Incest बदलते रिश्ते – Family Sex

कुछ देर बाद ही रोहन नहा कर बाहर आ गया नहाने के बाद वह टावल लपेटा हुआ था… और जैसे ही बाहर आया बाहर अपनी मां को खड़ा देखकर एकदम से घबरा गया और घबराते हुए बोला …..

ममममम….मम्मी तुम यहां इतनी सवेरे…….

( सुगंधा रोहन को देख कर मुस्कुरा रही थी और अपनी मां को इस तरह से मुस्कुराते हुए देखकर रोहन का दिल घबरा रहा था क्योंकि वह जानता था की गुसल खाने के अंदर वह पूरी तरह से नंगा होकर नहा रहा था ..और नहाते समय उसका लंड भी पूरी तरह से खड़ा था… उसे इस बात का डर सताने लगा कि कहीं उसकी मां ने उसे उस अवस्था में नहाते हुए देख तो नहीं ली…)

हां बेटा आज मुझे अंगूर के बाग देखने जाना है…..( सुगंधा मुस्कुराते हुए बोली)….

तुम इतना मुस्कुरा क्यों रही हो…. मम्मी.. . ?

सुगंधा अभी भी मुस्कुरा रही थी क्योंकि रोहन जिस अवस्था में बाहर आया था उसके बदन पर केवल टावल ही था और उसके टावल के आगे वाला हिस्सा अभी भी हल्का सा उठा हुआ था जिसे देख कर सुगंधा मन ही मन मुस्कुरा रही थी लेकिन रोहन की बात सुनकर सुगंधा बाद बदलते हुए बोली…

कुछ नहीं बस ऐसे ही मुस्कुरा रही थी तू नहाते समय जिस तरह से गाना गुनगुना रहा था मुझे मेरे दिन याद आ गए मैं भी इसी तरह से बाथरूम में गाना गुनगुनाते हुए नहाती थी लेकिन अब सब कुछ छूट गया है…..
( रोहन को अपनी मां की बात सुनकर राहत महसूस हुई लेकिन वह बिना कुछ बोले वहीं खड़ा रहा तो सुगंधा बोली)

जाओ अपने कमरे में जाकर कपड़े बदल लो और जल्दी से तैयार हो जाओ तुम्हें मेरे साथ अंगूर के बाग देखने चलना है…

( सुगंधा की बात सुनकर रोहन थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बेमन से बोला)

मम्मी तुम चली जाओ मैं नहीं जाऊंगा….

ऐसे कैसे कह रहे हो रोहन तुम चलोगे नहीं अपने खेत खलियान के बारे में समझोगे नहीं तो आगे कैसे चलाओगे क्या तुम भी अपने बाप की तरह आवारा निकम्मा निकलना चाहते हो ताकि यह जो विरासत है यह जमीदारी है सब का सब जाता रहे…..
( सुगंधा अपने बेटे को थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए लेकिन प्यार से समझाते हुए बोली)

लेकिन मम्मी मुझे यह सब अच्छा नहीं लगता….

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मैं जानती हूं बेटा कितने सब अच्छा नहीं लगता लेकिन करना ही होगा मैं नहीं चाहती कि तुम भी तुम्हारे बाप की तरह आवारा और निकम्मे निकल जाओ और मैं यह गांव वालों को यह मौका बिल्कुल भी नहीं देना चाहती कि तुम्हारे बारे में भी बातें करके तुम्हारी हंसी उड़ाए तुम सुगंधा के बेटे हो तुम्हें यह सारा काम बड़ी जिम्मेदारी से निभाना होगा इसलिए तुम्हें यह सब सीखना होगा और जाओ जल्दी से तैयार हो जाओ इतना कहकर सुगंधा गुसल खाने की तरफ कदम बढ़ा दी रोहन अपनी मां को जाते हुए देखता रह गया लेकिन जैसे ही कमर के नीचे उसकी नजर पड़ी उसका मयूर मने नाचने लगा क्योंकि रोहन अपनी मां के बड़ी-बड़ी और चौड़ी नितंबों का दीवाना था और जैसे वह गुसल खाने के अंदर जा रही थी… वैसे ही रोहन की नजर अपनी मां की मटकती हुई बड़ी बड़ी गांड पर पड़ी और वह सब कुछ भूल गया… अपनी मां की बड़ी-बड़ी और मटकती हुई गांड को देखकर रोहन गरम आहें भरने लगा……..

रोहन करता भी तो क्या करता — उसकी सबसे बड़ी कमजोरी यही थी। अपनी मां की मटकती हुई बड़ी बड़ी गांड को देखकर उससे रहा नहीं गया। एक बार फिर से उस की सोच ने उसके सोए हुए लंड को जगाना शुरू कर दिया गुसल खाने का दरवाजा बंद हो चुका था रोहन के दिमाग में कुछ और चलने लगा वह वहां से अपने घर जाने के बजाय धीरे धीरे कदम रखता हुआ गुसल खाने की तरफ जाने लगा उसका दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि वह जो काम करने जा रहा था उसके लिए उसने हिम्मत नहीं थी लेकिन फिर भी ना जाने कैसे आज उसके में इतनी हिम्मत आ गई थी शायद यह औरत के गदराए जवान जिस्म का असर था जो रोहन में इतनी हिम्मत जगा रहा था ।रोहन का तंबू फिर से तन कर सामियाना बन गया था चारों तरफ का माहौल काफी खूबसूरत और ठंडा था सुबह सुबह की ताजी ठंडी हवा रोहन के तन बदन को एक नई ताजगी प्रदान कर रहे थे ।लेकिन यह ताजगी सिर्फ ऊपर से ही थी बदन के अंदर तो लावा फूट रहा था वह अपने आप को संभाल नहीं पा रहा था ।और धीरे-धीरे अपने कदम बढ़ाता हुआ गुसल खाने के बिल्कुल करीब पहुंच गया।

गुसल खाने के दरवाजे के करीब पहुंचते ही रोहन खड़ा होकर चारों तरफ इर्द-गिर्द देखने लगा की कहीं कोई उसे देख तो नहीं रहा है पूरी तरह से तसल्ली कर लेने के बाद रोहन अंदर झांकने का जरिया देखने लगा। कुछ देर मशक्कत करने के बाद उसे भी दरवाजे की वही दरार नजर आई जिसमें से कुछ देर पहले सुगंधा झांक रही थी। आज पहली बार वह चोरी छुपे इस तरह से अपनी मां के जवान बदन को देखने जा रहा था इसलिए उसका दिल बड़ी जोरों से धड़क रहा था चारों तरफ केवल पंछियों के चहकने की आवाजें आ रही थी वैसे भी वह जानता था कि इधर कोई आने वाला नहीं था लेकिन फिर भी एक मन में डर सा बना हुआ था।। सुबह सुबह की ठंडी ताजा हवा में भी रोहन के माथे पर पसीने की बूंदें उपसने लगी थी ।वह धड़कते हुए दिल के साथ अपनी आंख को दरवाजे की दरार से सटा दिया। कुछ पल तो उसे समझ में नहीं आया कि अंदर क्या नजर आ रहा है लेकिन कुछ देर अपने आंखों को स्थिर करते ही उसे वह नजारा सामने नजर आया जिसे देखते ही उसका लंड अपनी मां की जवानी को सलामी भरते हुए ऊपर नीचे होने लगा।

गुसल खाने में सुगंधा केवल पेटीकोट में खड़ी थी उसके बदन के बाकी के वस्त्र उतर चुके थे नंगी चिकनी गोरी पीठ देख कर रोहन टॉवल के ऊपर से ही अपने लंड को मसलने लगा।
अपनी मां के हाथों की हरकत को देख कर उसे समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां पेटीकोट की डोरी खोल रही है। अब तो रोहन का दिल धड़कने की बजाय जोर जोर से उछलने लगा उसकी आंखों के सामने मालिश वाले दिन जैसा ही नजारा प्रस्तुत हो रहा था उत्तेजना के मारे उसका लंड एकदम कड़क हो कर किसी लोहे के रोड की भांति हो गया था ।रोहन अपनी नजरों को किवाड़ की पतली दरार से सटाया हुआ था । वह अंदर के एक भी नजारे को चूकने नहीं देना चाहता था ।
बस एक कमी आज भी उसे खल रही थी कि उसकी मां यहां पर भी अपनी पीठ उसकी तरफ की हुई थी।

जिस तरह से रोहन उत्तेजना का अनुभव कर रहा था उसी तरह से आज सुगंधा भी काफी उत्तेजित हो रही थी और उसका एक ही कारण था उसके बेटे का तना हुआ मोटा तगड़ा लंड जिसे देखते ही उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी सुगंधा की आंखों में अपने बेटे के लंड को लेकर उसकी तरफ बढ़ती हुए आकर्षण की चमक साफ नजर आ रही थी। उसे इस बात का अनुभव अच्छी तरह से हो रहा था कि उसकी बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। सुगंधा भी बार-बार अपने मन को अपनी बेटी के प्रति बढ़ते आकर्षण से रोक रही थी समझा रही थी कि उसके बारे में इस तरह का ख्याल करना अच्छा नहीं है लेकिन बार-बार उसकी आंखों के सामने रोहन का खड़ा तगड़ा मोटा लंड नजर आ रहा था जिससे वह अपने भटकते हुए मन को रोक नहीं पा रही थी। इस समय यही कहना ठीक था कि आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी सुगंधा धीरे-धीरे अपनी पेटीकोट की डोरी खोल रही थी और बाहर खड़े रोहन की उत्सुकता और उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और अगले ही पल सुगंधा अपने पेटिकोट की डोरी खोल कर एक झटके में पेटीकोट को छोड़ दी और उसकी बेटी को ढीली होकर सीधे जाकर उसके कदमों में गिर गई।

गुलाबी कलर की पेंटी सुगंधा को पूरी तरह से निर्वस्त्र होने से रोक दी । लेकिन फिर भी इस अवस्था में भी एक छोटी सी पैंटी एक मर्द की कल्पना में सुगंधाको नंगी करने में बाधित नहीं हो रही थी क्योंकि कल्पनाओं का घोड़ा तो मन मर्जी का मालिक होता है जहां दौड़ाऔ वहां दौड़ता है। इसलिए अपनी मां के बदन पर एक छोटी सी पैंटी देख कर भी रोहन अपनी मां के नंगे पन के एहसास को महसूस कर रहा था अपनी मां की नंगी नंगी गोरी गांड को देख कर रोहन पूरी तरह से उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो गया था।।
रोहन की सांसे पलभर में ही तीव्र गति से चलने लगी । दूसरी तरफ से गंदा ना चाहते हुए भी अपनी बेटी के खड़े लंड को याद करके अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर अपने नितंबों को सहलाने लगी यह देखकर रोहन की उत्तेजना और बढ़ने लगी रोहन का दिल जोरों से धड़क रहा था उसके टॉवल में इस तरह का तंबू तन कर खड़ा हो गया था कि ऐसा लग रहा था जैसे उसकी टावल नीचे गिर जाएगी।

तभी सुगंधा अपने हाथों से अपनी पेंटी को पकड़कर अपनी बेटी के लंड के प्रति बढ़ते आकर्षण की वजह से मदमस्त होकर उसे नीचे की तरफ सरकाने लगी लेकिन अपनी पेंटी को नीचे की तरफ उतारते हुए वह अपने भारी-भरकम नितंबों को गुसल खाने के किवाड़ की तरह इस तरह से उभरते हुए उठाने लगी जैसे कि ऐसा लग रहा था कि वह अपने बेटे के मदमस्त लंड को सलामी भर रही हो।

तरबूज के जैसे गोल गोल भारी भरकम नितंबों को उठा हुआ देखकर रोहन एकदम से कामोत्तेजना से भर गया। और उसके टॉवल में एक बहुत बड़ा तंबू सा बन गया जिसकी वजह से उसकी टॉवल नीचे गिर गई लेकिन वह अपनी टावल उठाने की तस्दी बिल्कुल भी नहीं ले रहा था क्योंकि उसकी आंखों के सामने बेहद मदमस्त कर देने वाला नजारा जो चल रहा था।
अगले ही पल सुगंधा अपने सारे वस्त्र उतारकर एकदम नंगी खड़ी थी इस समय सुगंधा एकदम काम की देवी लग रही थी उसका चमकता बदन बेहद खूबसूरत और आकर्षक लग रहा था एचएफ का नजारा बन चुका था गुसल खाने के अंदर रोहन की मां संपूर्ण रूप से नंगी खड़ी थी और गुसल खाने के बाहर रोहन एकदम नंगा खड़ा था रोहन बार-बार अपने आप से ही कह रहा था कि काश उसकी मां उसकी तरफ मुंह करके खड़ी हो जाए ताकि उसे उसकी मां की बेहद खूबसूरत बुर देखने को मिल जाए और जैसे उसकी मन की बात उसकी मां सुन ली हो इस तरह से अगले ही पल वह रोहन की तरफ मुंह कर ली रोहन का दिल जोरो से धड़कने लगा उसकी नजर सीधे उसकी मां की टांगों के बीच चली गई लेकिन उसकी किस्मत खराब थी क्योंकि तभी उसकी मां गुसल खाने में टंगी साड़ी उठा ली और अपने हाथ में पकड़ कर उसे देखने लगी जिसकी वजह से साड़ी की किनारी उसकी बुर को ढंक दी रोहन एकदम से तड़प उठा वह साड़ी हटने का इंतजार करने लगा कि तभी पत्तों की सरसराहट की आवाज आने लगी और पीछे मुड़कर देखा तो दूर से बेला चली आ रही थी रोहन तुरंत समय की नजाकत को समझते हुए नीचे गिरी टॉवल को उठाकर अपनी कमर से लपेट लिया और तुरंत वहां से नौ दो ग्यारह हो गया।

1 Comment

  1. Gandu Ashok

    भेनचोद कितनी बार झड़ गया कहानी पढ़ते पढ़ते

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