Incest घरेलू चुते और मोटे लंड – Part 3 – Pure Taboo

उर्मिला शुरू से अंत तक सारी बात पायल को बता देती है. सुनकर पायल के जोश उड़ जाते है. कम्मो को कितना मजा आया होगा ये सोचकर वो अपने ओंठ काट लेती है.

पायल: भाभी…कम्मो ने तो कमाल कर दिया. एक साथ २-२ लंड…! बापरे…!!

उर्मिला: (पायल की बूर में २ उंगलिया घुसाते हुए) क्यूँ? तेरा भी दिल कर रहा है क्या २-२ लंड एकसाथ लेने का?

पायल: धत भाभी…आप भी ना….

उर्मिला: अच्छा..! मेरी बात सुन. परसों रक्षाबंधन है और मैंने एक प्लान बनाया है.

पायल: वो तो मुझे भी पता है भाभी. आप, मं और सोनू आपके भाई के घर जाने वाले है ना?

उर्मिला: हाँ बाबा, लेकिन मैंने गोलू और कम्मो को भी बुला लिया है.

पायल: वाह भाभी…फिर तो बड़ा मजा आएगा ना…

उर्मिला: हाँ. एक तरफ हम बहने और दूसरी तरफ वो तीनो भाई. खूब परेशान करेंगे हम उन्हें.

पायल: (हँसते हुए) वाओ भाभी…बड़ा मजा आएगा. भाभी..!! क्यूँ ना हम खुशबू को भी बुला लें? फिर एक तरफ ४ बहने और दूसरी तरफ ४ भाई हो जायेंगे.

उर्मिला: अरे वाह कम्मो…!! यह तो बहुत अच्छा सुझाव है तेरा. रुक मैं अभी खुशबू को कॉल करती हूँ.

उर्मिला झट से अपना फ़ोन निकालती है और खुशबू को कॉल करती है.

उर्मिला: हेलो खुशबू…!!

खुशबू: हाँ भाभी, खुशबू बोल रही हूँ. कैसे हो आप?

उर्मिला: मैं ठीक हूँ, और तू कैसी है?

खुशबू: मैं भी ठीक हूँ भाभी.

उर्मिला: अच्छा सुन. अभी तू कहाँ पर है?

खुशबू: स्टेशन पर हूँ भाभी.

उर्मिला: क्यूँ? कहीं जा रही है क्या?

खुशबू: नहीं भाभी. माँ को गाँव छोड़ने आये थे. बस वहीँ से वापस घर जा रहे हैं.

उर्मिला:क्यूँ क्या हुआ? सब ठीक तो है ना?

खुशबू: हाँ भाभी. दरअसल परसों रक्षाबंधन है ना तो भैया ने कहा की माँ को गाँव छोड़ आते है.

उर्मिला: ओह अच्छा, तो रक्षाबंधन की तैयारी चल रही है.

खुशबू: (शर्माते हुए) हाँ भाभी.

उर्मिला: छेदी भी तेरे साथ हे है ना?

खुशबू: हाँ भाभी.

उर्मिला: तुम लोग जरा अकेले में जा कर स्पीकर ऑन करो, मुझे तुम दोनों से जरुरी बात करनी है.

खुशबू छेदी के साथ स्टेशन के एक कोने में जाती है और धीमी आवाज़ में फ़ोन का स्पीकर ऑन कर देती है.

खुशबू: हाँ भाभी, अब बोलिए.

उर्मिला: मेरी बात ध्यान से सुनो. परसों रक्षाबंधन है है मैंने एक बहुत ही मजेदार प्लान बनाया है. मैं अपने भाई के घर जा रही हूँ और मेरे साथ पायल, सोनू, कम्मो और गोलू भी आ रहे है. इस रक्षाबंधन में हम सभी मेरे भाई के घर मजे से रक्षाबंधन मनाने वाले है. तुम लोग भी आ जाओ.

छेदी: भाभी जी, छेदी बोल रहा हूँ.

उर्मिला: कैसे हो छेदी जी?

छेदी: अच्छा हूँ भाभी. रक्षाबंधन में तो हम आ भी जाएँ भाभी जी पर मेरा और खुशबू का रक्षाबंधन जरा हट के है.

उर्मिला: मैं सब जानती हूँ छेदी जी. आप जैसा रक्षाबंधन खुशबू के साथ मनाते हो वसा ही रक्षाबंधन आजकल सभी भाई-बहन मनाते है. मेरे भाई के घर भी ‘स्पेशल’ रक्षाबंधन होने वाला है.

छेदी: (चौंक कर) सच भाभी…??

उर्मिला: और नहीं तो क्या. आपने हमे कच्चा खिलाड़ी समझा है क्या?

छेदी: अरे नहीं भाभी. वो तो मैं बस में ही समझ गया था की इस मामले में आप बहुत पहुंची हुई खिलाड़ी हैं. आप चिंता मत करिए भाभी. हम दोनों आ जायेंगे. बस ये बता दीजिये की कब और कहाँ आना है.

उर्मिला: ये हुई ना बात. मैं आपको सब कुछ मेसेज कर दूंगी. आप दोनों तैयारी से आ जाना.

छेदी: जी भाभी.

उर्मिला: अच्छा चलिए, फिर मिलते है.

छेदी: ठीक है भाभी.

फ़ोन कट करके उर्मिला पायल से कहती है.

उर्मिला: ले…हो गया ये काम भी. वो दोनों भी आ रहे है.

पायल: रक्षाबंधन के बारें अभी से सोच-सोच कर मेरी बूर पानी छोड़ रही है भाभी.

उर्मिला: बदमाश…!! इतनी जल्दी हो रही है तुझे सोनू का लंड खाने की?

पायल: उफ़…!! हाँ भाभी. बाप के लंड से तो मजा ले चुकी हूँ. अब भाई के लंड के लिए मेरी बूर तरस रही है.

उर्मिला: पूरी चुदक्कड़ हो गई है तू.चल अब जरा अन्दर चलते है.

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