर छेदी और खुशबू दोनों गरमा चुके थे. उर्मिला की ‘स्पेशल’ रक्षाबंधन वाली बात ने दोनों के अन्दर आग सी लगा दी थी. स्टेशन के एक कोने में दोनों खड़े थे. छेदी खुशबू के बदन को गन्दी नजरो से ऊपर से निचे घूरे जा रहा था. खुशबू छेदी की गन्दी नज़रों को पहचान जाती है और धीरे से कहती है.
खुशबू: ऐसे मत देखिये भैया. मैं अच्छे से जानती हूँ की आप जब भी मुझे इस तरफ से घूरते हो, आपके मन में कोई गन्दी बात ही होती है.
छेदी: उफ़ खुशबू…!! दिल कर रहा है अभी तेरी जवानी लूट लूँ.
खुशबू: छी भैया. आप तो हमेशा मेरी जवानी लूटने के चक्कर में रहते हो. स्टेशन भी कोई जगह है भला अपनी बहन की जवानी लुटने की?
छेदी: आजकल तो भाई जहाँ मौका मिले अपनी बहनों की जवानी लूट लेते है, ये तो छोटा सा स्टेशन है जहाँ भीड़ न के बराबर है.
खुशबू: नहीं भैया. यहाँ नहीं. एक बार घर पहुँच जाएँ फिर जो दिल करे कर लीजियेगा.
छेदी: खुशबू. एक काम कर. वो पास वाले टॉयलेट में जा और अपनी ब्रा और पैन्टी उतार के आ. तेरे टॉप और इस घुटनों तक लम्बी स्कर्ट में किसी को पता भी नहीं चलेगा की तुने अन्दर कुछ नहीं पहना है.
खुशबू: नहीं भैया. थोडा सब्र कर लीजिये ना. एक बार घर…..
छेदी: (खुशबू की बात काटते हुए) जिद मत कर खुशबू. मेरी बात नहीं मानेगी तो सबके सामने तेरी चुचियाँ दबा दूंगा.
मुहँ बनाकर खुशबू चुपचाप टॉयलेट की तरफ जाने लगती है. उसके चेहरे पर हलकी सी मुस्कान भी थी. असल में वो भी वही चाहती थी जो छेदी के दिल में था. पर बहन बिना नखरे किये अपने भाई को बूर कहाँ देती है. ५ मिनट के बाद खुशबू टॉयलेट से बाहर निकलती है. ब्रा और पैन्टी उतारके उसने अपने हैंडबैग में डाल लिया था. वो धीरे-धीरे चलते हुए छेदी के पास आती है. छेदी की नज़र उसकी टॉप पर पड़ती है. बिना ब्रा के उसके बड़े-बड़े मोटे दूध उभर के दिख रहे थे.
छेदी: उफ़.. खुशबू. दिल कर रहा है तेरी टॉप में हाथ डाल कर तेरे मोटे दूध दबा दूँ.
खुशबू: धत्त भैया. आपकी नज़र हमेशा मेरे दूध पर ही रहती है.
छेदी: तेरे दूध हैं ही इतने बड़े और मुलायम की मेरा दिल ही नहीं भरता खुशबू.
छेदी की नज़र अब खुशबू की चूतड़ों पर जाती है जो स्कर्ट के अन्दर, बिना पैन्टी के दो बड़े गोल तरबूजों की तरह उठी हुई दिख रही थी. छेदी ने एक नज़र यहाँ-वहाँ दौडाई और झट से अपना हाथ स्कर्ट के निचे से घुसा दिया. हाथ अन्दर डालकर छेदी खुशबू की गोल-मटोल चूतड़ों को दबोच लेता है.
खुशबू: ये क्या कर रहे हो भैया? छोड़िये न. कोई देख लेगा.
छेदी: यहाँ कोई नहीं देख रहा है खुशबू. जरा तेरी चूतड़ों का मजा तो लेने दे.
छेदी खुशबू की चूतड़ों को अच्छे से दबाता और मसलता है. फिर अपने पंजे से उसकी फूली हुई बालोंवाली बूर को दबोच लेता है. खुशबू कसमसा जाती है.
खुशबू: सीईई…! छोड़िये ना भैया. आप बहुत गंदे हो.
तभी सिटी बजाती हुई ट्रेन प्लेटफार्म में दाखिल होती है. ट्रेन के आते ही प्लेटफार्म में थोड़ी हलचल होने लगती है. छेदी और खुशबू भी जल्दी से अपनी बोगी की तलाश में दौड़ पड़ते है. ट्रेन रूकती है तो खुशबू जल्दी से डब्बे में प्रवेश कर जाती है और उसके पीछे छेदी भी चढ़ जाता है. डिब्बे में अँधेरा था और ज्यादातर लोग खा-पीकर सो रहे थे. दोनों अपना बर्थ ढूंढते हुए आगे बढ़ते है.दोनों एक कम्पार्टमेंट में आते जहाँ एक बत्ती जल रही थी जिसकी हलकी सी रौशनी से थोडा उजाला था.
खुशबू: भैया ये रहा हमारा कम्पार्टमेंट. आपका ऊपर वाला बर्थ है और मेरा सबसे निचे वाला.
छेदी ऊपर वाले बर्थ में अपना बैग रखता है. खुशबू के बर्थ में कोई आदमी चादर ताने सो रहा था. खुशबू जैसे ही उसे उठाने के लिए आगे बढती है, छेदी उसका हाथ पकड़ के रोक लेता है.
छेदी: सोने दे खुशबू. सोते हुए को नहीं जगाते.
खुशबू: भैया वो मेरी बर्थ पर सो रहा है. उसे नहीं उठाउंगी तो मैं भला कहाँ सोउंगी?
छेदी: (धीमी आवाज़ में) तू मेरे साथ ऊपर वाले बर्थ में सो जा.
खुशबू छेदी का इरादा समझ जाती है. उसके दिल में भी लड्डू फूटने लगते है पर वो नखरा दिखाते हुए कहती है.
खुशबू: (धीरे से) नहीं भैया. मैं आपके साथ ऊपर नहीं सोउंगी.
छेदी: (धीरे से) नखरे मत कर खुशबू. देख तेरे भैया का क्या हाल हो गया है.
छेदी खुशबू का हाथ पाकर कर पैंट के ऊपर से अपने लोहे जैसे सक्त लंड पर रख देता है. खुशबू अपने भैया के हथियार को पकड़ते ही मस्त हो जाती है.
खुशबू: उफ़ भैया..! ये तो पूरा तैयार है.
छेदी: हाँ खुशबू. चल, जल्दी से ऊपर चढ़ जा.
खुशबू बर्थ पर चड़ने के लिए एक पैर रॉड पर रखती है और दूसरा पैर ऊपर वाले रॉड पर. फिर जैसे ही वो दोनों हाथों को बर्थ पर रखकर एक पैर ऊपर करती है, पीछे से छेदी उसकी गांड के छेद में ऊँगली घुसा देता है. ऊँगली अन्दर जाते ही खुशबू उच्छल के बर्थ पर चढ़ जाती है.
खुशबू: (धीमी आवाज़ में) छी भैया. बहुत गंदे हो आप.छेदी भी ऊपर चढ़ जाता है. बैग को सिरहाने रख कर खुशबू अंदर की ओर, उस तरफ पलट कर लेट जाती है. छेदी बैग से एक चादर निकाल कर खुशबू को ओढा देता है और फिर खुद भी वही चादर ओढ़ कर खुशबू के पीछे चिपक कर लेट जाता है. छेदी धीरे-धीरे अपना हाथ खुशबू की जांघों पर फेरने लगता है. तभी कोई कम्पार्टमेंट की एकमात्र बत्ती भी बुझा देता है और अन्दर अँधेरा छा जाता है. अँधेरा होते ही छेदी अपना हाथ खुशबू की टॉप में घुसा कर उसके मोटे दूध पकड़ लेता है और दबाने लगता है.तभी ट्रेन भी चल पड़ती है.
खुशबू: (धीमी आवाज़ में) सीईई….!! भैया. बहुत जोर से दबाते हो आप मेरे दूध.
छेदी: (धीमी आवाज़ में) बहनों के दूध दबाने में ही तो भाइयों को सबसे ज्यादा मजा आता है बहना (और छेदी अपनी कमर खुशबू की चूतड़ों में सटा देता है )
खुशबू: (धीमी आवाज़ में) उफ़ भैया…!!
छेदी खुशबू के गाल पर हाथ रखकर अपनी तरफ घुमा देता है और सर उठाकर उसके रसीले ओंठों को अपने मुहँ में भर कर चूसने लगता है. खुशबू भी छेदी के मुहँ में अपनी जीभ निकाल कर घुमाने लगती है तो छेदी भी अपनी जीभ खुशबू की जीभ से लड़ाने लगता है. कुछ देर दोनों भाई-बहन एक दुसरे के ओंठों का जी भर के रसपान करते है. फिर छेदी अपनी पैंट खोलकर निचे कर लेता है और खुशबू की स्कर्ट पीछे से उठाकर अपना मोटा लंड उसकी चूतड़ों के बीच रख देता है. खुशबू भी अपना एक पैर हल्का सा ऊपर उठा देती है तो छेदी लंड पकड़ कर उसकी बूर में घुसा देता है. कमर को एक झटका देते ही छेदी का लंड खुशबू की बूर में समां जाता है. ट्रेन तेज़ गति पकड़ चुकी थी और पटरी की तेज़ आवाज़ के साथ डिब्बा जोर-जोर से हिल रहा था. डब्बे के हिलने के साथ छेदी भी अपनी कमर जोर-जोर से हिलाने लगता है. उसका लंड खुशबू की बूर में तेज़ी से अन्दर बाहर होने लगता है. छेदी खुशबू की टॉप में हाथ डाले, उसके दूध दबाते हुए उसकी चुदाई कर रहा था. ट्रेन का डब्बा जितना ज्यादा हिलता, छेदी भी उतनी ही जोर से खुशबू की चुदाई कर देता. ३० मिनट तक खुशबू की अच्छी तरह से चुदाई करने के बाद छेदी अपना पानी उसकी बूर में गिरा देता है. दोनों भाई-बहन थक कर आँखे बंद कर लेते है. चादर ओढ़े धीरे-धीरे दोनों की आँख लग जाती है.
शाम के ५ बज रहे थे. अपने प्लान के मुताबीक उर्मिला सोनू और पायल के साथ माखनपुर से गोलू और कम्मो को साथ ले कर अपने भाई के घर की और निकल पड़ती है. सोनू गाड़ी चला रहा था और उसके साथ गोलू बैठा हुआ था. पीछे उर्मिला, पायल और कम्मो हंसी मजाक कर रहे थे. तीनों में कुछ इशारे होते है और फिर उर्मिला पायल से कहती है.
उर्मिला: अरे वाह पायल. आज तो तुने लाल रंग की कच्छी पहनी है.
पायल दीदी की लाल रंग की कच्छी का नाम सुनते ही सोनू झट से पीछे मुड़ कर देखता है. पायल अपने दोनों पैरों को सीट पर रखे हुए थी और उसकी उठी हुई स्कर्ट और जाँघों के बीच लाल रंग की पैन्टी दिख रही थी. सोनू आँखे फाड़े अपनी दीदी की बूर पर कसी हुई लाल पैन्टी को देखने लगता है. तभी उर्मिला चिल्ला पड़ती है.
उर्मिला: अरे सोनू…!! वो सामने गाड़ी देख…!!
सोनू हडबडा के आगे देखता है तो सड़क खाली होती है. पीछे उर्मिला, कम्मो और पायल खिलखिला कर हँसने लगती है.
उर्मिला: (हँसते हुए) बुद्धू…!! नज़रे अपनी दीदी की पैन्टी पर नहीं, आगे सड़क पर रख, नहीं तो एक्सीडेंट हो जायेगा.
पायल: वैसे भाभी, लाल कपड़ा देखकर तो सांड पागल हो जाता है ना? (तीनो फिर से हँसने लगते है)
उर्मिला: हाँ पायल, और अपने मोटे-मोटे सिंग खड़ा करके दौड़ा चला आता है.
तीनो फिर से खिलखिलाकर हंसने लगते है