Incest बदलते रिश्ते – Family Sex

रोहन तैयार हो चुका था वैसे तो वह अपनी मां के साथ बाग में जाना नहीं चाहता था लेकिन उसकी मां का आज्ञा था और जिस तरह का नजारा उसने अभी अभी गुसल खाने के अंदर देख कर आया था उसके चलते वह खुद ही अपनी मां के साथ जाने के लिए मचलने लगा क्योंकि उसेअब अपनी मां के करीब रहने में उत्तेजना का अनुभव होने लगा वह तैयार होकर कमरे में बैठा था और इंतजार कर रहा था कि कब उसकी मां उसे आवाज दे साथ चलने के लिए।
सुगंधा भी नहा कर अपने कमरे में आ चुकी थी और तैयार हो रही थी कमरे के अंदर आते ही वो दरवाजे की कुंडी बंद कर दी एक अजीब सी हलचल उसके तन बदन को झकझोर रही थी। बार-बार उसकी आंखों के सामने रोहन का तना हुआ लंड जो कि टॉवल में तंबू सा बना हुआ था और जो कि उसने गुसल खाने के अंदर अपने बेटे को संपूर्ण नग्ना वस्था में देखकर उत्तेजना का अनुभव कर रही थी वही नजारा उसकी आंखों के सामने बार बार घूम रहा था।

कमरे की कुंडी लगाते ही सुगंधा अपने बदन पर से गीले वस्त्रों को उतार फेंकी और एकदम नंगी हो गई आज पहली बार उत्तेजना बस होकर उसने अपने बदन के सारे कपड़े उतार दिए थे उसकी जांघों के बीच की उस छोटी सी दरार के अंदर उसे बार-बार कुछ रीसता हुआ महसूस हो रहा था और एक अजीब सी हलचल उस छोटी सी दरार में मची हुई थी। और जो की तुलनात्मक तरीके से उसे अपनी जवानी के दिन की तरह ही लग रहे थे बार-बार वह अपना ध्यान हटाने की कोशिश करती लेकिन भटकता हुआ मन उसी चलचित्र पर आकर रुक जा रहा था और बार बार सुगंधाको उत्तेजना का एहसास दिला दे रहा था कुछ देर तक सुगंधा संपूर्ण लगना अवस्था में अपने कमरे में चहलकदमी करते हुए कुछ सोचने लगी लेकिन क्या सोच रही है यह उसे खुद भी नहीं मालूम था।
लेकिन कमरे का नजारा पूरी तरह से मादकता से भरा हुआ था मर्दों के लिए यह नजारा का असर उसके दिमाग में 100 बोतलों के नशे की तरह ही होता है क्योंकि सुगंधा जोकि खूबसूरती की मिसाल थी पूरा बदन गदराया हुआ था। जिसे लोग साड़ी में देखकर भी उसके अंगों के कटाव और मरोड़ का अंदाजा लगा लेते थे वह सुगंधा इस समय पूरी तरह से नग्न अवस्था में कमरे में चहल कदमी कर रही थी और अगर इस पल किसी की भी नजर सुगंधा पर पड़ जाए तो बिना कहे उसका लंड पानी फेंक दें क्योंकि सुगंधा अभी अभी नहा कर आई थी उसके बदन से भीनी भीनी मादक खुशबू पूरे कमरे में अपना असर छोड़ रही थी एकदम गोरी मखमली बदन वाली सुगंधा कमरे में चहल कदमी करते हुए बहुत ही ज्यादा कामुक नजर आ रही थी उसके उन्नत नितंब बहुत ही गहराई लिए हुए उसके बीच की गहरी फांक
ऐसा लग रहा था कि जैसे दो बड़े-बड़े तरबूज के बीज रेखा खींच दी गई हो जब वो चलती थी तो उसके दोनों बड़े बड़े गांड की फांक ऊपर नीचे होते हुए एक बेहद मनमोहक और मदहोश कर देने वाले नजारा पेश कर रहे थे सुगंधा अपनी गांड मटका ते हुए कमरे में इधर से उधर घूम रही थी जिसे देखना किस्मत की बात होती है गीले गीले बाल कमर तक आ रहे थे और गोरे बदन पर काले काले घने बाल बहुत ही खूबसूरत लग रहे थे और गीले बालों में से टपकते हुए पानी की बूंदे किसी मोती के दाने के समान चमक रही थी और रह रह कर उसके नितंबों को गीला कर दे रही थी।
सुगंधा की आंखों के सामने बार-बार उसके बेटे का खड़ा लंड नजर आ रहा था और उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि उसकी आंखों ने जो देखा वह सच है लेकिन वास्तविकता यही थी कि जो उसने देखी वह शत-प्रतिशत सच था और इस बात का अहसास होते ही उसके तन बदन में कामुकता की लहर दौड़ ने लगी और वह अपने हाथ को अपनी टांगों के बीच ले जाकर अपनी बुर पर उंगलियों का स्पर्श कराई तो उसे बुर की दरार के इर्द-गिर्द वाला स्थल पूरी तरह से गीला महसूस होने लगा वह लाख अपने आप को झूठी दिलासा दे कि वह उत्तेजित नहीं हुई है लेकिन उसकी बुर में से बरस रहा सावन भादो इस बात का सबूत था कि वह पूरी तरह से कामोत्तेजना के सागर में डूब रही थी।
तभी घड़ी में 8:00 बजने का अलार्म बजने लगा तो उसकी तंद्रा भंग हुई और अपने आप को पूरी तरह से नंगी देखकर शरमा गई और जल्दी से जाकर अलमारी में से अपने कपड़े निकालने लगी लेकिन तभी नजर उसकी आईने परपड़ी जिसमें उसका प्रतिबिंब नजर आ रहा था। अपना ही प्रतिबिंब वह आईने में देखकर पूरी तरह से शरमा गई वह अपनी नजरों को आईने से हटा कर वापस आलमारी में स्थिर कर दी लेकिन उसकी रुक सकता अपने आप को नंगी देखने के लिए बढ़ती जा रही थी इसलिए वह अलमारी से थोड़ा दूर हटकर अपने प्रतिबिंब को आदमकद आईने में देखने लगी पहली बार वह पूरी तरह से अपने आप को नग्न अवस्था में आईने में देख रही थी और अपने आप को देख कर शर्म के साथ साथ गर्व का अनुभव भी कर रही थी।। सुगंधा अपने खूबसूरत नंगे बदन को आईने में देखकर विश्वास नहीं कर पा रही थी कि सामने आए में में उसका जो अक्स नजर आ रहा है उसी का है बरसों बीत गए थे उसने अपने नंगे बदन को नहीं देखी थी इसलिए आईने में अपने आप को एकदम नंगी देखकर आश्चर्य का अनुभव कर रही थी।
सुगंधा को यह पहली बार पता चल रहा था कि उसके बदन में जवानी का कसाव बरकरार था। सुगंधा बड़े गौर से अपने नशीला बदन को देख रही थी बदन का हर एक मोड़ हर एक कटाव धड़कनें बढ़ा रहा था सुगंधा की नजर आईने में अपनी दोनों गोलाई पर पड़ी तो वह एकदम से प्रसन्न हो गई वह आश्चर्य से अपनी दोनों चूचियों की गोलाई को देख रही थी जो कि अभी भी छोटे से खरबूजे की तरह मदहोश कर देने वाली थी ऐसा लग रहा था कि मानव जवानी की डाली में कोई पका हुआ फल लगा हो। सुगंधा आश्चर्य से कभी आईने में तो कभी अपने आप को देख रही थी।
अपनी इस उम्र में भी सूचियों में बरकरार जवानी के कसाब को देखकर सुगंधा को अपने आप पर बेहद गर्व अनुभव रहा था लेकिन इस बात का मलाल भी था कि इन चुचियों पर उसके पति ने कुछ खास मेहनत नहीं किया था अपनी दहकती हुई जवानी से उमड़ रही उत्तेजना की लपटों से विवश होकर ना चाहते हुए भी अनायास उसके दोनों हाथ चूचियों पर आ गए और सुगंधा अपने दोनों फड़ फड़ आते हुए कबूतरों पर अपनी हथेली रखकर उन्हें हलके से दबा दी और ऐसा करने की वजह से सुगंधा के मुख से हल्की सी सिसकारी निकल गई।
🙂 अपनी दोनों गोलाइयों को हथेली में लेकर दबाने में सुगंधाको ना जाने क्यों बेहद आनंद की अनुभूति होने लगी। साथ ही उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ जा रही थी क्योंकि इन सबके घर में आना बार-बार उसकी आंखों के सामने उसके बेटे का खड़ा लंड नजर आ जा रहा था जिसकी वजह से उसके बदन में काफी कामोत्तेजना का असर नजर आ रहा था सुगंधा अपने हाथों से अपने दोनों चुचियों को दबाते हुए मस्त हुए जा रही थी यह सब में उसका बस बिल्कुल भी नहीं चल रहा था क्योंकि आज तक सुगमता ने इस तरह की हरकत बिल्कुल भी नहीं की थी अपनी कामोत्तेजना को दबाकर वह अपनी जिंदगी को नीरस बना कर जीते आ रही थी लेकिन आज अपनी उत्तेजना के वश होकर वह अपने ही हाथों से अपनी चूचियों को दबा रही थी।
कुछ देर तक ऐसे ही अपनी चूचियों से खेलने के बाद सुगंधा की नजर आईने में अपनी मांसल चिकनी जांघों पर पड़ी तो उसे अपनी सुहागरात याद आ गई जब उसके पति ने उसको बिस्तर पर लेट आते हुए उसके पेटीकोट को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ ले जाकर उसकी मोटी मोटी जांघों को पागलों की तरह चूमना शुरू किया था और उसे वह बात भी याद आने लगी जब उसके पति ने खुद अपने मुंह से यह बताया था कि उसे सुगंधा की मोटी मोटी नंगी दूधिया जांगे बहुत ही ज्यादा उत्तेजित कर देती हैं।
कुछ देर तक आईने के सामने ऐसे ही खड़े रहने के बाद वह घूम गई और नजरें पीछे की तरफ करके आईने में अपने गोलाकार भराव दार नितंबों को देखने लगी अपनी भारी-भरकम तरबूज की तरह गोल गोल गांड को देख कर सुगंधा अपने बदन में उत्तेजना का अनुभव करने लगी और उसे इस बात का यकीन हो चला कि क्यों आते जाते राहों में हर मर्द की नजरें उसकी गांड पर टिकी रहती थी उसे समझते देर नहीं लगी कि उसके नितंबों में एक गजब का आकर्षण है जिससे इस समय वह खुद आकर्षित हुए जा रही थी।
सुगंधा से रहा नहीं गया और वह खुद अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर अपनी हथेलियों को अपनी गांड की दोनों फांकों पर रखकर हल्के हल्के दबाने लगी।
सससससहहहहह आहहहहहह सुगंधा के मुख से इस तरह की हल्की सी सिसकारी निकल गई । सुगंधा कुछ ज्यादा ही जोर से अपने नितंबों को दबाने लगी जिसकी वजह से उतना हिस्सा लाल टमाटर की तरह नजर आने लगा । अपनी गांड पर पड़े उसने लाल हिस्सों को देखकर सुगंधा खुद शर्मा गई वैसे भी सुगंधा इतनी गोरी चिट्टी थी कि हल्की सी चिकोटि काटने पर भी उतनी जगह लाल हो जाती थी।

कमरे की मादकता बढ़ते जा रही थी हालांकि सुगंधाको इस अवस्था में देखने वाला वहां कोई भी नहीं था फिर भी जिस अवस्था में सुगंधा खड़ी थी शायद इस तरह के हालात कल्पना से भी परे थे। सुगंधा के गीले बाल उसके नितंबों के थोड़ा सा ऊपर तक आते थे जिस पर से बाल गीले होने की वजह से पानी की बूंदे उसके नितंबों पर गिर रही थी जो कि सुगंधा की उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ावा दे रहे थे।

सुगंधा कभी नजरे नीचे की तरफ झुका कर अपने नितंबों को देखती तो कभी आईने में अपने प्रतिबिंब को निहारती। सुगंधा की खुद को देखने की प्यास बढ़ती जा रही थी एक तरह से सुगंधा खुद से ही आकर्षित हुए जा रही थी। कुछ देर तक अपने नितंबो के साथ खेलने के बाद सुगंधा वापस घूम गई और फिर से प्रतिबिंब में अपने खूबसूरती को निहार ने लगी।
सुगंधा आईने में अपने आप को देखते हुए उसकी नजर टांगों के बीच की पतली दरार पड़ गई जिस के इर्द-गिर्द घुंघराले बालों का झुरमुट सा लगा हुआ था। उस पर नजर पड़ते ही सुगंधा को इस बात का एहसास हुआ कि काफी दिनों से उसने अपनी टांगों के बीच की उस जगह को साफ नहीं की थी। पहले वहां अपने उस स्थल को इस तरह से बालों से भरा हुआ नहीं रखती थी समय-समय पर वह उसकी सफाई किया करती थी क्योंकि उसके पति को बिना बाल वाली बुर बेहद खूबसूरत लगती थी।
लेकिन अब इस बात को बरसों बीत गए थे अब इसका कोई मतलब नहीं था यह बात सुगंधा अच्छी तरह से जानती थी इसलिए अपनी टांगों के बीच के बालों की सफाई के प्रति वह बिल्कुल भी ध्यान नहीं देती थी क्योंकि जिस को दिखाना था वह अब बिल्कुल भी रस नहीं लेता था। सुगंधाको वहां पर भी अच्छी तरह से याद है थी जब उसके पति ने खुद अपने हाथों से ही क्रीम लगाकर उसकी बुर के बालों की सफाई की थी उस समय अपने पति की इस तरह की हरकत की वजह से सुगंधा काफी उत्तेजित हो गई थी और देखते ही देखते उसकी बुर कचोरी की तरह फूल गई जिसे देखकर उसका पति काफी उत्तेजना का अनुभव करते हुए पूरी तरह से काम उत्तेजित हो गया और उसी समय उसकी दोनो टांगे फैलाकर अपनो लंड को उसकी बुर मे पेल दिया। सुगंधा उस समय काफी चुदवासी हो गई थी जिसकी वजह से उसने अपने पति से खुलकर और जमकर मजा ली थी। वह पल याद आते ही अनायास ही उसके जेहन में एक बार फिर से रोहन का लंड घूमने लगा। और ना चाहते हुए भी अपने पति और अपने बेटे के लंड की लंबाई और मोटाई की तुलना करने लगी। जबकि वह ऐसा करना चाहती नहीं थी यह सब अपने आप ही हो रहा था अपने पति और बेटे के लंड की तुलना करते करते उसका हाथ कब उसकी बुर पर चला गया उसे पता ही नहीं चला।

बीते हुए पल को याद करके सुगंधा पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी और उत्तेजना बस वह अपनी हथेली में अपनी छोटी सी बुर को दबोच ली जिसकी वजह से उसके मुख से हल्की सी चीख निकल गई। बुर्के एक दिखाई दे बालों का काफी झुरमुट होने की वजह से उसकी हथेली में बाल भी भींच गए जिसकी वजह से उसे हल्का सा दर्द का एहसास हुआ। तो उस दर्द की वजह से उसकी तंद्रा भंग हुई सांसे उसकी गहरी चल रही थी अपने आप को आदम कद आईने में संपूर्ण रूप से नंगी देख कर और अपनी हरकत की वजह से वह शर्म से पानी पानी हुई जा रही थी इस समय ऐसा लग रहा था कि जैसे वह नशे से बाहर आ गई हो और अपनी हालत पर गौर करते हुए तुरंत अलमारी गई और अपनी साड़ी पेटिकोट और दूसरे वस्त्र निकालकर तुरंत पहनने लगी और कुछ ही देर में सुगंधा अंगूर के बाग देखने जाने के लिए तैयार हो गई.

दो दो चाचिया compleet

1 Comment

  1. Gandu Ashok

    भेनचोद कितनी बार झड़ गया कहानी पढ़ते पढ़ते

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